Tuesday, May 1, 2012

UPTET : Article By Mr. Shyam Dev Mishra regarding PRT Recruitment in UP and recent Developments


UPTET : Article By Mr. Shyam Dev Mishra regarding PRT Recruitment in UP and recent Developments

प्रेषक: Shyam Dev Mishra <shyamdevmishra@gmail.com>
दिनांक: 1 मई 2012 1:44 pm
विषय: NEW ARTICLE ON UPTET & PRT-RECRUIMENT SCENARIO
प्रति: Muskan India <muskan24by7@gmail.com>

Keeping in view the confuson of some of the friend on the latest development in the scenario of recruitment process of 72825 Primary Teacher in schools of UP Govt., I have tried to clear the situation as on date. It is solely my opinion and being in agreement entirely depends upon the reader. Please publish it on blog. 
I would also like if readers give their comments so that I may decide if I should write on blog in future or not. 
Thanks.

यू.पी.टी.ई.टी. - 2011 और 72825 प्राइमरी शिक्षकों की भर्ती: मौका-मुआयना

उत्तर प्रदेश में इन दो विषयों पर रोज-रोज अख़बारों और अन्य माध्यमों से कभी सही तो कभी गलत तो कभी भ्रामक ख़बरें  आ रही है और सम्बंधित अभ्यर्थियों में बेचैनी, निराशा व आक्रोश बढ़ रहा है. पर इतना जन लेना
शायद आपको राहत दे  कि "भले ही सच कहा न जाये, सच सच ही रहता है और झूठ चाहे जितनी बार, जितनी जोर बोला जाये, झूठ झूठ ही रहता है.


आइये, एक बार देख लें इन प्रश्नों को जिनको लेकर दुविधा है;


1. क्या टी.ई.टी. मेरिट से चयन गलत है?


कानून के हिसाब से गलत सिर्फ वो कृत्य है जो किसी के द्वारा अपने अधिकार-क्षेत्र से बहार जाकर या फिर नियमों के विरुद्ध किया गया हो. यदि भर्ती-प्रक्रिया शुरू होने से पूर्व राज्य-सरकार (उत्तर प्रदेश सरकार,
नाकि सपा सरकार या बसपा सरकार) द्वारा अपने अधिकारों के अंतर्गत उ.प्र. बेसिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा नियमावली, 1981 में 12वें संशोधन द्वारा भर्ती-प्रक्रिया संबंधी नियम बनाये गए और उसके आधार पर प्रक्रिया शुरू हुई तो यह कहीं से नियम विरुद्ध नहीं है. वैसे भी एन.सी.टी.ई. द्वारा टी.ई.टी. अनिवार्य किये जाने के कारण भर्ती के नियमों में संशोधन इसलिए आवश्यक था क्यूंकि पहले पात्रता में टी.ई.टी. का कोई उल्लेख ही नहीं था और नई भर्ती के लिए अब टी.ई.टी. की अनिवार्यता के लिए इसे आवश्यक योग्यताओं में शामिल करना था. दूसरा, जब राज्य-सरकार ने इस संशोधन में जो टी.ई.टी. मेरिट को चयन का आधार बनाया, वो भी राज्य-सरकार के अधिकार क्षेत्र में था और एन.सी.टी.ई. दिशानिर्देशों के अनुरूप था.


 इसका विरोध करने वालों को जन लेना चाहिए कि 72825 पदों की भर्ती के प्रस्ताव, जिसमे भर्ती के नियम व पूरी प्रक्रिया का ब्यौरा शामिल था, को स्वयं केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय और एन.सी.टी.ई. द्वारा स्वीकृति दी गई थी जिस से स्पष्ट है कि यह नियम-सम्मत था. भर्ती प्रक्रिया में नियमों का उल्लंघन होने पर ही न्यायालय से राहत मिलती है न कि सिर्फ इसलिए कि इस से शिकायत करने वाले के हित प्रभावित हो रहे हैं. किस आधार पे चयन होना है, इसके लिए आप नियम बनाने की अधिकृत संस्था से गुजारिश कर सकते है या अपने सुझाव दे सकते है, वो भी अगर आपसे पूछे तब, पर आप उसे कटघरे में महज इस लिए खड़ा नहीं कर सकते कि आपको ये ठीक नहीं लग रहा है. पहले भी कई लोगो ने अलग अलग आरोप और बहानों से अदालत में टी.ई.टी. के मद्धम से चयन पर सवाल उठाया है पर हर बार कोर्ट ने इसे सही ठहराया है, इसलिए अगर 2 मई को कोर्ट इस विज्ञापन को सही ठहराता है या केवल यही विज्ञापन सक्षम प्राधिकारी अर्थात बी.एस.ए. द्वारा निकले जाने का आदेश देता है तो "टी.ई.टी. बनाम अकादमिक"  कोई मुद्दा ही नहीं है क्यूंकि इसी विज्ञापन में प्रक्रिया शुरू होने के पूर्व सरकार द्वारा जारी शासनादेश के अंतर्गत टी.ई.टी. के आधार पर चयन का स्पष्ट उल्लेख है.
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2. क्या भर्ती का आधार बदला जा सकता है?


भर्ती का आधार बदलने की आवश्यकता स्वाभाविक रूप से केवल तभी होती है जब कोई प्रक्रिया शुरू होने वाली हो, या भर्ती का आधार अवैध या नियम-विरुद्ध हो. यहाँ भर्ती की प्रक्रिया शुरू भी हो चुकी है और आवेदन भी किये जा चुके हैं


दूसरा, भर्ती के आधार, अर्थात टी.ई.टी. मेरिट के आधार पर चयन को केंद्र सरकार और एन.सी.टी.ई. ने भी स्वीकृति दे दी है और कोर्ट ने भी इसके खिलाफ दायर याचिकाओं को ख़ारिज करते हुए एकाधिक बार इसे सही व नियम-सम्मत ठहराया है. अतः कानूनी रूप से भर्ती के आधार को बदले जाने की कोई आवश्यकता वर्तमान स्थिति में नहीं है, 
भले ही कोर्ट विज्ञापन रद्द करे, या सक्षम प्राधिकारी द्वारा पुनः विज्ञापन जारी करने का निर्देश दे क्यूंकि "टी.ई.टी. बनाम अकादमिक" एक कानूनी सवाल नहीं है.


हाँ, अगर समाजवादी पार्टी इसे बदलना चाहती है तो अलग बात है. इस स्थिति में अगर इसे समाजवादी पार्टी के नजरिये से, वोट-बैंक के चश्मे से देखा जाये तो किसी और को तो नहीं, इन्हें इस आधार को बदलने की जरुरत हो सकती है. 


पुस्तक-परीक्षा के रूप में दुस्साहसिक, स्वार्थ-पूर्ण और शिक्षा-प्रणाली के साथ खुले-आम ऐसा घटिया मजाक करने वाली पार्टी ने अगर वाकई अब भी अपना चरित्र नहीं बदला है और मात्र वोट-बैंक की परवाह करे तो
टी.ई.टी. के समर्थक 72825 संभावित चयनितों की अपेक्षा लाखों कम अंक वाले  अभ्यर्थियों का समर्थन पाने ले लिए परीक्षा का आधार बदलने की हद तक जा सकती है. अगर राज्य सरकार, यानि सपा सरकार ऐसा चाहती है तो इस के लिए सर्वाधिक अनुकूल स्थिति होगी की 2 मई को कोर्ट विज्ञापन को रद्द करे,


तभी सरकार इसकी आड़ में नियम में, भर्ती-आधार में बदलाव कर नया विज्ञापन जारी करे क्यूंकि मौजूदा विज्ञापन के न्यायालय द्वारा वैध ठहराए जाने और प्रभावी रहने की दशा में राज्य-सरकार के पास बिना किसी औचित्य के आधार में बदलाव करना लगभग असंभव ही होगा


पर इस बात की सम्भावना कम ही दिखती है. और अगर राज्य-सरकार ऐसा करती भी है तो टी.ई.टी. समर्थक स्वयं सरकार के बनाये नियमो व प्रक्रिया के अंतर्गत लाखो की संख्या में किये गए आवेदनों और टी.ई.टी. मेरिट-आधारित चयन के पक्ष में न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णयों का हवाला देते हुए न सिर्फ राज्य-सरकार पर समानता के अधिकार के हनन का, प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के हनन का, प्रक्रिया शुरू होने
के बाद नियमों में बदलाव का और कही-न-कही समाज के किसी खास तबके/वोट-बैंक को नाजायज़ लाभ का आरोप लगाते हुए कोर्ट से राहत मांगने ही वाले है और उनका पक्ष मजबूत ही रहने वाला है.


ईश्वर करे कि सरकार कि ऐसी कोई मंशा न हो और ये सब मात्र अफवाहें हों, ये वो पुरानी समाजवादी पार्टी न हो, और सबकुछ सही हो जाये पर विपरीत परिस्थितियों में भी हमे कहाँ तक जाना पद सकता है ये उसकी झलक मात्र है.
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3. क्या टी.ई.टी. समर्थकों का नेतृत्व सक्षम है ?


निस्संदेह टी.ई.टी. मोर्चा के लीडरों ने बहुत मेहनत कि है, बहुत समय लगाया है, बहुत पैसा भी लगाया होगा, पर मेरे विचार से इस आन्दोलन में, रण-नीतिया बनाने में, उनके पालन में  संवादहीनता एक बड़ी बाधा के रूप में सामने आई है. इस ब्लॉग से मैं काफी समय से जुड़ा हूँ, इतने लोग यहाँ दिखते है जो टी.ई.टी.समर्थक है, परेशां हैं  पर राजेश राव जी, मनोज जी, अर्पण जी, अनिल जी, अखिलेश जी, सुधीर तिवारी जी, रंजन जी, जैसे कुछ लोगो को छोड़कर कोई भी बड़ा लीडर यहाँ न नियमित रूप से कुछ बताता है, न राय-मशवरा करता है और सब कुछ अनिश्चितता के अँधेरे में रहता है


कपिल देव यादव वाली याचिका में मुझे विवेकानंद जी द्वारा झूलेलाल पार्क में धरने के दौरान और ब्लॉग पर काफी पहले के कमेन्ट के द्वारा पता चला था कि टी.ई.टी.मोर्चा इस केस में थर्ड पार्टी बन गया है ताकि न्यायालय हमारी बात भी सुने पर आज भी इस बात कि पुष्टि नहीं हो पी है कि हम इस में थर्ड पार्टी हैं या नहीं. अगर नहीं तो ये तो सौभाग्य है हमलोगों का कि न्यायाधीश महोदय ने मामले में खुद ही हस्तक्षेप करते हुए इस याचिका के औचित्य पर सवाल उठाया वरना स्थिति विपरीत जाने कि स्थिति में हमारा पक्ष कौन रखता, सरकारी पक्ष तो वैसे ही मौके कि ताक में है कि कैसे मायावती सरकार द्वारा जारी विज्ञापन निरस्त हो


बुरा न माने, मेरा इरादा आप लीडरों की नीयत पर ऊँगली उठाने का नहीं है पर आपको देखना चाहिए की लाखो
लोग आपसे उम्मीदें लगाये बैठे हैं, अगर आपसे कोई काम नहीं हो प् रहा तो बाकि लोगो से सहयोग ले, इस ब्लाग पर भी बड़ी संख्या में लोग हर प्रकार का सहयोग, समय, धन, जानकारी आदि देने को तत्पर है, ऐसे में आप से किसी काम में ढील की उम्मीद नहीं की जा सकती. बेहतर परिणाम के लिए सबका एकजुट रहना
जरुरी है, अगर आप अपील करेंगे तो मुझे विश्वास है मात्र इस ब्लॉग से ही आपको पर्याप्त सहयोग-सूत्र मिल जायेंगे. पर इस मोड़ तक आकर किसी काम में लापरवाही करना बहुत घटक हो सकता है.


सभी टी.ई.टी. समर्थको से अनुरोध है की न्यायपालिका के बारे में स्तर-हीन टिप्पणिया करने में संयम बरतें, अगर प्रदेश सरकार या हाईकोर्ट से हमें राहत नहीं भी मिलती तो भी हमें सर्वोच्च न्यायालय जाना पद सकता है पर आज के भ्रष्ट राजनैतिक युग में, अपराध-लिप्त राजनीती में आम-आदमी का, आप जैसे पढ़े-लिखो का सबसे बड़ा सहारा न्यायपालिका ही है, उसमे विश्वास बनाये रखें, यहाँ देर हो सकती है पर अंधेर नहीं. 


आशा है, अँधेरा जल्दी छंटेगा, सुबह जल्दी होगी. वैसे भी रात सबसे काली सबेरे से ठीक पहले होती है,
धैर्य रखें, जागरूक रहें, सक्रिय रहें.


धन्यवाद,
आपका
श्याम देव मिश्रा
मुंबई
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Shyam Dev ji, Jab tak Samajvadi Party officially announce nahin kartee kee TET cancel ho jaygee, Acadmic se chyan hoga etc.
Tab tak aap logo ko bhee sayam baratte hue sahee aur sateek baten kee janee chahiye aue iljam lagana kee ki -
"हाँ, अगर समाजवादी पार्टी इसे बदलना चाहती है तो अलग बात है. इस स्थिति में अगर इसे समाजवादी पार्टी के नजरिये से, वोट-बैंक के चश्मे से देखा जाये तो किसी और को तो नहीं, इन्हें इस आधार को बदलने की जरुरत हो सकती है. "
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Halanki mein Samajvadi Party ya kisee any party kee hiteshee nahin hoon, Par Mujhe lagta hai kee sabhee parties ko bhee tathyatmak jaankaree hai. 
Aur ve fesle sabhee binduon ko dhyan mein rakhte hue karenge, anytha koee saakh par batta kyun lagayega.
Varna Samjvadee Party satta mein aate hee, TET ko nirast karne ka aadesh jaree kar saktee thee ( Ye alag baat hai kee tab mamle ko Supreme Court/ High Court mein challenge kiya jaataa, aur aage jeet bhee ho saktee thee), Haan Media mein aajkal bhrmatamak khabren aa rahee hai. Par Rajya Sarkaar ne abhee aisa koee nirnay nahin deeya, Jisse lage kee TET cancel ho raha hai, Chyan Prkriya badlee ja rahee hai.


Ye jaroor hoga ki koee draft/masoda/vikalp tayaar kiya ja raha ho, Par koee bhee niyam / prkriya mein badlav sabhee binduon ko dhyan mein rakhkar hee leeye jaate hain, varna saakh par batta lage ye koee nahin chahega , Vo bhee jab CM ne pehlee baar kursee sambhalee ho.

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