Tuesday, May 29, 2012

UPTET : टी.ई.टी.संघर्ष मोर्चा प्रदर्शन का आँखों-देखा हाल


UPTET : टी.ई.टी.संघर्ष मोर्चा प्रदर्शन का आँखों-देखा हाल (By Mr. Shyam Dev Mishra )


---------- अग्रेषित संदेश ----------
प्रेषक: Shyam Dev Mishra <shyamdevmishra@gmail.com>
दिनांक: 29 मई 2012 11:28 pm
विषय: DETAILS OF AGITATION OF TET-SUPPORTER AT VIDHAN-SABHA ON 29.05.2012
प्रति: Muskan India <muskan24by7@gmail.com>


टी.ई.टी.संघर्ष मोर्चा द्वारा उत्तर प्रदेश में ७२८२५ प्रशिक्षु शिक्षक  भर्ती के निर्णय में हो रही देरी और सरकार द्वारा अपना रुख न स्पष्ट करने  के विरोध में एवं प्रक्रिया को शुरू करने की मांग को लेकर आयोजित
 प्रदर्शन का आँखों-देखा हाल

प्रिय मित्रों,
 टी.ई.टी.संघर्ष मोर्चा द्वारा उत्तर प्रदेश में ७२८२५ प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती के निर्णय में हो रही देरी और सरकार द्वारा अपना रुख न स्पष्ट करने  के विरोध में एवं प्रक्रिया को शुरू करने की मांग को लेकर आयोजित
 प्रदर्शन की घोषणा के मद्देनज़र आज लखनऊ में सुबह ६ बजे से पुलिस एवं  पी.ए.सी. के जवान चारबाग स्टेशन से लेकर विधानसभा तक तैनात थे


सुबह १०  बजे फिर भी लगभग 1000 अभ्यर्थी, जिनमे तमाम बहनें भी शामिल थी, न सिर्फ  विधानसभा तक पहुँच गए बल्कि चालू सत्र में विधान सभा के ठीक सामने सड़क पर जाम लगा दिया और जबरदस्त नारेबाजी की. पुलिस की तमाम घुड़कियों के बावजूद  ये बहादुर भाई-बहन न सिर्फ वहां डटे रहे बल्कि भरी मीडिया की उपस्थिति  में सरकार की इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर संवेदनहीनता को भी प्रदेश भर की  जनता के आगे अपनी जबरदस्त नारेबाजी से बेनकाब भी करते रहे. कई बार  लाठियां पटकी गई, कुछ को घसीटा गया पर इन मात्र 1000 लोगों ने लगभग 3 घंटे तक सरकार की नाक के नीचे अपनी गर्जना जारी रखी


इसी बीच प्रदर्शन में शामिल होने आ रहे लगभग 500-500 अभ्यर्थियों के समूहों को रास्ते में  ही रोक कर अज्ञात जगहों पर रखा गया ताकि प्रशासन स्थिति को काबू में रख सके. लगभग एक बजे प्रशासन ने सभी अभ्यर्थियों को विधान सभा के सामने  स्थित धरना-स्थल में अन्दर करके निरुद्ध कर दिया जहाँ भी ये अपनी मांगे  उठाते हुए पुलिस-प्रशासन के अधिकारीयों और सैकड़ो पुलिस-पी.ए.सी. जवानों  के साये में भी नारे लगाते रहे. 


यह हाई-वोल्टेज ड्रामा विधान-भवन की  खिडकियों से भी बहुत उत्सुकता के साथ देखा जा रहा था.
 इस धरने में शामिल होने एक पैर  से पूर्णतया विकलांग अरविन्द भाई अपने  साथ दो जोड़ी कपडे रख कर आए थे तो एक पति-पत्नी का जोड़ा अपने गोद में 2  साल के बच्चे को लेकर अगले कई दिनों तक रुकने की तैयारी से आया था. 


और जो  लोग वहां जाने से डरते हैं कि लाठी खानी पड़ेगी, उनकी जानकारी के लिए मैं बता दूं कि मैं वहां जाते हुए मन ही मन डर भी रहा था पर जब एक बार वहां  के हालात, वहां पुलिस के साये में अपनी मांग को लेकर जूझते भाई-बहनों को  देखा तो मेरे जैसा सीधा-सादा, शरीफ, लफडे से कोसों दूर रहने वाले आदमी में भी इतनी हिम्मत आ गई कि मैं भी उस झुण्ड में शामिल हो गया.
 और तो और  आज हमारी बहनों ने भी जबरदस्त हिम्मत दिखाते हुए मोर्चा लिया. साथ ही पुलिस के जवानो तक ने, दो-चार मानव-वेश-धारी राक्षसों को छोड़ कर, हमारे  साथ सहानुभूति-पूर्ण रवैया दिखाया.


 शाम 5 बजे के आसपास पुलिस के अधिकारियों ने सभी अभ्यर्थियों से चुपचाप वापस जाने को कहा तो अभ्यर्थियों ने एक स्वर में इस बार मुख्यमंत्री या  मंत्री द्वारा लिखित आश्वासन न दिए जाने की स्थिति में न सिर्फ जाने से  इंकार किया बल्कि गिरफ्तारी तक को राजी हो गए. 


पुलिस द्वारा सब साथियों  को अलग अलग ले जाने की कोशिश के विरोध में और अपने पहले से अन्य स्थानों
 पे नज़रबंद किये गए लगभग 1000 साथियों के साथ रखे जाने की मांग करते हुए  इन सबने कहीं ले जाये जाने से भी इनकार कर दिया. पुलिस द्वारा जबरदस्ती  की कोशिश पे सभी अभ्यर्थी लेट गए जिसपे लाचार पुलिस कुछ न कर पाई.


 प्रशासन के लाख कहने और समझाने-धमकाने के बावजूद अभी तक सारे भाई-बहन,  जिनकी संख्या लगभग 1000 होगी, अभी भी दारुल-शफा के अन्दर नज़रबंद है.
 ये अभ्यर्थी न सिर्फ रात भर वहां बिना खाना-पानी के पर्याप्त इंतज़ाम के  जिस साहस के साथ अपने लक्ष्य को लेकर डटे हैं और कल भी आन्दोलन को जारी  रखने के निश्चय पे अडिग है, 


उससे बाकि भाई-बहनों को, जो आज किसी कारणवश  नहीं जा पाए या जाने की हिम्मत नहीं कर पाए, सीख लेनी चाहिए. क्योंकि  सरकार के अपना रुख स्पष्ट करने और अपना पक्ष मजबूती से रखने की स्थिति
 में ही कोर्ट आगामी 31 मई को इस प्रक्रिया को हरी झंडी दे पायेगा अन्यथा  ये मामला कम से कम जुलाई तक के लिए लटक जायेगा.


इस लिए, इस आन्दोलन को मजबूत करने के लिए आपसब अपने साथियों के साथ कल  लखनऊ भारी-से-भारी संख्या में पहुच कर अपना योगदान दे.
मैं कल सुबह पुनः लखनऊ जा रहा हूँ,


 आपका,
 श्याम देव मिश्रा
 कानपुर

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