Sunday, April 6, 2014

No craze for Engineering Degree

कहीं कम तो नहीं हो रहा इंजीनियर बनने का क्रेज

No craze for Engineering Degree

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मेरठ : एक समय था, जब बीटेक और एमबीए करने वालों को हाथोंहाथ रोजगार मिल जाता था, लेकिन आज ये डिग्री रोजगार की दौड़ में पिछड़ने लगी हैं। इसका असर तकनीकी और मैनेजमेंट कालेजों पर पड़ने लगा है। हालात यह हैं कि उत्तर प्रदेश प्राविधिक विश्वविद्यालय (यूपीटीयू) से संबद्ध तकनीकी कालेजों में दाखिला लेने वाले छात्रों की संख्या घटने लगी है।

पूरे प्रदेश में यूपीटीयू से संबद्ध कालेजों में विभिन्न कोर्स में दो लाख से अधिक छात्र-छात्राओं का दाखिला हो सकता है, लेकिन प्रदेश के कालेजों में मुश्किल से आधी सीट भी नहीं भर सकीं। मेरठ के तकनीकी कालेज में यूपीटीयू की काउंसिलिंग और सीधे एडमिशन के बाद भी चालीस फीसदी सीटों पर दाखिला हो पाया। यूपीटीयू के वार्षिक रिपोर्ट में वर्षवार छात्रों की संख्या देखें तो दो साल में ही इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट कोर्स में छात्र-छात्राओं की संख्या कम हो गई है। सामान्य, ओबीसी, एससी से लेकर एसटी कैटेगरी तक के अभ्यर्थियों की संख्या घटी है।

बोलते आंकड़े

वर्ष - सामान्य - ओबीसी- एससी- एसटी

2012-13 56071 38331 38440 802

2013-14 49277 35367 34945 745

जेईई मेन में भी कम हुए छात्र

जेईई मेन परीक्षा में पिछले साल 14 लाख 62 हजार छात्र-छात्राएं परीक्षा में बैठे थे। वहीं इस बार 13 लाख 56 हजार छात्र-छात्राओं ने परीक्षा दी। एक साल में ही जेईई मेन में बैठने वालों की संख्या कम हो गई है।

प्लेसमेंट न होना बड़ा कारण

निजी कालेजों में छात्रों की घटती संख्या का सबसे बड़ा कारण खराब प्लेसमेंट को माना जा रहा है। लाखों रुपये खर्च करने के बाद भी बीटेक और एमबीए के छात्रों को रोजगार के लाले पड़ जाते हैं। खराब प्लेसमेंट ने बीटेक और एमबीए से छात्रों का मोह भंग करना शुरू कर दिया है।


गुणवत्ता बढ़ाने पर जोर

अभी कुछ दिन पहले मेरठ में यूपीटीयू के कुलपति प्रो. आरके खांडाल ने कालेजों को शैक्षणिक गुणवत्ता सुधाकर बेहतर प्लेसमेंट करने पर जोर दिया था। साथ ही इंडस्ट्रीज की मांग के अनुरूप बदलाव करने की बात कही थी। साथ ही इस बार कालेजों में छात्रों की संख्या बढ़ाने पर भी जोर दिया जा रहा है

News Source / Sabhaar : Jagran (6.4.2014) / Sun, 06 Apr 2014 07:59 PM (IST)

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