Sunday, September 8, 2024

UPTET : UP 69000 Shikshak Bharti: सुप्रीम कोर्ट जाएगा मामला, समझिए- क्यों फंसा है OBC कोटा आरक्षण का पेंच

UPTET : UP 69000 Shikshak Bharti: सुप्रीम कोर्ट जाएगा मामला, समझिए- क्यों फंसा है OBC कोटा आरक्षण का पेंच

UP 69000 Teacher Bharti Latest News Today: यूपी 69000 शिक्षक भर्ती का मामला क्या है? यूपी असिस्टेंट टीचर भर्ती में ओबीसी कोटा का मामला क्या है, जिस कारण चार साल बाद पूरा रिजल्ट ही रद्द कर दिया गया। हालांकि इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ यूपी के सहायक अध्यापक अब सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में हैं।


69000 Assistant Teacher Latest Update: यूपी में 69000 शिक्षक भर्ती मामले में हाईकोर्ट के फैसले के बाद एक तरफ कई शिक्षकों का भविष्य अधर में लटक गया है। वहीं दूसरी तरफ राजनीतिक उथल-पुथल भी जारी है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने शिक्षक भर्ती की मेरिट लिस्ट को रद्द कर दिया है। सरकार को 69000 सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा का परिणाम नए सिरे से जारी करने का आदेश दिया है। कोर्ट के इस फैसले पर शिक्षक अब सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं।

'आरक्षण नियम सीधी भर्ती में लागू हो'

अनारक्षित छात्र मोर्चा के प्रदेश प्रभारी धर्मेंद्र मिश्रा के मुताबिक, 1994 का आरक्षण नियम केवल सीधी भर्ती में ही लागू होना चाहिए, जिसमें एक ही परीक्षा हो। 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा 6 जनवरी 2019 को हुई थी। इस भर्ती के लिए अनारक्षित वर्ग का कटऑफ 67.11 फीसदी और ओबीसी का कटऑफ 66.73 फीसदी था।

इसके विरोध में सड़क पर उतरे 69000 शिक्षक भर्ती के उम्मीदवारों ने कहा कि इस नियम में स्पष्ट है कि अगर ओबीसी वर्ग का अभ्यर्थी अनारक्षित वर्ग के कटऑफ से ज्यादा अंक लाता है, तो उसे अनारक्षित वर्ग में नौकरी मिलेगी, न कि ओबीसी कोटे से। यानी उसे आरक्षण के दायरे में नहीं गिना जाएगा। इसके बाद 69 हजार शिक्षकों की भर्ती का मामला उलझ गया।

यूपी शिक्षक भर्ती में ओबीसी आरक्षण का मामला क्या है?

उम्मीदवार का दावा है कि 69 हजार शिक्षक भर्ती में ओबीसी वर्ग को 27 फीसदी की जगह सिर्फ 3.86 फीसदी आरक्षण मिला है। यानी 18,598 सीटों में से ओबीसी वर्ग को सिर्फ 2,637 सीटें ही मिलीं। जबकि उस वक्त सरकार का कहना था कि ओबीसी वर्ग से करीब 31 हजार लोगों की नियुक्ति हुई।

सरकार के इस बयान पर अभ्यर्थियों ने बेसिक शिक्षा नियमावली-1981 और आरक्षण नियमावली 1994 का हवाला देते हुए कहा कि ओबीसी वर्ग के जिन 31 हजार लोगों की नियुक्ति हुई हैं, उनमें से करीब 29 हजार अनारक्षित कोटे से सीटें पाने के हकदार थे।

6 जनवरी 2019 को निकली थीं भर्तियां

राज्य सरकार ने 6 जनवरी 2019 को सहायक शिक्षक पदों पर भर्तियां निकाली थीं। इस भर्ती के लिए अनारक्षित वर्ग की कटऑफ 67.11 प्रतिशत और ओबीसी की कटऑफ 66.73 प्रतिशत थी। इस भर्ती में करीब 68 हजार शिक्षकों को नौकरी मिली थी। उम्मीदवारों का आरोप है कि 69 हजार भर्ती में आरक्षण नियमों को लेकर अनदेखी की गई है

दरअसल बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 का पालन सही से नहीं किया गया है। इस भर्ती को लेकर उम्मीदवारों ने जमकर आंदोलन भी किया था। साथ ही उनका कहना था कि नियमावली में साफ लिखा है कि अगर कोई ओबीसी वर्ग का उम्मीदवार अनारक्षित श्रेणी के कटऑफ से अधिक अंक प्राप्त करता है तो उसे ओबीसी कोटे से नहीं बल्कि अनारक्षित श्रेणी से नौकरी दी जाएगी। उनकी गिनती आरक्षण के दायरे में नहीं की जाएगी।



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UPTET : 69000 शिक्षक भर्ती मामले में HC के निर्णय को मानेगी योगी सरकार, CM बोले- किसी भी अभ्यर्थी के साथ नहीं होने देंगे अन्याय

UPTET : 69000 शिक्षक भर्ती मामले में HC के निर्णय को मानेगी योगी सरकार, CM बोले- किसी भी अभ्यर्थी के साथ नहीं होने देंगे अन्याय
UP Teacher Recruitment उत्तर प्रदेश में 69 हजार शिक्षकों की भर्ती मामले में आरक्षण की विसंगितयों को दूर करने के लिए हाईकोर्ट के आदेश पर जल्द नई मेरिट लिस्ट बनाई जाएगी। सीएम योगी ने बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के आब्जर्वेशन और हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ के निर्णय के अनुसार कार्यवाही की जाए।

राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ। परिषदीय स्कूलों में 69 हजार शिक्षकों की भर्ती मामले में आरक्षण की विसंगितयों को दूर करने के लिए हाईकोर्ट के आदेश पर जल्द नई मेरिट लिस्ट बनाई जाएगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के आब्जर्वेशन और हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ के निर्णय के अनुसार कार्यवाही की जाए।

उच्च स्तरीय बैठक में योगी ने विभागीय अधिकारियों से कहा कि किसी भी अभ्यर्थी के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए। सरकार का स्पष्ट मानना है कि आरक्षण की सुविधा का लाभ आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों को मिलना ही चाहिए।

सीएम योगी के सामने रखे गए दस्‍तावेज 

शिक्षक भर्ती में 19 हजार पदों पर आरक्षण में गड़बड़ी के मामले में दायर याचिका पर शुक्रवार को हाईकोर्ट का निर्णय सामने आने के बाद से ही योगी सरकार उस पर माथापच्ची करने में जुट गई थी। शनिवार व रविवार को अवकाश होने के बावजूद बेसिक शिक्षा विभाग के कार्यालय खोले गए। स्कूली शिक्षा महानिदेशालय, बेसिक शिक्षा सचिव और प्रमुख सचिव ने संबंधित मामले के दस्तावेजों को रविवार को मुख्यमंत्री के समक्ष रखा।

पांच कालिदास मार्ग स्थित सरकारी आवास पर देर शाम मुख्यमंत्री द्वारा बुलाई गई बैठक में तय किया गया कि हाईकोर्ट के निर्णय को सरकार सुप्रीम कोर्ट में चुनौती नहीं देगी। हाईकोर्ट की डबल बेंच के निर्णय के अनुसार जल्द मेरिट सूची तैयार की जाएगी। किसी भी अभ्यर्थी के साथ अन्याय न हो और एक ही बार में भर्ती से जुड़े सभी प्रकरणों का ढंग से निस्तारण हो इसके भी निर्देश बैठक में दिए गए हैं। योगी सरकार ने विपक्षी दलों की ओर से आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों का हक छीने जाने के आरोपों को अपने इस निर्णय से निराधार साबित करने की कोशिश की है। भर्ती प्रक्रिया संबंधी सुप्रीम कोर्ट के जो भी निर्णय हैं, उन्हें भी सरकार लागू कराने के पक्ष में है।

गौरतलब है कि दो-तीन प्रश्नों के गलत उत्तर को लेकर अभ्यर्थी सुप्रीम कोर्ट गए थे। इस पर 22 नवंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जिन अभ्यर्थियों का चयन एक नंबर से रुक रहा है या जो एक नंबर से चयनित नहीं हो पाए हैं, उन्हें प्रत्यावेदन लेकर इसका लाभ दिया जाए। ऐसे करीब 3,150 अभ्यर्थियों से ऑनलाइन प्रत्यावेदन लिए गए थे और उसमें से करीब 1,650 के प्रत्यावेदन जांच में सही भी पाए गए। लेक‍िन आरक्षण से संबंधित प्रकरण हाईकोर्ट में लंबित होने के चलते यह मामला भी लटका हुआ था।

वहीं, कुछ अभ्यर्थियों ने परीक्षा में ओएमआर शीट पर रोल नंबर तो सही लिखा, लेकिन रजिस्ट्रेशन नंबर गलत लिख दिया। इस संबंध में भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका करने वाले संबंधित अभ्यर्थियों को भी लाभ देने की तैयारी है। मालूम हो कि पांच दिसंबर 2018 को 69 हजार शिक्षकों की भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया गया। लिखित परीक्षा के बाद जब एक जून 2020 को परिणाम घोषित किया गया तो अभ्यर्थियों ने आरक्षण की गड़बड़ियों को लेकर विरोध शुरू कर दिया।

आरक्षण की गड़बड़ियां ऐसे आईं सामने

एक जून वर्ष 2020 को परिणाम घोषित हुआ तो अनारक्षित श्रेणी का कटऑफ 67.11 अंक, ओबीसी श्रेणी का कटआफ 66.73 अंक और एससी श्रेणी के अभ्यर्थियों का कटऑफ 61.01 अंक था। अनारक्षित श्रेणी व ओबीसी श्रेणी के अभ्यर्थियों के कटऑफ में मामूली अंतर पर अभ्यर्थियों ने मेरिट सूची की पड़ताल की और आरोप लगाया कि बेसिक शिक्षा नियमावली वर्ष 1981 व आरक्षण नियमावली वर्ष 1994 का उल्लंघन किया गया है। ओबीसी व एससी श्रेणी के अभ्यर्थियों को आरक्षण का पूरा लाभ नहीं दिया गया है और वह इसे लेकर कोर्ट चले गए।

  • पांच दिसंबर 2018 को परिषदीय स्कूलों में 69 हजार शिक्षकों के लिए विज्ञापन जारी हुआ।
  • पांच जनवरी 2019 को लिखित परीक्षा हुई।
  • एक जून 2020 को सहायक अध्यापक लिखित परीक्षा का परिणाम घोषित किया गया। परिणाम में अनारक्षित श्रेणी की कटआफ 67.11 अंक और ओबीसी की 66.73 अंक गई। अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया कि ओबीसी व एससी श्रेणी के अभ्यर्थियों को आरक्षण का पूरा लाभ नहीं दिया गया।
  • अभ्यर्थी राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग गए और 29 अप्रैल 2021 को आयोग ने माना कि भर्ती में आरक्षण की गड़बड़ी हुई है।
  • अभ्यर्थी 19 हजार पदों पर आरक्षण की गड़बड़ी बता रहे थे और सरकार ने 6,800 की संशोधित सूची जारी की।
  • 13 मार्च 2023 को कोर्ट ने इस सूची को रद कर दिया।
  • 17 अप्रैल वर्ष 2023 को सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ सरकार डबल बेंच में चली गई।
  • 19 मार्च 2024 को हाईकोर्ट की डबल बेंच ने इस पर फैसला सुरक्षित कर लिया था और अब यह निर्णय सुनाया गया कि नए सिरे से मेरिट लिस्ट बने।



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UPTET शिक्षक भर्ती को तुरंत कदम उठाएं, 27,713 पदों को लेकर हाईकोर्ट ने सरकार को दिया ये आदेश

UPTET शिक्षक भर्ती को तुरंत कदम उठाएं, 27,713 पदों को लेकर हाईकोर्ट ने सरकार को दिया ये आदेश

  • हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राज्य सरकार और बेसिक शिक्षा परिषद को आदेश दिया है कि वह वर्ष 2018 में शुरू की गई प्रक्रिया के तहत के 27,713 पदों के सम्बन्ध में सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा कराने के लिए तत्काल कदम उठाएं।

शिक्षक भर्ती को तुरंत कदम उठाएं, 27,713 पदों को लेकर हाईकोर्ट ने सरकार को दिया ये आदेश

Teacher Recruitment: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राज्य सरकार और बेसिक शिक्षा परिषद को आदेश दिया है कि वह वर्ष 2018 में शुरू की गई प्रक्रिया के तहत के 27,713 पदों के सम्बन्ध में सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा (एटीआरई) कराने के लिए तत्काल कदम उठाएं। न्यायालय ने कहा है कि यदि इस सम्बन्ध में कोई कानूनी बाधा न हो तो एटीआरई कराने का निर्णय दो महीने के भीतर लिया जाए।

इसके साथ ही न्यायालय ने मामले में अपील दाखिल करने वाले अभ्यर्थियों को अधिकतम उम्र सीमा सम्बन्धी लाभ दिये जाने पर भी विचार करने का आदेश दिया है। न्यायालय ने यह भी आदेश दिया है कि यदि एटीआरई कराने में कोई बाधा हो तो इस सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी अखबारों में प्रकाशित कराई जाए ताकि अभ्यर्थियों को पता चल सके कि उक्त परीक्षा क्यों नहीं कराई जा रही है।

यह निर्णय न्यायमूर्ति राजन रॉय व न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने अलोक कुमार व अन्य समेत दर्जनों विशेष अपीलों पर एक साथ सुनवाई करते हुए पारित किया। उक्त अपीलें एकल पीठ के वर्ष 2018 के उस आदेश के विरुद्ध दायर की गई थीं जिसमें एकल पीठ ने एटीआरई 2018 के न्यूनतम अंक को सामान्य व आरक्षित वर्ग के लिए क्रमश 45 व 40 बरकरार रखने का आदेश दिया था।

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UPTET69000 शिक्षक भर्ती: 7 सितंबर को अभ्यर्थियों से गोरखपुर में मिलेंगे सीएम योगी, अभ्यर्थियों को दी गई सूचना

UPTET69000 शिक्षक भर्ती: 7 सितंबर को अभ्यर्थियों से गोरखपुर में मिलेंगे सीएम योगी, अभ्यर्थियों को दी गई सूचना

69000 शिक्षक भर्ती मामले में प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शनिवार को गोरखपुर में मुलाकात करेंगे। इस संबंध में अभ्यर्थियों को सूचना दे दी गई है।

69000 teacher recruitment case: CM Yogi will meet the candidates on September 7, hearing in Supreme Court on S
69000 शिक्षक भर्ती मामला।

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 69000 शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों से शनिवार की शाम को गोरखपुर में मिलेंगे। इस संबंध में पंचायती राज मंत्री ओमप्रकाश राजभर व लखनऊ प्रशासन ने अभ्यर्थियों को सूचना दे दी है। वहीं, अभ्यर्थियों का लगातार पांचवे दिन भी प्रदर्शन जारी रहा। अभ्यर्थियों ने शुक्रवार को मंत्री डॉ. संजय निषाद के आवास के बाहर प्रदर्शन किया।

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इसके पहले, अभ्यर्थियों ने बृहस्पतिवार को पंचायती राज मंत्री ओमप्रकाश राजभर के आवास का घेराव किया। अभ्यर्थी हाईकोर्ट के फैसले का पालन करने व नियुक्ति देने की मांग कर रहे थे। मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों से मुलाकात की। उन्होंने अभ्यर्थियों की समस्याएं सुनीं और ज्ञापन लिया। राजभर ने आश्वासन दिया कि वे अभ्यर्थियों के प्रतिनिधिमंडल की मुलाकात मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सात सितंबर को करवाएंगे। इस मामले का समाधान जल्द ही किया जाएगा। सीएम से मिलने के लिए उन्होंने पांच अभ्यर्थियों के नाम भी मांगे। 
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धरना-प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे अमरेंद्र पटेल ने कहा अभ्यर्थी चार साल से सड़कों पर भटक रहे हैं। अब कोर्ट का फैसला आया है तो इसका पालन नहीं हो रहा है। कोर्ट ने भर्ती की मूल चयन सूची रद्द कर सरकार को तीन महीने में आरक्षण नियमों का पालन करते हुए नई सूची जारी करने का आदेश दिया है, लेकिन सरकार ने अब तक कोई काम शुरू नहीं किया है। इससे अभ्यर्थियों में नाराजगी है।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 9 को
69000 शिक्षक भर्ती में चयनित अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी सेवा सुरक्षा आदि को लेकर रिट दायर की थी। रवि सक्सेना आदि की इस रिट पर 9 सितंबर को चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ सुनवाई करेगी। अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थी विनय पांडेय ने बताया कि इस मामले में कई रिट हुई हैं। उम्मीद है कि सभी पर एक साथ 9 सितंबर को सुनवाई होगी। इसमें एक ही भर्ती में कई बार आरक्षण का मुद्दा प्रमुखता से उठाया जाएगा।


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नई शिक्षक भर्ती के लिए चौथे दिन धरने पर बैठे

UPTET : नई शिक्षक भर्ती के लिए चौथे दिन धरने पर बैठे

प्रयागराज में डीएलएड पास अभ्यर्थियों ने नई शिक्षक भर्ती की मांग को लेकर चौथे दिन धरना दिया। उनका कहना है कि बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में छह वर्षों से भर्ती नहीं हुई है। अभ्यर्थियों ने...

प्रयागराज। नई शिक्षक भर्ती की मांग को लेकर डीएलएड (पूर्व में बीटीसी) पास अभ्यर्थी रविवार को चौथे दिन पत्थर गिरजाघर पर धरने पर बैठे रहे। अभ्यर्थियों का कहना है कि बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में छह वर्षों से भर्ती नहीं आई है। लाखों बेरोजगार नई भर्ती का इंतजार कर रहे हैं। अब जब तक भर्ती का विज्ञापन जारी नहीं होता धरने से नहीं उठेंगे। धरने का नेतृत्व कर रहे डीएलएड अध्यक्ष रजत सिंह ने कहा कि अगर एक सप्ताह में भर्ती प्रक्रिया शुरू नहीं होती तो जल्द महाधरना बुलाया जाएगा। धरना देने वालों में शनि सिंह, सुभाष यादव, मुकेश कुमार, दुर्गेश यादव, अमित, तेज प्रताप, रोहित आदि शामिल रहे


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Sunday, September 1, 2024

69000 Shikshak Bharti: कब और कैसे शुरू हुआ सहायक शिक्षकों की भर्ती का विवाद? कहां फंसा था पेच

69000 Shikshak Bharti: कब और कैसे शुरू हुआ सहायक शिक्षकों की भर्ती का विवाद? कहां फंसा था पेच

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार का विश्वास है कि आरक्षण का लाभ सभी रिजर्व कैटेगरी के उम्मीदवारों को मिलना चाहिए।


UP Teacher Recruitment Case, Allahabad High Court,इलाहाबाद हाईकोर्ट


69000 Shikshak Bharti: यूपी में 69000 शिक्षक भर्ती मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की डबल बेंच ने सहायक शिक्षक भर्ती की मेरिट लिस्ट को रद्द कर दिया है। साथ ही यूपी सरकार को नई मेरिट लिस्ट तैयार कर नए सिरे से परीक्षा परिणाम जारी करने के भी निर्देश दिए। कई याचिकाओं में भर्ती प्रक्रिया को कोर्ट में चुनौती दी थी। इसमें उम्मीदवारों ने आरोप लगाया था कि रिजर्व कैटेगरी के लोगों के लॉ के हिसाब से नहीं चुना गया। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार को नियुक्तियों में रिजर्वेशन लागू करने में थोड़ी कमियों को सुधारना चाहिए।

सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा किसलिए है?
5 दिसंबर, 2018 को उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के बेसिक एजुकेशन डिपार्टमेंट में 69000 सहायक शिक्षकों की भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला था। असिस्टेंट टीचर रिक्वायरमेंट एग्जामिनेशन 5 जनवरी, 2019 को करवाई गई थी। पेपर के लिए आवेदन करने वाले 4.31 लाख उम्मीदवारों में से 4.10 लाख ने इसको दिया था। 12 मई को इसका रिजल्ट आया था। इसमें 1.46 लाख उम्मीदवारों ने क्वालीफाई किया।। जनरल कैटेगरी के उम्मीदवारों के लिए कट ऑफ 67.11 फीसदी लगी थी। ओबीसी के लिए 66.73 फीसदी, एससी कैटेगरी के उम्मीदवारों के लिए कट ऑफ 61.01 फीसदी लगी थी।

1 जून 2020 को बेसिक एजुकेशन बोर्ड इलाहाबाद के सचिव ने भर्ती प्रक्रिया का खाका खींचा था। इसके बाद चुने गए उम्मीदवारों के लिए दो लिस्ट जारी की गई थी। इसमें से एक 11 अक्टूबर 2020 को जारी की गई थी। इसमें 31,277 अभ्यर्थी थे और वहीं अब दूसरी लिस्ट की बात करें तो यह 30 अक्टूबर 2020 को जारी की गई थी। इसमें कुल 36,590 अभ्यर्थी थे। अब टोटल करें तो 69,000 पदों में से 67,867 अभ्यर्थी थे। एसटी कैटेगरी के उम्मीदवारों के लिए बचे हुए 1,133 पद उम्मीदवारों के ना होने की वजह से खाली दिखाए गए।

69000 शिक्षक भर्ती मामला: HC के आदेश के बाद क्या चली जाएगी नौकरी? सुप्रीम कोर्ट जा सकती है सरकार; शिक्षा विभाग की बैठक आज

भर्ती में अनियमितताओं के आरोप क्या थे?
दोनों लिस्ट जांच के दायरे में उस समय आ गई जब आरोप लगे कि इन्हें उम्मीदवारों के कैटेगरी वाइज नंबरों की घोषणा किए बिना ही जारी कर दिया गया। इसके अलावा यह आरोप लगाया गया कि अनरिजर्व कैटेगरी के उम्मीदवार कुल चुने गए उम्मीदवारों से 50 फीसदी से ज्यादा थे और रिजर्व कैटेगरी के उम्मीदवारों को भी ठीक-ठाक प्रतिनिधित्व नहीं मिला।

भर्ती को चुनौती देने वाले उम्मीदवारों के मुताबिक, ओबीसी उम्मीदवारों को 27 फीसदी की जगह सिर्फ 3.86 फीसदी आरक्षण मिला, जबकि अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों को 21 फीसदी की जगह 16.2 फीसदी आरक्षण मिला। अक्टूबर 2020 से पेपर देने वाले उम्मीदवारों ने पेपर की प्रक्रिया को लेकर कई बार विरोध-प्रदर्शन किया। इतना ही नहीं इस मामले में उनकी पुलिस के साथ झड़प भी हो गई। साल 2021 में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में प्रदर्शन करने वाले छात्रों के एक डेलिगेशन से मुलाकात की और बेसिक डिपार्टमेंट के अधिकारियों से जल्द ही कुछ हल निकालने के लिए कहा था।

हाईकोर्ट पहुंचे शिक्षक अभ्यर्थी
कई सारे अभ्यर्थी इस मामले को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचे। उन्होंने आरोप लगाया कि मेधावी रिजर्व उम्मीदवारों को जनरल कैटेगरी के बजाय रिजर्व कैटेगरी में रखा गया। उन्होंने कहा कि यह रिजर्वेशन एक्ट 1994 की धारा 3(6) के खिलाफ था। इसमें यह प्रावधान है कि रिजर्व कैटेगरी के उम्मीदवार जो जनरल कैटेगरी के उम्मीदवारों के बराबर नंबर लाते है, उन्हें अनरिजर्व वैकेंसी पर नियुक्त किया जाना चाहिए।

हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने कई हलफनामे दाखिल किए। बाद में एक बयान जारी कर माना कि इस मामले में रिजर्वेशन एक्ट 1994 का ठीक तरीके से पालन नहीं किया गया। इसलिए 5 जनवरी, 2022 को नई लिस्ट जारी कर रिजर्व कैटेगरी के उम्मीदवारों में से 6,800 और नियुक्तियां की गई। लेकिन 13 मार्च, 2023 को पारित आदेश में इलाहाबाद हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने चुने गए पिछले उम्मीदवारों की पिछली लिस्ट को रद्द कर दिया। 13 मार्च के आदेश को चुनौती देते हुए कई याचिकाओं के जरिये यह मामला 17 अप्रैल, 2023 को फिर से इलाहाबाद हाईकोर्ट जा पहुंचा।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस अताउ रहमान मसूदी और जस्टिस बृज राज सिंह की बेंच ने राज्य सरकार और संबंधित अधिकारियों को नियुक्ति के लिए 69,000 उम्मीदवारों की नई लिस्ट जारी करने का निर्देश दिया। उन्हें यूपी बेसिक एजुकेशन सर्विस रूल, 1981 और उत्तर प्रदेश पब्लिक सर्विस एक्ट 1994 के प्रावधानों का पालन करना है। कोर्ट ने उन्हें तीन महीने के अंदर यह प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश दिया।

कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर पिछली लिस्ट के आधार पर चुने गए कोई असिस्टेंट टीचर पर इस कार्रवाई का असर पड़ता है तो उसे एकेडमिक सेशन में नौकरी जारी रखने की इजाजत दी जाएगी। यह इसलिए ताकि स्टूडेंट को परेशानी का सामना ना करना पड़े। हालांकि, पिछली लिस्ट को रद्द किया जाना चाहिए। कोर्ट ने सिंगल बेंच के मार्च 2023 के आदेश के खिलाफ दायर याचिकाओं को निपटा दिया था।

इसका राजनीतिक असर क्या है?
यह मामला रिजर्वेशन से जुड़ा हुआ है, इसलिए यह मुद्दा योगी आदित्यनाथ की सरकार के लिए राजनीतिक तौर पर भी काफी जरूरी है। उत्तर प्रदेश की आबादी में करीब 50 फीसदी ओबीसी हैं। हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में कई ओबीसी समुदायों ने अपने वोट विपक्षी दल इंडिया को दे दिए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार का विश्वास है कि आरक्षण का लाभ सभी रिजर्व कैटेगरी के उम्मीदवारों को मिलना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि यह तय किया जाएगा कि किसी भी उम्मीदवार के साथ अन्याय न हो। सीएम ने बेसिक एजुकेशन डिपार्टमेंट को इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक आगे बढ़ने का निर्देश दिया।

समाजवादी पार्टी और कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने पहले भी राज्य सरकार पर हमला करते हुए बयान दिए हैं। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने शनिवार को कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला आरक्षण व्यवस्था से खिलवाड़ करने वाली बीजेपी सरकार की साजिशो का करारा जवाब है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शुक्रवार को कहा कि 69000 शिक्षक भर्ती भी बीजेपी के घोटाले, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार की शिकार साबित हुई।

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UPTET : UP 69000 Shikshak Bharti: नई मेरिट लिस्ट पर सुप्रीम कोर्ट में यूपी शिक्षक भर्ती मामला, जान लें ताजा अपडेट

UPTET  : UP 69000 Shikshak Bharti: नई मेरिट लिस्ट पर सुप्रीम कोर्ट में यूपी शिक्षक भर्ती मामला, जान लें ताजा अपडेट

UP 69000 Teacher Bharti: इलाबाद हाई कोर्ट के मेरिट लिस्ट रद्द करने के मामले में यूपी शिक्षक भर्ती मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। जनरल वर्ग के अभ्यर्थियों ने इस फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी है। इधर एसएसी और ओबीसी अभ्यर्थियों ने दो सितंबर को सीएम आवास का घेराव करने के आह्वान है।


69000 Shikshak Bharti Case Latest Update: शिक्षक भर्ती में इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा पहले जारी की गई सूची रद्द करने का फैसला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। जनरल वर्ग के दो चयनित और एक अचयनित उम्मीदवार ने फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है। इससे पहले ओबीसी उम्मीदवारों ने इस मामले में कैविएट दाखिल की थी।



हाईकोर्ट की खंडपीठ के आदेश को रोक लगाने के लिए यह याचिका दाखिल की गई। याचिका में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश सरकार इस भर्ती की मूल चयन सूची न बनाए, जिससे जनरल कैटेगरी के छात्रों को अहित न हो। ओबीसी, एससी अभ्यर्थियों ने नई लिस्ट बनाने में देरी करने के मामले में दो सितंबर को मुख्यमंत्री आवास घेरने का आह्वान किया है।

19 हजार की चली जाएगी नौकरी
जनरल कैंडिडेट्स की तरफ से विनय पांडेय और शिवम पांडेय ने सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है। ओबीसी उम्मीदवारों ने पहले ही सुप्रीम कोर्ट में कैविएट डाल दी थी। इस तरह शिक्षक भर्ती मामले में सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं दाखिल की गई हैं। हाईकोर्ट की खंडपीठ के आदेश के मुताबिक, यदि नई चयन सूची बनती है तो 19000 शिक्षक लिस्ट से बाहर हो जाएंगे। वहीं 69000 शिक्षक भर्ती के आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने महानिदेशक स्कूली शिक्षा कंचन वर्मा और जॉइंट डायरेक्टर गणेश कुमार से मुलाकात की। अधिकारियों से मिलकर 69000 शिक्षक भर्ती के आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी निराश हुए। इसके बाद उन्होंने सीएम आवास घेराव करने का ऐलान कर दिया।


ओबीसी वर्ग के अभ्‍यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट इसलिए डाली है ताकि शीर्ष अदालत कोई फैसला देने से पहले उनका पक्ष भी सुने। इस याचिका में मांग की गई है कि अनारक्षित श्रेणी के अभ्‍यर्थियों के समायोजन की स्थिति में हाई कोर्ट में याचिका दायर करने वाले 4 हजार ओबीसी अभ्‍यर्थियों को नियुक्ति पत्र मिले, नहीं तो वे अनारक्षित वर्ग के समायोजन का विरोध करेंगे। 2019 में योगी सरकार ने 69 हजार शिक्षकों की भर्ती की थी।

मेरिट लिस्ट रद्द होने के बाद धरने पर अभ्यर्थी
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने आरक्षण नियमों का पालन न करने को लेकर प्रदेश सरकार की ओर से जारी चयन सूची रद्द कर दी थी और तीन महीने में नई सूची जारी करने का आदेश दिया था। प्रदेश सरकार पर विपक्ष ने आरक्षण विरोधी होने के आरोप लगाए थे। इस पर योगी सरकार ने बयान जारी कर कहा था कि सरकार किसी भी अभ्यर्थी के साथ अन्याय नहीं होने देगी। वहीं आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी लगातार धरने पर बैठे हुए हैं।


अभ्यर्थियों की मांग है कि प्रदेश सरकार इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ के आदेश का पालन करे। जिसके तहत सरकार को भर्ती की नई चयन सूची जारी करनी है। उम्मीदवारों का कहना है कि अफसरों के ढीले रवैये के कारण अभी तक चयन सूची जारी नहीं की गई। ओबीसी और एससी उम्मीदवारों ने दो सितंबर को मुख्यमंत्री आवास घेरने व महाधरने का आह्वान किया है।

17 अगस्त को हुई थी बैठक
इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के बाद यूपी सरकार ने मंथन शुरू कर दिया है। इस मसले का हल निकालने के लिए 17 अगस्‍त को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई थी। इसमें उन्‍होंने बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री और शिक्षा विभाग के अधिकारियों को सभी जरूरी दस्तावेज के साथ बुलाया गया था ताकि सभी मसले का स्थाई हल निकाला जा सके और किसी भी अभ्यर्थी का नुकसान भी न हो। इस बारे में कानूनी सलाह के लिए महाधिवक्ता और अन्य कानूनी विशेषज्ञों को भी बुलाया गया।



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Friday, August 16, 2024

टीचरों की अंत:जनपदीय समायोजन की प्रक्रिया शुरू:इलाहाबाद हाईकोर्ट से रोक हटने के बाद बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव ने जारी किया संशोधित कार्यक्रम


टीचरों की अंत:जनपदीय समायोजन की प्रक्रिया  शुरू:इलाहाबाद हाईकोर्ट से रोक हटने के बाद बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव ने जारी किया संशोधित कार्यक्रम


बेसिक शिक्षा परिषद के टीचरों के अंत:जनपदीय समायोजन/स्थानांतरण की प्रक्रिया 13 अगस्त से शुरू होगी। इलाहाबाद हाईकोर्ट से रोक हटने के बाद बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव की ओर से संशोधित कार्यक्रम जारी कर दिया गया है।

दरअसल, यह प्रक्रिया 2 जुलाई से शुरू हुई थी, लेकिन कई शिक्षक इसके विरोध में इलाहाबाद हाईकोर्ट चले गए, इस याचिका पर सुनवाई के चलते हाईकोर्ट ने प्रक्रिया रोक दी थी।

सचिव ने सभी BSA को भेजे पत्र

इस संबंध में सचिव की ओर से प्रदेश के सभी जनपदों के बीएसए को पत्र भी भेज दिया गया है। इसमें कहा गया है कि अधिक अध्यापक संख्या वाले विद्यालयों एवं अध्यापक की आवश्यकता वाले विद्यालयों का चिह्नांकन तथा अधिक संख्या वाले चिह्नित विद्यालयों में मानक से अधिक शिक्षक एवं शिक्षिकाओं की गणना की जानी है। यह गणना उनकी जनपद में सेवावधि के आधार पर क्रमानुसार चिह्नित कर की जाएगी। यह बुधवार तक पूरी की जानी है। इसके बाद आवश्यकता वाले विद्यालयों की सूची तथा सरप्लस शिक्षकों की सूची बीएसए के लागिन पर प्रदर्शित करने तथा परीक्षण के बाद डाटा अंतिम रूप से लॉक करने की प्रक्रिया 16 से 17 अगस्त के बीच पूरी की जाएगी।


20 से 22 अगस्त तक आपत्ति का समय

लॉक किए गए डाटा को बीएसए कार्यालय के नोटिस बोर्ड पर चस्पा करने तथा सरप्लस शिक्षक व शिक्षिकाओं दवारा आपत्ति प्रस्तुत करने के लिए 20 से 22 अगस्त तक का समय दिया गया है। समिति के माध्यम से आपत्तियों का निस्तारण बीएसए 23 से 24 अगस्त के मध्य कराएंगे। आपत्ति निस्तारण के बाद मानव संपदा पोर्टल पर विवरण अपडेट करने की कार्यवाही 26 से 27 अगस्त के बीच की जानी है।


25 विद्यालयाें का विकल्प भरेंगे शिक्षक

अधिक अध्यापक वाले विद्यालयों में चिह्नित शिक्षक स्वेच्छा से आवश्यकता वाले 25 विद्यालयों का विकल्प 30 अगस्त से दो सितंबर के मध्य आनलाइन भरेंगे। चार से सात सितंबर तक एनआइसी द्वारा विकसित साफ्टवेयर के माध्यम से अधिक अध्यापक वाले विद्यालयों में चिह्नित शिक्षकों से प्राप्त विकल्प के आधार पर समायोजन की सूची जारी की जाएगी।

शेष बचे सरप्लस शिक्षकों को सेवावधि के आधार पर आरोही क्रम में तथा शेष अन्य बचे अध्यापक की आवश्यकता वाले विद्यालय में नियमानुसार सूचीबद्ध करने की कार्यवाही की जाएगी। शेष बचे सरप्लस शिक्षकों के समायोजन की सूची 11 सितंबर को जारी की जाएगी।


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दूसरे जिलों से तबादला पाकर आए, वे हो गए सबसे जूनियर! यूपी के 2,700 शिक्षक परेशान



दूसरे जिलों से तबादला पाकर आए, वे हो गए सबसे जूनियर! यूपी के 2,700 शिक्षक परेशान

पहले यह होता था कि जिले के अंदर तबादला होता था। उसके बाद वरिष्ठता लिस्ट तैयार होती थी और फिर उस आधार पर स्कूल अलॉट होते थे। इस बार सीधे म्यूचुअल स्कूल में तबादला किया गया। इस आधार पर ऐसे शिक्षक सभी जगह अपने स्कूल में सबसे जूनियर हो गए।


हाइलाइट्स

  • इस साल जून में बेसिक शिक्षकों के अंतरजनपदीय म्यूचुअल तबादले पूरे हुए
  • पहले वरिष्ठता लिस्ट तैयार होती थी और फिर उस आधार पर स्कूल अलॉट होते थे
  • इस बार सीधे म्यूचुअल स्कूल में तबादला किया गया


लखनऊ: दो महीने पहले दूसरे जिलों में (अंतरजनपदीय) म्यूचुअल तबादला पाने वाले बेसिक शिक्षक समायोजन में सबसे पहले अपने स्कूल से हटाए जाएंगे। बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से जिले के अंदर (अंतर्जनपदीय) तबादलों के लिए जारी शेड्यूल के अनुसार जो शिक्षक खुद कोई विकल्प नहीं भरेंगे, उनको बाद में कम छात्र संख्या वाले स्कूलों में समायोजित किया जाएगा। इसमें सबसे पहले जूनियर शिक्षक को दूसरे स्कूल भेजा जाएगा। ऐसे में जो शिक्षक दूसरे जिलों से तबादला पाकर आए हैं, वे सबसे जूनियर हो गए हैं।

ऐसे होगा स्कूलों का आवंटन

अब अंतर्जनपदीय तबादले की प्रक्रिया शुरू हुई है। बेसिक शिक्षा परिषद ने तीसरी बार नया शेडयूल जारी किया है। इस शेड्यूल के अनुसार पहले सरप्लस शिक्षकों और शिक्षकों की जरूरत वाले स्कूलों की लिस्ट सभी जिलों को जारी करनी है। उसके बाद तबादले के इच्छुक शिक्षकों को जरूरत वाले 25 स्कूलों का विकल्प चुनना है। उसमें से मेरिट और वरिष्ठता के आधार पर उनको स्कूल अलॉट होंगे। जो शिक्षक विकल्प नहीं चुनेंगे, उनको बाद में शिक्षकों की जरूरत वाले स्कूलों में समायोजित किया जाएगा। अब दो महीने पहले दूसरे जिलों से तबादला पाकर आए 2,700 शिक्षक परेशान हैं। अगर बाद में जबरन तबादला किया जाता है तो, वे ही सबसे जूनियर होंगे


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Wednesday, April 17, 2024

UPTET - 75825 शिक्षक भर्ती : हाईकोर्ट ने कहा- 13 वर्ष बाद काउंसलिंग कराने का नहीं दे सकते आदेश. एकल पीठ का आदेश रद्द

UPTET - 75825 शिक्षक भर्ती : हाईकोर्ट ने कहा- 13 वर्ष बाद काउंसलिंग कराने का नहीं दे सकते आदेश. एकल पीठ का आदेश रद्द


हाईकोर्ट के एकल न्यायाधीश ने बेसिक शिक्षा परिषद में 72825 सहायक अध्यापकों की नियुक्ति के मामले में निर्देश दिया था कि इसमें बचे 12091 पदों पर काउंसलिंग कराने के लिए विज्ञापन जारी किया जाए। उसका परिणाम फरवरी के अंतिम सप्ताह तक जारी कर दिया जाए।

Teachers cannot order counseling after 13 years of recruitment. Single bench order canc

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पारित एक निर्णय में 30 नवंबर 2011 को जूनियर बेसिक स्कूलों में 75 हजार 825 प्रशिक्षु शिक्षक की भर्ती के लिए जारी विज्ञापन में उच्चतम न्यायालय की ओर से बनाई गई 12091 श्रेणी के बचे अभ्यर्थियों को बुलाकर फिर से काउंसलिंग कराने के एकल न्यायाधीश के आदेश को सही नहीं माना। न्यायालय ने एकल न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ प्रदेश सरकार और बेसिक शिक्षा बोर्ड की विशेष अपील को मंजूर कर एकल न्यायाधीश के आदेश को रद्द कर दिया है।



कोर्ट ने कहा है कि 13 वर्ष बाद इस प्रकार से काउंसलिंग कराने का आदेश नहीं दिया जा सकता है, जबकि उच्चतम न्यायालय ने प्रशिक्षु शिक्षक की भर्ती प्रक्रिया को सही ठहराया है। दोनों विशेष अपीलों पर न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा एवं न्यायमूर्ति एसक्यूएच रिजवी की खंडपीठ ने कई दिनों की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया था। मंगलवार को आए आदेश में सरकार की विशेष अपील मंजूर कर ली गई। यूपी सरकार की ओर से अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता रामानंद पांडेय, बेसिक शिक्षा बोर्ड की ओर से कुष्मांडा शाही ने एकल न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ विशेष अपील दाखिल की थी।
इसमें कहा गया था कि उच्चतम न्यायालय ने 25 जुलाई 2017 व बाद में इस मामले में अभ्यर्थियों की ओर से दाखिल अवमानना केस में 13 दिसंबर 2019 को सरकार द्वारा प्रशिक्षु शिक्षकों की सम्पन्न की गई भर्ती को सही मानते हुए अवमानना का वाद खत्म कर दिया था। ऐसे में 2011 की भर्ती को लेकर फिर से शेष बचे अभ्यर्थियों की काउंसलिंग कराने का एकल जज की ओर से निर्देश दिया जाना गैर कानूनी है। वहीं, अभ्यर्थी विनय पांडेय व अन्य की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक खरे एचएन सिंह आरके ओझा अनिल तिवारी का कहना था कि एकल न्यायाधीश द्वारा पारित आदेश में कोई त्रुटि नहीं है।


अभ्यर्थियों को कोर्ट से लगा झटका

हाईकोर्ट के एकल न्यायाधीश ने बेसिक शिक्षा परिषद में 72825 सहायक अध्यापकों की नियुक्ति के मामले में निर्देश दिया था कि इसमें बचे 12091 पदों पर काउंसलिंग कराने के लिए विज्ञापन जारी किया जाए। उसका परिणाम फरवरी के अंतिम सप्ताह तक जारी कर दिया जाए। न्यायालय के इस आदेश से 12 वर्षों से चले आ रहे इस भर्ती विवाद का पटाक्षेप होने की उम्मीद थी।

याची के अधिवक्ताओं का कहना था कि 72825 सहायक अध्यापकों की भर्ती में से न्यायालय के आदेश के परिणाम स्वरूप 66655 पदों पर चयन हो गया है और चयनित अभ्यर्थियों ने कार्यभार भी ग्रहण कर लिया है, लेकिन 12091 पद अब भी शेष रह गए हैं। जिन पर काउंसलिंग नहीं कराई गई और चयन की सीमा में आने वाले अभ्यर्थियों की नियुक्ति नहीं हो सकी है।

एकल न्यायाधीश ने कहा था कि यह आश्चर्यजनक है कि जानकारी होने के बावजूद चयनित अभ्यर्थी काउंसलिंग में न शामिल होकर मुकदमे में लगे रहे। काउंसलिंग से संबंधित कोई तथ्य रिकॉर्ड पर नहीं है। ऐसी स्थिति में राज्य सरकार और बेसिक शिक्षा परिषद 12091 पदों पर नए सिरे से काउंसलिंग के लिए विज्ञापन जारी करे और इस श्रेणी में आने वाले उन अभ्यर्थियों को बुलाया जाए, जो पूर्व में शामिल नहीं हुए।




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UPTET - 69000 शिक्षक भर्ती : हाई स्कुल अंक तालिका के गलत नंबर भरने से भर्ती से वंचित को भी कोर्ट ने दिखाया बाहर का रास्ता

UPTET -  69000 शिक्षक भर्ती : हाई स्कुल अंक तालिका के गलत नंबर भरने से भर्ती से वंचित को भी कोर्ट ने दिखाया बाहर का रास्ता 


Allahabad High Court

Nidhi Gangwar vs State Of U.P. And 3 Others on 5 March, 2024

Court No. - 40

Case :- SPECIAL APPEAL DEFECTIVE No. - 432 of 2022

Appellant :- Nidhi Gangwar

 

1. Delay in filing of the appeal has been explained to the satisfaction of the Court. Application is allowed. Delay in filing of appeal is condoned.


2. Appellant had applied for appointment to the post of teacher pursuant to a recruitment exercise undertaken by the Department of Basic Education for appointment of 69000 teachers. The process was initiated pursuant to Government Order dated 1.12.2018. The appellant contends that she had in fact scored 372 marks in the High School but had inadvertently mentioned it as 272 in her online application form, on account of which the appellant was not selected. The appellant had earlier filed Writ Petition No.4070 of 2020 with the payer to allow correction in the application, filed online by the appellant, which was dismissed. A special appeal filed in the matter was subsequently withdrawn by the appellant. It is thereafter that appellant has filed a fresh writ petition, which has been dismissed relying upon the order passed by the Supreme Court in Writ Petition (Civil) No.322 of 2021 (Jyoti Yadav and another Vs. State of U.P. and others).


These petitions are, therefore, disposed of in the light of what is stated above.


(emphasis supplied by us)


9. Special appeal lacks merit and is, accordingly, dismissed.


Order Date :- 5.3.2024 Anil    

-------------------------------------

Complete Case Order -


Allahabad High Court

Nidhi Gangwar vs State Of U.P. And 3 Others on 5 March, 2024




HIGH COURT OF JUDICATURE AT ALLAHABAD


Neutral Citation No. - 2024:AHC:39670-DB

 

Court No. - 40

Case :- SPECIAL APPEAL DEFECTIVE No. - 432 of 2022

Appellant :- Nidhi Gangwar

 

Respondent :- State Of U.P. And 3 Others

 

Counsel for Appellant :- Chitranshu Srivastav,Mujib Ahmad Siddiqui

 

Counsel for Respondent :- Archana Singh,C.S.C.

 


 

Hon'ble Ashwani Kumar Mishra,J.

 

Hon'ble Syed Qamar Hasan Rizvi,J.


1. Delay in filing of the appeal has been explained to the satisfaction of the Court. Application is allowed. Delay in filing of appeal is condoned.


2. Appellant had applied for appointment to the post of teacher pursuant to a recruitment exercise undertaken by the Department of Basic Education for appointment of 69000 teachers. The process was initiated pursuant to Government Order dated 1.12.2018. The appellant contends that she had in fact scored 372 marks in the High School but had inadvertently mentioned it as 272 in her online application form, on account of which the appellant was not selected. The appellant had earlier filed Writ Petition No.4070 of 2020 with the payer to allow correction in the application, filed online by the appellant, which was dismissed. A special appeal filed in the matter was subsequently withdrawn by the appellant. It is thereafter that appellant has filed a fresh writ petition, which has been dismissed relying upon the order passed by the Supreme Court in Writ Petition (Civil) No.322 of 2021 (Jyoti Yadav and another Vs. State of U.P. and others).


3. Attention of the Court has been invited by the appellant to page 115 of the paper book, which contains the representation of the appellant, wherein it is clearly stated that in the event appellant is allowed to correct her marks in the online application form, her name will also figure in the list of selected candidates. It is, therefore, admitted to the appellant that she has not been able to secure her selection on the basis of details feeded in her online application.


4. We are informed by counsel for the respondent Board that more than 4 lac candidates had applied online and the process of recruitment has since been concluded. It is pointed that the appellant has herself to blame for not correctly recording the marks obtained by her in the High School Examination, due to which her name did not figure in the select list. It is submitted that much after the recruitment is finalized, it would be too late to entertain a prayer of the kind put-forth by the appellant. It is also submitted that a bunch of special appeals involving similar cases were decided with leading Special Appeal Defective No.302 of 2020, vide judgment and order dated 22.4.2022. The category of cases to which the appellant belongs have been dealt with in para 13 of the judgment, which is reproduced hereinafter:-


"13. It is made clear that candidates, whose names do not find place in the select list dated 12.5.2020, will not get any benefit with the change of marks as their merit position will not be changed for the reason that in case this is allowed to happen at this stage, it will open the entire selection process which is not the spirit of the order passed by this Court."

5. On behalf of appellant, reliance is placed upon an order passed by the Supreme Court in Rahul Kumar Vs. State of Uttar Pradesh and Others, in Writ Petition (Civil) No.378 of 2021.


6. The judgment of the Supreme Court in Rahul Kumar (supra) was delivered in the peculiar facts of the case, where even with incorrect mentioning of marks, by which the candidate was put to disadvantageous position, yet his selection was ensured. It was in that case that the Supreme Court directed that the claim of such candidates would not be rejected. Para 7 and 8 of the judgment of Supreme Court in Rahul Kumar (supra) are reproduced hereinafter:-


"7. We need not consider individual fact situation as the reading of the G.O. and the Circular as stated above is quite clear that wherever a candidate had put himself in a disadvantaged position as stated above, his candidature shall not be cancelled but will be reckoned with such disadvantage as projected; but if the candidate had projected an advantaged position which was beyond his rightful due or entitlement, his candidature will stand cancelled. The rigour of the G.O. and the Circular is clear that wherever undue advantage can enure to the candidate if the discrepancy were to go unnoticed, regardless whether the percentage of advantage was greater or lesser, the candidature of such candidate must stand cancelled. However, wherever the candidate was not claiming any advantage and as a matter of fact, had put himself in a disadvantaged position, his candidature will not stand cancelled but the candidate will have to remain satisfied with what was quoted or projected in the application form.


These petitions are, therefore, disposed of in the light of what is stated above.


8. It must however be stated here that the authorities are not strictly following the intent of the G.O. and the Circular. For example, the Office Order dated 28.03.2021 issued by the Basic Teacher Education Officer, District Hardoi, shows cancellation of the candidature of one Raghav Sharan Singh at Serial No.4, though the projection of marks by way of mistake by said candidate was to his disadvantage. Logically, said candidate would be entitled to have his candidature considered and reckoned at the disadvantaged level. The record shows that even with such disadvantage, the candidate was entitled to be selected."


(emphasis supplied by us)


7. The limited protection that the Supreme Court had granted was that candidature of such candidate would not be cancelled on account of incorrect entry made in the application form. Their status in the select list would continue as per the disadvantageous position that the candidates were placed on account of their wrong recording of details in the application form. The Supreme Court had not issued any direction to correct the application form, as is prayed in this case. If the claim of appellant is accepted then the select list would be affected, which was never the intendment of the Apex Court.


8. We, therefore, find that the judgment of the Supreme Court in Rahul Kumar (supra) would not come to the rescue of the present appellant, as has been held by the Co-ordinate Bench of this Court in Special Appeal No.302 of 2020. We are, therefore, in respectful agreement with the view taken by learned Single Judge that in light of the order passed by the Supreme Court in case of Jyoti Yadav (supra), and Special Appeal Defective No.551 of 2021, the appellant would not be entitled to any relief.


9. Special appeal lacks merit and is, accordingly, dismissed.


Order Date :- 5.3.2024 Anil    








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