इथेनॉल पेट्रोल का उम्दा विकल्प और पर्यावरण के लिए बेहतर
Ethanol a Good Petrol Alternative
इथेनॉल गन्ने के अतिरिक्त उत्पाद शीरा से बनता है और इसको बनाने की लागत महज 2 रूपए प्रति लीटर तक आती है ,शीरा 30 पैसे प्रति लीटर पड़ता है और चार लीटर शीरे से 1 लीटर इथेनॉल बनता है ,
इथेनॉल एक तरह का अल्कोहल है जिसे पेट्रोल में मिलाकर मोटर वाहनों में ईंधन की तरह उपयोग में लाया जा सकता है. इथेनॉल का उत्पादन मुख्य रूप से गन्ने से किया जाता है जिसकी हमारे देश में प्रचुरता है. भारत सरकार ने 2002 में गजट अधिसूचना जारी करके देश के नौ राज्यों और चार केन्द्र शासित क्षेत्रों में एक जनवरी 2003 से पांच प्रतिशत इथेनॉल मिला पेट्रोल बेचने की मंजूरी दे दी थी. इसे धीरे-धीरे बढ़ाते हुए पूरे देश में दस प्रतिशत के स्तर तक ले जाना था परन्तु अनेक नीतिगत और आर्थिक समस्याओं के कारण यह लक्ष्य अब तक पूरा नहीं हो पाया है
इथेनॉल को गन्ने के अलावा शर्करा वाली अन्य फसलों से भी तैयार किया जा सकता है जिससे कृषि और पर्यावरण दोनों को लाभ होगा. गौरतलब है कि इथेनॉल को ऊर्जा का अक्षय स्रेत माना जाता है, क्योंकि गन्ने की फसल अनंत और अपार है
ब्राजील में लगभग 40 प्रतिशत कारें सौ प्रतिशत इथेनॉल पर दौड़ रही हैं और बाकी मोटर वाहन 24 प्रतिशत इथेनॉल मिला पेट्रोल इस्तेमाल करते हैं. हमारे देश की तरह ब्राजील में भी इथेनॉल बनाने के लिए मुख्य रूप से गन्ने का उपयोग किया जाता है.
स्वीडन ने इथेनॉल इस्तेमाल करने की शुरुआत 1980 में की थी और आज इसने इसी बलबूते पर कच्चे तेल के आयात में लगभग 25 प्रतिशत की कटौती कर ली है. कनाडा के कई राज्यों में इथेनॉल के इस्तेमाल पर सब्सिडी भी प्रदान की जाती है. जाहिर है, इसके लिए मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति की आवश्यकता है जिसकी फिलहाल हमारे देश में कमी दिखाई दे रही है
इथेनॉल जैसा ही एक अन्य कारगर विकल्प है बायोडीजल. दरअसल कुछ पौधों के बीजों में ऐसा तेल पाया जाता है जिसे भोजन के उपयोग में तो नहीं लाया जा सकता परन्तु इसे मोटर वाहनों में ईंधन की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है.
सामूहिक रूप से ऐसे तेलों को बायोडीजल का नाम दिया गया है क्योंकि इसे पेट्रो-डीजल में आसानी से मिलाया जा सकता है या डीजल इंजन में अकेले भी इस्तेमाल किया जा सकता है. यूं तो हमारे देश के अनेक पौधों में बायोडीजल की संभावना मौजूद है परन्तु इनमें रतनजोत या जोजोबा, करंज, नागचंपा और रबर प्रमुख हैं
ब्राजील जैसे देशों में 40 प्रतिशत वाहन शुद्ध इथेनॉल से चलते है और बाकि 60 % वाहनो में भी इथेनॉल का उपयोग होता है ,
अमेरिका , ऑस्ट्रेलिया में भी पर्यावरण की दृष्टि से 10 % इथेनॉल को पेट्रोल में मिलाया जाता है , इस से पेट्रोल की खपत भी कम होती है
और पर्यावरण को भी कम नुक्सान पहुँचता है ।
अमेरिका में इथेनॉल को मक्के से बनाया जाता है , और ब्राजील से खरीदा जाता है ,
हमारे देश भारत में और ब्राजील में इथेनॉल को गन्ने के अतिरिक्त उत्पाद / अवशेष शीरा /खोई से बनाया जाता है
ब्राजील , स्वीडन जैसे देशों ने पेट्रोल , डीज़ल से निजात पाने और आत्म निर्भर बनने के लिए अस्सी के दशक से ही वैकल्पिक विकल्पों पर रिसर्च करनी शुरू कर दी थी ।
और आज कल ब्राजील ने पेट्रोल डीसल आयत को काफी कम कर दिया है और इथेनॉल आदि उत्पादों से ईंधन उत्पादन में आत्म निर्भर होने के कगार पर हो चला है ।
हमारा देश के प्रतिनिधि तकनीकी हस्तांतरण / जानकारी के लिए समय समय ब्राजील जाते रहे है पूर्व पेट्रोलियम मंत्री राम नाइक के काल में भी प्रतिनिधी मंडल ब्राजील
इथेनॉल पर रिसर्च द्वितीय विश्व युद्ध के समय ही शुरू हो गयी थी जब बहुत से देशों को तेल न मिल पाने जैसे हालातों से सामना करना पड़ा था ,
अब हमारा देश ब्राजील आदि देशों के साथ मिलकर एथनॉल रिसर्च पर जोर दे रहा है ,
इथनॉल के साथ एक मुश्किल है की यह कोरिसिव नेचर का होता है , और इंजन की घिसाई व रगड़ पिट्टी ज्यादा रहती है , जिस से इंजन की आयु काम हो जाती है इसलिए इसे पेट्रोल में 5 -10 प्रतिशत मिलाने की शुरुआती योजना बनी ,
और इंजन की नयी तकनीकी / रिसर्च की जरूरत पड़ने लगी जिस से एथेनॉल को अधिक से अधिक उपयोग में लाया जा सके ।
रिलायंस कम्पनी ने ब्राज़ील में जमीन खरीदी है और वह इसको इथेनॉल उत्पादन में प्रयोग में लाने जा रही है
ब्राजील में इथेनॉल का उत्पादन करेगी रिलायंस
ब्रासीलिया : रिलायंस इंडस्ट्रीज ब्राजील में बहुत बड़े पैमाने पर इथेनॉल प्रॉडक्शन की तैयारी कर रही है। कंपनी इस इथेनॉल को दुनिया के बाजारों में बेचेगी। ब्राजील में होने वाले कंपनी के विस्तार का काम आईपीसीएल के पूर्व अधिकारी आर. सी. शर्मा देख रहे हैं। उनका कहना है कि अभी यह शुरुआती दौर में है, Source : Click here )
अगर पेट्रोल में 5 % इथेनॉल मिलाया जाता है तो इस ईंधन को E5 कहते हैं , अगर पेट्रोल में 10 % इथेनॉल मिलाया जाता है तो इस ईंधन को E10 कहते हैं ,
और अगर बगैर पेट्रोल के सिर्फ इथेनॉल का उपयोग किया जाता है तो इसे E100 कहते है
ब्राजील इस रिसर्च में काफी आगे है और इसके 40 % वाहन शुद्ध इथेनॉल (E100 ) पर चलने लगे हैं
हमारे देश में इथेनॉल को इस समय 27 रूपए प्रति लीटर पर सरकार किसानों / विक्रेताओं से खरीदती है , और इसका समर्थन मूल्य 42 रूपए प्रति लीटर
तक होने जा रहा है ,
इथेनॉल उत्पादन में महाराष्ट्र काफी आगे है , और इसमें नितिन गडकरी जी की कंपनी पूर्ती ग्रुप की महत्वपूर्ण भूमिका है जो की भारी मात्र में
इथेनॉल उत्पादन करती है ,
हाल ही में गडकरी जी ने यू पी में कहा की महाराष्ट्र में गन्ना उत्पादन प्रति हेक्टेयर यू पी से चार गुना ज्यादा है और हम यू पी में इसकी तकनीक बढ़ाने पर जोर देंगे (Source : click here
Gadkari said - गन्ने के जरिए पूर्वी उत्तर प्रदेश के पिछड़ेपन और गरीबी को दूर किया जा सकता है। उदाहरण के लिए उत्तर प्रदेश में गन्ना उत्पादकता औसत केवल 25 टन प्रति एकड़ है, जबकि महाराष्ट्र कई क्षेत्रों में यह औसत सौ से सवा सौ टन प्रति एकड़ हैं। इसे चौगुना बढ़ाया जा सकता है। जिससे प्रदेश के किसानों की आय प्रतिवर्ष आठ हजार से दस हजार करोड़ रुपए तक बढ़ सकती है,
गडकरी ने नागपुर के आसपास के क्षेत्रों में बंद पड़ी चीनी मिलें खरीदी हैं। ये चीनी मीलें पूर्ति समूह ने खरीदी हैं, जिसके सर्वेसर्वा गडकरी हैं
गडकरी कहते हैं कि चीनी में नुकसान है, पर गन्ने की खोई से बिजली बनाने में फायदा भी है। विदर्भ में बिजली संकट का रास्ता भी हम इसी से ढूंढ रहे हैं। चीनी का कारोबार उत्तर प्रदेश और किसानों के विकास की तस्वीर बदल सकता है।
उन्होंने कहा कि गन्ने के जरिए पूर्वी उत्तर प्रदेश के पिछड़ेपन और गरीबी को दूर किया जा सकता है। उदाहरण के लिए उत्तर प्रदेश में गन्ना उत्पादकता औसत केवल 25 टन प्रति एकड़ है, जबकि महाराष्ट्र कई क्षेत्रों में यह औसत सौ से सवा सौ टन प्रति एकड़ हैं। इसे चौगुना बढ़ाया जा सकता है। जिससे प्रदेश के किसानों की आय प्रतिवर्ष आठ हजार से दस हजार करोड़ रुपए तक बढ़ सकती है।
गन्ना मिलों में तैयार होने वाली मोलासेस से इथेनॉल उत्पादन की नीति बनाई जाएगी। इथेनॉल पेट्रोल में मिलाया जाएगा, जैसा ब्राजील में हो रहा है। गन्ने को लेकर गडकरी की भाजपा ने उत्तरप्रदेश में करीब एक दर्जन सुझाव किसानों के सामने रखे हैं। )
देश में और भी वैकल्पिक / प्राकृतिक ईंधन मौजूद है , जैसे की रतन जोत / जोजोबा पौधा जो की डीज़ल का बेहतरीन विकल्प है और बंजर स्थानो पर कम
पानी में भरपूर मात्र में आसानी से लग जाता है ।
हमारे देश में हिन्द महासागर के तटीय इलाकों में तेल निकलने की अपार संभावनाएं बताई गयी हैं , और अन्य ऊर्जा स्रोत - थोरियम ( थोरियम के भण्डार में विश्व में भारत प्रथम स्थान पर है )
हमें भरोसा है की हमारा देश भारत अगले दस सालों में वैकल्पिक ईंधन ( एथेनॉल , बायो डीज़ल - रतन जोत , सोर ऊर्जा , पवन चक्की , जल ऊर्जा आदि )
द्वारा आत्म निर्भरता प्राप्त कर लेगा और पेट्रोल डीज़ल आयात कम कर देगा ।
Ethanol a Good Petrol Alternative
इथेनॉल गन्ने के अतिरिक्त उत्पाद शीरा से बनता है और इसको बनाने की लागत महज 2 रूपए प्रति लीटर तक आती है ,शीरा 30 पैसे प्रति लीटर पड़ता है और चार लीटर शीरे से 1 लीटर इथेनॉल बनता है ,
इथेनॉल एक तरह का अल्कोहल है जिसे पेट्रोल में मिलाकर मोटर वाहनों में ईंधन की तरह उपयोग में लाया जा सकता है. इथेनॉल का उत्पादन मुख्य रूप से गन्ने से किया जाता है जिसकी हमारे देश में प्रचुरता है. भारत सरकार ने 2002 में गजट अधिसूचना जारी करके देश के नौ राज्यों और चार केन्द्र शासित क्षेत्रों में एक जनवरी 2003 से पांच प्रतिशत इथेनॉल मिला पेट्रोल बेचने की मंजूरी दे दी थी. इसे धीरे-धीरे बढ़ाते हुए पूरे देश में दस प्रतिशत के स्तर तक ले जाना था परन्तु अनेक नीतिगत और आर्थिक समस्याओं के कारण यह लक्ष्य अब तक पूरा नहीं हो पाया है
इथेनॉल को गन्ने के अलावा शर्करा वाली अन्य फसलों से भी तैयार किया जा सकता है जिससे कृषि और पर्यावरण दोनों को लाभ होगा. गौरतलब है कि इथेनॉल को ऊर्जा का अक्षय स्रेत माना जाता है, क्योंकि गन्ने की फसल अनंत और अपार है
ब्राजील में लगभग 40 प्रतिशत कारें सौ प्रतिशत इथेनॉल पर दौड़ रही हैं और बाकी मोटर वाहन 24 प्रतिशत इथेनॉल मिला पेट्रोल इस्तेमाल करते हैं. हमारे देश की तरह ब्राजील में भी इथेनॉल बनाने के लिए मुख्य रूप से गन्ने का उपयोग किया जाता है.
स्वीडन ने इथेनॉल इस्तेमाल करने की शुरुआत 1980 में की थी और आज इसने इसी बलबूते पर कच्चे तेल के आयात में लगभग 25 प्रतिशत की कटौती कर ली है. कनाडा के कई राज्यों में इथेनॉल के इस्तेमाल पर सब्सिडी भी प्रदान की जाती है. जाहिर है, इसके लिए मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति की आवश्यकता है जिसकी फिलहाल हमारे देश में कमी दिखाई दे रही है
इथेनॉल जैसा ही एक अन्य कारगर विकल्प है बायोडीजल. दरअसल कुछ पौधों के बीजों में ऐसा तेल पाया जाता है जिसे भोजन के उपयोग में तो नहीं लाया जा सकता परन्तु इसे मोटर वाहनों में ईंधन की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है.
सामूहिक रूप से ऐसे तेलों को बायोडीजल का नाम दिया गया है क्योंकि इसे पेट्रो-डीजल में आसानी से मिलाया जा सकता है या डीजल इंजन में अकेले भी इस्तेमाल किया जा सकता है. यूं तो हमारे देश के अनेक पौधों में बायोडीजल की संभावना मौजूद है परन्तु इनमें रतनजोत या जोजोबा, करंज, नागचंपा और रबर प्रमुख हैं
ब्राजील जैसे देशों में 40 प्रतिशत वाहन शुद्ध इथेनॉल से चलते है और बाकि 60 % वाहनो में भी इथेनॉल का उपयोग होता है ,
अमेरिका , ऑस्ट्रेलिया में भी पर्यावरण की दृष्टि से 10 % इथेनॉल को पेट्रोल में मिलाया जाता है , इस से पेट्रोल की खपत भी कम होती है
और पर्यावरण को भी कम नुक्सान पहुँचता है ।
अमेरिका में इथेनॉल को मक्के से बनाया जाता है , और ब्राजील से खरीदा जाता है ,
हमारे देश भारत में और ब्राजील में इथेनॉल को गन्ने के अतिरिक्त उत्पाद / अवशेष शीरा /खोई से बनाया जाता है
ब्राजील , स्वीडन जैसे देशों ने पेट्रोल , डीज़ल से निजात पाने और आत्म निर्भर बनने के लिए अस्सी के दशक से ही वैकल्पिक विकल्पों पर रिसर्च करनी शुरू कर दी थी ।
और आज कल ब्राजील ने पेट्रोल डीसल आयत को काफी कम कर दिया है और इथेनॉल आदि उत्पादों से ईंधन उत्पादन में आत्म निर्भर होने के कगार पर हो चला है ।
हमारा देश के प्रतिनिधि तकनीकी हस्तांतरण / जानकारी के लिए समय समय ब्राजील जाते रहे है पूर्व पेट्रोलियम मंत्री राम नाइक के काल में भी प्रतिनिधी मंडल ब्राजील
इथेनॉल पर रिसर्च द्वितीय विश्व युद्ध के समय ही शुरू हो गयी थी जब बहुत से देशों को तेल न मिल पाने जैसे हालातों से सामना करना पड़ा था ,
अब हमारा देश ब्राजील आदि देशों के साथ मिलकर एथनॉल रिसर्च पर जोर दे रहा है ,
इथनॉल के साथ एक मुश्किल है की यह कोरिसिव नेचर का होता है , और इंजन की घिसाई व रगड़ पिट्टी ज्यादा रहती है , जिस से इंजन की आयु काम हो जाती है इसलिए इसे पेट्रोल में 5 -10 प्रतिशत मिलाने की शुरुआती योजना बनी ,
और इंजन की नयी तकनीकी / रिसर्च की जरूरत पड़ने लगी जिस से एथेनॉल को अधिक से अधिक उपयोग में लाया जा सके ।
रिलायंस कम्पनी ने ब्राज़ील में जमीन खरीदी है और वह इसको इथेनॉल उत्पादन में प्रयोग में लाने जा रही है
ब्राजील में इथेनॉल का उत्पादन करेगी रिलायंस
ब्रासीलिया : रिलायंस इंडस्ट्रीज ब्राजील में बहुत बड़े पैमाने पर इथेनॉल प्रॉडक्शन की तैयारी कर रही है। कंपनी इस इथेनॉल को दुनिया के बाजारों में बेचेगी। ब्राजील में होने वाले कंपनी के विस्तार का काम आईपीसीएल के पूर्व अधिकारी आर. सी. शर्मा देख रहे हैं। उनका कहना है कि अभी यह शुरुआती दौर में है, Source : Click here )
अगर पेट्रोल में 5 % इथेनॉल मिलाया जाता है तो इस ईंधन को E5 कहते हैं , अगर पेट्रोल में 10 % इथेनॉल मिलाया जाता है तो इस ईंधन को E10 कहते हैं ,
और अगर बगैर पेट्रोल के सिर्फ इथेनॉल का उपयोग किया जाता है तो इसे E100 कहते है
ब्राजील इस रिसर्च में काफी आगे है और इसके 40 % वाहन शुद्ध इथेनॉल (E100 ) पर चलने लगे हैं
हमारे देश में इथेनॉल को इस समय 27 रूपए प्रति लीटर पर सरकार किसानों / विक्रेताओं से खरीदती है , और इसका समर्थन मूल्य 42 रूपए प्रति लीटर
तक होने जा रहा है ,
इथेनॉल उत्पादन में महाराष्ट्र काफी आगे है , और इसमें नितिन गडकरी जी की कंपनी पूर्ती ग्रुप की महत्वपूर्ण भूमिका है जो की भारी मात्र में
इथेनॉल उत्पादन करती है ,
हाल ही में गडकरी जी ने यू पी में कहा की महाराष्ट्र में गन्ना उत्पादन प्रति हेक्टेयर यू पी से चार गुना ज्यादा है और हम यू पी में इसकी तकनीक बढ़ाने पर जोर देंगे (Source : click here
Gadkari said - गन्ने के जरिए पूर्वी उत्तर प्रदेश के पिछड़ेपन और गरीबी को दूर किया जा सकता है। उदाहरण के लिए उत्तर प्रदेश में गन्ना उत्पादकता औसत केवल 25 टन प्रति एकड़ है, जबकि महाराष्ट्र कई क्षेत्रों में यह औसत सौ से सवा सौ टन प्रति एकड़ हैं। इसे चौगुना बढ़ाया जा सकता है। जिससे प्रदेश के किसानों की आय प्रतिवर्ष आठ हजार से दस हजार करोड़ रुपए तक बढ़ सकती है,
गडकरी ने नागपुर के आसपास के क्षेत्रों में बंद पड़ी चीनी मिलें खरीदी हैं। ये चीनी मीलें पूर्ति समूह ने खरीदी हैं, जिसके सर्वेसर्वा गडकरी हैं
गडकरी कहते हैं कि चीनी में नुकसान है, पर गन्ने की खोई से बिजली बनाने में फायदा भी है। विदर्भ में बिजली संकट का रास्ता भी हम इसी से ढूंढ रहे हैं। चीनी का कारोबार उत्तर प्रदेश और किसानों के विकास की तस्वीर बदल सकता है।
उन्होंने कहा कि गन्ने के जरिए पूर्वी उत्तर प्रदेश के पिछड़ेपन और गरीबी को दूर किया जा सकता है। उदाहरण के लिए उत्तर प्रदेश में गन्ना उत्पादकता औसत केवल 25 टन प्रति एकड़ है, जबकि महाराष्ट्र कई क्षेत्रों में यह औसत सौ से सवा सौ टन प्रति एकड़ हैं। इसे चौगुना बढ़ाया जा सकता है। जिससे प्रदेश के किसानों की आय प्रतिवर्ष आठ हजार से दस हजार करोड़ रुपए तक बढ़ सकती है।
गन्ना मिलों में तैयार होने वाली मोलासेस से इथेनॉल उत्पादन की नीति बनाई जाएगी। इथेनॉल पेट्रोल में मिलाया जाएगा, जैसा ब्राजील में हो रहा है। गन्ने को लेकर गडकरी की भाजपा ने उत्तरप्रदेश में करीब एक दर्जन सुझाव किसानों के सामने रखे हैं। )
देश में और भी वैकल्पिक / प्राकृतिक ईंधन मौजूद है , जैसे की रतन जोत / जोजोबा पौधा जो की डीज़ल का बेहतरीन विकल्प है और बंजर स्थानो पर कम
पानी में भरपूर मात्र में आसानी से लग जाता है ।
हमारे देश में हिन्द महासागर के तटीय इलाकों में तेल निकलने की अपार संभावनाएं बताई गयी हैं , और अन्य ऊर्जा स्रोत - थोरियम ( थोरियम के भण्डार में विश्व में भारत प्रथम स्थान पर है )
हमें भरोसा है की हमारा देश भारत अगले दस सालों में वैकल्पिक ईंधन ( एथेनॉल , बायो डीज़ल - रतन जोत , सोर ऊर्जा , पवन चक्की , जल ऊर्जा आदि )
द्वारा आत्म निर्भरता प्राप्त कर लेगा और पेट्रोल डीज़ल आयात कम कर देगा ।