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CTET, TEACHER ELIGIBILITY TEST (TET), NCTE, RTE, UPTET, HTET, JTET / Jharkhand TET, OTET / Odisha TET ,
Rajasthan TET / RTET, BETET / Bihar TET, PSTET / Punjab State Teacher Eligibility Test, West Bengal TET / WBTET, MPTET / Madhya Pradesh TET, ASSAM TET / ATET
, UTET / Uttrakhand TET , GTET / Gujarat TET , TNTET / Tamilnadu TET , APTET / Andhra Pradesh TET , CGTET / Chattisgarh TET, HPTET / Himachal Pradesh TET
बीएड डिग्रीधारी अगले पांच साल तक और बन सकते हैं प्राइमरी के मास्साब!
नई दिल्ली,
केंद्र सरकार शिक्षा के अधिकार (आरटीई) कानून के तहत राज्यों को शिक्षकों की नियुक्ति के नियमों में और पांच साल के लिए ढील दे सकती है। इससे जहां बीएड डिग्रीधारियों के लिए प्राइमरी शिक्षक नियुक्त होने के मौके बढ़ेंगे। वहीं, स्कूलों में पहले से कार्यरत अस्थाई शिक्षकों, शिक्षा मित्रों, अप्रशिक्षित शिक्षकों को जरूरी योग्यता हासिल करने का मौका भी मिलेगा।
शिक्षा के अधिकार कानून- 2011 में लागू हुए प्रावधानों के तहत पांच साल के भीतर स्कूलों में छात्र-शिक्षक अनुपात के अनुसार शिक्षक नियुक्त किए जाने थे। इसी प्रकार जो शिक्षक अप्रशिक्षित थे, उन्हें न्यूनतम योग्यताएं हासिल करनी थी, ताकि उनकी सेवाएं जारी रखी जा सके। लेकिन पांच साल में शिक्षकों की नियुक्तियां नहीं हो सकी। न ही सभी अप्रशिक्षित शिक्षक ट्रेंनिंग हासिल कर सके। उल्टे केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, बिहार समेत डेढ़ दर्जन राज्यों को बीएड डिग्रीधारियों को प्राइमरी शिक्षक नियुक्त करने की अनुमति दे दी। लेकिन शर्त यह रखी कि वे प्राइमरी शिक्षक की छह महीने की विशेष ट्रेनिंग लेंगे। लेकिन यह कार्य पूरा नहीं हो सका।
सूत्रों के अनुसार नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (एनसीटीई) ने केंद्र को कहा है कि शिक्षकों की नियुक्ति और न्यूनतम अर्हता हासिल करने की समय सीमा को पांच साल के लिए और बढ़ाकर 2020 कर दिया जाए। राज्यों की तरफ से भी केंद्र को सुझाव आए हैं। इस मुद्दे पर केंद्र सरकार ने 8 फरवरी को दिल्ली में राज्यों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई है। इसमें इस मुद्दे पर चर्चा होगी और फैसला लिया जाएगा। बता दें कि जिन राज्यों को शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत छूट दी गई हैं वे 31 मार्च 2016 को खत्म हो रही है।
जमीनी सच्चाई
- 19.83 लाख शिक्षकों के पद आरटीई के तहत स्वीकृत, 14.15 लाख शिक्षकों की ही हुई भर्ती
- 80 फीसदी कार्यरत शिक्षकों के पास ही पेशेवर डिग्री, शेष अप्रशिक्षित हैं या उनकी डिग्री मान्य नहीं है
- 06 लाख के करीब हैं अप्रशिक्षित या गैर मान्यता प्राप्त डिग्री धारण करने वाले शिक्षक,जो पढ़ा रहे हैं
- बीएड, या अन्य अप्रशिक्षित शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए इग्नू एवं अन्य विश्वविद्यालयों ने ऑनलाइन कोर्स शुरू किए
- 35 से 40 हजार शिक्षक सालाना के दर से ही इन ऑनलाइन पाठ्यक्रमों में लोगों को प्रशिक्षित किया जा सका है
बीएड डिग्रीधारियों को होगा फायदा
देश में शिक्षक प्रशिक्षण की करीब 14 लाख सीटें हैं। इनमें से 75 फीसदी सीटें बीएड की हैं, जबकि बाकी सीटें प्राइमरी डीईएलएड की हैं। इसलिए यदि आरटीई में शिक्षकों से जुड़ी छूट की अवधि बढ़ती है, तो बीएड डिग्रीधारियों को फिर फायदा होगा। राज्यों को उन्हें प्राइमरी शिक्षक नियुक्त करने की छूट फिर से मिल सकती है।
शिक्षकों की कमी
बिहार-2,54,066
झारखंड-69,163
उत्तर प्रदेश-2,91,871
मध्य प्रदेश-88,453
पश्चिम बंगाल-1,04,346
ओडिशा-63,355
छत्तीसगढ़-46,886
(स्रोत मानव संसाधन विकास मंत्रालय 2014-15
नई दिल्ली,
केंद्र सरकार शिक्षा के अधिकार (आरटीई) कानून के तहत राज्यों को शिक्षकों की नियुक्ति के नियमों में और पांच साल के लिए ढील दे सकती है। इससे जहां बीएड डिग्रीधारियों के लिए प्राइमरी शिक्षक नियुक्त होने के मौके बढ़ेंगे। वहीं, स्कूलों में पहले से कार्यरत अस्थाई शिक्षकों, शिक्षा मित्रों, अप्रशिक्षित शिक्षकों को जरूरी योग्यता हासिल करने का मौका भी मिलेगा।
शिक्षा के अधिकार कानून- 2011 में लागू हुए प्रावधानों के तहत पांच साल के भीतर स्कूलों में छात्र-शिक्षक अनुपात के अनुसार शिक्षक नियुक्त किए जाने थे। इसी प्रकार जो शिक्षक अप्रशिक्षित थे, उन्हें न्यूनतम योग्यताएं हासिल करनी थी, ताकि उनकी सेवाएं जारी रखी जा सके। लेकिन पांच साल में शिक्षकों की नियुक्तियां नहीं हो सकी। न ही सभी अप्रशिक्षित शिक्षक ट्रेंनिंग हासिल कर सके। उल्टे केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, बिहार समेत डेढ़ दर्जन राज्यों को बीएड डिग्रीधारियों को प्राइमरी शिक्षक नियुक्त करने की अनुमति दे दी। लेकिन शर्त यह रखी कि वे प्राइमरी शिक्षक की छह महीने की विशेष ट्रेनिंग लेंगे। लेकिन यह कार्य पूरा नहीं हो सका।
सूत्रों के अनुसार नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (एनसीटीई) ने केंद्र को कहा है कि शिक्षकों की नियुक्ति और न्यूनतम अर्हता हासिल करने की समय सीमा को पांच साल के लिए और बढ़ाकर 2020 कर दिया जाए। राज्यों की तरफ से भी केंद्र को सुझाव आए हैं। इस मुद्दे पर केंद्र सरकार ने 8 फरवरी को दिल्ली में राज्यों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई है। इसमें इस मुद्दे पर चर्चा होगी और फैसला लिया जाएगा। बता दें कि जिन राज्यों को शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत छूट दी गई हैं वे 31 मार्च 2016 को खत्म हो रही है।
जमीनी सच्चाई
- 19.83 लाख शिक्षकों के पद आरटीई के तहत स्वीकृत, 14.15 लाख शिक्षकों की ही हुई भर्ती
- 80 फीसदी कार्यरत शिक्षकों के पास ही पेशेवर डिग्री, शेष अप्रशिक्षित हैं या उनकी डिग्री मान्य नहीं है
- 06 लाख के करीब हैं अप्रशिक्षित या गैर मान्यता प्राप्त डिग्री धारण करने वाले शिक्षक,जो पढ़ा रहे हैं
- बीएड, या अन्य अप्रशिक्षित शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए इग्नू एवं अन्य विश्वविद्यालयों ने ऑनलाइन कोर्स शुरू किए
- 35 से 40 हजार शिक्षक सालाना के दर से ही इन ऑनलाइन पाठ्यक्रमों में लोगों को प्रशिक्षित किया जा सका है
बीएड डिग्रीधारियों को होगा फायदा
देश में शिक्षक प्रशिक्षण की करीब 14 लाख सीटें हैं। इनमें से 75 फीसदी सीटें बीएड की हैं, जबकि बाकी सीटें प्राइमरी डीईएलएड की हैं। इसलिए यदि आरटीई में शिक्षकों से जुड़ी छूट की अवधि बढ़ती है, तो बीएड डिग्रीधारियों को फिर फायदा होगा। राज्यों को उन्हें प्राइमरी शिक्षक नियुक्त करने की छूट फिर से मिल सकती है।
शिक्षकों की कमी
बिहार-2,54,066
झारखंड-69,163
उत्तर प्रदेश-2,91,871
मध्य प्रदेश-88,453
पश्चिम बंगाल-1,04,346
ओडिशा-63,355
छत्तीसगढ़-46,886
(स्रोत मानव संसाधन विकास मंत्रालय 2014-15
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