रविवार को पहली बार 2000 रूपये के गुलाबी वाटर-प्रूफ नोट से मुलाकात हुई, जितना खुश वो नोट था उतना ही मैं भी था, पर एक सवाल दिमाग में था कि सरकार ने 2000 का नोट क्यूँ निकाला जब कि एक तरफ उच्च कीमत के नोट सरकार बंद भी कर रही है!
आईये, बिलकुल साधारण भाषा में इसे समझते हैं. इस समय भारत देश की पूरी मुद्रा में से 86% हिस्सा 500 और 1000 के नोट का था. वर्ष 2002 से पहले यह करीब 35% था. इस समय मुद्रा-चलन और जीडीपी का अनुपात लगभग 16% है, जबकि USA जैसे विकसित देश में यह अनुपात करीब 7% से 10% के बीच रहता है, तो यह नोटबंदी का प्रयास हमें कैशलेस समाज की तरफ जाने के लिए हेल्प करेगा. जैसा कि 86% मुद्रा 1000 और 500 के नोट के रूप में थी. तो लोग जब पुराने नोट जमा करेंगे तो लगभग उतना ही निकालना भी चाहेंगे, तो इस तरह मुद्रा की अत्यधिक मांग हो जायेगी. तो इसलिए 50 दिन की इस अवधि में अधिक वैल्यू वाली मुद्रा के साथ साथ 500 के नोट भी चाहिए होंगे इस गैप को भरने के लिए. यहाँ यह जानना बड़ा ही जरूरी है कि 2000 का नोट एक रिप्लेसिंग मुद्रा है, जिससे कि मुद्रास्फीति को कम किया जा सके. क्योंकि करीब 40% के आसपास पुरानी मुद्रा या तो भ्रष्ट लोगों द्वारा नष्ट कर दी जायेगी, या फिर टैक्स के रूप में मिलेगी या फिर हमारे बैंकिंग सिस्टम का हिस्सा बन जायेगी.
अब ये समझे कि देश के लोग निम्न तीन संभावित तरीके से इस पुरानी मुद्रा के साथ व्यवहार करेंगे.
1. माने कि 33% मुद्रा हमारे बैंकिंग सिस्टम में आ ही नहीं पाएगी और लोग विभिन्न तरीके से इसे नष्ट करने का प्रयास कर रहे होंगे.
2. माने कि 33% मुद्रा, हमारे गरीब और इमानदार देश वासियों की जो घरों में थी, वापस जमा हो जायेगी.
3. और माने कि 33% टैक्स का विषय बन जायेगी.
पहली स्थिति : अब अगर 33% जमा नहीं होते हैं, तो इस से राजकोषीय हेडरूम सरकार को मिलेगा जिससे कि RBI की एसेट एंड लायबिलिटी पर असर पड़ेगा जोकि करीब 4.5 लाख करोड़ होगा. जिसके कारण सरकार को राजकोषीय घाटे को और मुद्रा छाप के या देश की बैलेंस शीट को बेहतर स्थिति में लाने में मदद मिलेगी. यहाँ यह बताना जरूरी है कि एक देश उतनी ही मुद्रा छाप सकता है, जितना उसका राजकोषीय बैलेंस उसे इजाजत दे, जोकि विदेशी मुद्रा भण्डार , स्वर्णकोष और एसेट एंड लायबिलिटी के बैलेंस से निकलता है. तो जिन लोगों को यह भ्रम है कि लोग अपना काला धन नष्ट कर देंगे और मुद्रा की कमी हो जायेगी, ऐसा कुछ नहीं है.
दूसरी स्थिति : अब मानें कि अन्य 33% ईमानदार लोगों कि संपत्ति है जोकि बैंकिंग सिस्टम में वापस आएगी, जोकि बैंकिंग सिस्टम को मजबूत करेगी, कैश फ्लो को बढ़ाएगी, और कम ब्याज दरों पर ऋण उपलब्ध होगा, महंगाई कम होगी.
तीसरी स्थिति : और जो 33% मुद्रा टैक्स का विषय बन जायेगी, यानी करीब 4.5 लाख करोड़, टैक्सेबल इनकम बनके वर्तमान टैक्स रेवेन्यू में लगभग 80 हज़ार करोड़ पैदा करेगी अगर हम कम से कम 20% टैक्स मान कर चले.
उदहारण स्वरुप मान लीजिये कि अगर मेरे पास 1000 रूपये के बराबर स्वर्ण मुद्रा भण्डार है तो मैंने अपने पारिवारिक देश को चलाने के लिए 1000 रूपये की हरी मुद्रा चलन में दी. जिसे मैंने पारिवारिक देश के खर्च के लिए अपने लोगों में बांटे हुए था. सब कुछ अच्छा चल रहा था. पर इसी बीच हमारे पडोसी ने एक दिन हमारे परिवार के एक सदस्य को धन का लालच देकर उससे मेरी पारिवारिक मुद्रा के 100 रूपये के बदले नकली मुद्रा के रूप में 200 दे दिए. फिर कुछ दिन बाद उस पडोसी ने फिर से एक बार फिर 100 को 200 में बदल दिया और नकली मुद्रा थमा दी. तो इस तरह मेरे पारिवारिक देश में 1200 रूपये हो गए, जबकि हमने शुरूआत 1000 से की थी और 400 रूपये नकली मुद्रा के रूप में मेरे पारिवारिक देश में प्रचलन में आ गए. RBI को भी इसी तरह खतरे का एहसास तब हुआ, जब उसने पाया कि देश में 116% मुद्रा प्रचलन में है और महंगाई अपने चरम पर है. नकली मुद्रा के चलन के बाद मेरे पारिवारिक देश में भ्रष्टाचार भी आ गया और एक सदस्य ने 100 रूपये के काम को 500 का बताकर फर्जी बिल बना दिया. 400 रूपये (काला धन) छिपा लिया. अब देश में (1200-500) = 700 रूपये बचे हैं जिसमे से 400 फर्जी हैं. तो बचे 300 रूपये, जिसमें मेरा पारिवारिक देश सब काम चला रहा है. न हम कुछ खरीद पाते हैं और न ही किसी को ऋण दे पाते हैं. ऐसी विषम स्थिति मुझे विश्वास हो जाता है कि 1000 रूपये चलन में होने पर 1200 का आंकड़ा आना और महंगाई व् भ्रष्टाचार बढ़ने का कारण नकली मुद्रा और काला धन ही है. तो मैं एक दिन शाम को एलान कर देता हूँ कि आज रात से यह मुद्रा समाप्त और गुलाबी नयी मुद्रा चलेगी और सब पुरानी मुद्रा वापस करके नयी मुद्रा ले लें. अब जो सदस्य इमानदार थे, उन्होंने मुझे कुल मिलाकर 300 वापस कर दिए. 100 रूपये खर्चे के, और नकली 400 तुरंत प्रभाव से सिस्टम से बाहर हो गए. बचे काले धन वाले 400, जो डर के मारे उस सदस्य ने नहीं लौटाए. तो मेरी बैलेंस शीट 700 रूपये बैलेंस बताएगी. अब क्योंकि मेरे पास स्वर्ण कोष 1000 के बराबर है तो मैं 700 के नए नोट प्रचलन में ला सकता हूँ जिस से एक बार फिर से मेरा मुद्रा भण्डार 1000 के बराबर हो जाएगा. अब 1000 फिर से आने पर मेरे लोग इस पैसे को फिर से इस्तेमाल कर सकेंगे, ऋण ले और दे सकेंगे और नयी वस्तुएं सही दाम पर ले सकेंगे. इस उपाय से भ्रष्ट धन एकदम से सिस्टम से बाहर हो गया और मेरा पारिवारिक देश एक बार फिर से मौद्रिक रूप से मजबूत हो जाता है और मेरा पडोसी पुरानी मुद्रा लिये बैठा रह जाता है.
यह एक बहुत ही सरल भाषा में समझाने का प्रयास है. मुद्रा-अवमूल्यन, मुद्रा स्फीति, मुद्रा-विमुद्रीकरण का ज्ञान न रखने वाले भी इसे आसानी से समझ सकते हैं, और इसे शेयर करके उन लोगों तक जरूर पहुंचाए जो अभी भी यह नहीं समझ पा रहे हैं कि "यह हम क्यूँ न कर पाए?"
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