Friday, June 2, 2017

UPTET SARKARI NAUKRI News -अवकाश नियम -

UPTET SARKARI NAUKRI   News -अवकाश नियम  





अवकाश नियमों को सरलता प्रदान करने के लिये, अवकाशों को दो श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है। पहली श्रेणी में वे अवकाश रखे जा सकते हैं जो मूलत: वित्तीय हस्तपुस्तिका खण्ड-दो (भाग 2 से 4) में वर्णित मूल एवं सहायक नियमों से संचालित होते हैं, तथा द्वितीय श्रेणी में वे अवकाश जो भिन्न प्रकार के हैं, यथा आकस्मिक अवकाश।
(I) वित्तीय हस्त पुस्तिका खण्ड-दो (भाग 2 से 4) के नियमों में उल्लिखित विभिन्न अवकाश

  1. अर्जित अवकाश (Earned Leave)
  2. निजी कार्य पर अवकाश (Leave on Private Affairs)
  3. चिकित्सा प्रमाण-पत्र पर अवकाश (Leave on Medical Certificate)
  4. मातृत्व अवकाश (Maternity Leave)
  5. असाधारण अवकाश (Extra Ordinary Leave)
  6. चिकित्सालय अवकाश (Hospital Leave)
  7. अध्ययन अवकाश (Study Leave)
  8. विशेष विकलांगता अवकाश (Special Disability Leave)
  9. लघुकृत अवकाश (Commuted Leave)
अवकाश सम्बन्धी कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
अवकाश का तात्पर्य यहाँ उपरोक्त प्रस्तरों में वर्णित सभी अवकाशों से है जब तक कि स्पष्ट रूप से किसी अवकाश विशेष का उद्धरण न दिया गया हो।
(क) अवकाश स्वीकृति हेतु सक्षम प्राधिकारी
विशेष विकलांगता अवकाश के अतिरिक्त मूल नियमों के अन्तर्गत देय अन्य अवकाश शासन के अधीनस्थ उन प्राधिकारियों द्वारा प्रदान किया जा सकता है जिन्हें राज्यपाल नियम या आदेश द्वारा निर्दिष्ट कर दें। विशेष विकलांगता अवकाश राज्यपाल द्वारा स्वीकृत किया जा सकता है।
                                                                                                                 मूल नियम 66
(ख) अराजपत्रित सरकारी सेवकों को विशेष विकलांगता अवकाश के अतिरिक्त मूल नियमों के अन्तर्गत अनुमन्य कोई भी अन्य अवकाश उस प्राधिकारी द्वारा जिसका कर्तव्य उस पद को यदि वह रिक्त होता, भरने का होता या वित्तीय नियम संग्रह खण्ड-दो (भाग 2 से 4) के भाग 4 (विवरण पत्र-4 के क्रम संख्या 5, 8 तथा 9) में उल्लिखित किसी अन्य निम्नतर सक्षम प्राधिकारी द्वारा प्रतिनिहित अधिकार सीमा के अधीन रहते हुए प्रदान किया जा सकता है।
                                                                                                                 सहायक नियम 35
(सपठित वित्तीय नियम संग्रह खण्ड-एक का विवरण पत्र-14)
(ग) राजपत्रित अधिकारियों को अवकाश देने के लिए साधारणतया शासन की स्वीकृति की आवश्यकता है, किन्तु वित्तीय नियम संग्रह खण्ड-दो के भाग-4 (विवरण पत्र-4 के क्रम संख्या 6, 7, 8 व 9) में उल्लिखित किसी अन्य निम्नतर सक्षम प्राधिकारी द्वारा प्रतिनिहित अधिकार सीमा के अधीन रहते हुए प्रदान किया जा सकता है।
सहायक नियम 36
राजपत्रित अधिकारियों की सेवानिवृत्ति पर लेखे में जमा अर्जित अवकाश का नकदीकरण:-
शासनादेश संख्या-सा-4-438/दस-2000-203-86 दिनांक 3 जुलाई, 2000 के अन्तर्गत सरकारी सेवक के सेवानिवृत्ति पर अवशेष 300 दिनों तक के अर्जित अवकाश का नकदीकरण विभागाध्यक्षों द्वारा स्वीकृत किया जा सकता है।
विभागाध्यक्ष अपने अधीनस्थ राजपत्रित अधिकारियों को प्राधिकृत चिकित्सक द्वारा प्रदत्त प्रमाण-पत्र के आधार पर तीन माह की अवधि तक का चिकित्सा प्रमाण-पत्र पर अवकाश प्रदान कर सकते हैं।
(शासकीय ज्ञाप संख्या-सा-4-1752/दस-200(2)-77 दिनांक 20-6-1978)
प्रसूति अवकाश- संबंधित विभागाध्यक्ष द्वारा अथवा किसी ऐसे निम्नतर अधिकारी द्वारा जिसे इसके लिए अधिकार प्रतिनिहित किया गया हो, प्रदान किया जा सकता है।
                                                                                           सहायक नियम 153, 154
वाह्य सेवा 
अवकाश केवल ड्यूटी देकर ही उपार्जित किया जाता है। इस नियम के लिए वाह्य सेवा में व्यतीत की गई अवधि को ड्यूटी माना जाता है, यदि ऐसी अवधि के लिए अवकाश वेतन के लिए अंशदान का भुगतान कर दिया गया है।
                                                                                                                  मूल नियम 59
अवकाश का दावा अधिकार के रूप में नहीं
किसी अवकाश का दावा या माँग अधिकार स्वरूप नहीं किया जा सकता है। अवकाश लेने का दावा ऐसे नहीं किया जा सकता है जैसे कि वह एक अधिकार हो। जब इन सेवाओं की आवश्यकताएँ ऐसी अपेक्षा करती हों, तो किसी भी प्रकार के अवकाश को निरस्त करने या अस्वीकृत करने का अधिकार अवकाश प्रदान करने हेतु सक्षम प्राधिकारी के पास सुरक्षित है। इस सम्बन्ध में अवकाश स्वीकृत करने वाला अधिकारी किसी अवकाश को जनहित में अस्वीकृत करने के लिए पूर्णतया सक्षम होता है।
                                                                                                                   मूल नियम 67
अवकाश का प्रारम्भ एवं समाप्ति
अवकाश साधारणतया कार्यभार छोड़ने से प्रारम्भ होता है तथा कार्यभार ग्रहण करने की तिथि के पूर्व दिवस को समाप्त होता है। अवकाश के प्रारम्भ होने के ठीक पहले व अवकाश समाप्ति के तुरन्त पश्चात पड़ने वाले रविवार व अन्य मान्यता प्राप्त अवकाशों को अवकाश के साथ उपभोग करने की स्वीकृति, अवकाश स्वीकृत करने वाले प्राधिकारी द्वारा दी जा सकती है। अवकाश का आरम्भ सामान्यत: उस दिन से माना जाता है जिस दिन संबंधित कर्मचारी/अधिकारी द्वारा अपने पद /कार्यालय का प्रभार हस्तान्तरित किया जाता है। इसी प्रकार अवकाश से लौटने पर प्रभार ग्रहण करने के पूर्व के दिवस को अवकाश समाप्त माना जाता है।
                                                                                                                   मूल नियम 68
अवकाश अवधि में अन्य व्यवसाय
बिना प्राधिकृत अधिकारी की पूर्व स्वीकृति प्राप्त किये कोई सरकारी सेवक अवकाश काल में कोई लाभप्रद व्यवसाय या नौकरी नहीं कर सकता है। नियमत: अवकाश काल में कोई भी राजकीय कर्मचारी अन्यत्र कोई सेवा धनोपार्जन के उद्देश्य से नहीं कर सकता जब तक कि इस संबंध में उसके द्वारा सक्षम अधिकारी से पूर्व स्वीकृति प्राप्त न कर ली जाये।
                                                                                                                   मूल नियम 69
स्वास्थ्य प्रमाण पत्र
चिकित्सा प्रमाण पत्र पर अवकाश का उपभोग करने के उपरान्त किसी भी कर्मचारी को सेवा में योगदान करने की अनुमति तब तक नहीं दी जा सकती जब तक कि उसके द्वारा निर्धारित प्रपत्र पर अपना स्वास्थ्य प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किया जाता। यदि सक्षम अधिकारी चाहे तो अस्वस्थता के आधार पर लिये गये किसी अन्य श्रेणी के अवकाश के मामले में भी उपरोक्त स्वास्थ्य प्रमाण पत्र माँग सकता है।
                                                                                                               मूल नियम 71
अवकाश की समाप्ति के उपरान्त अनुपस्थिति
यदि कोई राजकीय कर्मचारी अवकाश अवधि की समाप्ति के उपरान्त भी अनुपस्थित रहता है तो उसे ऐसी अनुपस्थिति की अवधि के लिए कोई अवकाश वेतन देय नहीं होगा और उक्त अवधि को उसके अवकाश लेखा खाते से यह मानते हुए घटा दिया जायेगा जैसे कि उक्त अवधि अर्ध औसत वेतन पर देय अवकाश थी, जब तक अवकाश अवधि शासन द्वारा बढ़ा न दी गयी हो। अवकाशोपरान्त जान बूझकर सेवा से अनुपस्थिति मूल नियम 15 के प्रयोजन हेतु दुर्व्यवहार माना जायेगा।
                                                                                                               मूल नियम 73
एक प्रकार के अवकाश के साथ/क्रम में दूसरे प्रकार के अवकाश की अनुमन्यता:-
किसी एक प्रकार के अवकाश को दूसरे प्रकार के अवकाश के साथ अथवा क्रम में स्वीकृत किया जा सकता है।
                                            (मूल नियम 81 ख(6), 83(4), सहायक नियम-157-क(5) तथा 154)
अवकाश वेतन
अर्जित अवकाश अथवा चिकित्सा अवकाश प्रमाण पत्र पर अवकाश पर जाने के ठीक पूर्व आहरित वेतन की दरों पर अवकाश वेतन अनुमन्य होता है। अवकाश अवधि में देय प्रतिकर भत्तों के भुगतान के संबंध में मूल नियम-93 तथा सहायक नियम 147, 149, 150 तथा 152 में व्यवस्था दी गई है। जो विशेष वेतन तथा प्रतिकर भत्ते किसी कार्य विशेष को करने के कारण देय होते हैं उन्हें अवकाश अवधि में देने का कोई औचित्य नहीं है परन्तु जो विशेष वेतन तथा भत्ते वैयक्तिक योग्यता के आधार पर देय होते हैं (स्नातकोत्तर भत्ता, परिवार कल्याण भत्ता, वैयक्तिक योग्यता भत्ता) अवकाश वेतन के साथ दिये जाने चाहिए। विशेष वेतन तथा अन्य भतों का भुगतान अवकाश अवधि के अधिकतम 120 दिन की सीमा तक अनुमन्य होगा।
                                                         (शासनादेश संख्या-सा-4-296/दस-88-216-19 दिनांक 8-3-88)
अवकाश प्रदान करने वाले प्राधिकारी को अवकाश के प्रकार में परिवर्तन करने का अधिकार नहीं है।
                            (मूल नियम 87-क तथा सहायक नियम 157 क से सम्बन्धित राज्यपाल के आदेश)

सरकारी सेवक जिन्हें अवकाश प्रदान नहीं किया जा सकता:-

  1. सरकारी सेवक को निलम्बन की अवधि में अवकाश प्रदान नहीं किया जा सकता।
                                                                                                                    मूल नियम 55
    2.सरकारी सेवक जिसे दुराचरण अथवा सामान्य अक्षमता के कारण सेवा से निकाला या हटाया जाना अपेक्षित हो को अवकाश स्वीकृत नहीं किया जाना चाहिए, यदि उस अवकाश के प्रभाव स्वरूप निकाले या हटाये जाने की स्थिति स्थगित हो जाती है।
                                                                                                                  सहायक नियम 101
अवकाश प्रार्थना पत्रों पर विचार
अवकाश प्रार्थना पत्रों पर निर्णय करते समय सक्षम अधिकारी निम्न बातों का ध्यान रखेंगे-
क- कर्मचारी जिसके बिना उस समय सरलता से कार्य चलाया जा सकता है।
ख- अन्य कर्मचारियों के अवकाश की अवधि।
ग- पिछली बाद लिये गये अवकाश से वापस आने के पश्चात सेवा की अवधि।
घ- किसी आवेदक को पूर्व में स्वीकृत अवकाश से अनिवार्य रूप से वापस तो नहीं बुलाया गया।
ड़- आवेदक को पूर्व में जनहित में अवकाश अस्वीकृत तो नहीं किया गया।
                                                                                                                सहायक नियम 99
1- अर्जित अवकाश
अर्जित अवकाश स्थायी तथा अस्थायी दोनो प्रकार के सरकारी सेवकों द्वारा समान रूप से अर्जित किया जाता है, तथा समान शर्तों के अधीन उन्हें स्वीकृत किया जाता है।
                                                                           मूल नियम 81-ख(1) सहायक नियम 157-क(1)
अवकाश अवधि व अर्जित अवकाश की प्रक्रिया
सरकारी सेवक के अर्जित अवकाश लेखों में पहली जनवरी को 16 दिन तथा पहली जुलाई को 15 दिन अग्रिम रूप में जमा किया जायेगा।
वेकेशनल विभागों के कर्मचारियों जैसे शिक्षकों द्वारा दीर्घावकाश(ग्रीष्मावकाश) का उपभोग करने पर उन्हें उस वर्ष में अनुमन्य 31 अर्जित अवकाश में से 30 दिन कम कर दिये जायेंगे अर्थात 1 ही अर्जित अवकाश देय होगा !
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अवकाश का हिसाब लगाते समय दिन के किसी अंश को निकटतम दिन पर पूर्णांकित किया जाता है, ताकि अवकाश का हिसाब पूरे दिन के आधार पर रहे।
किसी एक समय जमा अवकाश का अवशेष शासनादेश संख्या : सा-4-392/दस-94-203-86, दिनांक : 1 जुलाई, 1999 के अनुसार सरकारी सेवकों के अवकाश खाते में अर्जित अवकाश जमा करने की अधिकतम सीमा 300 दिन कर दी गयी है।
नियुक्ति होने पर प्रथम छ:माही में सेवा के प्रत्येक पूर्ण कैलेण्डर मास के लिए 2-1/2 (ढाई) दिन प्रतिमास की दर से अवकाश पूर्ण दिन के आधार पर जमा किया जाता है। इसी प्रकार मृत्यु सहित किसी भी कारण से सेवा से मुक्त होने वाली छ:माही में सेवा में रहने के दिनांक तक की गई सेवा के प्रत्येक पूर्ण कैलेण्डर मास के लिए 2-1/2 दिन प्रतिमास की दर से पूरे दिन के आधार पर अवकाश देय होता है।
जब किसी छ:माही में असाधारण अवकाश का उपभोग किया जाता है तो संबंधित सरकारी सेवक के अवकाश लेखे में अगली छ:माही के लिए जमा किये जाने वाला अवकाश असाधारण अवकाश की अवधि के 1/10 की दर से 15 दिन की अधिकतम सीमा के अधीन रहते हुए (पूरे दिन के आधार पर) अर्जित अवकाश कम कर दिया जाता है।
शासकीय ज्ञाप संख्या-सा-4-1071 एवं 1072/दस-1992-201/76 दिनांक 21 दिसम्बर 1992 मूल नियम 81 ख(1) एवं सहायक नियम 157-क(1)


अवकाश लेखा

अर्जित अवकाश के संबंध में सरकारी सेवकों के अवकाश लेखे प्रपत्र-11घ में रखे जायेंगे।
                                                                                                     मूल नियम-81 ख (1) (8)
अर्जित अवकाश की एक बार में स्वीकृत करने की अधिकतम सीमा
यदि सम्पूर्ण अवकाश भारत में व्यतीत किया जा रहा हो -120 दिन यदि सम्पूर्ण अवकाश भारत से बाहर व्यतीत किय जा रहा हो -180 दिन
                                                            मूल नियम-81 ख(दस) सहायक नियम 157(क)(1)(ग्यारह)
अवकाश वेतन
अवकाश काल में सरकारी सेवक को अवकाश पर प्रस्थान के ठीक पहले प्राप्त होने वाले वेतन के बराबर अवकाश वेतन ग्राह्य होता है।
प्रत्यावर्तित होने पर अवकाश वेतन
परन्तु यदि सरकारी सेवक उच्चतर वेतनमान वाले किसी पद से निम्न वेतनमान वाले किसी पद पर प्रत्यावर्तित किया जाय और वह प्रत्यावर्तन के दिनांक से छुट्टी पर चला जाय तो वह ऐसे वेतन के बराबर अवकाश वेतन का हकदार होगा जो नियमों के अधीन उसे, यदि वह छुट्टी पर न गया होता, अनुमन्य होता।
मूल नियम-87-क(1) तथा सहायक नियम 157-क(6)(क) शासनादेश संख्या-सा-4-1395/दस-88-200-76 दिनांक 13-10-1988 द्वारा प्रतिस्थापित तथा दिनांक 1-4-1978 से प्रभावी

अवकाश वेतन अग्रिम का भुगतान

शासकीय संख्या-ए-1-1668/दस-3-1(4)-65 दिनांक 13 अक्टूबर 1978 के अनुसार सरकारी कर्मचारियों का उनके अवकाश पर जाने के समय अवकाश वेतन अग्रिम धनराशि भुगतान करने की अनुमति निम्न शर्तों के अधीन दी जा सकती है:-

  1. यह अग्रिम धनराशि कम से कम 30 दिन से अधिक की अवधि के केवल अर्जित अवकाश या निजी कार्य पर अवकाश के मामले में देय होगी।
  2. यह अग्रिम धनराशि ब्याज रहित होगी।
  3. अग्रिम की धनराशि अन्तिम बार लिये गये मासिक वेतन, जिसमें मँहगाई भत्ता, अतिरिक्त मँहगाई भत्ता (अन्य भत्ते छोड़कर) भी सम्मिलित होंगे।
  4. उपरोक्त प्रस्तर एक में उल्लिखित प्रकार की अवधि यदि 30 दिन से अधिक और 120 दिन से अधिक न हो तो उस दशा में भी पूरा अवकाश अवधि का, लेकिन एक समय में केवल एक माह का अवकाश वेतन अग्रिम उपरोक्त प्रस्तर 3 में उल्लिखित दर से स्वीकृत किया जा सकता है।
  5. अवकाश वेतन अग्रिम से सामान्य कटौतियाँ कर ली जानी चाहिये।
  6. यह अग्रिम धनराशि स्थायी तथा अस्थायी सरकारी कर्मचारी को देय होगी। किन्तु अस्थायी कर्मचारी के मामले में यह धनराशि वित्तीय हस्त पुस्तिका खण्ड-पाँच भाग-1 के पैरा 242 में दी गई अतिरिक्त शर्तों के अधीन मिलेगी।
  7. राजपत्रित अधिकारियों को अग्रिम धनराशि लेने के लिए प्राधिकार पत्र की आवश्यकता नहीं होगी। भुगतान स्वीकृति के आधार पर किया जायेगा।
  8. वित्तीय हस्त पुस्तिका खण्ड-पाँच भाग-1 के पैरा 249 (ए) के अधीन सरकारी कर्मचारियों के लिए अग्रिम धनराशियां स्वीकृत करने के लिए सक्षम अधिकारी अवकाश वेतन का अग्रिम भी स्वीकृत कर सकता है। यह प्राधिकारी अपने लिए भी ऐसी अग्रिम धनराशि स्वीकृत कर सकता है।
  9. इस पूरी अग्रिम धनराशि का समायोजन सरकारी कर्मचारी के अवकाश वेतन के प्रथम बिल से किया जायेगा। यदि पूरी अग्रिम धनराशि का समायोजन इस प्रकार नहीं हो सकता है तो शेष धनराशि की वसूली वेतन या अवकाश वेतन से अगले भुगतान के समय की जायेगी।
अवकाश/अवकाश के नकदीकरण के लिये आवेदन पत्र
टिप्पणी :- (1) मद 1 से 10 तक की प्रविष्टियाँ सभी आवेदकों द्वारा, चाहे वे राजपत्रित अधिकारी हों अथवा अराजपत्रित कर्मचारी हों, भरी जायेंगी।
(2) मद 10 केवल अवकाश नकदीकरण के मामले पर लागू होगी।
1.आवेदक का नाम .......................................................
2. लागू अवकाश नियम .................................................
3. पदनाम ......................................................................
4. विभाग/कार्यालय ........................................................
5. वेतन ......................................................................... 
6. अवकाश किस दिनांक से किस दिनांक तक                        दिनांक............से ............तक अपेक्षित है 
तथा उसकी प्रकृति                                                                        प्रकृति ..................................
7. अवकाश मांगे जाने का कारण ...............................................
8. पिछली बार अवकाश किस दिनांक से किस दिनांक लिया गया था              दिनांक............से ........तक   तथा उसकी प्रकृति                                                                           प्रकृति .................................
9. अवकाश की अवधि में पता ..................................................
10. (क) 
(1) क्या एक मास/30 दिन/15 दिन के औसत वेतन पर अवकाश/अर्जित अवकाश का नकदीकरण अपेक्षित है? ....................................
(2) यदि हां, तो किस दिनांक को ................................................
     (ख) क्या चालू कैलेन्डर वर्ष में इसके पूर्व अवकाश के नकदीकरण की सुविधा प्राप्त हुई है? ...............

दिनांक:                                                                                               आवेदक के हस्ताक्षर

1- अग्रसारण अधिकारी की अभ्युक्ति/संस्तुति .......................................

        दिनांक:...............................हस्ताक्षर...............................पदनाम..............................


11.फाइनेन्शियल हैण्ड बुक खण्ड-2, (भाग 2 से 4) के सहायक नियम 81 के अनुसार प्राधिकारी की रिपोर्ट :-
(क) प्रमाणित किया जाता है कि फाइनेन्शियल हैण्ड बुक खण्ड-2, (भाग 2 से 4) के मूल नियम/सहायक नियम ................ के अधीन दिनांक .................... से .................... तक आवेदित अर्जित अवकाश/औसत वेतन पर अवकाश देय है।
(ख) प्रमाणित किया जाता है कि मद 10 पर अपेक्षित अवकाश के नकदीकरण का सुविधा देय तथा अनुमन्य हैं |
    दिनांक: ................................                हस्ताक्षर ................................          पदनाम

12.अवकाश तथा अवकाश का नकदीकरण स्वीकृत करने के लिये सक्षम प्राधिकारी के आदेश।

     दिनांक:...............................                             हस्ताक्षर...............................पदनाम

2- निजी कार्य पर अवकाश
निजी कार्य पर अवकाश अर्जित अवकाश की ही भांति तथा उसके लिये निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार प्रत्येक कैलेण्डर वर्ष के लिए 31 दिन 2 छ:माही किश्तों में जमा किया जाता है। नियुक्ति की प्रथम छ:माही तथा सेवा से पृथक होने वाली छ:माही के लिए, जमा होने वाले अवकाश का आगणन तथा असाधारण अवकाश के उपयोग करने पर अवकाश की कटौती विषयक प्रक्रिया भी वही है, जो अर्जित अवकाश के विषय में है।
अधिकतम अवकाश अवधि तथा देय अवकाश
स्थायी सरकारी सेवक

  1. यह अवकाश 365 दिन तक की अधिकतम सीमा के अधीन जमा किया जाता है
  2. सम्पूर्ण सेवाकाल में कुल मिलाकर 365 दिन तक का ही अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है।
  3. किसी एक समय में स्वीकृत की जा सकने योग्य अधिकतम सीमा निम्नानुसार-
पूरा अवकाश भारत में व्यतीत किये जाने पर -90 दिन पूरा अवकाश भारत से बाहर व्यतीत किये जाने पर -180 दिन

                                                                                                मूल नियम 81-ख (3)
                           शासकीय ज्ञाप संख्या-सा-4-1071/दस-1992-2001/76 दिनांक 21 दिसम्बर, 1992

अस्थायी सरकारी सेवक

सम्पूर्ण अस्थायी सेवाकाल में कुल मिलाकर 120 दिन तक का अवकाश प्रदान किया जा सकता है।
अस्थायी सेवकों को निजी कार्य पर अवकाश तब तक स्वीकार नहीं होता जब तक कि उनके द्वारा दो वर्ष की निरन्तर सेवा पूरी न कर ली गयी हो।
अस्थायी सरकारी सेवकों के अवकाश खातों में निजी कार्य पर अवकाश किसी अवसर पर 60 दिन से अधिक जमा नहीं होगा।
किसी सरकारी सेवक को एक बार में निजी कार्य पर अवकाश स्वीकृत किये जाने की अधिकतम अवधि साठ दिन होगी।
अवकाश स्वीकृति आदेश में अतिशेष अवकाश इंगित ‍किया जायेगा।
                                                                                                       सहायक नियम-157-क (3)
                              शासकीय ज्ञाप संख्या-सा-4-1072/दस-1992-2001/76 दिनांक 21 दिसम्बर, 1992

अवकाश लेखा

निजी कार्य पर अवकाश के संबंध में सरकारी सेवकों के अवकाश लेखे प्रपत्र 11-ङ, में रखे जायेंगे।
                                                                                                सहायक नियम-157-क(3)(दस)
अवकाश वेतन
निजी कार्य पर अवकाश काल में यह अवकाश वेतन मिलता है जो अर्जित अवकाश के लिए अनुमन्य होने वाले अवकाश वेतन की धनराशि के आधे के बराबर हो।
                                                               मूल नियम 87-क(2) तथा सहायक नियम 157-क(6) (ख)
3- चिकित्सा प्रमाण-पत्र पर अवकाश
स्थायी सेवक
सम्पूर्ण सेवाकाल में 12 माह तक का चिकित्सा प्रमाण-पत्र पर अवकाश नियमों द्वारा निर्दिष्ट चिकित्सकों द्वारा प्रदान किये गये चिकित्सा प्रमाण पत्र पर स्वीकार किया जा सकता है।
उपरोक्त 12 माह का अवकाश समाप्त होने के उपरान्त आपवादिक मामलों में चिकित्सा परिषद की संस्तुति पर सम्पूर्ण सेवाकाल में कुल मिलाकर 6 माह का चिकित्सा प्रमाण पत्र पर अवकाश और स्वीकार किया जा सकता है।
                                                                                                             मूल नियम 81-ख(2)
अस्थायी सेवक
ऐसे अस्थायी सेवकों को जो तीन वर्ष अथवा उससे अधिक समय से निरन्तर कार्यरत रहे हों तथा नियमित नियुक्ति और अच्छे आचरण आदि शर्तों को पूरा करते हों स्थायी सरकारी सेवकों के ही समान 12 महीने तक चिकित्सा प्रमाण पत्र पर अवकाश की सुविधा है, परन्तु 12 माह के उपरान्त स्थायी सेवकों को प्रदान किया जा सकने वाला 6 माह का अतिरिक्त अवकाश इन्हें अनुमन्य नहीं हैं।
शेष सभी अस्थायी सेवकों को चिकित्सा प्रमाण पत्र के आधार पर सम्पूर्ण अस्थायी सेवाकाल में चार माह तक अवकाश प्रदान किया जा सकता है।
प्राधिकृत चिकित्सा प्राधिकारी की संस्तुति पर सक्षम अधिकारी द्वारा साठ दिन तक की छुट्टी स्वीकृत की जा सकती है। इस अवधि से अधिक छुट्टी तब तक स्वीकृत नहीं की जा सकती, जब तक सक्षम अधिकारी को यह समाधान न हो जाये कि आवेदित छुट्टी की समाप्ति पर सरकारी कर्मचारी के कार्य पर वापस आने योग्य हो जाने की समुचित सम्भावना हो। यदि सरकारी कर्मचारी की बीमारी के उपचार के मध्य मृत्यु हो जाती है तो उसे सक्षम अधिकारी चिकित्सा अवकाश स्वीकृत करेगा यदि चिकित्सा अवकाश अन्यथा देय है।
                                                                              मूल नियम-81-ख(2)(2), सहायक नियम-87
                                             शासनादेश सं0-सा-4-525/दस-96-201/76 टी0सी0, दिनांक 19-8-1996
अवकाश वेतन
1- स्थायी सेवकों तथा तीन वर्षों से निरन्तर कार्यरत अस्थायी सेवकों को 12 माह तक की अवधि तथा शेष अस्थायी सेवकों को चार माह तक की अवकाश अवधि के लिये वह आवश्यक वेतन अनुमन्य होगा, जो उसे अर्जित अवकाश को उपभोग करने की दशा में अवकाश वेतन के रूप में देय होता
2- स्थायी सेवकों को 12 माह का अवकाश समाप्त होने के उपरान्त देय अवकाश के लिये अवकाश की दशा में अनुमन्य अवकाश वेतन की आधी धनराशि अवकाश वेतन के रूप में अनुमन्य होती है।
                                                                                                   मूल नियम 87-क (2)
                               शासकीय ज्ञाप संख्या-सा-4-1071/दस-1992-2001/76 दिनांक 21 दिसम्बर, 1992

चिकित्सा प्रमाण पत्र प्रदान करने हेतु अधिकृत चिकित्सकों का निर्धारण

अधिकारी/कर्मचारी
प्राधिकृत चिकित्सक समूह 'क' के अधिकारी
-
मेडिकल कालेज के प्रधानाचार्य/रोग से संबंधित विभाग के प्रोफेसर - मुख्य चिकित्सा अधिकारी - राजकीय अस्पताल के प्रमुख/मुख्य/वरिष्ठ अधीक्षक - राजकीय अस्पताल के मुख्य/वरिष्ठ कन्सल्टेंट/कन्सल्टेंट समूह 'ख' के अधिकारी
-
मेडिकल कालेज के रोग से संबंधित विभाग के प्रोफेसर/रीडर - राजकीय अस्पताल के प्रमुख/मुख्य/वरिष्ठ अधीक्षक - राजकीय अस्पताल के मुख्य/वरिष्ठ कन्सल्टेंट/ कन्सल्टेंट समूह 'ग' व 'घ' के कर्मचारी - मेडिकल कालेज के रोग से संबंधित विभाग के रीडर/लेक्चरर -
राजकीय चिकित्सालयों/औषधालयों/सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों/प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में कार्यरत समस्त श्रेणी के चिकित्साधिकारी
                                                           शासनादेश संख्या-761/45-7-1947 दिनांक 22, अप्रैल 1987
                                                             शासनादेश संख्या-865/5-7-949/76 दिनांक 6 मई, 1988

अराजपत्रित सरकारी कर्मचारियों के चिकित्सकीय प्रमाण पत्र पर अवकाश या अवकाश के प्रसार के लिए दिये गये आवेदन पत्र के साथ निम्न प्रपत्र पर किसी सरकारी चिकित्साधिकारी द्वारा दिया गया प्रमाण पत्र लगा देना चाहिए:-
                                                                             आवेदक के हस्ताक्षर........................................
मैं श्री ........................................................ के मामले की सावधानी से व्यक्तिगत परीक्षा करने पर प्रमाणित करता हूं कि श्री ......................................... जिनके हस्ताक्षर ऊपर दिये हुए हैं ........................... से पीड़ित हैं। रोग के इस समय वर्तमान लक्षण हैं ................................. /मेरी राय में रोग का कारण ............................है। आज की तिथि तक गिनकर रोग की अवधि .................................. दिनों की है। जैसा कि श्री ............................. से पूछने पर ज्ञात हुआ, रोग का पूर्ण विवरण निम्नलिखित है ...............................। मैं समझता हूँ कि पूर्णरूप से स्वास्थ्य लाभ करने के लिये दिनांक ...............से ................. तक की अवधि के लिए इनकी ड्यूटी से अनुपस्थिति नितान्त आवश्यक है।

                                                                                                                     चिकित्साधिकारी
                                                                                                                    सहायक नियम 95
श्रेणी 'घ' के सरकारी सेवकों के चिकित्सा प्रमाण पत्र के आधार पर अवकाश या अवकाश के प्रसार के लिए दिये गये आवेदन पत्र के समर्थन में अवकाश स्वीकृत करने वाले सक्षम प्राधिकारी जिस प्रकार के प्रमाण पत्र को पर्याप्त समझें स्वीकार कर सकते हैं।
                                                                                                                     सहायक नियम 98
उस सरकारी कर्मचारी से जिसने एशिया में चिकित्सीय प्रमाण पत्र पर अवकाश लिया हो ड्यूटी पर लौटने से पूर्व निम्नलिखित प्रपत्र पर स्वस्थता के प्रमाण पत्र को प्रस्तुत करने की अपेक्षा की जायेगी -
हम/मैं ............................................. एतद् द्वारा यह प्रमाणित करता हूँ कि हमने/मैंने ..................... विभाग के श्री.............................................. की सावधानी से परीक्षा कर ली है और यह पता लगा है कि वह अब अपनी बीमारी से मुक्त हो गये हैं और सरकारी सेवा में ड्यूटी पर लौटने के योग्य हैं।
हम/मैं यह भी प्रमाणित करते हैं/करता हूँ कि उपयुक्त निर्णय पर पहुँचने के पूर्व हमने/मैंने मूल चिकित्सीय प्रमाण-पत्र का तथा मामले के विवरण का (अथवा अवकाश स्वीकृत करने वाले अधिकारी द्वारा प्रमाणित प्रतिलिपियों का) जिसके आधार पर अवकाश स्वीकृत किया गया था निरीक्षण कर लिया है तथा अपने निर्णय पर पहुँचने के पूर्व इन पर विचार कर लिया है।
                                                                                                                  सहायक नियम 43क
राजपत्रित अधिकारी का चिकित्सा प्रमाण पत्र अवकाश या उसके प्रसार के लिए सहायक नियम 89 में उल्लिखित प्रपत्र में प्रमाण-पत्र प्राप्त करना चाहिए। प्राधिकृत चिकित्सा-प्रमाण पत्र अवकाश या उसके प्रसार के लिये सहायक नियम 89 में उल्लिखित प्रपत्र में प्रमाण-पत्र प्राप्‍त करना चाहिए। प्राधिकृत चिकित्साधिकारी यह प्रमाणित कर दें कि उनकी राय में प्रार्थी को चिकित्सा परिषद के समक्ष उपस्थित होने की आवश्यकता नहीं है। जब प्राधिकृत चिकित्सा अधिकारी द्वारा प्रदत्त प्रमाण-पत्र में सरकारी सेवक के चिकित्सा परिषद के समक्ष उपस्थित होने की संस्तुति की जाय अथवा संस्तुत अवकाश की अवधि तीन माह से अधिक हो या तीन माह या उससे कम अवकाश को तीन माह से आगे बढ़ाया जाये तो संबंधित राजपत्रित सरकारी सेवक को उपरोक्त वर्णित प्रमाण-पत्र प्राप्त करने के बाद अपने रोग के विवरण-पत्र की दो प्रतियां लेकर चिकित्सा परिषद के सम्मुख उपस्थित होना होता है।
                                                                                                         सहायक नियम 89 तथा 90
ऐसे प्रकरणों में जहां संस्तुत अवकाश की अवधि तीन माह से अधिक हो या तीन माह या उससे कम हो अवकाश को तीन माह से आगे बढ़ाया जाये, चिकित्सा परिषद , द्वारा चिकित्सा प्रमाण पत्र प्रदान करते समय उल्लेख कर दिया जाना चाहिए कि संबंधित अधिकारी को ड्यूटी पर लौटने के लिए वांछित स्वस्थता प्रमाण-पत्र प्राप्त करने के लिये पुन: परिषद के समक्ष उपस्थित होना है या वह उस प्रमाण पत्र को प्राधिकृत चिकित्सा अधिकारी से प्राप्त कर सकता है।
                                                                                                       सहायक नियम 91 की टिप्पणी
4- मातृत्व (प्रसूति) अवकाश
प्रसूति अवकाश स्थायी अथवा अस्थायी महिला सरकारी सेवकों को निम्न दो अवसरों पर प्रत्येक के सम्मुख अंकित अवधि के लिए निर्धारित शर्तों के अधीन प्रदान किया जाता है।
1- प्रसूति के सन्दर्भ में
प्रसूतावस्था पर अवकाश प्रारम्भ होने के दिनांक से 180 दिन तक।
यदि किसी महिला सरकारी सेवक के दो या अधिक जीवित बच्चे हो तो उसे प्रसूति अवकाश स्वीकृत नहीं किया जा सकता, भले ही उसे अवकाश अन्यथा देय हो। फिर भी यदि महिला सरकारी सेवक के दो जीवित बच्चों में से कोई एक बच्चा जन्म से किसी असाध्य रोग से पीड़ित हो या विकलांग या अपंग हो अथवा बाद में उक्त स्थिति उत्पन्न हो गयी हो तो उसे अपवाद स्वरूप एक अतिरिक्त प्रसूति अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है, परन्तु प्रसूति अवकाश सम्पूर्ण सेवाकाल में तीन अवसरों से अधिक स्वीकृत नहीं किया जायेगा।
अन्तिम बार स्वीकृत प्रसूति अवकाश के समाप्त होने के दिनांक से दो वर्ष व्यतीत हो चुके हों, तभी दुबारा प्रसूति अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है।
2- गर्भपात के सन्दर्भ में
गर्भपात के मामलों में जिसके अन्तर्गत गर्भस्त्राव भी है प्रत्येक अवसर पर 6 सप्ताह तक का अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है।
अवकाश के प्रार्थना पत्र के समर्थन में प्राधिकृत चिकित्सक का प्रमाण पत्र संलग्न किया जाना चाहिये।
गर्भपात/गर्भस्त्राव के प्रकरणों में अनुमन्य मातृत्व अवकाश के सम्बन्ध में अधिकतम तीन बार अनुमन्य होने का प्रतिबन्ध शासन के पत्रांक संख्या-4-84/दस-90-216-79 दिनांक 3 मई, 1990 द्वारा समाप्त कर दिया गया है।
                                                                                    मूल नियम 101 एवं सहायक नियम 153
                                                               शा0देश सं0: जी-4-394-दस-216-79, दिनांक 4 जून, 1990
प्रसूति अवकाश को किसी प्रकार के अवकाश लेखे से नहीं घटाया जाता है तथा अन्य प्रकार की छुट्टी के साथ मिलाया जा सकता है।
                                                                                                               सहायक नियम 154
अवकाश वेतन
प्रसूति अवकाश की अवधि में अवकाश पर प्रस्थान करने के ठीक पहले प्राप्त वेतन के बराबर अवकाश वेतन अनुमन्य होता है।
                                                                                                                सहायक नियम 153
5- असाधारण अवकाश
असाधारण अवकाश निम्न विशेष परिस्थितियों में स्वीकृत किया जा सकता है-
जब अवकाश नियमों के अधीन कोई अन्य अवकाश देय न हो।
अन्य अवकाश देय होने पर भी संबंधित सरकारी सेवक असाधारण अवकाश प्रदान करने के लिए आवेदन करे।
यह अवकाश लेखे से नहीं घटाया जाता है।
                                                                                                                      मूल नियम 85
स्थायी सरकारी सेवक
स्थायी सरकारी सेवक को असाधारण अवकाश किसी एक समय में मूल नियम 18 के उपबन्धों के अधीन अधिकतम 5 वर्ष तक की अवधि के लिए स्वीकृत किया जा सकता है।
किसी की अन्य प्रकार के अवकाश के क्रम में स्वीकृत किया जा सकता है।
                                                                                                                   मूल नियम 81-ख (6)
अस्थायी सरकारी सेवक
अस्थायी सरकारी सेवक को देय असाधारण अवकाश की अवधि किसी एक समय में निम्नलिखित सीमाओं से अधिक न होगी :-

  • तीन मास
  • छ: मास यदि संबंधित सरकारी सेवक ने तीन वर्ष की निरन्तर सेवा अवकाश अवधि सहित पूरी कर ली हो तथा अवकाश के समर्थन में नियमों के अधीन अपेक्षित चिकित्सा प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया हो।
  • 18 मास-यदि संबंधित सरकारी सेवक ने एक वर्ष की निरन्तर सेवा पूरी कर ली हो और वह क्षय रोग अथवा कुष्ठ रोग का उपचार करा रहा हो।
  • चौबीस मास-सम्पूर्ण अस्थायी सेवा की अवधि में 36 मास की अधिकतम सीमा के अधीन रहते हुए जनहित में भारत अथवा विदेश में अध्ययन करने के लिए इस प्रतिबन्ध के अधीन देय है कि संबंधित सेवक ने तीन वर्ष की निरन्तर सेवा पूरी कर ली है।
                                                                                                      सहायक नियम 157 क (4)
अवकाश वेतन
असाधारण अवकाश की अवधि के लिए कोई अवकाश वेतन देय नहीं है।
                                                               मूल नियम 85, 87(क) (4) एवं सहायक नियम 157क(6)(ग)
6- चिकित्सालय अवकाश
अधीनस्थ सेवाओं के कर्मचारियों को, जिनकी ड्यूटी में दुर्घटना या बीमारी का विशेष खतरा हो, अस्वस्थता के कारण अवकाश प्रदान किया जा सकता है।
                                                                                                                     मूल नियम-101
चिकित्सालय अवकाश उस प्राधिकारी के द्वारा प्रदान किया जा सकता है जिसका कर्तव्य उस पद को (यदि वह रिक्त हो) भरने का होता है।
यह अवकाश उन्हीं सरकारी सेवकों को देय है जिनका वेतन रू0 1180 प्रति मास से अधिक न हो। (पुराने वेतनमान में)
ऐसे समस्त स्थायी अथवा अस्थायी सरकारी सेवकों, जिन्हें अपने कर्तव्यों के कारण खतरनाक मशीनरी, विस्फोटक पदार्थ, जहरीली गैसें अथवा औषधियों आदि से काम करना पड़ता है अथवा जिन्हें अपने कर्तव्यों, जिनका उल्लेख सहायक नियम 155 के उप नियम (5) में है के कारण दुर्घटना अथवा बीमारी का विशेष जोखिम उठाना पड़ता है, को शासकीय कर्तव्यों के परिपालन के दौरान दुर्घटना या बीमारी से ग्रसित होने पर चिकित्सालय/औषधालय में भर्ती होने पर अथवा वाह्य रोगी के रूप में चिकित्सा कराने हेतु प्रदान किया जाता है।
यह अवकाश चाहे एक बार में लिया जाये अथवा किश्तों में किसी भी दशा में तीन वर्ष की कालावधि में छ: माह से अधिक स्वीकृत नहीं की जायेगी।
                                                                                                               सहायक नियम 155
चिकित्सालय अवकाश को अवकाश लेखे से नहीं घटाया जाता है तथा इसे अन्य देय अवकाश से संयोजित किया जा सकता है, परन्तु शर्त यह है कि कुल मिलावट अवकाश अवधि 28 माह से अधिक नहीं होगी।
                                                                                                                सहायक नियम 156
अवकाश वेतन
चिकित्सालय अवकाश अवधि के पहले तीन माह तक के लिए वही अवकाश वेतन प्राप्त होता है जो वेतन अवकाश पर प्रस्थान करने के तुरन्त पूर्व प्राप्त हो रहा हो। तीन माह से अधिक की शेष अवधि के लिये गये अवकाश वेतन उक्त दर के आधे के हिसाब से दिया जाता है।
                                                                                                              सहायक नियम 155 (3)
7- अध्ययन अवकाश
जन स्वास्थ्य तथा चिकित्सा अन्वेषण विभागों, पशुपालन विभाग, कृषि विभाग, शिक्षा विभाग, सार्वजनिक निर्माण विभाग तथा वन विभागों में कार्यरत् स्थायी सरकारी सेवकों को जनहित में किन्हीं वैज्ञानिक, प्राविधिक अथवा इसी प्रकार की समस्याओं के अध्ययन या विशेष पाठ्यक्रम को पूरा करने के लिए निर्धारित शर्तों के अधीन अध्ययन अवकाश दिया जा सकता है। शासन द्वारा इन नियमों को उपर्युक्त विभागों से भिन्न किसी भी अन्य सरकारी कर्मचारी के ऊपर भी लागू किया जा सकता है जिसके मामले में उनकी यह राय हो कि अध्ययन के किसी विशेष पाठ्यक्रम को पूरा करने के लिये अथवा किसी वैज्ञानिक या तकनीकी प्रकार के अन्वेषण के लिये जनहित में अवकाश स्वीकृत करना चाहिए।
यह अवकाश भारत में अथवा भारत क बाहर अध्ययन करने के लिए स्वीकृत किया जा सकता है। जिन सरकारी सेवकों ने पांच वर्ष से क्रम सेवा की हो अथवा जिन्हें सेवानिवृत्ति होने का विकल्प देने को तीन वर्ष या उससे कम समय रह गया हो, उनको अध्ययन अवकाश साधारणतया प्रदान नहीं किया जाता है।
एक बार में बारह माह के अवकाश को साधारणतया उचित अधिकतम सीमा माना जाना चाहिए तथा केवल साधारण कारणों को छोड़कर इससे अधिक अवकाश किसी एक समय में नहीं दिया जाना चाहिए।
सम्पूर्ण सेवा अवधि में कुल मिलाकर 2 वर्ष तक का अध्ययन अवकाश प्रदान किया जा सकता है।
असाधारण अवकाश या चिकित्सा प्रमाण-पत्र पर अवकाश को छोड़कर अन्य प्रकार के अवकाश को अध्ययन अवकाश के साथ मिलाये जाने की दशा में सकल अवकाश अवधि के परिणाम स्वरूप संबंधित सरकारी सेवक की अपनी नियमित ड्यूटी से अनुपस्थिति 28 महीने से अधिक नहीं होनी चाहिए।
अवकाश वेतन
अध्ययन अवकाश काल में अर्द्ध वेतन अनुमन्य होता है।
                                                                                    मूल नियम 84 एवं सहायक नियम 146क
8- विशेष विकलांगता अवकाश
राज्यपाल किसी ऐसे स्थायी अथवा अस्थायी सरकारी सेवक को जो किसी के द्वारा जानबूझ कर चोट पहुँचाने के फलस्वरूप अथवा अपने सरकारी कर्तव्यों के उचित पालन में या उसके फलस्वरूप चोट लग जाने अथवा अपनी अधिकारीय स्थिति के परिणाम स्वरूप चोट लग जाने के कारण अस्थायी रूप में विकलांग हो गया हो, को विशेष विकलांगता अवकाश प्रदान कर सकते हैं।
अवकाश तभी स्वीकृत किया जा सकता है जबकि विकलांगता, उक्त घटना के दिनांक से तीन माह के अन्दर प्रकट हो गई हो तथा संबंधित सेवक ने उसकी सूचना तत्परता से यथासम्भव शीघ्र दे दी हो। राज्यपाल विकलांगता के बारे में संतुष्ट होने की दशा में घटना के तीन माह के पश्चात् प्रकट हुई विकलांगता के लिए भी अवकाश प्रदान कर सकते हैं।
किसी एक घटना के लिए एक बार से अधिक बार भी अवकाश प्रदान किया जा सकता है। विकलांगता बढ़ जाये अथवा भविष्य में पुन: वैसी ही परिस्थितियाँ प्रकट हो जाय तो अवकाश ऐसे अवसरों पर एक से अधिक बार भी प्रदान किया जा सकता है।
अवकाश चिकित्सा परिषद द्वारा दिये गये चिकित्सा प्रमाण-पत्र के आधार पर प्रदान किया जा सकता है तथा अवकाश की अवधि चिकित्सा परिषद द्वारा की गयी संस्तुति पर निर्भर रहती है, परन्तु यह चौबीस महीने से अधिक नहीं होगी।
अवकाश वेतन 
चार महीने पूर्ण औसत वेतन तथा शेष अवधि में अर्द्ध औसत वेतन पर।
                                                                                                            मूल नियम 83 तथा 83 क
9- लघुकृत अवकाश
लघुकृत अवकाश अलग से कोई अवकाश नहीं है। मूल नियम 84 के अधीन उच्चतर वैज्ञानिक, प्राविधिक या इसी प्रकार की समस्याओं के अध्ययन के लिये या विशेष पाठ्यक्रम को पूरा करने के लिये अध्ययन अवकाश पर जाने वाले स्थायी सरकारी सेवकों के विकल्प पर उनको निजी कार्य पर अवकाश स्वीकृत किये जाने योग्य जमा कुल अवकाश का आधा अवकाश लघुकृत अवकाश के रूप में स्वीकृत किया जा सकता है।
यह अवकाश एशिया में 45 दिन तथा एशिया के बाहर 90 दिन तक एक बार में स्वीकृत किया जा सकेगा।
जितनी अवधि के लिये लघुकृत अवकाश स्वीकृत किया जाता है उसकी दुगुनी अवधि उसके निजी कार्य पर अवकाश खाते में जमा अवकाश में से घटा दी जाती है। किसी एक बार स्वीकृत‍ किये जाने वाले अवकाश की अधिकतम अवधि निजी कार्य पर अवकाश की स्वीकृति हेतु निर्धारित अधिकतम अवकाश के आधे के बराबर है।
यह अवकाश तभी स्वीकृत किया जायेगा जब स्वीकर्ता अधिकारी को यह समाधान हो जाये कि अवकाश समाप्ति पर सरकारी कर्मचारी सेवा में वापस आयेगा।
                                                                                                                  मूल नियम 81-ख(4)
अवकाश वेतन
अर्जित अवकाश की तरह अवकाश पर जाने से ठीक पहले प्राप्त वेतन अवकाश वेतन के रूप में अनुमन्य है।
                                                                                                                मूल नियम 87-क(4)

(II) मैनुअल आफ गवर्नमेंट आर्डर, उत्तर प्रदेश के अध्याय 142 के अधीन अवकाश
आकस्मिक अवकाश, विशेष अवकाश तथा प्रतिकर अवकाश

वित्तीय हस्त पुस्तिका खण्ड-दो (भाग 2 से 4) के सहायक नियम 201 के अनुसार आकस्मिक अवकाश को अवकाश की मान्यता नही है और न यह किसी नियम के अधीन है। आकस्मिक अवकाश पर सरकारी कर्मचारी को ड्यूटी से अनुपस्थित नहीं माना जाता और वेतन देय होता है।
मैनुअल आफ गवर्नमेंट आर्डर, उत्तर प्रदेश के अध्याय 142 में आकस्मिक अवकाश, विशेष अवकाश और प्रतिकर अवकाश से संबंधित नियम दिये गये हैं।
प्रस्तर 1081 - आकस्मिक अवकाश के दौरान कार्य का उत्तरदायित्व
आकस्मिक अवकाश को मूल नियम के अन्तर्गत मान्यता प्राप्त नहीं है। इसलिए आकस्मिक अवकाश की अवधि में सरकारी सेवक सभी प्रयोजनों के लिए ड्यूटी पर माना जाता है।
आयस्मिक अवकाश के दौरान किसी प्रतिस्थानी की तैनाती नहीं की जायेगी।
यदि कार्यालय के कार्य में किसी प्रकार का व्यवधान होता है तो आकस्मिक अवकाश स्वीकृत करने वाला अधिकारी तथा लेने वाला कर्मचारी इसके लिए उत्तरदायी होगा।
प्रस्तर 1082-आकस्मिक अवकाश की सीमा

एक कैलेण्डर वर्ष में सामान्यतया 14 दिन का आकस्मिक अवकाश दिया जा सकता है।
एक समय में 10 दिन से अधिक का आकस्मिक अवकाश विशेष परिस्थितियों में ही दिया जाना चाहिए।
आकस्मिक अवकाश के साथ रविवार एवं अन्य छुट्टियों को सम्बद्ध किये जाने की स्वीकृति दी जा सकती है।
रविवार, छुट्टियों एवं अन्य अकारी दिवस यदि आकस्मिक अवकाश के बीच में पड़ते हैं तो उन्हें जोड़ा नही जायेगा।
विशेष आकस्मिक अवकाश
विशेष परिस्थितियों में कुछ दिन का विशेष अवकाश दिया जा सकता है। परन्तु इस अधिकार का प्रयोग बहुत कम और केवल उसी दशा में किया जाना चाहिए जबकि ऐसा करने के लिए पर्याप्त औचित्य हो।
                                                       शासनादेश सं0: 1094/बी-181/1957, दिनांक: 21 जुलाई, 1962
1- लिपिक वर्गीय कार्मिकों के अतिरिक्त अन्य को दिए गए विशेष अवकाशों की सूचना सकारण प्रशासकीय विभाग को भेजनी होगी।
2- शा0सं0 बी-820/दो-बी-ज 55, दिनांक 27-12-1955 तथा एम0जी0ओ0 का पैरा 882 व 1087 - राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय खेलकूद में भाग लेने के लिए चयनित खिलाड़ियों को 30 दिन का विशेष आकस्मिक अवकाश दिया जा सकता है।
3- मान्यता प्राप्त सेवा संघों/परिसंघों के अध्यक्ष एवं सचिव को एक कैलेण्डर वर्ष में अधिकतम 07 दिन का तथा कार्यकारिणी के सदस्यों का अधिकतम 04 दिन का विशेष आकस्मिक अवकाश देय होगा। कार्यकारिणी के उन्हीं सदस्यों को यह सुविधा अनुमन्य होगी जो बैठक के स्थान से बाहर से आये।
    (शा0सं0-1694/का-1/83, दिनांक 5-7-83 तथा 1847/का-4-ई-एक-81-83, दिनांक 4-10-83)                                                                    
प्रस्तर 1083 - आकस्मिक अवकाश पर मुख्यालय छोड़ने की पूर्व अनुमति
आकस्मिक अवकाश लेकर मुख्यालय छोड़ने की दशा में सक्षम अधिकारी की पूर्व स्वीकृति आवश्यक है।
अवकाश अवधि में पता भी सूचित किया जाना चाहिए।
प्रस्तर 1084 - समुचित कारण
आकस्मिक अवकाश समुचित कारण के आधार पर ही स्वीकृत किया जाना चाहिए।
सरकारी दौरे पर रहने की दशा में आकस्मिक अवकाश लेने पर उस दिन का दैनिक भत्ता अनुमन्य नहीं है।
प्रस्तर 1085 - सक्षम अधिकारी
आकस्मिक अवकाश केवल उन्हीं अधिकारियों द्वारा स्वीकृत किया जा सकता है जिन्हें शासनादेशों के द्वारा समय-समय पर अधिकृत किया गया है। किसी भी प्रकार का संशय होने पर अपने प्रशासनिक विभाग को सन्दर्भ भेजा जाना चाहिये।
प्रस्तर 1086 - आकस्मिक अवकाश रजिस्टर
आकस्मिक अवकाश स्वीकृत करने वाले सक्षम अधिकारी द्वारा आकस्मिक अवकाश तथा निर्बन्धित अवकाश का लेखा निम्न प्रारूप पर अनिवार्य रूप से रखा जायेगा। इस रजिस्टर का परीक्षण निरीक्षणकर्ता अधिकारियों द्वारा समय-समय पर किया जायेगा। 

कर्मचारी का नामस्वीकृत किया गया आकस्मिक अवकाश

निर्बन्धित अवकाश
पदनाम14    13    12    11   ..............................2           1
प्रस्तर 1087 - विशेष आकस्मिक अवकाश की स्वीकृति
निम्नलिखित मामलों में सरकारी सेवकों को विशेष आकस्मिक अवकाश स्वीकृत किये जाने की व्यवस्था की गयी है:-

1-विश्वविद्यालय सीनेट के सदस्य
 -
यात्रा समय सहित बैठक की अवधि तक के लिये
2-परिवार नियोजन, नसबन्दी (पुरूष)-6 कार्य दिवस
3-नसबन्दी (महिला)-14 कार्य दिवस
4-वैज्ञानिकों, अधिकारियों को किसी वर्कशाप/ सेमिनार में शोध पत्र पढ़ने हेतु-यात्रा समय सहित वर्कशाप की अवधि

प्रस्तर 1088 - भारतवर्ष से बाहर जाने के लिए अवकाश
भारतवर्ष से बाहर जाने के लिये आवेदित किये गये अवकाश (आकस्मिक अवकाश सहित) की स्वीकृति सक्षम अधिकारी द्वारा शासन की पूर्वानुमति के नहीं दी जायेगी।
प्रस्तर 1089 - प्रतिकर अवकाश

  • अराजपत्रित कर्मचारी को उच्चतर प्राधिकारी के आदेशों के अधीन छुट्टियों में अतिरिक्त कार्य को निपटाने के लिए बुलाये जाने पर प्रतिकर अवकाश दिया जायेगा।
  • यदि कर्मचारी ने आधे दिन काम किया है तो उसे आधे दिन मिलाकर एक प्रतिकर अवकाश दिया जायेगा।
  • अवकाश के दिन स्वेच्छा से आने वाले कर्मचारी को यह सुविधा उपलब्ध नहीं है।
  • प्रतिकर अवकाश का देय तिथि से एक माह के अन्दर उपभोग कर लिया जाना चाहिये।
  • यदि ज्यादा कर्मचारियों को प्रतिकर अवकाश दिया जाना है तो सरकारी कार्य में बाधा न पड़ने की दृष्टि से एक महीने की शर्त को शिथिल किया जा सकता है।
  • दो दिन से अधिक प्रतिकर अवकाश एक साथ नहीं दिया जायेगा।
  • आकस्मिक अवकाश स्वीकृत करने वाला अधिकारी प्रतिकर अवकाश की स्वीकृति के लिए सक्षम है। यह अवकाश केवल अराजपत्रित कर्मचारियों को देय है।
  • यदि उस दिन का सवारी भत्ता भुगतान किया जाता है तो यह अवकाश देय नहीं होगा |
सन्दर्भ :-
वित्तीय हस्तपुस्तिका खण्ड-दो (भाग 2 से 4) में वर्णित मूल नियम 58 से 104 एवं सहायक नियम 35 से 172
उ0प्र0 फण्डामेन्ट्स (प्रथम संशोधन) नियमावली, 1992
उ0प्र0 सब्सीडियरी (अमेंन्उमेंट) नियमावली, 1992
उ0प्र0 सब्सीडियरी (प्रथम संशोधन) नियमावली, 1996
उ0प्र0 सब्सीडियरी (द्वितीय संशोधन) नियमावली, 1990
समय-समय पर निर्गत शासनादेश। 





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Thursday, June 1, 2017

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UPTET SARKARI NAUKRI News - - कोर्ट से राहत , पति पत्नी सरकारी शिक्षक होने पर ट्रांसफर हेतु तीन साल की मिनिमम अवधि पूर्ण करने की बाध्यता से राहत व् विचार, पत्नी को पति की पोस्टिंग के समीपस्थ स्थान पर ट्रांसफर हेतु सचिव को विचार करने का निर्देश

UPTET SARKARI NAUKRI   News - 



कोर्ट से राहत , पति पत्नी सरकारी शिक्षक होने पर 
पत्नी को पति की पोस्टिंग के समीपस्थ स्थान पर ट्रांसफर हेतु सचिव को विचार करने का निर्देश 


शिक्षिका ने 16 मार्च 2016 को नियुक्ति ग्रहण की थी और 3 वर्ष का मिनिमम सेवा काल पूर्ण नहीं किया था ,
लेकिन कोर्ट ने ट्रांसफर नीति को देखते हुए सचिव को आदेश जारी किया 




HIGH COURT OF JUDICATURE AT ALLAHABAD 


?Court No. - 7 

Case :- WRIT - A No. - 51054 of 2016 

Petitioner :- Amra Bano 
Respondent :- State Of U.P. And 3 Ors. 
Counsel for Petitioner :- Jitendra Kumar Mishra 
Counsel for Respondent :- C.S.C.,Sanjay Kumar Singh,Shashi Kant Verma 

Hon'ble Shri Narayan Shukla,J. 
Heard Mr. Jitendra Kumar Mishra, learned counsel for the petitioner as well as Mr. Shashi Kant Verma, learned counsel for the respondent nos.1, 2 & 4 and Mr. Sanjay Kumar� Singh, learned counsel for the respondent no.3. 
The petitioner being a Teacher in Primary School, Majhpurwa, Block Tal Gram, District-Kannauj has sought her transfer from District Kannauj to District Farrukhabad. The petitioner had joined the service in primary school on 16.03.2016, whereas the transfer policy does not permit inter-district transfer within three years of service, therefore, the petitioner's request of transfer from one district to another district being in violation of government transfer policy dated 23.06.2016 cannot be accepted. 


At this stage, learned counsel for the petitioner has submitted a request to consider the petitioner's transfer, may be, within the district at nearest place of posting of her husband, who is posted as a teacher in district Farrukhabad. District Kannauj and district Farrukhabad both are adjoining districts. 

I am of the view that such type of a request may be considered by the respondent no.1 i.e. Secretary, Basic Shiksha Parishad, Allahabad, therefore, it would be appropriate to dispose of the writ petition with direction to the respondent no.1 to consider the petitioner's claim and take decision within one month from the date of communication of this order. 
The writ petition is, accordingly, disposed of finally. 
Order Date :- 25.10.2016 
Anupam S/- 
(Shri Narayan Shukla,J.) 


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यू पी राजकीय इंटर कॉलेज शिक्षक व् शिक्षिका पत्नी को एक स्थान पर ट्रांसफर देने पर निर्णय करने का कोर्ट का निर्देश

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HIGH COURT OF JUDICATURE AT ALLAHABAD 

?Court No. - 37 

Case :- WRIT - A No. - 10383 of 2017 

Petitioner :- Smt. Manju Singh 
Respondent :- State Of U.P. And 3 Others 
Counsel for Petitioner :- Harish Chandra Singh,Namit Srivastava 
Counsel for Respondent :- C.S.C. 

Hon'ble Vikram Nath,J. 
Hon'ble Daya Shankar Tripathi,J. 
Heard learned counsel for the petitioner and learned Standing Counsel for the State respondents. 
The petitioner is working as Lecturer (Sanskrit) in Government Degree College, District Kasganj (Kansi Ram Nagar). Her husband is also a Lecturer in Government Inter College, Banda. 
The petitioner has accordingly applied for transfer to Government Degree College at Banda. It is also the case of the petitioner that her husband has applied for transfer at Kasganj in Government Inter College. But till date, the Directorate and the Department both have not taken any action, as a result of which they are separated and facing hardship and their children are also not being well looked after. 
Learned counsel for the petitioner submitted that it is the policy of the State to keep the husband and wife, working for the Government posted at the same place. The representation filed by the petitioner before the Principal Secretary, Higher Education dated 15.02.2017 (Annexure No.14 to the writ petition) is said to be still pending without any order. 
Considering the facts and circumstances of the case, we dispose of this petition with a direction to respondent No.1 to take an appropriate decision on the pending representation of the petitioner, in accordance with law, within a period of six weeks from the date of production of certified copy of this order. 
Order Date :- 7.3.2017 

atul 


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UPTET SARKARI NAUKRI News - - 2016 में ट्रांसफर के ऑनलाइन आवेदन में क्या नियम प्राथमिकताएं थी , और नियमो को दरकिनार करने पर कोर्ट ने शिक्षिका पत्नी को पति के स्थान आगरा में ट्रांसफर की राहत दी

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2016 में ट्रांसफर के ऑनलाइन आवेदन में क्या नियम प्राथमिकताएं थी , और नियमो को दरकिनार करने पर कोर्ट ने शिक्षिका पत्नी को पति के स्थान आगरा में ट्रांसफर की राहत दी 




HIGH COURT OF JUDICATURE AT ALLAHABAD 

?Court No. - 7 
Case :- WRIT - A No. - 48327 of 2016 
Petitioner :- Sunita Rani 
Respondent :- State Of U.P. And 2 Ors. 
Counsel for Petitioner :- Seemant Singh 
Counsel for Respondent :- C.S.C.,Ashok Kumar Yadav 

Hon'ble Manoj Misra,J. 
Heard learned counsel for the petitioner; learned Standing Counsel for respondents 1 and 2; and Sri Sanjay Kumar Srivastava for respondent no. 3. 
Considering the nature of the order that is being passed, this Court does not find it necessary to call for counter affidavits from the respondents as it would serve no useful purpose, therefore, with the consent of learned counsel for the parties, this petition is being disposed of finally. 
The petitioner is a teacher under the U.P. Basic Shiksha Parishad. For inter district transfer of teachers under the U.P. Basic Shiksha Parishad, a detailed transfer policy was notified / vide circular dated 23.6.2016

Under the transfer policy a candidate interested in transfer was required to submit application online giving option of five districts where he or she wanted posting by way of transfer. According to the petitioner, pursuant to the above transfer policy, she submitted online application, which was assigned no. 1711222, seeking transfer from Etah to any school in Agra or Firozabad. The options 1 to 4 were in respect of being posted at Agra whereas the 5th option was for posting in Firozabad. 


The case of the petitioner is that under paragraph 3(6) of the notification /circular dated 23.6.2016, a priority was laid for considering posting of a candidate when, in respect of a particular place, more applications than vacancies are received. 

According to sub clause (6) of Clause 3, priority is to be provided as follows:
 (1) first priority to physically handicapped candidate; 
(2) second to candidates suffering from specified diseases; 
(3) third to a widow; 
(4) fourth to an Ex-servicemen or an Ex-employee belonging to specified category; 
(5) fifth to a candidate who is either husband or wife and both of them are teachers under the U.P. Basic Shiksha Parishad, and seek posting in a common district; 
(6) sixth to a candidate who is either husband or and wife and both of them are in government service and they seek posting at common place; and
 (7) where a candidate applies for posting in the home town district.

 The policy further provides that where applications of candidates belonging to a single category are received in excess of the vacant posts, then candidate older in age would be given preference. 


The grievance of the petitioner is that though by order dated 21.8.2016, posting/ transfer has been made but the said posting/ transfer is not in accordance with the priority fixed by Clause 3 (6) of the notification/ circular dated 23.6.2016.

 It is the case of the petitioner that her husband had been posted in district Agra and, therefore, she was entitled to be treated 6th in the order of preference for being posted at Agra but instead of her claim being considered for posting at Agra, 31 candidates who are 7th in the order of priority have been posted in Agra when, in fact, their claim ought to have been considered only after exhausting the claim of the petitioner.


 It is thus the case of the petitioner that the transfer order dated 21.8.2016 requires to be amended and made in-consonance with the transfer policy. 
Learned counsel representing the respondent no. 3 has submitted that the petitioner may make a representation before the Secretary of U.P. Basic Education Board, Allahabad in respect of her grievance who can pass appropriate order, if it is justified by the transfer policy. 
Having considered the submissions of learned counsel for the petitioner, the writ petition is disposed of with a direction upon the 3rd respondent (Secretary, U.P. Basic Education Board, Allahabad) to consider the grievance of the petitioner in respect of transfer/ posting and thereafter pass appropriate order keeping in mind the priority fixed by the notification/ circular dated 23.6.2016 governing the transfer process. Accordingly, liberty is given to the petitioner to file a comprehensive representation before 3rd respondent in respect of her grievance. 

If any such representation is filed along with certified copy of this order, the 3rd respondent shall verify the facts and pass appropriate order in accordance with law, keeping in mind the transfer policy, preferably, within a period of three weeks from the date of filing of such representation. 


It is made clear that this Court has not expressed any opinion on the merits of the claim of the petitioner. The aforesaid exercise shall be completed strictly in accordance with law after verifying the facts from the record. 
Order Date :- 4.10.2016 

Arvind 



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पति के ससुराल के स्थान पर शिक्षिका पत्नी को ट्रांसफर न करने पर लिया कोर्ट का सहारा , ट्रांसफर नियम के अनुसार शिक्षिका को लाभ देने का इलाहबाद हाई कोर्ट का आदेश

पति के ससुराल के स्थान पर शिक्षिका पत्नी को ट्रांसफर न करने पर लिया कोर्ट का सहारा , ट्रांसफर नियम के अनुसार शिक्षिका को लाभ देने का इलाहबाद हाई कोर्ट का आदेश 



HIGH COURT OF JUDICATURE AT ALLAHABAD, LUCKNOW BENCH 

?Court No. - 23 

Case :- SERVICE SINGLE No. - 126 of 2011 

Petitioner :- Smt. Sujata Rani W/O Mahak Singh 
Respondent :- State Of U.P. Thru Secretary Basic Education & Ors. 
Petitioner Counsel :- Devendra Singh 
Respondent Counsel :- C.S.C.,J.P. Maurya 

Hon'ble Devendra Kumar Arora,J. 
Heard learned counsel for the parties. 
By means of present writ petition, the petitioner is seeking a writ in the nature of mandamus for commanding opposite party no. 3 to take a decision on the recommendation sent by the opposite party no. 2 on 9.7.2010 with respect to transfer of the petitioner from Shahjahanpur to Muzaffar Nagar. 
The submission of� learned counsel for the petitioner is that the petitioner was appointed on the post of Assistant Teacher on 11.07.2009 and presently posted at Shahjahanpur. The marriage of the petitioner was solemnized with Shri Mahak Singh, who is resident of District Muzaffar Nagar. � The petitioner after her marriage moved an application for her transfer from Shahjahanpur to Muzaffar Nagar on 17.4.2010 before Zila Basic Shiksha Adhikari, Shahjahanpur and he� recommended for transferring the petitioner from Shahjahanpur to Muzaffar Nagar and after no objection, the matter was referred to Sachiv Basic Shiksha Parishad, Allahabad.� Sachiv Basic Shiksha Parishad, Allahabad forwarded the matter of the petitioner to the State Government vide letter dated 6th August, 2010.� The grievance of the petitioner is that opposite parties are sitting tight over the recommendation of Sachiv Basic Shiksha Parishad, Allahabad and have not taken any decision.� Further submission of� learned counsel for the petitioner is that Uttar Pradesh Basic Education (Teachers) (Postings) (First Amendment) Rules, 2010 (herein referred to as the 'first amendment Rule, 2010') provides that in normal circumstances the teachers will not be considered for inter district transfer for five years, but in special circumstances and in case of ladies, their application for transfer to the place of their husbands/inter district transfer will be considered.� Since the husband of the petitioner is resident of district Muzaffar Nagar, therefore, the application of the petitioner is liable to be considered in pursuance to provisions of First Amendment Rule, 2010. 
The precise prayer of� learned counsel for the petitioner is that direction be issued to State Government to consider and decide the issue of transfer of the petitioner in pursuance to the recommendation dated 9.7.2010 (Annexure No. 6 to the writ petition). 
Learned Standing Counsel has no objection to this prayer of learned counsel for the petitioner. 
In view of the above, without entering into the merits of the case,� the present petition is disposed of finally with a direction to Secretary Basic Education, Government� of U.P. to consider and take decision with respect to transfer of the petitioner from� Shahjahanpur to Muzaffar Nagar in pursuance to the recommendation sent by Sachiv Basic Shiksha Parishad, Allahabad (Annexure No. 6 to the writ petition)� taking into consideration Uttar Pradesh Basic Education (Teachers) (Postings) (First Amendment) Rules, 2010� within a period of six weeks from the date of receipt of a certified copy of this order and the decision so taken be also communicated to the petitioner.� 
With the aforesaid directions, this writ petition is finally disposed of. 
Order Date :- 12.1.2011 
Tanveer/- 



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