Saturday, June 21, 2014

Counseling of 72825 Teacher as per Supreme Court Order : टीईटी संघर्ष मोर्चा के अनशन को समर्थन

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Teacher Eligibility Test (TET) , UPTET Latest News
 17वें दिन समर्थन में आए कई शिक्षक संगठन 

आजमगढ़ (ब्यूरो)। प्राथमिक अध्यापकों की नियुक्ति सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार समय से कराने के लिए टीईटी संघर्ष मोर्चा का क्रमिक अनशन शुक्रवार को भी जारी रहा। क्रमिक अनशन के 17वें दिन विभिन्न शिक्षक संगठनों के लोगों ने अनशन स्थल पर पहुंच कर अपना समर्थन दिया
क्रमिक अनशन को संबोधित करते हुए शिक्षक नेता दिवाकर तिवारी और श्रीराम वर्मा ने कहा कि टीईटी मेरिट से योग्य शिक्षकों का चयन होना सुनिश्चित है। कमलाकांत सिंह और शैलेश राय ने कहा कि सरकार को इनकी योग्यता का सम्मान करते हुए नियुक्ति कर देनी चाहिए। जैनेंद्र प्रताप सिंह और प्रतीक जायसवाल ने कहा कि प्रदेश सरकार हठधर्मिता दिखा रही है। जिलाध्यक्ष उमेश कुमार ने टीईटी अभ्यर्थियों से संघर्ष में बढ़-चढ़कर भाग लेने की अपील की। इस मौके पर प्रवीण श्रीवास्तव, विघ्नेश गौतम, अरविंद यादव, बंश बहादुर सिंह, सुरेश यादव, आलोक राय, रजनीश राय, शरद आदि रहे।

News Source : Amar Ujala (21.6.2014)



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LT Grade 1425 Teacher Result this Week : स्नातक वेतन शिक्षक भर्ती का परिणाम एक सप्ताह में

LT Grade 1425 Teacher Result this Week : स्नातक वेतन शिक्षक भर्ती का परिणाम एक सप्ताह में

भर्ती प्रक्रिया वर्ष 2012 में शुरू की गई थी
1425 पदों पर होनी है भर्ती 

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लखनऊ। माध्यमिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में स्नातक वेतन शिक्षक भर्ती का परिणाम एक सप्ताह में जारी करने का शासनादेश शुक्रवार को जारी कर दिया गया। प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा मनोज कुमार सिंह ने शासनादेश में कहा है कि 1425 शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया वर्ष 2012 में शुरू की गई थी, लेकिन हाईकोर्ट से रोक न होने के बाद भी आज तक इसका चयन परिणाम जारी नहीं किया गया। उन्होंने कहा है कि चयन परिणाम जल्द जारी किया जाए, जिससे शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी हो सके।
प्रमुख सचिव ने कहा है कि बीए के बाद एमए करने वालों को पात्र मानते हुए उनका चयन परिणाम जारी किया जाए, यदि किसी ने बीएससी के बाद एमए करते हुए आवेदन किया है तो ऐसे मामलों का पहले परीक्षण कर लिया जाए। प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा ने कहा है कि शिक्षक भर्ती पर हाईकोर्ट ने किसी तरह की रोक नहीं लगाई है, लेकिन मंडलीय संयुक्त निदेशक इसका चयन परिणाम जारी नहीं कर रहे हैं। गौरतलब है कि वर्ष 2012 में माध्यमिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में 1425 शिक्षकों की भर्ती का विज्ञापन निकालते हुए आवेदन लेने के बाद साक्षात्कार लिया था, लेकिन चयन परिणाम आज तक जारी नहीं हो सका है। शासनादेश जारी होने के बाद माध्यमिक स्कूलों में इन पदों पर भर्ती का रास्ता साफ हो गया है।


News Sabhaar : अमर उजाला (21.6.14)

Friday, June 20, 2014

UPPSC : यू पी पी सी इस परीक्षा संदेह के घेरे में

UPPSC :  यू पी पी सी इस परीक्षा संदेह के घेरे में

See Aaj Tak News :-

यूपी पीसीएस-2011 में कैसे छाए यादव



जुलाई 2013 में यूपी लोकसेवा आयोग के खिलाफ प्रदर्शन
उत्तर प्रदेश पीसीएस-2011 की मुख्य परीक्षा के नतीजे पिछले साल जुलाई में जब आए तो वे अपने साथ एक तूफान भी लेकर आए थे. उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की भर्तियों में लगातार धांधली का आरोप लगाते आ रहे छात्रों के सब्र का बांध अचानक टूट गया और इलाहाबाद की सड़कों पर जमकर बवाल हुआ. गोलियां चलीं, सिर फूटे, बसों के शीशे टूटे और गिरफ्तारियां हुईं. छात्रों का आरोप था कि दूसरे इम्तिहान तो अपनी जगह हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े पीसीएस इम्तिहान तक में पूरी तरह ‘‘यादववाद’’ चला है.
छात्रों ने इस तरह के नतीजों के लिए आयोग के अध्यक्ष अनिल कुमार यादव पर पक्षपात के आरोप लगाए. यादव इन आरोपों से बच भी नहीं सकते थे क्योंकि आयोग के अध्यक्ष के नाते किसी भी परीक्षा परिणाम की अंतिम जिम्मेदारी उन्हीं की बनती है. बाद में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने नीतियों में बदलाव किया और न्याय की उम्मीद में छात्र अपने कमरों में लौट गए. इसके बाद दिसंबर 2013 में पीसीएस-2011 का फाइनल रिजल्ट सामने आया और छात्रों का भरोसा फिर टूट गया.

आयोग को पता था कि ये नतीजे नया बखेड़ा लेकर आएंगे इसलिए आयोग ने बड़ी सफाई से पहले तो नंबर ही एक महीने बाद सार्वजनिक किए और वे भी इस तरह कि कोई छात्र सिर्फ अपने नंबर देख सके, वह भी पासवर्ड से. यानी उत्तर प्रदेश पीसीएस-2011 में क्या गोरखधंधा हुआ, इसे बड़ी सफाई से छुपा लिया गया.


लेकिन इंडिया टुडे ने चार महीने की पड़ताल के बाद आयोग के सिमसिम दरवाजे को खोल लिया और परीक्षा में मिले नंबरों के गोरखधंधे तक पहुंच बनाई. इंडिया टुडे ने पीसीएस-2011 में सफल हुए सभी 389 अभ्यर्थियों के आधिकारिक अंकपत्र की प्रतियां हासिल कीं, जो न तो आरटीआइ के जरिए दी जा रही हैं और न ही कोई छात्र किसी दूसरे छात्र के अंक आयोग की वेबसाइट पर देख सकता है.


बहरहाल, पीसीएस-2011 के नतीजों में दो तथ्य सबसे चौंकाने वाले रहे. पहला-अन्य पिछड़ा वर्ग में चयनित 86 छात्रों में से करीब 50 छात्र यादव जाति के रहे. इससे भी बड़ा चौंकाने वाला तथ्य रहा-एकाध अपवाद को छोड़कर यादव जाति के सफल अभ्यर्थियों को साक्षात्कार में 200 में से 135 से 140 के बीच अंक मिलना (देखें टेबल-2). 

 140 अंक का आंकड़ा इसलिए भी मायने रखता है क्योंकि आयोग में पिछले कुछ साल से परंपरा रही है कि छात्रों को साक्षात्कार में 80 से 140 के बीच अंक दिए जाते हैं. अगर किसी को 80 से कम या 140 से ज्यादा अंक मिलते हैं तो साक्षात्कार मंडल का अध्यक्ष उस पर अपनी विशेष टिप्पणी करता है. यानी बिना किसी अतिरिक्त जवाबदेही के साक्षात्कार में 140 तक अंक दिए जा सकते हैं. परीक्षा परिणाम में ऐसा संयोग बना कि यादव जाति के वे छात्र जिनके अंक मुख्य परीक्षा में तमाम दूसरे छात्रों से कम थे, वे भी साक्षात्कार में अधिकतम अंक पाने में कामयाब रहे.
दूसरी ओर सामान्य वर्ग के छात्रों को साक्षात्कार में औसतन 115 अंक, गैर यादव ओबीसी जातियों के छात्रों को औसतन 110 अंक और अनुसूचित जाति-जनजाति के छात्रों को साक्षात्कार में औसतन 105 अंक मिले. पीसीएस के टॉपर हिमांशु कुमार गुप्ता को भी साक्षात्कार में महज 115 अंक ही मिले (देखें-टेबल 1, 3 और 4). यही नहीं, सामान्य श्रेणी में जो ओबीसी कैटेगरी के छात्र अपग्रेड हुए हैं, वे सारे छात्र भी संयोग से सिर्फ यादव जाति के हैं. सामान्य कैटेगरी में चयनित हुए यादव छात्रों को मिला लिया जाए तो कुल यादव छात्रों की संख्या 54 तक पहुंच जाती है (सफल यादव अभ्यर्थियों की यह संख्या उनके उपनाम में जुड़े यादव शब्द और कुछ मामलों में जुटाई गई जानकारी पर आधारित है. वैसे ही आंकड़े में मामूली संशोधन की गुंजाइश हमेशा बनी रहती है).
यूपी पीसीएस
साक्षात्कार के अंकों के अलावा मुख्य परीक्षा में अपनाई जा रही स्केलिंग प्रणाली पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं. स्केलिंग व्यवस्था इसलिए अपनाई जाती है कि गणित और विज्ञान जैसे कई विषयों में कला संकाय के कई विषयों की तुलना में ज्यादा नंबर दिए जाते हैं. इस विविधता को एकरूपता देने के लिए छात्र को मिले वास्तविक अंकों को स्केलिंग फॉर्मूले के हिसाब से संशोधित कर दिया जाता है. आयोग परीक्षा के विज्ञापन के समय इस फॉर्मूले को प्रकाशित करता है. प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे विक्की खान के शब्दों में, ‘‘करीब एक पन्ने के इस फॉर्मूले को आम आदमी ठीक वैसे ही समझ सकता है, जैसे क्रिकेट प्रेमी डकवर्थ लुइस फॉर्मूले को समझते हैं. समझने से ज्यादा उस पर भरोसा करना होता है.’’ लेकिन पीसीएस-2011 में यह भरोसा भी टूटा है. मुख्य परीक्षा के हिंदी के पेपर को लें तो एक छात्र को पहले और दूसरे पेपर में क्रमशः 140 और 132 नंबर मिले, जिन्हें स्केलिंग के बाद 187.47 और 158.32 आंका गया. वहीं दूसरे छात्र के 140 और 120 नंबरों को क्रमशः 136.82 और 118.11 आंका गया. इन दोनों मामलों में भी संयोग से स्केलिंग में ज्यादा नंबर पाने वाले छात्र यादव हैं.
पीसीएस परीक्षा के अंतिम परिणाम का यह विश्लेषण एक बार फिर आयोग के अध्यक्ष अनिल कुमार यादव की भूमिका को संदिग्ध बना देता है. हालांकि यादव का इस बारे में कहना है कि आयोग के अध्यक्ष का पद संवैधानिक है और ‘‘मुझे न्यायाधीशों की तरह प्रतिक्रिया देना अनिवार्य नहीं है.’’ लेकिन वे यह जुमला जोडऩा नहीं भूलते कि मामला ‘‘अदालत में विचाराधीन है.’’ इस मसले पर बातचीत आयोग के सचिव करते हैं और उनका भी नाम संयोग से अनिल कुमार यादव है.
लेकिन इस इनकार के बावजूद पहले से ही जाति विशेष को सरंक्षण देने के आरोपों से घिरी और लोकसभा चुनाव 2014 में मात खा चुकी सपा सरकार के लिए पीसीएस परीक्षा का यह विश्लेषण नया सिरदर्द देने वाला है. आयोग के कई परीक्षा परिणामों को इलाहाबाद हाइकोर्ट में चुनौती देने वाले वकील संतोष श्रीवास्तव की बात पर गौर करें, ‘‘सबसे पहला सवाल यह उठ रहा है कि उत्तर प्रदेश में ओबीसी में कोई 234 जातियां शामिल हैं. ऐसे में अगर सिर्फ एक जाति के लोग ओबीसी का 58 फीसदी कोटा ले जाएंगे और बाकी 230 जातियां सिर्फ 42 फीसदी हिस्सेदारी पर सिमट जाएंगी तो आरक्षण की मूल भावना का मतलब ही क्या रहेगा. कोई कितना भी मेधावी क्यों न हो, लेकिन ये नतीजे जाति विशेष की ओर नतीजों का झुकाव दिखा रहे हैं.’


पीसीएस में ओबीसी जातियां
उधर, ‘‘प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति’’ के बैनर तले पीसीएस-2011 के नतीजे के खिलाफ जनहित याचिका दायर करने वाले अवनीश कुमार पांडेय सीधे आयोग की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाते हैं, ‘‘इलाहाबाद में लड़के-लड़कियां 10-10 साल से इस उम्मीद में तैयारी करते रहते हैं कि एक न एक दिन उनकी मेहनत रंग लाएगी. लेकिन आयोग जिस तरह से हर परीक्षा परिणाम में एकतरफा रवैया अपना रहा है, उससे छात्रों का दिल टूट रहा है और दिमाग गुस्से से उबल रहा है.’’ प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए ‘‘ब्राह्मी’’ सामान्य हिंदी’’ किताब के लेखक अवनीश की बात को सिरे से खारिज नहीं किया जा सकता. सपा के एक वरिष्ठ राज्यसभा सांसद के करीबी माने जाने वाले यादव के लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष बनने के बाद आए कुछ अन्य परीक्षा नतीजों पर गौर करें तो भी ‘‘यादववाद’’ के आरोप को बल मिलता है. पिछले साल सीधे इंटरव्यू के जरिए पीडब्ल्यूडी में जूनियर इंजीनियर (कंप्यूटर) के 48 पदों पर हुई भर्ती में ओबीसी के हिस्से में 58 फीसदी (यादव 42 फीसदी) और सामान्य वर्ग की श्रेणी में 23 फीसदी (ब्राह्मण 12.5 फीसदी) पद आए.
राज्य सरकार के संस्कृति निदेशालय में क्षेत्र सहायक के एक मात्र पद पर जब इंटरव्यू के माध्यम से भर्ती हुई तब भी इसी जाति का अभ्यर्थी सबसे योग्य निकला. कॉमर्स प्रवक्ता पद पर जब दो भर्तियां होनी थीं तो आरक्षित और अनारक्षित दोनों पदों पर जाति विशेष के व्यक्ति का चयन हुआ. समाजशास्त्र के प्रवक्ता के लिए जब 19 पदों पर भर्तियां हुईं, तो सामान्य वर्ग की 9 सीटों में से 4 सीटें यादव जाति के खाते में चली गईं.
सिविल सेवा परीक्षाओं की तैयारी के लिए इलाहाबाद आए गरीब परिवार के 23 वर्षीय शालिग्राम बिंद की हताश टिप्पणी देखिए, ‘‘अगर इसी तरह यादवों की भर्ती होती रही तो हम जैसे दबों-कुचलों को तो पीसीएस में बैठने का इरादा ही छोड़ देना चाहिए.’’ हिंदी साहित्य, अर्थशास्त्र और राजनीति शास्त्र से बी.ए. करने के बाद कंपीटिशन की दुनिया में कदम रखने वाले इस अति पिछड़ा वर्ग के लड़के का पस्त हौसला आयोग की साख के संकट को और बढ़ा देता है. जौनपुर से इलाहाबाद आए 37 वर्षीय जटाशंकर मौर्य 2011 का पीसीएस मेन्स क्वालीफाइ नहीं कर पाए और अब कहते हैं, ‘‘पीसीएस का जो हुआ सो हुआ, जिन परीक्षाओं के नतीजे आने हैं, अगर उनमें भी यही नतीजा रहा तो मैं तो बरबाद हो जाऊंगा.’’
नतीजों में पक्षपात किया गया है या फिर यादव समाज के अभ्यर्थी वाकई अत्यंत मेधावी हो गए हैं, यह तो अदालतें या आयोग के कर्ताधर्ताओं का अंतःकरण की बता सकता है. लेकिन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के लिए ऐसे परिणाम शुभ सियासी संकेत तो जरूर ही नहीं लाएंगे.

क्या कहते हैं अध्यक्ष
वहीं यूपी लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष अनिल कुमार यादव कहते हैं, " आयोग के अध्यक्ष का पद संवैधानिक पद है और मैं कोई प्रतिक्रिया देने के लिए बाध्य नहीं हूं. वैसे भी मामल अभी अदालत में है."
अनिल कुमार यादव

(यूपी लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष अनिल कुमार यादव )
नीचे देखिए किन-किन जातियों के अभ्यर्थियों को मिले कितने नबंर-
यूपी पीसीएस में सामान्य श्रेणी के छात्र
यूपी पीसीएस में गैर यादव अभ्यर्थी
यूपी पीसीएस में सफल यादव
यूपी पीसीएस में अजा/जनजाति के अभ्यर्थी

News Source : http://aajtak.intoday.in/story/how-yadav-dominated-in-pcs-2011-1-768040.html
सौजन्‍य: इंडिया टुडे | उत्तर प्रदेश, 17 जून 2014 | अपडेटेड: 19:38 IST टैग्स: पीसीएस-2011| यूपी लोक सेवा आयोग| अनिल कुमार यादव| अखिलेश यादव| सपा| यादव |
पीयूष बबेले |


Breaking News जूनियर भर्ती अपडेट

Breaking News  जूनियर भर्ती अपडेट

29334 Junior High School Science Math Teacher Recruitment, Upper Primary Teacher Recruitment UP,




29334 Junior High School Teacher Aspirant Group : https://www.facebook.com/groups/uptetjnrteacher/


Facebook se Praapt, Ek Vyakti Dwara Dee Gayee Jaankaree ke Anusaar

नमस्कार साथियो,
जूनियर भर्ती अपडेट,,29 हजार 334  जूनियर में विज्ञान गणित अध्यापको की भर्ती के सम्बन्ध जो न्याय विभाग से अनुमति मांगी गयी थी, न्याय विभाग ने इस भर्ती को शैक्षिक गुणांक के आधार पर करने को हरी झंडी दे दी है, अत: एक दो दिन में इस सम्बन्धशासन से दिशा-निर्देश जारी करने के संकेत प्राप्त हुए है, जल्द ही जूनियर कि भर्ती शुरू हो जायेगी,

सूचना देवेन्द्र यादव से फोन पर वार्ताके आधार पर,, 
धन्यवादजय हो,,
आपका ललित शर्मा,



News kee confirmation ke liye kal tak wait karen, News papers mein agar aisee koee khabar aatee hai to pushti ho jayegeee

Shiksha Mitra Highcourt Matter : शिक्षा मित्र और हाई कोर्ट मामला

Shiksha Mitra Highcourt Matter : शिक्षा मित्र और हाई कोर्ट मामला

टी ई टी मामलों से जुड़े श्याम देव मिश्रा जी ने  जब ये आर्टिकल फेसबुक पर डाला तो हमने भी देखने की कोशिश की क्या है ये हाई कोर्ट का मामला  :- 

एक रिज़र्व जजमेंट ने शिक्षामित्रों का प्रशिक्षण पूरा करवा दिया, अब क्या दूसरा पेंडिंग या रिज़र्व जजमेंट नियुक्ति दिलवा देगा ? क्या यह न्याय है या परदे के पीछे का खेल? अगर खेल हैं तो इस खेल के खिलाडी कौन-कौन ? कहीं दिखावे की नूराकुश्ती तो नहीं? कोई सच्ची का मुकदमा करके मामले में न्याय न करवा दे, इसलिए एक झूठमूठ के मुक़दमे का नाटक और अपनी मर्जी के दिखावे के आदेश का नाटक, ताकि पब्लिक सोचे, मामला तो कोर्ट में है ही, सरकार तो आदेश के अधीन है ही और इसी धोखे में सच्चा मुकदमा हो ही न ! अगर इनकी ट्रेनिंग दूध की धुली थी तो आजतक 28004/2011 में निर्णय क्यों नहीं आया? किस निर्णय या आदेश ने कब इन्हे ठेके पर गैर-रोजगारपरक सामुदायिक सेवा दे रहे स्थानीय युवाओं के स्थान पर अप्रशिक्षित अध्यापक का दर्जा दिया ?
 168000 पदों पर सेंधमारी है भाई ये तो ! इनमे तो बहुतेरे सिर्फ पहुँच का लाभ उठा कर पैतीस सौ रुपये के मानदेय सुनिश्चित करने में कामयाब होने वाले लड़के थे, इस से कौन इंकार करेगा ? क्या ये सरकारी वेतन पर राजनैतिक कैडर खड़ा करने की कोशिश नहीं है?
 क्या आप इस पोस्ट को शिक्षामित्रों के मामले से जोड़कर देख रहे हैं? 
मर्ज़ी आपकी !!
*********************

28004/2011High Court Case Details : -

****
HIGH COURT OF JUDICATURE AT ALLAHABAD

?Court No. - 39

Case :- WRIT - A No. - 28004 of 2011

Petitioner :- Santosh Kumar Mishra And Others
Respondent :- State Of U.P. And Others
Petitioner Counsel :- Siddharth Khare,Ashok Khare
Respondent Counsel :- C.S.C.,K.S.Kushwaha,Mohd. Ali Ausaf,R.A.Akhtar

Hon'ble Dilip Gupta,J.
List this petition with connected matters for further hearing.
Order Date :- 6.7.2012
GS 

Source : http://elegalix.allahabadhighcourt.in/elegalix/WebShowJudgment.do?judgmentID=1939932

****
HIGH COURT OF JUDICATURE AT ALLAHABAD

?Court No. - 33

Case :- WRIT - A No. - 28004 of 2011

Petitioner :- Santosh Kumar Mishra And Others
Respondent :- State Of U.P. And Others
Petitioner Counsel :- Siddharth Khare,Ashok Khare
Respondent Counsel :- C.S.C.,K.S.Kushwaha,Mohd. Ali Ausaf,R.A.Akhtar

Hon'ble Dilip Gupta,J.
Heard learned counsel for the parties.
Judgment reserved.
Order Date :- 14.10.2011

SK 

Source : http://elegalix.allahabadhighcourt.in/elegalix/WebShowJudgment.do?judgmentID=1472697

 ***


HIGH COURT OF JUDICATURE AT ALLAHABAD

?Court No. - 18

Case :- WRIT - A No. - 28004 of 2011

Petitioner :- Santosh Kumar Mishra And Others
Respondent :- State Of U.P. And Others
Petitioner Counsel :- Siddharth Khare,Ashok Khare
Respondent Counsel :- C.S.C.,K.S.Kushwaha,R.A.Akhtar

Hon'ble Krishna Murari,J.
Heard learned counsel for the petitioners, learned Standing Counsel for respondent no. 1 & 2, Sri K.S. Kushwaha for respondent no. 3.
Challenge in this petition has been made to the order dated 14.1.2011 issued by the National Council for Teachers Education according approval to the proposal of the State Government for conducting elementary teacher education programme of two years duration through open and distance learning mode for training of untrained graduate 'Shiksha Mitra' appointed by the State Government in elementary schools subject to the conditions mentioned therein.
Sri Ashok Khare, Senior Advocate assisted by Sri Siddharth Khare contends on behalf of the petitioners that the impugned order is based upon a wrong assumption that 'Shiksha Mitra' are untrained teachers as their engagement is under a scheme notified by the Government Order dated 26.5.1999 as modified from time to time and is purely contractual in nature and for one academic session. With reference to the provision of Section 23(1) of the Right of Children to Free and Compulsory Education Act, 2009 providing for qualification for appointment and terms & conditions of service of teachers and notification dated 23.8.2010 issued by the National Council for Teachers Education thereunder specifying minimum qualifications required to be possessed by Assistant Teachers teaching in class I to VIII, it has been urged that since the prescribed minimum qualifications for engagement of 'Shiksha Mitra' is only intermediate certificate examination, the persons so engaged do not conform to the minimum qualifications prescribed for Assistant Teachers and thus they are being wrongly and illegally considered as untrained teachers entitled to undergo training programme. It has further been submitted that after enforcement of U.P. Basic Education (Teachers) Service Rules, 1981 training certificate is essential qualification under Rule 8 and there does not exist any provision for appointment of untrained teachers in any institution run by the Board of Basic Education and thus the appointment of 'Shiksha Mitra' is de hors the rules and they cannot be be treated to be legally appointed untrained teachers so as to undergo training. Reliance in support of the contention has been placed upon a Division Bench judgment dated 17.12.2008 in special appeal no. 10 of 2010 wherein while considering a similar scheme for imparting teachers training to untrained teachers in privately managed recognized institutions, it has been held that Assistant Teachers appointed after enforcement of U.P. Recognized Basic Schools (Recruitment and Conditions of Service of Teachers & others) Conditions Rules, 1975 and U.P. Recognized Basic Schools (Junior High Schools) (Recruitment & Conditions of Service of Teachers) Rules, 1978 in violation of provision thereof and without possessing training qualification cannot be permitted to undergo training. It is next contended that since the provisions of U.P. Public Service (Reservation for S.C., S.T & O.B.C.) Act, 1994 are not applicable in the scheme of appointment of 'Shiksha Mitra', imparting training and their subsequent appointment shall violate the reservation policy. It has further been submitted that under the scheme of appointment of 'Shiksha Mitra', eligibility is restricted to candidates belonging to the village where the educational institution is situated or to the concerned Nyay Panchayat and their selection is not on the basis of open general competition but limited to a localised section and preference being given to such persons for training depriving the petitioners and other similarly situated persons from participating in open general competition would be discriminatory.
Learned Standing Counsel for State respondents and Sri K.S. Kushwaha for respondent no. 3 when called upon only sought time to file counter affidavit.
As prayed they may file counter affidavit within six weeks. Learned Standing Counsel shall also produce the policy framed by State Government.
Sri R.A.Akhtar who has accepted notice on behalf of respondent no. 4 is not present even though the case has been taken up in the revised list. He may also file counter affidavit within the same period.
Petitioners will have three weeks thereafter for filing rejoinder affidavit.
List after expiry of the aforesaid period.
Since prima-facie from a conjoint reading of National Council for Teachers Education Act and the regulations framed thereunder, provision of U.P. Basic Education Act and the Right of Children to Free and Compulsory Education Act, 2009, it appears that the training is permissible only in cases of validly and legally appointed untrained teachers and the impugned approval dated 14.1.2011 for training of 'Shiksha Mitra' proceeds upon an erroneous assumption that they are legally appointed untrained teachers, the petitioners are entitled to interim order.
Further in view of serious ramification of the consequences of the impugned approval and the impact on very large number of candidates, also it would be appropriate to pass an interim order.
Until further orders of this Court, effect and operation of the impugned approval order dated 14.1.2011 passed by the National Council for Teacher Education, New Delhi (Annexure No. 14 to the writ petition) shall remain stayed.
Order Date :- 18.5.2011
nd

Source : http://elegalix.allahabadhighcourt.in/elegalix/WebShowJudgment.do?judgmentID=1251898


शिक्षा मित्रो का समायोजन और टी ई टी बाधा

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शिक्षा मित्रों के समायोजन के साथ आजकल फेसबुक पर टी ई टी पास लोगों अपने को छला हुआ महसूस कर रहे हैं -

आखिर शिक्षा टी ई टी परीक्षा उत्तीर्ण करने से भय क्यों है , जो खुद शिक्षक बनने की जरूरी परीक्षा से कतरा रहे हैं ,
वह कैसे गुणवत्ता परक शिक्षा देंगे ।
जो शिक्षा मित्र टी ई टी परीक्षा पास कर चुके हैं , उनके लिए जरूर कुछ अच्छा किया जाना चाहिए । जिस से अन्य शिक्षा मित्रों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरणा मिले और वह भी टी ई टी परीक्षा उत्तीर्ण कर सकें और गुणवत्ता परक शिक्षा देने की क्षमता का विकास कर सकें


बी टी सी 2004 और 2007 -08 का बेच सालों से भर्ती का इन्तजार कर रहा है लेकिन अभी भी लटके हुए हैं । और बी टी सी करने के बाद बी टी सी धारियों
को टी ई टी जरूरी बताया गया और बेचारे शिक्षक बनने से वंचित हो गए

बी एड और टी ई टी उत्तीर्ण लाखों लोगो  भी 2011 से अपनी भर्ती के इन्तजार में अवसाद ग्रस्त हैं



आज टी ई टी  की अच्छी जानकारी रखने वाले श्याम देव मिश्रा जी ने यह बातें कही :



एक रिज़र्व जजमेंट ने शिक्षामित्रों का प्रशिक्षण पूरा करवा दिया, अब क्या दूसरा पेंडिंग या रिज़र्व जजमेंट नियुक्ति दिलवा देगा ? क्या यह न्याय है या परदे के पीछे का खेल? अगर खेल हैं तो इस खेल के खिलाडी कौन-कौन ? कहीं दिखावे की नूराकुश्ती तो नहीं? कोई सच्ची का मुकदमा करके मामले में न्याय न करवा दे, इसलिए एक झूठमूठ के मुक़दमे का नाटक और अपनी मर्जी के दिखावे के आदेश का नाटक, ताकि पब्लिक सोचे, मामला तो कोर्ट में है ही, सरकार तो आदेश के अधीन है ही और इसी धोखे में सच्चा मुकदमा हो ही न ! अगर इनकी ट्रेनिंग दूध की धुली थी तो आजतक 28004/2011 में निर्णय क्यों नहीं आया? किस निर्णय या आदेश ने कब इन्हे ठेके पर गैर-रोजगारपरक सामुदायिक सेवा दे रहे स्थानीय युवाओं के स्थान पर अप्रशिक्षित अध्यापक का दर्जा दिया ? 168000 पदों पर सेंधमारी है भाई ये तो ! इनमे तो बहुतेरे सिर्फ पहुँच का लाभ उठा कर पैतीस सौ रुपये के मानदेय सुनिश्चित करने में कामयाब होने वाले लड़के थे, इस से कौन इंकार करेगा ? क्या ये सरकारी वेतन पर राजनैतिक कैडर खड़ा करने की कोशिश नहीं है? क्या आप इस पोस्ट को शिक्षामित्रों के मामले से जोड़कर देख रहे हैं? 
मर्ज़ी आपकी !!



ब्रजेश मिश्रा नाम के एक व्यक्ति ने टी ई टी व शिक्षा मित्रों के सम्बन्ध में आर टी आई द्वारा निम्न जानकारी ली गयी :-

जिसमें बताया गया है कि शिक्षा मित्रों के लिए भी टी ई टी जरूरी है
देखिए :-


ब्रजेश मिश्रा जी के प्रश्न -


ब्रजेश मिश्रा जी को प्राप्त उत्तर -




राजस्थान सरकार ने भी अपनी वेबसाइट पर लिखा है , कि शिक्षा मित्रों को टी ई टी से कोई छूट नहीं दी गयी है ,
देखिए  : -


Source : http://examrtet.rajasthan.gov.in/Documents/Vigyapti-RTET-2013.pdf


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Counseling of 72825 Teacher as per Supreme Court Order, 29334 Junior High School Science Math Teacher Recruitment,  UPTET, Allahabad Highcourt,


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जूनियर शिक्षकों की भर्ती का मसला न्याय विभाग पहुंचा ....>>>
राज्य मुख्यालय : सरकारी जूनियर स्कूलों में29,334 गणित वविज्ञानंके सहायक अध्यापकों की भर्ती प्रक्रिया के मामले मेंराज्य सरकार असमंजस मेंपड़ गई है। यदि भर्ती करती है तोसुप्रीम कोर्ट के अंतरिम फैसलेके खिलाफ जानापड़ेगाऔर यदि नहींशुरू करती हैतो हाईकोर्ट के फैसलेकी अवमानना होगी। लिहाजाबेसिक शिक्षा विभाग नेनिर्णय पर न्याय विभाग की राय मांगी है।

12 जून कोहाई कोर्ट ने 29,334 विज्ञानं वगणित के अध्यापकों की भर्ती मामले में शैक्षिक मेरिट के आधार पर भर्ती के आदेश दिए हैं। लेकिन इस पर तुरंत अमल राज्य सरकार के लिए संभव नहीं है क्यूंकि सुप्रीम कोर्ट ने25 मार्च को दिए अपने अंतरिम आदेश मेंउस नियम को ही रद्द कर दिया है जिसमे शैक्षिक गुणांक के आधार पर भर्ती करने का संशोधन किया गया था


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अलग-अलग हैं शिक्षक बनने के मानक
Publish Date:Friday,Jun 20,2014 01:07:41 AM | Updated Date:Friday,Jun 20,2014 01:07:56 AM
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : प्रदेश में टीईटी अनिवार्यता का आदेश जारी होनेके बाद भीकरीब बीस हजार युवामास्साब बनने में सफल रहे हैं। अब उन गुरुजनों को भी टीईटीपास करनी होगी। सवाल यह है कि यदि वेटीईटी में असफल होतेहैंतो क्या उनकी सेवा खत्महो जाएगी। यदि नहीं, तो अब इस परीक्षा का क्या औचित्य है। साथ ही जो प्रशिक्षुसारे मानक पूरे कर टीईटी पास कर पांच साल सेभटक रहे हैं उन्हें नियुक्ति कब मिलेगी कोईसाफ बताने को तैयार नहीं है। ऐसे में प्रशिक्षु गांधीवादी रास्तेपर चलकर धरना व अनशन करके सरकार को नौकरी देनेके लिए मजबूर करनेका मन बना रहे हैं।

टीईटी यानी शिक्षक पात्रता परीक्षा। यह परीक्षा तभी उपयोगी है जब शिक्षक बननेकी प्रक्रिया चल रही हो। जब प्रशिक्षुओंको शिक्षक बनाकर उन्हें स्कूलों मेंनियुक्ति कर दियागया तबउनकी पात्रता पर सवाल उठाना कहां सेजायज है। ऐसेमें 23 अगस्त 2010 के बाद और 27 जुलाई 2011 के बीच नियुक्तकरीब बीस हजार शिक्षकोंकी परीक्षा लेना नियम विरुद्ध है, क्योंकि इससेउनकी सेवा पर शायद ही कोई असर पड़ेगा। एक ओर एनसीटीई बिना टीईटी पास शिक्षकों की परीक्षा पर जोर देरहा है, वहीं प्रदेश में बड़ी संख्यामें शिक्षकों केपद रिक्त हैं। उन्हें भरने पर गंभीरता नहीं दिखायी जा रही है।

विशिष्ट बीटीसी 2004, 2007-08 मेंबचे हुए हजारोंछात्र टीईटी पास हैं और डायट से प्रशिक्षितभी हैफिर भी नियुक्ति नहीं मिल रहीहै। विशिष्ट बीटीसी एसोसियेशन के अध्यक्ष जितेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि हम लोग पांच साल से नौकरी पाने का इंतजार कर रहे हैं। इस दौरान मुख्यमंत्री, शिक्षामंत्री एवं प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा से मिलकर बार-बार अपीलकर चुके हैं, लेकिन मांग अनसुनीहै। उन्होंने कहा कि मांगे नहीं मानी गईतो एसोसिएशन बेसिक शिक्षा निदेशालय इलाहाबाद व लखनऊ विधानसभा के सामनेधरना-प्रदर्शन और क्रमिक अनशन करेगा।


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स्पष्ट किया, समायोजन याचिका के अंतिम निर्णय पर निर्भर करेगाअगली सुनवाई 14 जुलाई को
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश में एक लाख सत्तर हजारशिक्षा मित्रों के सहायक अध्यापक पदों पर समायोजन के मामले में प्रदेश सरकार व अन्य पक्षकारों को तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने अगली सुनवाई 14 जुलाई को नियत की है।यह आदेश न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल ने शिवम राजन व अन्य तीन की याचिकाओं पर दिया है। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि यदि इस बीच कोई समायोजन किया जाता है तो वह याचिका के अंतिम निर्णय पर निर्भर करेगा। प्रश्नगत याचिका में उप्र नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियमावली 2011 में किए गए संशोधन की वैधानिकता को चुनौती दी गई है। जिसके तहत राज्य सरकार ने टीईटी की अनिवार्यता को शिक्षा मित्रों के समायोजन की अनुमति प्रदान कर दी है। राज्य सरकार की तरफ सेमुख्य स्थायी अधिवक्ताओं रमेश उपाध्याय ने तर्क रखा। यह आधार लिया गयाकि राज्य सरकार को इस प्रकार का शासनादेश जारी करने का अधिकार नहीं है। जो कि एनसीटीई द्वारा निर्धारित न्यूनतम अर्हता नियमावली के खिलाफ है। राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि न्यायालय के फैसले के तहत बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित प्राथमिक स्कूलों में कार्यरत शिक्षामित्रों को बीटीसी की ट्रेनिंग कराकर सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित करने का निर्णय लिया गया है। सभी शिक्षा मित्रों को प्रशिक्षण भी दिया जा चुका है।

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शिक्षामित्र बनेंगे शिक्षक
Fri, 20 Jun 2014 01:58 AM (IST)
लखनऊ (राज्य ब्यूरो)। परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में तैनात 1.7 लाख शिक्षामित्रों के लिए खुशखबरी है। लंबे इंतजार के बाद सरकार ने दूरस्थ शिक्षा विधि से बीटीसी, बीटीसी , विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण प्राप्त स्नातक शिक्षामित्रों को परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्त करने के लिए गुरुवार को शासनादेश जारी कर दिया। फिलहाल पहले चरण में बीटीसी कोर्स उत्तीर्ण करने वाले तकरीबन 58 हजार शिक्षामित्रों को इसका फायदा मिलेगा।
शासनादेश के मुताबिक बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित प्राथमिक स्कूलों में उप्र नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियमावली, 2011 के शुरू होने के पहले से विभिन्न शासनादेशों के तहत कार्यरत शिक्षामित्र ही सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्ति पाने के पात्र होंगे। ऐसे शिक्षामित्र अधिकतम 60 वर्ष तक की आयु तक सहायक अध्यापक बन सकेंगे। सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्ति के लिए जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) द्वारा सूची बनाई जाएगी। इस सूची में बीटीसी प्रशिक्षण का प्रमाणपत्र प्राप्त करने वाले उन शिक्षामित्रों को पहले स्थान दिया जाएगा जिनकी उम्र ज्यादा है। यदि दो शिक्षामित्रों की जन्मतिथि समान है तो अंग्रेजी वर्णमाला के क्रम में सूची में उनका नाम रखा जाएगा। शिक्षामित्र सहायक अध्यापक के पद पर मौलिक नियुक्ति के लिए तब तक हकदार नहीं होंगे जब तक उनका नाम सूची में शामिल न हो। बीएसए यह सूची डायट प्राचार्य की अध्यक्षता में गठित समिति को सौंपेगा जो संबंधित प्रमाणपत्रों की जांच करने के बाद फिर यह सूची बीएसए को सौंप देगी ताकि वह शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति का आदेश जारी कर सके।
शासन ने शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक पदों पर नियुक्ति के लिए समय-सारिणी भी जारी कर दी है। इसके मुताबिक डायट 30 जून तक बीएसए को बीटीसी प्रशिक्षणप्राप्त शिक्षामित्रों की सूची उपलब्ध कराएंगे। बीएसए सूची प्राप्त होने के एक हफ्ते के अंदर सूची में शामिल शिक्षामित्रों को काउंसिलिंग के लिए बुलाने के लिए विज्ञप्ति प्रकाशित कराएंगे। 10 से 22 जुलाई तक शिक्षामित्रों की काउंसिलिंग चलेगी जिसमें जिला स्तरीय चयन समिति शिक्षामित्रों के प्रमाणपत्रों की जांच करेगी। चयन समिति को चयन सूची को 25 जुलाई तक अनुमोदित करना होगा। शिक्षामित्रों को नियुक्ति पत्र जारी करने की कार्यवाही 31 जुलाई तक पूरी कर ली जाएगी।

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शिक्षामित्रों को हाईकोर्ट ने दी बड़ी राहत
ब्यूरो
अमर उजाला, लखनऊशुक्रवार, 20 जून 2014
Updated @ 2:54 AM IST
shikshamitra gets relief from highcourt
हाईकोर्ट ने और तीन सप्ताह का वक्त दिया

प्रदेश के करीब पौने दो लाख शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक पद पर समायोजित करने के मामले में शिक्षामित्रों को फिलहाल राहत मिल गई है।
हाईकोर्ट ने समायोजन के विरुद्ध दाखिल याचिका पर जवाब दाखिल करने की समय अवधि तीन सप्ताह तक के लिए बढ़ा दी।
कोर्ट ने समायोजन पर रोक लगाने की मांग को स्वीकार नहीं किया मगर यह साफ किया है कि यदि नियुक्तियां की जाती हैं तो याचिका पर हुए अंतिम निर्णय के अधीन होंगी
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72825 Teacher Recruitment News:
नियुक्ति होने तक जारी रहेगा संघर्ष
Publish Date:Wednesday,Jun 18,2014 08:32:37 PM | Updated Date:Wednesday,Jun 18,2014 08:32:01 PM
आजमगढ़ : उत्तर प्रदेश टीईटी उत्तीर्ण संघर्ष मोर्चा द्वारा अपनी मांग प्राथमिक शिक्षक भर्ती सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार नियत समय सीमा में भर्ती पूरी करने के संबंध में मेहता पार्क में जारी क्रमिक अनशन 15वें दिन बुधवार को भी जारी रहा।

संगठन के अध्यक्ष उमेश कुमार ने कहा कि 72,825 शिक्षकों की भर्ती के संबंध में क्रमिक अनशन पर बैठे टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों का उत्साह 15वें दिन भी देखने लायक है। सभी आत्मविश्वास से भरे हुए हैं तथा काउंसिलिंग होने तक अनशन जारी रखने के प्रति कटिबद्ध है। मोर्चा के महामंत्री अरविंद यादव ने कहा कि हमारा संघर्ष व्यक्तिगत न होकर सर्वसमाज के हित में है। टीईटी अभ्यर्थियों की जीत एवं इनका संघर्ष गरीब, मजबूर, योग्य एवं कुशल योग्यताधारियों की जीत एवं संघर्ष है। अनशन के समर्थन में शिक्षक संघ के नेता शैलेश राय व कृपाशंकर राय ने कहा कि सपा सरकार शिक्षा, रोजगार एवं युवा विरोधी है। जबसे यह सरकार सत्ता में आई है तबसे प्रतिभा एवं लोकतंत्र खतरे में पड़ गया है। ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार की हठधर्मिता एवं द्वेषपूर्ण नीति के कारण आज भारत के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का पालन नहीं हो रहा है। इस अवसर पर जौनपुर संगठन के जिलाध्यक्ष शशांक सिंह, बृजभान यादव, अमरनाथ, अरविंद यादव, शरद राय, विघ्नेश गौतम, शैलेश राय आदि उपस्थित


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Facebook se Logo Ke Comment :

Rahul Pandey
अभी टेट मेरिट वालों के लिए भूखा बंगाली भात-भात लगा है।
अगर शिक्षामित्र आप से पहले नियुक्त हुए तो दो हानि है
आप सहायक पद पर नियुक्त होंगे और सहायक अध्यापक पद से रिटायर हो जायेंगे।
शिक्षामित्र आपके सीनियर होंगे और उनके स्थानीय होने के कारण आप दूर से जाकर दुर्दशा का शिकार होंगे।

अकादमिक मेरिट वालों फिर आप कभी शिक्षक नहीं बनोगे

बीटीसी की जो खेप निकल रही है वह सिर्फ रिटायर होने वाले
अध्यापकों के द्वारा रिक्त पदों पर ही नियुक्त हो सकेंगे ।

अंततः अगर सही पैरवी और रणनीति के तहत कार्य हो तो शिक्षामित्रों का समायोजन रुक जायेगा



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निरहुआ क्रांतिकारी 'विद्रोही' >>
सभी भाइयों को निरहुआ का प्रणाम।
साथियों,
आज हाई कोर्ट में शिक्षामित्रों के समायोजन पर रोक सम्बन्धी याचिका की सुनवाई के दौरान जो कुछ भी हुआ वह अप्रत्याशित कदापि नहीं था। आज कोर्ट में मैं स्वयं मौजूद था और पूरे तमाशे को देखकर एक ही बात समझ में आयी है की बी.टी.सी. वालों ने हाई कोर्ट को मदारी का मजमा समझकर रिट दाखिल की है। एक ओर जहाँ शिक्षामित्र 100-150 की संख्या में मौजूद थे वहीं मुझे लाख ढूंढनें पर भी बी.टी. सी. पक्ष की ओर से एक भी बन्धु के दर्शन नहीं हुए,,,बाकी की तो बात ही छोड़ दीजिये मुख्य याची शिवम् राजन भी केस का पूरा दारोमदार एडवोकेट मान बहादुर और एडवोकेट इन्द्रसेन सिंह तोमर के जिम्मे छोड़कर पूरी सुनवाई के दौरान नदारद रहे। एक ओर जहाँ शिक्षामित्रों ने आज की सुनवाई के महत्त्व को गंभीरता से लेते हुए आर.के.ओझा जैसे काबिल और अभिषेक श्रीवास्तव जैसे तेज तर्रार वकीलों को अपनी तरफ से मैदान में उतारा था वहीँ दूसरी और बी.टी.सी. वालों की ओर से कोई एक सीनियर वकील भी खड़ा नहीं हुआ। शिक्षामित्रों की ओर से आर.के. ओझा ने जोरदार पैरवी की, CSC ( चीफ स्टैंडिंग कौंसिल) रमेश उपाध्याय ने भी अपना पूरा जोर लगाया जबकि ncte के अधिवक्ता रिजवान अख्तर मूक दर्शक बने रहे। हालाँकि आज की पूरी कार्यवाही के दौरान शिक्षामित्रों की ओर से बार-बार यही दलील दी गई की शिक्षामित्र अनट्रेंड टीचर हैं और इन्हें नियमानुसार छूट मिलनी चाहिए किन्तु जस्टिस पी.के.एस. बघेल जी ने तक़रीबन सात बार कहा की ' शिक्षामित्र अनट्रेंड टीचर नहीं हैं, वे शिक्षक श्रेणी में शामिल नहीं हैं'। कोर्ट का रुख पूरी तरह बी.टी.सी. वालों के पक्ष में जाता दिख रहा था की अचानक सरकारी काउन्सिल उपाध्याय जी ने नया दांव खेलते हुए कह दिया की 'सर ! अभी हम next प्रोसेस अडॉप्ट ही नहीं कर रहे हैं तो फिर stay की माँग किस आधार पर हो रही है?' और यहीं से मामले का टर्निंग पॉइंट शुरू हुआ,,,अंत में जज महोदय ने मैटर को प्री-मैच्योर मानते हुए नेक्स्ट डेट लगा दी और पूरे प्रोसेस को फाइनल आर्डर के अंडर रन करने की बात कही।
आज की पूरी कार्यवाही से एक बात पूरी तरह साबित हुई है की जहाँ शिक्षामित्र अपने मामले को लेकर संगठित और गंभीर हैं वहीँ दूसरी ओर बी.टी.सी. बन्धु आर्थिक अभाव और लापरवाही के कारण ठीक ढंग से अभी मुकाबले के काबिल ही नहीं हो पाए हैं। मैं दावे के साथ कह सकता हूँ की अगर आज बी.टी.सी. वालों की ओर से एक भी अच्छा वकील होता तो आज स्टे लगना 300% तय था।
मेरी राय में जब सरकार हमारे खिलाफ कई मोर्चे पर लड़ रही है तो हमे कई मोर्चे खोलने की बजाय सरकार के खिलाफ ही दूसरे मोर्चे को सपोर्ट कर देना चाहिए,,,अर्थात शिक्षामित्रों के खिलाफ नई रिट डालने की बजाय बी.टी.सी. मोर्चे को ही विधिक एवं आर्थिक सहयोग मुहैय्या करा दिया जाय ताकि हमारा पूरा ध्यान 72825 पर केन्द्रित हो सके।

आपके विचार सादर आमंत्रित हैं....
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Avnish Avi : >>
12वीं पास, शिक्षामित्रों (शत्रुओं) को बिना टेट पास किए सहायक अध्यापक बनाने का जी.ओ. जारी ।30 जुलाई से पहले मिल जायेगा नियुक्त पत्र, अगली सुनवाई 14 जुलाई को , वीक OPPOSITION के कारण नहीं लगा कोई स्टे ।

टेटियन निराश सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी कोई सकारात्मक पहल नहीं जबकि SM को नियमों को तोड़मरोड़ कर नियमावली बिना केंद्र सरकार की अनुमति के पास


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Chaudhary Vikas >>>
कोई जाना माना न्यूज़ चैनल वाला भी अपनी कहानी को इस देश के सामने नहीं दिखता उसे भी साले को बलात्कार वाले सीन चाहिए और ये नहीं पता की पिछले २.५ साल से सरकार हमारी मानसिक स्थिति के साथ रोज बलात्कार कर रही है फर्क बस इतना है की कपडे नहीं फट रहे और खून नहीं निकल रहा और किसी ने पेड़ पर लटक कर जान नहीं दी


सब तरह का इन्तेजार और टेस्ट सिर्फ और सिर्फ बी.एड वालो की किस्मत में ही लिखा है हमसे तो अच्छे ये शिक्षा सत्रु निकले न कोई padai न कोई टेस्ट और नौकरी का g.o. हासिल और हमें बाबा जी का ठुल्लू यहाँ इस उत्तर प्रदेश में इन गवालो को पड़े लिखे पसंद नहीं है इन्हें तो इनके जैसे ही गधे चाहिए

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Prav Sin >>>


बी टी सी वाले साथिओ की लापरवाही के कारन शिक्ष-शत्रु उनके हक़ पर डाका डालने वाले है,,,समझ नहीं आता अच्छे अकादमिक रिकॉर्ड वाले लोग केवल इंटर पास लोगो से कैसे हार गए,,,शररम करो अपने आप पर,,,अभी भी बहुत नुकसान नहीं हुवा है,,अभी डबल बेंच,,ट्रिपल बेच,,सुप्रीम कोर्ट तक का रास्ता बाकि है,,दिल्ली दूर है,,, बी.टी.सी. याचियों को अब बेशुमार अनुभवी टेट संघर्ष मोर्चे के नेतृत्वकर्ताओं का सहयोग लेना चाहिये

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Avnish Avi >>>


"अंधेर नगरी चौपट राजा " ये कहावत सपा सरकार पर 16 आना सच साबित होती है ,जब नाकारा सरकार सत्ता में आ जाती है तब वो अयोग्य और नाकरा अधिकारीयों का ही चुनाव करती है ।

एक तरफ शिक्षा मित्रों को बिना टेट के और नियमों को तोड़- मरोड़कर G.O जारी कर जुलाई तक समायोजित करने का आदेश जारी किये जा रहे हैं वहीं दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी टेट पास B.ED धारियों की भर्ती में आना कानी की जा रही है !!

ये तो वही बात हुई बादामों ( टेटियन) को 2.5 साल से सडाया जा रहा है और आलुयों ( शिक्षामित्र ) को जुलाई के अंत तक बोरियों में भरने का आदेश दे दिया गया है ।।


Thursday, June 19, 2014

PASUDHAN PRASHAR ADHIKARI Interview / Call Letter : पशुधन अधिकारी के लिए साक्षात्कार 25 से

पशुधन अधिकारी के लिए साक्षात्कार 25 से

 PASUDHAN PRASHAR ADHIKARI Interview / Call Letter :

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 (Helpful for Interview and Information Purpose )


गोरखपुर। पशुधन प्रसार अधिकारियों की नियुक्ति के पूर्व दो वर्षीय प्रशिक्षण के लिए लिखित परीक्षा में सफल अभ्यर्थियों का साक्षात्कार 25 जून से 1 जुलाई तक प्रत्येक दिन सुबह आठ बजे से राजकीय पशुचिकित्सालय अलहदादपुर में होगा। सफल अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए बुलावा पत्र भेजा गया है। यह जानकारी पशुपालन विभाग के अपर निदेशक डॉ. केपी सिंह ने दी

News Source / Sabhaar : Amar Ujala (19.6.2014)

UPPCS PRE / UPPSC Matter Reaches to High Court

UPPCS PRE / UPPSC Matter Reaches to High Court


News Sabhaar : Hindustan Paper (19.6.2014)

Counseling of 72825 Teacher as per Supreme Court Order : नियुक्ति न होने पर भड़के टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थी

BTC : नियुक्ति न होने पर भड़के टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थी





नियुक्ति न होने पर भड़के टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थी
अमरोहा: बीटीसी उत्तीर्ण अभ्यर्थी नियुक्ति प्रक्रिया शुरू न होने पर भड़क गए हैं। अभ्यर्थियों ने कलक्ट्रेट पर प्रदर्शन कर जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा और जल्द नियुक्ति प्रक्रिया शुरू किए जाने की मांग की है।
अभ्यर्थियों ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के माध्यम से बेसिक शिक्षा मंत्री को भेजे पत्र में कहा कि उनकी दो वर्षीय बीटीसी पूर्ण हो गयी है और शिक्षक पात्रता परीक्षा भी उत्तीर्ण कर ली गयी है। 2013 में विभाग द्वारा निकाली गयी परिषदीय विद्यालयों में 10 हजार शिक्षकों की भर्ती में उन्होंने अनेक जनपदों से आवेदन किये परन्तु अभी तक नियुक्ति प्रक्रिया शुरू नहीं की गयी है। अभ्यर्थियों ने शीघ्र ही प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया को शुरू करने की मांग की। ज्ञापन देने वालों में दीपा, मोहित कुमार, अजय राज सिंह, नीतू गिल, इशरत जहां, पूजा कश्यप, पूजा रानी, दीप माला, कोमल आदि शामिल रहे

News Source Sabhaar : Jagran (Publish Date:Wednesday,Jun 18,2014 10:27:42 PM | Updated Date:Wednesday,Jun 18,2014 10:27:53 PM)
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UP TGT PGT : शासन ने मंजूर किया चयन बोर्ड का प्रस्ताव

UP TGT PGT : शासन ने मंजूर किया चयन बोर्ड का प्रस्ताव

ऑनलाइन होगी शिक्षकों की भर्ती
कैबिनेट की हरी झंडी मिलते ही होगा लागू

2011 की लंबित भर्ती होगी ऑनलाइन




अलीगढ़। शिक्षक बनने का ख्वाब देख रहे अभ्यर्थियों के लिए एक खुशखबरी है। अब उन्हें शिक्षक पद पर आवेदन करने के लिए ज्यादा माथापच्ची नहीं करनी होगी। फॉर्म जमा करने को डाकघर या बैंक की लंबी-लंबी लाइन में नहीं लगना होगा। चयन बोर्ड के भर्ती प्रक्रिया के प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है। अगले एक हफ्ते में इसे लागू भी कर दिया जाएगा।

टीजीटी-पीजीटी भर्ती प्रक्रिया में फर्जीवाड़े को रोकने, चयन बोर्ड के काम में पारदर्शिता लाने और काम के बोझ को कम करने के लिए भर्ती प्रक्रिया को ऑनलाइन किया जा रहा है। शिक्षक चयन बोर्ड के प्रभारी आशाराम यादव ने बताया कि भर्ती प्रक्रिया को ऑनलाइन करने का प्रस्ताव शासन को भेजा जा चुका है। जिस पर शासन की मंजूरी की भी मुहर लग गई है। अगले एक हफ्ते में कैबिनेट की बैठक में भी इसके मंजूर हो जाने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि भर्ती के दौरान लाखों आवेदन पत्र आते हैं। जिन्हें संभालना मुश्किल हो जाता है। साथ ही मेरिट बनाने में भी आसानी रहेगी। किसी तरह का कोई फर्जीवाड़ा नहीं हो सकेगा।

इतना ही नहीं आवेदन शुल्क भी ऑनलाइन लेने से ड्राफ्ट के एक्सपायर होने का भी डर नहीं रहेगा। उनका कहना है कि प्रस्ताव को कैबिनेट में मंजूरी मिलते ही वर्ष 2011 की लंबित चल रही भर्ती आनलाइन शुरू कर दी जाएगी।



News Source Sabhaar : अमर उजाला  Amar Ujala (19.6.14)

BTC : बुरे फंसे , पास करना होगा टी ई टी

BTC  : बुरे फंसे , पास करना होगा टी ई टी


20 Hazar Karyrat Shikshkon Ko Bhee 31 March 2015 Tak TET Pass Karna Hoga Anivarya.

See News

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Sirf inhe hai TET se Choot, RTE Act Lagu Hone se Poorv.

NCTE ne Bataya TET ko Anivarya



News Source / Sabhaar : Hindustan Epaper (19.6.2014)
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Wednesday, June 18, 2014

Counseling of 72825 Teacher as per Supreme Court Order : नियुक्ति होने तक जारी रहेगा संघर्ष

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Teacher Eligibility Test (TET) , UPTET Latest News
आजमगढ़ : उत्तर प्रदेश टीईटी उत्तीर्ण संघर्ष मोर्चा द्वारा अपनी मांग प्राथमिक शिक्षक भर्ती सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार नियत समय सीमा में भर्ती पूरी करने के संबंध में मेहता पार्क में जारी क्रमिक अनशन 15वें दिन बुधवार को भी जारी रहा।

संगठन के अध्यक्ष उमेश कुमार ने कहा कि 72,825 शिक्षकों की भर्ती के संबंध में क्रमिक अनशन पर बैठे टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों का उत्साह 15वें दिन भी देखने लायक है। सभी आत्मविश्वास से भरे हुए हैं तथा काउंसिलिंग होने तक अनशन जारी रखने के प्रति कटिबद्ध है। मोर्चा के महामंत्री अरविंद यादव ने कहा कि हमारा संघर्ष व्यक्तिगत न होकर सर्वसमाज के हित में है। टीईटी अभ्यर्थियों की जीत एवं इनका संघर्ष गरीब, मजबूर, योग्य एवं कुशल योग्यताधारियों की जीत एवं संघर्ष है। अनशन के समर्थन में शिक्षक संघ के नेता शैलेश राय व कृपाशंकर राय ने कहा कि सपा सरकार शिक्षा, रोजगार एवं युवा विरोधी है। जबसे यह सरकार सत्ता में आई है तबसे प्रतिभा एवं लोकतंत्र खतरे में पड़ गया है। ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार की हठधर्मिता एवं द्वेषपूर्ण नीति के कारण आज भारत के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का पालन नहीं हो रहा है। इस अवसर पर जौनपुर संगठन के जिलाध्यक्ष शशांक सिंह, बृजभान यादव, अमरनाथ, अरविंद यादव, शरद राय, विघ्नेश गौतम, शैलेश राय आदि उपस्थित

News Sabhaar : Jagran (Publish Date:Wednesday,Jun 18,2014 08:32:37 PM | Updated Date:Wednesday,Jun 18,2014 08:32:01 PM)
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Shiksha Mitra Vs BTC : शिक्षामित्रों को समायोजित करने का विरोध

Shiksha Mitra Vs BTC  :  शिक्षामित्रों को समायोजित करने का विरोध


Shiksha Mitra Vs BTC 


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सैदपुर (गाजीपुर) : जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान सैदपुर में बुधवार को बीटीसी 2011 संघर्ष समिति की बैठक हुई। इसमें शिक्षामित्रों को बिना टीइटी के समायोजित करने को नियम विरुद्ध बताया गया। सदस्यों ने कहा कि एनसीआरटी के नियमावली के अनुसार 23 अगस्त 2010 के बाद किसी भी प्रशिक्षु सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति के लिए टीइटी अनिवार्य है। कहा गया कि अगर सरकार अपना निर्णय नहीं बदलती है तो आंदोलन किया जाएगा। इसमें मनीष कुमार, पीयूष कुमार, देवेंद्र पांडेय, रमाशंकर सिंह, रमेश चंद्र यादव, रामनारायण कुशवाहा, शिखा चौरसिया, चारू गौतम, पूजा भारती, ज्योति चौबे, प्रीति एवं प्रिया वर्मा आदि मौजूद थीं

News Sabhaar : Jagran (Publish Date:Wednesday,Jun 18,2014 07:51:42 PM | Updated Date:Wednesday,Jun 18,2014 07:51:54 PM)
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LT Grade Teacher GIC Recruitment : यूपीः तीन साल बाद अब होगी 1425 शिक्षकों की भर्ती

LT Grade Teacher GIC Recruitment : यूपीः तीन साल बाद अब होगी 1425 शिक्षकों की भर्ती

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बैठक में मांगा गया ब्यौरा
राजकीय इंटर कॉलेजों में तीन साल पहले शुरू की गई शिक्षक भर्ती का रास्ता साफ हो गया है।

प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा मनोज कुमार सिंह ने मंगलवार को निदेशालय में मंडलीय संयुक्त निदेशकों के साथ बैठक की।

उन्होंने अधिकारियों से भर्ती प्रक्रिया की अब तक की प्रगति के बारे में जानकारी ली और कहा कि मंडलवार पूरा ब्यौरा शासन को उपलब्ध करा दिया जाए। इसके बाद नियुक्ति पत्र जारी करने के संबंध में शासनादेश जारी किया जाएगा

1425 शिक्षकों की होनी है भर्ती
प्रदेश में तीन साल पहले राजकीय इंटर कॉलेजों में 1425 शिक्षकों की भर्ती के लिए मंडलवार विज्ञापन निकाल कर आवेदन लिए गए थे।

आवेदन के आधार पर मंडलों में संयुक्त शिक्षा निदेशकों ने साक्षात्कार की प्रक्रिया भी पूरी कर ली थी, लेकिन हाईकोर्ट में मामला चले जाने के कारण भर्ती प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई।

हाईकोर्ट के आदेश पर ही बाद में साक्षात्कार में सफल होने वालों के प्रमाण पत्रों का मिलान किया गया, फिर भी चयनितों को नियुक्ति पत्र नहीं दिया जा सका

प्रमुख सचिव ने मंगलवार को अधिकारियों के साथ बैठक कर वस्तुस्थिति की जानकारी ली। बताया जाता है कि मंडलवार चयनित शिक्षकों को जल्द ही नियुक्ति पत्र देने संबंधी शासनादेश जारी कर दिया जाएगा।


इंटर कॉलेजों में होगी खुदरा कारोबार की पढ़ाई
इंटर कॉलेजों के छात्रों को रोजगारपरक शिक्षा देने के लिए अब रिटेल ट्रेड (खुदरा व्‍यापार) की पढ़ाई भी कराई जाएगी। इसे शुरू करने से पहले इंटर कॉलेजों के प्रधानाचार्यों को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।

इसके लिए प्रधानाचार्यों के नाम मांगे गए हैं। अपर निदेशक व्यावसायिक शिक्षा शैल यादव ने इस संबंध में प्रधानाचार्यों को निर्देश भेज दिए हैं।

माध्यमिक शिक्षा परिषद के सहायता प्राप्त और राजकीय इंटर कॉलेज में पढ़ने वाले छात्रों को वर्ष 1987 से व्यावसायिक शिक्षा देने की शुरुआत की गई

27 जून तक होगी ट्रेनिंग
पहले चरण में राजकीय इंटर कॉलेजों में इसकी पढ़ाई शुरू की जाएगी। इसके बाद इसे सहायता प्राप्त इंटर कॉलेजों में शुरू किया जाएगा। इसे पढ़ाने के लिए अनुदेशकों को रखा गया है।

इससे पहले प्रधानाचार्यों को पंडित सुंदर लाल शर्मा केंद्रीय व्यावसायिक शिक्षा संस्थान भोपाल में प्रशिक्षण दिया जाएगा।

यह प्रशिक्षण 27 जून तक चलेगा। प्रशिक्षण देने का मकसद यह है कि प्रधानाचार्य शिक्षकों को इसकी जानकारी देने के साथ पढ़ाई शुरू करा सकें




News Source / Sabhaar : अमर उजाला Amar Ujala (18.6.14)