Sunday, January 4, 2015

बड़ी खबर: एमएड किए बिना बनें बीएड टीचर

बड़ी खबर: एमएड किए बिना बनें बीएड टीचर

शनिवार, 3 जनवरी 2015
अमर उजाला, कानपुरUpdated @ 1:47 PM IST

नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजूकेशन (एनसीटीई) ने एमएड में एडमिशन की अर्हता बदल दी है। साथ ही बीटीसी और बीएलएड करने वालों को भी एमएड की पढ़ाई का विकल्प दे दिया है।

अभी तक बीएड करने वाले ही एमएड की पढ़ाई कर पाते थे। नई व्यवस्था शैक्षिक सत्र 2015-16 से लागू हो जाएगी।

दूसरी तरफ बीएड कॉलेजों में पढ़ाने के लिए शिक्षकों की अर्हता भी कम कर दी गई है।
अब एमए एजूकेशन के साथ बीएड करने वाला कोई भी व्यक्ति बीएड कॉलेजों में पढ़ा सकता है। इसके लिए पीएचडी, नेट या एमएड होने की अनिवार्यता नहीं रह गई है।

बीएड, बीटीसी और बीएलएड में 50 फीसदी मार्क्स पाने वाले स्टूडेंट्स अब एमएड में एडमिशन ले सकेंगे। शैक्षिक सत्र 2014-15 में यही अर्हता 55 फीसदी थी। यानी शैक्षिक अर्हता में इस बार 5 फीसदी मार्क्स की छूट दे दी गई है।

एससी, एसटी स्टूडेंट्स को‌ मिलेगा रिलैक्सेशन

एससी, एसटी स्टूडेंट्स को मार्क्स की न्यूनतम अर्हता में पांच फीसदी की छूट मिलेगी। ग्रेजुएशन के बाद बीएड, बीटीसी में एडमिशन मिलता है। बीएलएड में एडमिशन की अर्हता इंटरमीडिएट निर्धारित है।
एनसीटीई ने कहा है कि बीएड, बीटीसी, बीएलएड सहित टीचर्स एजूकेशन के अन्य कोर्स पर यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) का नियम नहीं लागू होगा।
सभी कोर्स का संचालन एनसीटीई की नियमावली से होगा।इस संबंध में एनसीटीई ने नोटिस भी जारी किया है। क्षेत्रीय उच्च शिक्षाधिकारी डॉ. इंदु सक्सेना ने
बताया कि एनसीटीई की नई नियमावली आ गई है।
शासन स्तर से इस पर काम चल रहा है। वहां से हरी झंडी मिलने के बाद नई नियमावली से मान्यता, संबद्धता, एडमिशन और पठन-पाठन का काम शुरू करा दिया जाएगा।

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