RTE ACT : प्राइमरी स्कूलों में नए सत्र से परीक्षाएं बंद
लखनऊ। सरकारी प्राइमरी स्कूलों में शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई एक्ट) लागू होने के चार साल बाद सतत व समग्र मूल्यांकन (सीसीई) नए शैक्षिक सत्र से लागू होगा। आरटीई एक्ट में शैक्षिक स्तर को जांचने के लिए छमाही या वार्षिक परीक्षाओं की जगह पूरे वर्ष भर के मूल्यांकन पर जोर है। इसके बाद परीक्षाएं बंद हो जाएंगी।इसे लागू करने के लिए अब अधिकारियों का प्रशिक्षण होने जा रहा है।
सभी जिलों को निर्देश दिया गया है कि यदि उन्होंने कोई नया प्रयोग किया हो तो उसकी वीडियो फिल्म बनाएं ताकि बाकी जिलों को इससे प्रेरणा मिल सके। आरटीई एक्ट में कक्षा एक से आठ तक पूरे वर्ष विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से विद्यार्थियों की क्षमता का आकलन करने की बात है। इसमें विद्यार्थियों के व्यक्तित्व का समग्र मूल्यांकन होता है।
मसलन- विषय का ज्ञान, विद्यार्थी का कौशल, उसकी समझ, उसकी रुचियों और उसके विकास आदि का आकलन होगा। सीसीई प्रक्रिया पिछले तीन वर्षों से प्रदेश के पांच जिलों के सरकारी स्कूलों में पायलट परीक्षण के तौर पर चल रही है।
गाजियाबाद, ललितपुर, वाराणसी, बलरामपुर व रायबरेली में सरकारी प्राइमरी व उच्च प्राइमरी स्कूलों में परीक्षण के तौर पर लागू किया गया है। इसका माडय़ूल ऐसा बनाया गया है कि विद्यार्थी भी पाठ पढ़ाने के दौरान पूरी तरह सहभागिता करें और उनकी दिलचस्पी पढ़ाई में बढ़े।
लखनऊ। सरकारी प्राइमरी स्कूलों में शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई एक्ट) लागू होने के चार साल बाद सतत व समग्र मूल्यांकन (सीसीई) नए शैक्षिक सत्र से लागू होगा। आरटीई एक्ट में शैक्षिक स्तर को जांचने के लिए छमाही या वार्षिक परीक्षाओं की जगह पूरे वर्ष भर के मूल्यांकन पर जोर है। इसके बाद परीक्षाएं बंद हो जाएंगी।इसे लागू करने के लिए अब अधिकारियों का प्रशिक्षण होने जा रहा है।
सभी जिलों को निर्देश दिया गया है कि यदि उन्होंने कोई नया प्रयोग किया हो तो उसकी वीडियो फिल्म बनाएं ताकि बाकी जिलों को इससे प्रेरणा मिल सके। आरटीई एक्ट में कक्षा एक से आठ तक पूरे वर्ष विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से विद्यार्थियों की क्षमता का आकलन करने की बात है। इसमें विद्यार्थियों के व्यक्तित्व का समग्र मूल्यांकन होता है।
मसलन- विषय का ज्ञान, विद्यार्थी का कौशल, उसकी समझ, उसकी रुचियों और उसके विकास आदि का आकलन होगा। सीसीई प्रक्रिया पिछले तीन वर्षों से प्रदेश के पांच जिलों के सरकारी स्कूलों में पायलट परीक्षण के तौर पर चल रही है।
गाजियाबाद, ललितपुर, वाराणसी, बलरामपुर व रायबरेली में सरकारी प्राइमरी व उच्च प्राइमरी स्कूलों में परीक्षण के तौर पर लागू किया गया है। इसका माडय़ूल ऐसा बनाया गया है कि विद्यार्थी भी पाठ पढ़ाने के दौरान पूरी तरह सहभागिता करें और उनकी दिलचस्पी पढ़ाई में बढ़े।
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