UPTET SARKARI NAUKRI News - SHIKSHA MITRA SANGTHAN KE GAZI IMAM ALA KA SANDESH -
शिक्षामित्रों/समायोजित शिक्षकों के नाम सन्देश॥
प्रिय शिक्षामित्र/समायोजित शिक्षक भाइयों एवं बहनों, 6 जुलाई को मा० उच्चतम न्यायालय द्वारा एक स्थगनादेश यह कहते हुए दिया गया कि बिना टेट कोई भी नियुक्ति न किया जाय। उसके बाद हमारे टेट बन्धुओं द्वारा जोर शोर से प्रचारित और प्रसारित किया जाने लगा कि अब 27 जुलाई को शिक्षामित्रों का खेल खत्म हो जाएगा, तथा टी०ई०टी० होकर रहेगा। इसको लेकर आपका एकमात्र संगठन उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र एसोसिएशन अति गंभीरता से संलिप्त होते हुए आप लोगों के सहयोग से तीन आई०ए० दाखिल कर सरकार और संगठन द्वारा मजबूत काउंटर रखा गया। और जो यह कहते नहीं थकते थे कि अब शिक्षामित्रों का खेल खत्म हो गया है, उनको भी अपनी औकात का पता चल गया। उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र एसोसिएशन ने सीनियर और जूनियर समेत 8 अधिवक्ताओं के मजबूत पैनल के साथ इस केस को मा० सर्वोच्च न्यायालय में सामना किया और विरोधियों को कड़ा जवाब दिया। हमारे सीनियर अधिवक्ता श्री के०के० वेणुगोपाल जी व श्री अमित सिब्बल जी ने जोरदार बहस किया। शिक्षामित्रों के सभी मामलों को उच्च न्यायालय इलाहाबाद में एक साथ बंच कर सुनवाई कराने व मा० उच्च न्यायालय से शिक्षामित्रों के विरुद्ध याचिका को खारिज कराने में हमें बड़ी सफलता प्राप्त हुई। मित्रों यह शिक्षामित्रों और समायोजित शिक्षकों की बहुत बड़ी विजय है। जिसका श्रेय आप सभी को जाता है, आप लोग बधाई के पात्र हैं कि पूरे तन मन और धन से संगठन का सहयोग किये। किन्तु हमें दुःख सिर्फ इस बात का है कि बचे हुए शिक्षामित्रों के समायोजन पर स्थगनादेश रद्द नहीं हो पाया। मा० उच्चतम न्यायालय ने मा० उच्च न्यायालय इलाहाबाद को दो माह के अन्दर फैसला देने हेतु निर्देशित भी कर दिया है। यदि दो माह में फैसला नहीं आता है तो भी स्थगनादेश स्वतः रद्द हो जाएगा। हम खास करके मा० बेसिक शिक्षा मंत्री का भी आभार प्रगट करते हैं जिन्होंने अपना कीमती समय निकालकर शिक्षामित्रों की इस मान सम्मान की लड़ाई में उच्चतम न्यायालय पहुँचकर शिक्षामित्रों का उत्साह बढ़ाया। हम लोगों ने विगत सोमवार को मा० मन्त्री जी से मिलकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय में होने वाली सुनवाई के लिए विचार विमर्श किया। मंत्री जी द्वारा हमारे सामने ही इलाहाबाद उच्च न्यायालय के महाधिवक्ता श्री विजय बहादुर जी को फोन करके शिक्षामित्र प्रकरण की विस्तार पूर्वक जानकारी देते हुए मजबूती से लड़ने को कहा तथा हमें महाधिवक्ता से मिलने के लिए भी निर्देशित किया। हम स्वयं थोड़ा अस्वस्थ होने के कारण प्रदेश संरक्षक शिव कुमार शुक्ला जी, प्रदेश उपमहामंत्री रमेश मिश्रा जी, प्रदेश प्रवक्ता शिव श्याम मिश्रा जी, जिलाध्यक्ष लखनऊ सुशील यादव को कालीदास मार्ग स्थित उनके आवास पर भेजकर समस्त कागजात उपलब्ध करा दिया गया तथा प्रदेश के महाधिवक्ता श्री विजय बहादुर सिंह जी व सी०एच०सी० उच्च न्यायालय इलाहाबाद श्री आर०बी० यादव जी ने संयुक्त रुप से संगठन को पूर्णतः आश्वस्त कराया कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय में शिक्षामित्र प्रकरण की सुनवाई जैसे ही शुरु होगी, वैसे ही शुरुआती दौर में ही स्थगनादेश हटवाने का काम किया जाएगा। मा० मन्त्री जी ने भी पूर्णतः आश्वस्त किया कि स्थगनादेश हटते ही तत्काल बचे हुए शिक्षामित्रों का समायोजन कर दिया जाएगा। संगठन द्वारा जिस प्रकार की रणनीति बनाई गयी वह सफल रहा। समायोजन से वंचित साथी निराश न हों, आपकी वेदना को संगठन बहुत ही गम्भीरता से ले रहा है। इसके लिए भी अपने सीनियर अधिवक्ता श्री के०के०वेणुगोपाल जी व श्री अमित सिब्बल जी से राय लिया जा रहा है कि यदि अलग से कोई रिट डालकर सुनवाई मा० उच्चतम न्यायालय में हो सकता है तो उसको भी करने में संगठन पीछे नहीं रहेगा।
प्रिय मित्रों 27 जुलाई की पूर्व संध्या को हमने अपने जिस पैनल का उल्लेख किया था और जिस पैनल को मा० उच्चतम न्यायाय में मामले की पैरवी के लिए अनुबन्धित किया था उन्हीं अधिवक्ताओं की वजह से यह विजय हमें प्राप्त हुई, जिसके लिए हम और हमारा संगठन उन सभी अधिवक्ताओं के शुक्रगुजार हैं। 27 जुलाई से ही हमने कोई भी पोस्ट अब तक नहीं किया था, क्योंकि हजारों की संख्या में हमारे शिक्षामित्र और शिक्षक साथियों ने दिल्ली पहुँचकर स्वयं अपनी आखों से सब कुछ देखा और वास्तविकता से अवगत हुए कि कौन लड़ाई लड़ने वाला है और कौन शिक्षामित्रों को बेवकूफ बनाने वाला है। फिर भी बेशर्मी की सारी हदों को पार करते हुए उन हजारों प्रत्यक्षदर्शियों की आखों में धूल झोंकने का कुप्रयास किया गया। जो लोग पक्षकार भी नहीं बन पाये थे उनके लम्बे लम्बे पोस्ट और आडियो जारी होने लगे। गरीब शिक्षामित्रों से हमारे नाम पर अवैध धन उगाही करने वाले करोड़ों रुपये हड़पकर हमारे ही ऊपर अंगुली उठाना शुरु कर दिये। साथियों हम आपको आगाह करना चाहते हैं कि आप अपने बीच से ऐसे चन्दाचोरों को पहचानिए और एक एक पैसे का हिसाब लीजिए, कि जिस लड़ाई के नाम पर अवैध धन उगाही की गयी वह लड़ाई कौन और किस तरह लड़ा? उनसे पूछिए कि जब आपका संगठन मा० उच्चतम न्यायालय में पक्षकार ही नहीं बन पाया तो अधिवक्ता कैसे खड़ा कर लिए? जिस पी०एन० मिश्रा का नाम लिया जा रहा है, वह सरकारी अधिवक्ता थे, उनको सरकार ने रखा था। मित्रों जहाँ तक उ०प्र०प्रा०शि०मि०ए० पर अँगुली उठाने की बात है तो आप सबने स्वयं देखा कि 8 सीनियर और जूनियर अधिवक्ताओं की फौज के साथ मामले को देखा गया, शिक्षामित्रों और समायोजित शिक्षकों का दिया हुआ पाई पाई मा० उच्चतम न्यायालय में लगाने का काम किया गया। यहाँ पूरी प्रदेश कार्यकारिणी और सभी जिला पदाधिकारियों के समक्ष एक एक पाई का हिसाब किताब लिखित होता है। जिसको जब आवश्यकता हो हिसाब ले सकता है। रही बात चुनाव लड़ने की तो हमारे बाप दादा भी चुनाव लड़ते आये हैं, वे लोग जान लें कि चुनाव चन्दे से नहीं लड़ा जाता है। यदि लड़ा जाता है तो आप ने तो करोड़ों की चन्दा वसूली की है और उच्चतम न्यायालय में भी कोई सहयोग नहीं कर पाये। तो उन्हीं पैसों से चुनाव लड़कर देख लीजिए।
उ०प्र०प्रा०शि०मि०एसोसिएशन केवल मीडिया में, फेसबुक पर या केवक व्हाट्सप पर गन्दी राजनीती नहीं करता है, शिक्षामित्रों और समायोजित शिक्षकों की आँखों में धूल नहीं झोंकता है, बेवजह भाषणबाजी नहीं करता है, झूठा आडियो नहीं जारी करता है। उ०प्र०प्रा०शि०मि०ए० काम करता है, जो कहता है वह करके दिखाता है।
प्रिय मित्रों हमारे समायोजन को निरस्त कराने का ख्वाब देखने वाले पहले अपनी नौकरी बचाएँ, एक ही समय में दो दो जगह हस्ताक्षर करने वाले एस०के० पाठक का हाल आप लोगों पता होगा, खुद ही निरस्त हो गये। इसी प्रकार आप लोग अपने अपने जनपदों में ऐसे लोगों की तलाश करें जो प्रशिक्षण में भी सम्मिलित हैं और कोर्ट भी अटेंड कर रहे हैं। इनका पूरा कच्चा चिट्ठा खोलकर प्रदेश संगठन व शासन तक अवश्य पहुँचाएँ। ताकि ये किसी न्यायालय में खड़े होने लायक भी न रह पाएँ। धन्यवाद आपका अपना प्रदेश अध्यक्ष गाजी इमाम आला, उ०प्र०प्रा०शि०मि०ए०, उत्तर प्रदेश॥
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता
है।
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं
होती।
डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है,
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है।
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में,
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में।
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं
होती।
असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार
करो,
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो।
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो
तुम,
संघर्ष का मैदान छोड़ कर मत भागो तुम
कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं
होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं
होती।
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, UTET / Uttrakhand TET , GTET / Gujarat TET , TNTET / Tamilnadu TET , APTET / Andhra Pradesh TET , CGTET / Chattisgarh TET, HPTET / Himachal Pradesh TET
GAZI IMAM ALA >>>
शिक्षामित्रों/समायोजित शिक्षकों के नाम सन्देश॥
प्रिय शिक्षामित्र/समायोजित शिक्षक भाइयों एवं बहनों, 6 जुलाई को मा० उच्चतम न्यायालय द्वारा एक स्थगनादेश यह कहते हुए दिया गया कि बिना टेट कोई भी नियुक्ति न किया जाय। उसके बाद हमारे टेट बन्धुओं द्वारा जोर शोर से प्रचारित और प्रसारित किया जाने लगा कि अब 27 जुलाई को शिक्षामित्रों का खेल खत्म हो जाएगा, तथा टी०ई०टी० होकर रहेगा। इसको लेकर आपका एकमात्र संगठन उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र एसोसिएशन अति गंभीरता से संलिप्त होते हुए आप लोगों के सहयोग से तीन आई०ए० दाखिल कर सरकार और संगठन द्वारा मजबूत काउंटर रखा गया। और जो यह कहते नहीं थकते थे कि अब शिक्षामित्रों का खेल खत्म हो गया है, उनको भी अपनी औकात का पता चल गया। उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र एसोसिएशन ने सीनियर और जूनियर समेत 8 अधिवक्ताओं के मजबूत पैनल के साथ इस केस को मा० सर्वोच्च न्यायालय में सामना किया और विरोधियों को कड़ा जवाब दिया। हमारे सीनियर अधिवक्ता श्री के०के० वेणुगोपाल जी व श्री अमित सिब्बल जी ने जोरदार बहस किया। शिक्षामित्रों के सभी मामलों को उच्च न्यायालय इलाहाबाद में एक साथ बंच कर सुनवाई कराने व मा० उच्च न्यायालय से शिक्षामित्रों के विरुद्ध याचिका को खारिज कराने में हमें बड़ी सफलता प्राप्त हुई। मित्रों यह शिक्षामित्रों और समायोजित शिक्षकों की बहुत बड़ी विजय है। जिसका श्रेय आप सभी को जाता है, आप लोग बधाई के पात्र हैं कि पूरे तन मन और धन से संगठन का सहयोग किये। किन्तु हमें दुःख सिर्फ इस बात का है कि बचे हुए शिक्षामित्रों के समायोजन पर स्थगनादेश रद्द नहीं हो पाया। मा० उच्चतम न्यायालय ने मा० उच्च न्यायालय इलाहाबाद को दो माह के अन्दर फैसला देने हेतु निर्देशित भी कर दिया है। यदि दो माह में फैसला नहीं आता है तो भी स्थगनादेश स्वतः रद्द हो जाएगा। हम खास करके मा० बेसिक शिक्षा मंत्री का भी आभार प्रगट करते हैं जिन्होंने अपना कीमती समय निकालकर शिक्षामित्रों की इस मान सम्मान की लड़ाई में उच्चतम न्यायालय पहुँचकर शिक्षामित्रों का उत्साह बढ़ाया। हम लोगों ने विगत सोमवार को मा० मन्त्री जी से मिलकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय में होने वाली सुनवाई के लिए विचार विमर्श किया। मंत्री जी द्वारा हमारे सामने ही इलाहाबाद उच्च न्यायालय के महाधिवक्ता श्री विजय बहादुर जी को फोन करके शिक्षामित्र प्रकरण की विस्तार पूर्वक जानकारी देते हुए मजबूती से लड़ने को कहा तथा हमें महाधिवक्ता से मिलने के लिए भी निर्देशित किया। हम स्वयं थोड़ा अस्वस्थ होने के कारण प्रदेश संरक्षक शिव कुमार शुक्ला जी, प्रदेश उपमहामंत्री रमेश मिश्रा जी, प्रदेश प्रवक्ता शिव श्याम मिश्रा जी, जिलाध्यक्ष लखनऊ सुशील यादव को कालीदास मार्ग स्थित उनके आवास पर भेजकर समस्त कागजात उपलब्ध करा दिया गया तथा प्रदेश के महाधिवक्ता श्री विजय बहादुर सिंह जी व सी०एच०सी० उच्च न्यायालय इलाहाबाद श्री आर०बी० यादव जी ने संयुक्त रुप से संगठन को पूर्णतः आश्वस्त कराया कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय में शिक्षामित्र प्रकरण की सुनवाई जैसे ही शुरु होगी, वैसे ही शुरुआती दौर में ही स्थगनादेश हटवाने का काम किया जाएगा। मा० मन्त्री जी ने भी पूर्णतः आश्वस्त किया कि स्थगनादेश हटते ही तत्काल बचे हुए शिक्षामित्रों का समायोजन कर दिया जाएगा। संगठन द्वारा जिस प्रकार की रणनीति बनाई गयी वह सफल रहा। समायोजन से वंचित साथी निराश न हों, आपकी वेदना को संगठन बहुत ही गम्भीरता से ले रहा है। इसके लिए भी अपने सीनियर अधिवक्ता श्री के०के०वेणुगोपाल जी व श्री अमित सिब्बल जी से राय लिया जा रहा है कि यदि अलग से कोई रिट डालकर सुनवाई मा० उच्चतम न्यायालय में हो सकता है तो उसको भी करने में संगठन पीछे नहीं रहेगा।
प्रिय मित्रों 27 जुलाई की पूर्व संध्या को हमने अपने जिस पैनल का उल्लेख किया था और जिस पैनल को मा० उच्चतम न्यायाय में मामले की पैरवी के लिए अनुबन्धित किया था उन्हीं अधिवक्ताओं की वजह से यह विजय हमें प्राप्त हुई, जिसके लिए हम और हमारा संगठन उन सभी अधिवक्ताओं के शुक्रगुजार हैं। 27 जुलाई से ही हमने कोई भी पोस्ट अब तक नहीं किया था, क्योंकि हजारों की संख्या में हमारे शिक्षामित्र और शिक्षक साथियों ने दिल्ली पहुँचकर स्वयं अपनी आखों से सब कुछ देखा और वास्तविकता से अवगत हुए कि कौन लड़ाई लड़ने वाला है और कौन शिक्षामित्रों को बेवकूफ बनाने वाला है। फिर भी बेशर्मी की सारी हदों को पार करते हुए उन हजारों प्रत्यक्षदर्शियों की आखों में धूल झोंकने का कुप्रयास किया गया। जो लोग पक्षकार भी नहीं बन पाये थे उनके लम्बे लम्बे पोस्ट और आडियो जारी होने लगे। गरीब शिक्षामित्रों से हमारे नाम पर अवैध धन उगाही करने वाले करोड़ों रुपये हड़पकर हमारे ही ऊपर अंगुली उठाना शुरु कर दिये। साथियों हम आपको आगाह करना चाहते हैं कि आप अपने बीच से ऐसे चन्दाचोरों को पहचानिए और एक एक पैसे का हिसाब लीजिए, कि जिस लड़ाई के नाम पर अवैध धन उगाही की गयी वह लड़ाई कौन और किस तरह लड़ा? उनसे पूछिए कि जब आपका संगठन मा० उच्चतम न्यायालय में पक्षकार ही नहीं बन पाया तो अधिवक्ता कैसे खड़ा कर लिए? जिस पी०एन० मिश्रा का नाम लिया जा रहा है, वह सरकारी अधिवक्ता थे, उनको सरकार ने रखा था। मित्रों जहाँ तक उ०प्र०प्रा०शि०मि०ए० पर अँगुली उठाने की बात है तो आप सबने स्वयं देखा कि 8 सीनियर और जूनियर अधिवक्ताओं की फौज के साथ मामले को देखा गया, शिक्षामित्रों और समायोजित शिक्षकों का दिया हुआ पाई पाई मा० उच्चतम न्यायालय में लगाने का काम किया गया। यहाँ पूरी प्रदेश कार्यकारिणी और सभी जिला पदाधिकारियों के समक्ष एक एक पाई का हिसाब किताब लिखित होता है। जिसको जब आवश्यकता हो हिसाब ले सकता है। रही बात चुनाव लड़ने की तो हमारे बाप दादा भी चुनाव लड़ते आये हैं, वे लोग जान लें कि चुनाव चन्दे से नहीं लड़ा जाता है। यदि लड़ा जाता है तो आप ने तो करोड़ों की चन्दा वसूली की है और उच्चतम न्यायालय में भी कोई सहयोग नहीं कर पाये। तो उन्हीं पैसों से चुनाव लड़कर देख लीजिए।
उ०प्र०प्रा०शि०मि०एसोसिएशन केवल मीडिया में, फेसबुक पर या केवक व्हाट्सप पर गन्दी राजनीती नहीं करता है, शिक्षामित्रों और समायोजित शिक्षकों की आँखों में धूल नहीं झोंकता है, बेवजह भाषणबाजी नहीं करता है, झूठा आडियो नहीं जारी करता है। उ०प्र०प्रा०शि०मि०ए० काम करता है, जो कहता है वह करके दिखाता है।
प्रिय मित्रों हमारे समायोजन को निरस्त कराने का ख्वाब देखने वाले पहले अपनी नौकरी बचाएँ, एक ही समय में दो दो जगह हस्ताक्षर करने वाले एस०के० पाठक का हाल आप लोगों पता होगा, खुद ही निरस्त हो गये। इसी प्रकार आप लोग अपने अपने जनपदों में ऐसे लोगों की तलाश करें जो प्रशिक्षण में भी सम्मिलित हैं और कोर्ट भी अटेंड कर रहे हैं। इनका पूरा कच्चा चिट्ठा खोलकर प्रदेश संगठन व शासन तक अवश्य पहुँचाएँ। ताकि ये किसी न्यायालय में खड़े होने लायक भी न रह पाएँ। धन्यवाद आपका अपना प्रदेश अध्यक्ष गाजी इमाम आला, उ०प्र०प्रा०शि०मि०ए०, उत्तर प्रदेश॥
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चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता
है।
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं
होती।
डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है,
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है।
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में,
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में।
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं
होती।
असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार
करो,
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो।
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो
तुम,
संघर्ष का मैदान छोड़ कर मत भागो तुम
कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं
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