UPTET : टीईटी पर कैबिनेट की होगी अग्निपरीक्षा
- सुझाये गए तीनों विकल्प के हैं अपने-अपने गुण-दोष
लखनऊ, जाब्यू : बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती के लिए पिछले साल आयोजित की गई अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी) के बारे में फैसला करना कैबिनेट के लिए आसान न होगा। सत्तारूढ़ होने के साथ ही सपा सरकार के गले की हड्डी बनी इस परीक्षा के बारे में निर्णय करने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग ने कैबिनेट को भेजे गए प्रस्ताव में तीन विकल्प सुझाये हैं। कैबिनेट की कश्मकश इसलिए भी होगी कि तीनों विकल्प के अपने गुण-दोष हैं।
यदि पहले विकल्प के तौर पर कैबिनेट गत वर्ष आयोजित टीईटी की मेरिट को ही चयन का आधार बनाने का फैसला करती है तो इससे अनियमितता और भ्रष्टाचार में संलिप्त कई अभ्यर्थी शिक्षक नियुक्त हो जाएंगे। यह उन योग्य और मेधावी अभ्यर्थियों के साथ अन्याय होगा जो अनियमितता के कारण चयनित न हो सके। यदि कैबिनेट इस विकल्प पर मुहर लगाती है तो संदेश यह जाएगा कि सरकार ने भ्रष्टाचार को आत्मसात किया है। इससे शासन को अदालत में फजीहत का सामना करना पड़ सकता है।
यदि कैबिनेट टीईटी 2011 को शिक्षक चयन का आधार न बनाने पर रजामंद होती है तो कई ऐसे अभ्यर्थी जो भ्रष्टाचार में शामिल नहीं थे लेकिन टीईटी में अच्छे अंक हासिल करने के कारण चुने जाते, वे अदालत की शरण में जा सकते हैं। टीईटी को चयन का आधार न बनाने पर शासन को उप्र बेसिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा नियमावली में संशोधन करना पड़ेगा। साथ ही 72,825 शिक्षकों की नियुक्ति के लिए नवंबर 2011 में जारी की गई केंद्रीयकृत विज्ञप्ति को रद कर नये सिरे से जिला स्तर पर विज्ञप्ति जारी करनी होगी।
यदि दूसरे विकल्प के तौर पर कैबिनेट मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति की सिफारिश को मानते हुए टीईटी को अर्हताकारी परीक्षा का दर्जा देने और शिक्षकों का चयन पहले की तरह उनकी शैक्षिक योग्यता के आधार पर करने पर सहमत होती है तो इससे चयन प्रक्रिया पर भ्रष्टाचार का प्रभाव न के बराबर रह जाएगा। ऐसा करने से शासन को तुरंत टीईटी आयोजित करने की जहमत से भी निजात मिलेगी।
टीईटी को अर्हताकारी परीक्षा बनाने की स्थिति में शासन को बेसिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा नियमावली में संशोधन करना होगी। संशोधित नियमावली के आधार पर पुरानी विज्ञप्ति को निरस्त कर जिला स्तर पर फिर से विज्ञप्ति जारी करनी होगी। हालांकि बीएड योग्यताधारी अभ्यर्थियों को शिक्षक नियुक्त करने के लिए एक जनवरी 2012 तक के लिए निर्धारित की गई समयसीमा को एनसीटीई से अनुरोध करके आगे बढ़वाना होगा। टीईटी को अर्हताकारी परीक्षा घोषित करने पर इस बात की संभावना भी है कि परीक्षा में ऊंची मेरिट हासिल करने वाले ऐसे अभ्यर्थी जो अनियमितता में शामिल न हों, वे अदालत का दरवाजा खटखटायें। हालांकि परीक्षा उत्तीर्ण करने के कारण ऐसे अभ्यर्थी अर्ह माने जाएंगे।
वहीं तीसरे विकल्प के तौर पर यदि टीईटी को निरस्त कर फिर से परीक्षा करायी जाती है तो अनियमितता में संलिप्त अभ्यर्थियों के चयन की गुंजायश खत्म हो जाएगी। इस विकल्प पर अमल करने का एक नतीजा यह होगा कि जो अभ्यर्थी गत वर्ष आयोजित टीईटी की अनियमितता में शामिल नहीं थे लेकिन परीक्षा उत्तीर्ण करने पर जिनको अर्हता प्रमाणपत्र उपलब्ध कराये जा चुके हैं, वे हतोत्साहित होंगे। इसके अलावा, नये सिरे से टीईटी आयोजित करने पर शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने में और देर लगेगी। परीक्षा को निरस्त करने की स्थिति में अभ्यर्थियों को आयु सीमा में छूट देने के साथ पिछले साल की परीक्षा के लिए नि:शुल्क आवेदन पत्र जमा करने वाले अभ्यर्थियों को परीक्षा शुल्क फिर से माफ करना होगा।
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मुझे समझ नहीं आता की अगर धांधली हुई तो दोषियों को कड़ी सजा क्यों नहीं दी जाती , जिससे आगे की भर्ती में घोटाला न कर सकें |
जितने भी अभ्यर्थी / अधिकारी दोषी पाए जाते हैं . सबके खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जानी चाहिए |
सभी अभ्यर्थीयों का विवरण - नाम , टी ई टी अनुक्रमांक , टी ई टी प्राप्तांक , हाई स्कूल , इंटर, ग्रेजुएसन के मार्क्स , कोलेज, बोर्ड आदि के नाम
जिससे पारदर्शिता आये व दोषियों को बेनकाब करना में आसानी हो सके
और अगर ऐसे अभ्यर्थीयों ने टी ई टी (लेवल - २ ) भी दिया है तो उसका भी सम्पूर्ण विवरण साथ ही दे दिया जाए |
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जब तक दोषी अभ्यर्थीयों के नाम सामने नहीं आते , तब तक धांधली की बात कैसे साबित होगी |
क्या चयन का आधार बदलने से धांधली ख़त्म हो जायेगी और विविध बोर्ड की असमानता , सम्पूर्णानन्द जैसे धांधली के मामले सामने नहीं आयेंगे
क्या टी ई टी मेरिट से चयन के बाद स्क्रीनिंग परीक्षा नहीं कराई जा सकती , जो अब तक के भर्ती किये हुए सारे शिक्षकों के लिए हो |
तमिलनाडु में जो शिक्षक २ वर्ष में टीईटी परीक्षा उत्तीर्ण नहीं कर पाता है उसको नोकरी से बाहर का रास्ता दिखने का प्रावधान है |
" टीईटी को अर्हताकारी परीक्षा घोषित करने पर इस बात की संभावना भी है कि परीक्षा में ऊंची मेरिट हासिल करने वाले ऐसे अभ्यर्थी जो अनियमितता में शामिल न हों, वे अदालत का दरवाजा खटखटायें। हालांकि परीक्षा उत्तीर्ण करने के कारण ऐसे अभ्यर्थी अर्ह माने जाएंगे।"
Kya kisee ko koee aisa candidate pata hai, jisne marks fraud kar ke prapt kiye hain, unka Roll No. etc.
Uske baare mein Sarkaar ko jaroor bataye. Aur yahan roll no. de sake/ va karan to bhee logo ko pata to lagega kee fraud hua hai.