TNTET : न्यूनतम अंक तय करने के खिलाफ याचिका खारिज
NCTE Clearly Specifide in its Guidelines that relaxation below 60% for SC/ST/PH etc. categories is in the hands of State Govt/Selection Authorities.
And similar RIGHTS used by Tamilnadu Government to Make Pass Marks 60% in its TET Examination for All.
Court has also follow the written procedures / regulation/ constitution and I felt on simlar lines this Judgement -
60% Pass Marks for All Category
comes out.
See this :
Qualifying marks
9 A person who scores 60% or more in the TET exam will be considered as TET
pass. School managements (Government, local bodies, government aided and unaided)
(a) may consider giving concessions to persons belonging to SC/ST, OBC,
differently abled persons, etc., in accordance with their extant reservation
policyhttp://www.ncte-india.org/RTE-TET-guidelines%5B1%5D%20%28latest%29.pdf*****************
NCTE ne Spasht Kiya Hai Ki TET Pass marks 60 % hain, Halanki Management / Govt ko right hai apnee policy ke anusaar is marks mein chhot / relaxation dene ka.
Koee Ye Soche ki Ye Judgement Govt ke favor mein hai Ya Kisee aur ke Favor mein, Aisa Nahin Hai.
Supreme Court ne wahee Kaha / Kiya Jo Rules mein Likhaa Hai.
Tamilnadu Govt. ne Sabke Liye TET Passing Marks 60% Rakhe Hain aur usko yeh karne ke Powers thee.
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न्यूनतम अंक तय करने के खिलाफ याचिका खारिज
नई दिल्ली (एजेंसी)। उच्चतम न्यायालय ने तमिलनाडु में शिक्षकों के लिए पात्रता परीक्षा में न्यनूतम 60 फीसद अंक निर्धारित करने के राज्य सरकार के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी। न्यायमूर्ति केएस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति एके सीकरी की खंडपीठ ने शुक्रवार को याचिका खारिज करते हुए कहा, ‘ हमारे लिए वकील के इस अनुरोध को स्वीकार करना मुश्किल है। आरक्षित वर्ग के प्रत्याशियों के लिये न्यूनतम अंक घटाने के सवाल पर पूरी तरह से राज्य सरकार को ही निर्णय लेना है।’ न्यायाधीशों ने कहा, ‘ रिट न्यायाधिकार का इस्तेमाल करके न्यायालय अंकों में किसी प्रकार की रियायत नहीं दे सकता क्योंकि यह निर्णय राज्य सरकार को ही करना होगा।’ प्रो. ए. मार्क्स का तर्क था कि सभी के लिए एक समान योग्यता अंक निर्धारित करना गैरकानूनी है और इससे संविधान के अनुच्छेद 16(4) का उल्लंघन होता है। संप्रदाय के आरक्षण के आधार पर पात्रता के लिये न्यूनतम अंक निर्धारित करना राज्य सरकार के लिए आवश्यक है। इससे पहले, मद्रास उच्च न्यायालय ने भी इसे नीतिगत मामला बताते हुए इसमें किसी प्रकार की राहत देने से इनकार कर दिया था।
News Sabhaar : rashtriyasahara.com (14.12.2013) / http://www.rashtriyasahara.com/epapermain.aspx?queryed=10&querypage=1&boxid=17215946&parentid=47150&eddate=12/14/13