Saturday, January 25, 2014

विज्ञान-गणित के पदों पर भर्ती नहीं

विज्ञान-गणित के पदों पर भर्ती नहीं
शिक्षामित्रों के भरोसे प्राथमिक शिक्षा



इलाहबाद।  बेसिक शिक्षा परिषद ने उच्च प्राथमिक विद्यालयों में विज्ञान एवं गणित के 29334 शिक्षक पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी करने के साथ बीटीसी उत्तीर्ण प्रशिक्षुओं के 10 हजार पदों की घोषणा कर दी। सुप्रीम कोर्ट में शैक्षिक मेरिट के आधार पर भर्ती के लिए याचिका दाखिल करने के बाद अब प्रदेश सरकार ने 72825 पदों के साथ उक्त भर्ती पर रोक लगा दी, जबकि प्रदेश सरकार ने इसी प्रक्रिया से जुड़ी उर्दू शिक्षकों की भर्ती पूरी करने के बाद शिक्षकों को नियुक्ति भी दे दी।

आवेदन पर ही हर अभ्यर्थी ने खर्च किए एक लाखः
प्रदेश में सत्ता के बदलने के साथ शिक्षक चयन की प्रक्रिया बदल जाने के बाद झमेले में फंसी परिषदीय शिक्षकों की भर्ती पूरी नहीं हो सकी है। शिक्षक भर्ती के लिए तीन बार आवेदन लिए गए। भर्ती के लिए आवेदकों ने एक बार में तीस से चालीस हजार खर्च किए। इस प्रकार तीन बार के आवेदन में लगभग एक लाख रुपये खर्च करने के बाद भी टीईटी पास अभ्यर्थी बेरोजगार हैं। टीईटी मेरिट के आधार पर शिक्षक पदों की भर्ती के कोर्ट के निर्णय के बाद सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई और प्रक्रिया ठप पड़ी है। बेसिक शिक्षा परिषद ने 2011 में शिक्षकों के 72825 पदों पर टीईटी की मेरिट के आधार पर भर्ती की घोषणा की थी। प्रदेश में सरकार बदती तो चयन का मानक बदलकर दोबारा विज्ञापन जारी कर दिया गया। पहली बार सभी आवेदन में 30 से 40 हजार खर्च करने वाले अभ्यर्थियों ने आवेदन के लिए एक बार फिर इतना हर पैसा खर्च किया।
 
 
 
 प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में बीते तीन वर्ष से शिक्षकों की भर्ती पर बने गतिरोध के कारण प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ाई-लिखाई जैसे-तैसे हो रही है। पढ़ाने का पूरा जिम्मा शिक्षामित्रों पर है। अब तो शिक्षामित्र भी सरकार पर दबाव बनाने के लिए कार्य बहिष्कार एवं धरना-प्रदर्शन शुरू कर चुके हैं। इस कारण एकल शिक्षकों वाले स्कूलों में पढ़ाई ठप है।

मिड-डे मील खिलाने तक सीमित हैं शिक्षक
प्रदेश केपरिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों की कमी के कारण व्यवस्था बदहाल है, जो गिनती के शिक्षक और शिक्षामित्र काम कर रहे हैं, वे भी मिड-डे मील और ग्राम प्रधान से कोआर्डिनेशन में ही लगे हैं। इनके अवकाश पर होने पर पढ़ाई के साथ मिड डे मील भी नहीं मिल पाता है। गिनती के शिक्षक मिड-डे मील की जिम्मेदारी पूरी करने तक ही सीमित हैं।

News Sabhaar : Amar Ujala / अमर उजाला ब्यूरो(25.1.14)

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