Saturday, January 3, 2015

क्या जयन्ती के दिन छुट्टी रखने की जगह दुगना काम / कार्य को प्रोत्साहन देते हुए कुछ नया नहीं करना चाहिए ???

 क्या जयन्ती के दिन छुट्टी रखने की जगह दुगना काम / कार्य को प्रोत्साहन देते हुए कुछ नया नहीं करना चाहिए ???
 PUBLIC HOLIDAY ON FORMER PRIME MINSTER CHNDRA SHEKHA AAJAZAD AND KARUPRI THAKUR'S BIRTH DAY
देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने 2 अक्टूबर को सार्वजानिक अवकाश के दिन सभी सरकारी कर्मचारियों को कार्यालय में उपस्थित होने के कहा और साफ़ सफाई अभियान चलाया था

क्या जयन्ती के दिन छुट्टी रखने की जगह दुगना काम / कार्य को प्रोत्साहन देते हुए कुछ नया नहीं करना चाहिए ???
क्या छुट्टी करने से लोग जयंती को मनाएंगे ??
अगर देश में महापुरुष / महान व्यक्ति / योगदान देने वाले लोग देखे जाएँ तो साल के 365 दिन कम पढ़ जायेंगे
सुभाष चन्द्र बोस , महाराणा प्रताप , छत्रपति शिवाजी , रानी लक्ष्मी बाई , भगत सिंह ,राजगुरु ,सुखदेव , चन्द्र शेखर आजाद इत्यादि



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छुट्टियों में लोहिया पर भारीे उनके अनुयायी
समाजवादी आंदोलन के नायक की जयंती या पुण्यतिथि पर नहीं होती छुट्टी


लखनऊ। छुट्टियों के नाम पर सियासत में समाजवादी आंदोलन के नायक डॉ. राम मनोहर लोहिया पर उनके अनुयायी भारी पड़ गए। डॉ. लोहिया की जयंती या पुण्यतिथि पर उत्तर प्रदेश में अवकाश नहीं होता लेकिन कर्पूरी ठाकुर के बाद अब चंद्रशेखर की जयंती पर भी छुट्टी घोषित कर दी गई।
सपा सरकार समाजवादी चिंतक और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी डॉ. लोहिया के विचारों और सिद्धातों पर चलने का दावा करती है। लोहिया अवध क्षेत्र के अंबेडकरनगर जिले के निवासी थे। आजादी के बाद उन्होंने गैरकांग्रेसवाद की राजनीति और आंदोलनों की अगुवाई की। सपा सरकार उनके नाम पर कई योजनाएं चला रही है। 23 मार्च को उनकी जयंती और 12 अक्तूबर को पुण्यतिथि धूमधाम से मनाई जाती है। इसके बावजूद लोहिया छुट्टियों की सियासत में पिछड़ गए। उनके अनुयायी आगे निकल गए। सपा सरकार ने लोहिया की जयंती या पुण्यतिथि पर अवकाश घोषित नहीं किया है। हालांकि उनके विचारों को मानने वाले बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर की जयंती पर सरकार ने पिछले सप्ताह ही छुट्टी की घोषणा की थी और पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की जयंती पर भी गुरुवार को अवकाश घोषित कर दिया गया।
कर्पूरी ठाकुर की जयंती पर छुट्टी से सपा सरकार ने दो संदेश देने की कोशिश की। ठाकुर जहां पिछड़े वर्ग के बड़े नेता रहे हैं, वहीं नीतीश कुमार व लालूप्रसाद यादव से गठबंधन के बाद इसे सपा सुप्रीमों मुलायम सिंह यादव का मतदाताओं के बड़े तबके को खुश करने और अपना जनाधार बढ़ाने का प्रयास भी माना जा रहा है
जातीय गणित से तय होता है अवकाश
महापुरुषों की जयंती पर छुट्टियां घोषित करके समय महापुरुषों की जातियों के वोट बैंक पर नजर रहती है। प्रदेश सरकार ने पहली बार बिहार के समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर की जयंती पर छुट्टी का ऐलान किया तो उसकी नजर अति पिछड़े वर्गों, खास तौर से नाई (सविता) वोट बैंक पर रही। इससे पहले चौधरी चरण सिंह जयंती पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा करके जाट समाज को संदेश देने की कोशिश की गई। पूर्ववर्ती बसपा सरकार ने बसपा के संस्थापक रहे कांशीराम की जयंती और पुण्यतिथि दोनों पर ही अवकाश घोषित किया था। वोट की राजनीति के दौर में कांशीराम सपा के अनुकूल नहीं हैं, इसलिए सपा सरकार ने दोनों अवकाश निरस्त कर दिए। सपा सरकार ने महर्षि वाल्मीकि व विश्वकर्मा जयंती पर पूर्व में निरस्त की गई छुट्टियों को बहाल कर दिया। पिछले साल पांच अप्रैल को महर्षि कश्यप व निषादराज गुह्य की जयंती पर छुट्टी का ऐलान करके अति पिछड़ों को लुभाने की कोशिश की गई। इसी तरह ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती के अजमेर में लगने वाले उर्स पर छुट्टी करके अल्पसंख्यकों को संदेश दिया गया।
अब राजपूतों को साधा
चंद्रशेखर हालांकि शुरू से ही अपने नाम के आगे जातिसूचक शब्द नहीं लगाते थे, लेकिन सपा सरकार ने उनकी जयंती पर अवकाश के जरिये राजपूतों को साधने की कोशिश की है। चंद्रशेखर समाजवादी धारा से निकले पहले प्रधानमंत्री थे। उनके बेटे नीरज शेखर को सपा ने हाल में राज्यसभा का सदस्य बनाया है।
फैसले का स्वागतः
दारुलशफा में विधान परिषद सदस्य यशवंत सिंह की अध्यक्षता में शुक्रवार को हुई सभा में चंद्रशेखर की जयंती पर छुट्टी के फैसले का स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री को बधाई दी गई।
चंद्रशेखर जयंती पर 17 अप्रैल को ही छुट्टी
लखनऊ (ब्‍यूरो)। प्रदेश सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के जन्मदिन 17 अप्रैल को सार्वजनिक अवकाश घोषित करने के फैसले पर मुहर लगा दी है। पूर्व प्रधानमंत्री की जयंती पर छुट्टी सरकारी रिकॉर्ड के बजाय उनके समर्थकों द्वारा मनाई जाने वाली तिथि पर ही करने का फैसला किया गया है।
बताते चलें 29 दिसंबर को सामान्य प्रशासन विभाग ने बिहार के पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर और पूर्व प्रधानमंत्री के जन्म दिन पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की थी। कर्पूरी ठाकुर का जन्मदिन 24 जनवरी और पूर्व पीएम का जन्मदिन 17 अप्रैल को मनाने का आदेश हुआ। बाद में पूर्व पीएम का जन्मदिन सरकारी अभिलेख में एक जुलाई होने का सवाल उठा तो विभाग ने इसकी सूचना रोक ली। इसके बाद शासन ने डीएम बलिया से रिपोर्ट मंगाई और अवकाश घोषित करने की मांग करने वालों से बात की गई। सदस्यों का कहना था कि पूर्व पीएम के शुभचिंतक 17 अप्रैल को ही उनका जन्मदिन मनाते हैं। इसीलिए यह मांग की गई है। उनका वास्तविक जन्मदिन 17 अप्रैल ही है। एक जुलाई कागजी है जिसे समर्थक नहीं मानते। इस पर मुख्य सचिव आलोक रंजन ने पूर्व घोषित 17 अप्रैल को ही पूर्व पीएम के जन्मदिन पर सार्वजनिक अवकाश घोषित करने के सामान्य प्रशासन विभाग के फैसले को स्वीकृति दे दी। प्रमुख सचिव अर्चना अग्रवाल ने इसकी पुष्टि की है।


News Sabhaar : Amar Ujala (03.01.2015)



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