RBSK : दो करोड़ से अधिक बच्चों का होगा स्वास्थ्य परीक्षण
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम में 16 साल तक के बच्चों की होगी जांच
लखनऊ। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) में दो करोड़ से अधिक बच्चों के स्वास्थ्य की जांच होगी। इसमें 16 साल तक के बच्चे व किशोर शामिल हैं। प्रदेश भर में लागू इस कार्यक्रम के लिए प्रत्येक ब्लॉक में दो-दो मोबाइल हेल्थ टीमें गठित की गई हैं। ये सभी आंगनबाड़ी केंद्रों, सरकारी व सहायता प्राप्त स्कूलों, मदरसों, बाल श्रम, महिला समाख्या व समाज कल्याण विभाग के स्कूलों, अनाथालयों और बाल अपराध गृह के बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण करेंगी। इसके लिए दोनों टीमों को अलग-अलग मोबाइल हेल्थ वैन भी उपलब्ध कराई जाएगी।
आरबीएसके के तहत तैनात की गई टीम में एक पुरुष व एक महिला डॉक्टर, एक नर्स या एएनएम और एक पैरामेडिकल स्टाफ रखा गया है। यही लोग बच्चों के स्वास्थ्य की जांच कर रहे हैं। 2014-15 की गाइडलाइन में ब्लॉक स्तर पर मोबाइल हेल्थ टीम के लिए अलग-अलग वाहनों की व्यवस्था रहेगी ताकि अधिक से अधिक बच्चों तक पहुंचा जा सके।
2013-14 में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत प्रदेश में 89 लाख बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। इनमें से 35 लाख बच्चे विभिन्न बीमारियों से पीड़ित थे। इसमें जन्म से लेकर 19 साल तक के 1.64 लाख बच्चों व किशोरों की जांच की गई। 1500 टीमों ने बच्चों की लंबाई, वजन, आंख सहित अन्य जांचें कीं। इन्हें इलाज के लिए विभिन्न जिला चिकित्सालयों और जरूरत पड़ने पर मेडिकल कॉलेजों को रेफर किया गया था।17 फीसदी बच्चों में खून की कमी, 12 फीसदी में दांतों की बीमारियां, नौ फीसदी में संक्रमण, सात फीसदी में त्वचा रोग, चार फीसदी में कान से संबंधित बीमारियां और चार फीसदी में विकलांगता पाई गई थी।
आयरन सीरप व गोली, कीड़े मारने की दवा दी जाएगी
स्वास्थ्य विभाग ने बच्चों में ‘फोर डी’ बर्थ डिफेक्ट, डिफिशिएंसी, डिजीज, डवलपमेंटल डिलेज लीडिंग टू डिसएबिलिटी को ध्यान में रखकर जांच का प्रावधान किया है। इसमें जांच के साथ व्यक्तिगत स्वच्छता व पोषण संबंधी परामर्श भी दिया जाएगा। डॉक्टरों की टीम हर बच्चे को पेट के कीड़े मारने की गोली देगी। आयरन की गोली भी दी जाएगी। बच्चा जिस स्कूल में पढ़ेगा वहां उसकी जांच साल में दो बार होगी। अस्पताल में फ्री इलाज होगा। बीमारी को जड़ से खत्म करने की कोशिश होगी। इसके अलावा आंगनबाड़ी केंद्रों में 3 से 6 साल तक के बच्चों के लिए आयरन सीरप दिया जाएगा। प्राइमरी स्कूल के बच्चों को आयरन की गोली दी जाएगी।
कैसे पूरा होगा लक्ष्य
जिस राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम पर करोड़ों बच्चों के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी है उसकी गाइडलाइन वित्त वर्ष खत्म होने के तीन महीने पहले जारी की गई है। ऐसे में करोड़ों बच्चों तक पहुंचने का लक्ष्य कैसे पूरा होगा, यह मुख्य चिकित्साधिकारियों के लिए चिंता का विषय है। केंद्र से बजट भी आधा वित्त वर्ष बीतने के बाद मिला। इसके बाद गाइडलाइन जारी करने में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अधिकारियों ने देर कर दी।
सभी जिलों के लिए गाइड लाइन जारी
हर ब्लॉक को मिलेंगी दो मोबाइल हेल्थ वैन
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम में 16 साल तक के बच्चों की होगी जांच
लखनऊ। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) में दो करोड़ से अधिक बच्चों के स्वास्थ्य की जांच होगी। इसमें 16 साल तक के बच्चे व किशोर शामिल हैं। प्रदेश भर में लागू इस कार्यक्रम के लिए प्रत्येक ब्लॉक में दो-दो मोबाइल हेल्थ टीमें गठित की गई हैं। ये सभी आंगनबाड़ी केंद्रों, सरकारी व सहायता प्राप्त स्कूलों, मदरसों, बाल श्रम, महिला समाख्या व समाज कल्याण विभाग के स्कूलों, अनाथालयों और बाल अपराध गृह के बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण करेंगी। इसके लिए दोनों टीमों को अलग-अलग मोबाइल हेल्थ वैन भी उपलब्ध कराई जाएगी।
आरबीएसके के तहत तैनात की गई टीम में एक पुरुष व एक महिला डॉक्टर, एक नर्स या एएनएम और एक पैरामेडिकल स्टाफ रखा गया है। यही लोग बच्चों के स्वास्थ्य की जांच कर रहे हैं। 2014-15 की गाइडलाइन में ब्लॉक स्तर पर मोबाइल हेल्थ टीम के लिए अलग-अलग वाहनों की व्यवस्था रहेगी ताकि अधिक से अधिक बच्चों तक पहुंचा जा सके।
2013-14 में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत प्रदेश में 89 लाख बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। इनमें से 35 लाख बच्चे विभिन्न बीमारियों से पीड़ित थे। इसमें जन्म से लेकर 19 साल तक के 1.64 लाख बच्चों व किशोरों की जांच की गई। 1500 टीमों ने बच्चों की लंबाई, वजन, आंख सहित अन्य जांचें कीं। इन्हें इलाज के लिए विभिन्न जिला चिकित्सालयों और जरूरत पड़ने पर मेडिकल कॉलेजों को रेफर किया गया था।17 फीसदी बच्चों में खून की कमी, 12 फीसदी में दांतों की बीमारियां, नौ फीसदी में संक्रमण, सात फीसदी में त्वचा रोग, चार फीसदी में कान से संबंधित बीमारियां और चार फीसदी में विकलांगता पाई गई थी।
आयरन सीरप व गोली, कीड़े मारने की दवा दी जाएगी
स्वास्थ्य विभाग ने बच्चों में ‘फोर डी’ बर्थ डिफेक्ट, डिफिशिएंसी, डिजीज, डवलपमेंटल डिलेज लीडिंग टू डिसएबिलिटी को ध्यान में रखकर जांच का प्रावधान किया है। इसमें जांच के साथ व्यक्तिगत स्वच्छता व पोषण संबंधी परामर्श भी दिया जाएगा। डॉक्टरों की टीम हर बच्चे को पेट के कीड़े मारने की गोली देगी। आयरन की गोली भी दी जाएगी। बच्चा जिस स्कूल में पढ़ेगा वहां उसकी जांच साल में दो बार होगी। अस्पताल में फ्री इलाज होगा। बीमारी को जड़ से खत्म करने की कोशिश होगी। इसके अलावा आंगनबाड़ी केंद्रों में 3 से 6 साल तक के बच्चों के लिए आयरन सीरप दिया जाएगा। प्राइमरी स्कूल के बच्चों को आयरन की गोली दी जाएगी।
कैसे पूरा होगा लक्ष्य
जिस राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम पर करोड़ों बच्चों के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी है उसकी गाइडलाइन वित्त वर्ष खत्म होने के तीन महीने पहले जारी की गई है। ऐसे में करोड़ों बच्चों तक पहुंचने का लक्ष्य कैसे पूरा होगा, यह मुख्य चिकित्साधिकारियों के लिए चिंता का विषय है। केंद्र से बजट भी आधा वित्त वर्ष बीतने के बाद मिला। इसके बाद गाइडलाइन जारी करने में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अधिकारियों ने देर कर दी।
सभी जिलों के लिए गाइड लाइन जारी
हर ब्लॉक को मिलेंगी दो मोबाइल हेल्थ वैन
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