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UP-TET 2011, 72825 Teacher Recruitment,Teacher Eligibility Test (TET), 72825 teacher vacancy in up latest news join blog , UPTET , SARKARI NAUKRI NEWS, SARKARI NAUKRI
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CTET, TEACHER ELIGIBILITY TEST (TET), NCTE, RTE, UPTET, HTET, JTET / Jharkhand TET, OTET / Odisha TET ,
Rajasthan TET / RTET, BETET / Bihar TET, PSTET / Punjab State Teacher Eligibility Test, West Bengal TET / WBTET, MPTET / Madhya Pradesh TET, ASSAM TET / ATET
, UTET / Uttrakhand TET , GTET / Gujarat TET , TNTET / Tamilnadu TET , APTET / Andhra Pradesh TET , CGTET / Chattisgarh TET, HPTET / Himachal Pradesh TET
इंफोसिस ने ऑटोमेशन के कारण निकाले 11,000 कर्मचारी
Sat, 24 Jun 2017 06:28 PM (IST)
*************
ब्लॉग विचार :
बढ़ता कम्प्यूटराइजेसन हर जगह हावी है,
निचले स्तर पर कर्मचारियों की छंटनी कंप्यूटराइजेसन की वजह से स्वाभाविक है,
आई टी दिन पर दिन विकसित होती जा रही है, ट्रांसलेटर, भूगोल इतिहास की जानकारी पल भर में कम्प्यूटर मोबाइल पर हाज़िर हो जाती है।
आने वाले 10 साल में जो प्राइवेट कर्मियों अपने स्किल को बदलते वक्त के साथ ढाल पाएंगे , वो ही तरक्की पाएंगे।
पर उनमे अधिकांश लोग मशीनीकरण से बेरोजगारी के संकट से घिर जाएंगे।
पहले कम्यूटर लेंगवेज की कोडिंग बहुत ज्यादा होती थी जैसे कि C लेंगवेज में कोडिंग।
और कम्प्यूटर बहुत बड़े हुए करते थे, समय के साथ जावा, पी एच पी, सी शार्प आयी और साल दर साल नए वर्सन के साथ कोडिंग छोटी होती गयी।
आई डी ई बन गए
कंप्यूटराइजेसन बढ़ता रहेगा और सब काम भी कम्प्यूटर पर होगा, लेकिन सेलरी बहुत ज्यादा नहीं बढ़ेगी, और साल दर साल बेरोजगारी भी बढ़ेगी।
सरकार टेक्स तो लेना जानती है, लेकिन प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों को उसी टेक्स के मुताबिक कोई सामाजिक सुरक्षा से मतलब नहीं।
बस टेक्स का पैसा आबादी बढ़ाने (गरीब, धर्म के नाम पर आबादी बढ़ाने वालों)
वाले लोगों पर खर्च करने तक सीमित है,
स्थायी समाधान निकालना बहुत जरूरी है,
वरना आने वाले 10-15 साल भयावह हो सकते है, संकेत मिलने शुरू हो गए हैं।
***********
नई दिल्ली (जेएनएन)। इंफोसिस ने शनिवार को जानकारी दी है कि कंपनी बोर्ड के प्रमोटर्स के साथ किसी भी तरह के मतभेद नहीं हैं और जो भी समस्या खड़ी हुई है वो मीडिया की देन है। कंपनी की सालाना (36वीं सालाना आम बैठक) आम बैठक शनिवार को आयोजित हुई। इकोनॉमिक टाइम्स में प्रकाशित खबर के जरिए यह जानकारी सामने आई है।
प्रमुख कर्मचारियों को मुआवजा: अपनी सालाना आम बैठक में कंपनी के प्रवक्ता ने जानकारी दी कि आईटी क्षेत्र की दिग्गज कंपनी इस बात से पूरी तरह अवगत है कि शीर्ष प्रबंधन और कर्मचारियों के बीच मुआवजा की खाई चौड़ी हो गई है। प्रवक्ता ने माना कि मुआवजे पर कंपनी का संचार और बेहतर हो सकता था। उन्होंने कहा कि इसका समाधान करने के लिए स्टॉक बेस्ड रिवार्ड के आधार पर मुआवजे को पुर्नगठित किया गया है। यहां नीचे इंफोसिस के प्रमुख व्यक्तियों का पारिश्रमिक दिया गया है...
बढ़ता संरक्षणवाद (Rising protectionism): शेयरधारकों को लिखे अपने पत्र में सीईओ विशाल सिक्का ने लिखा है कि वित्त वर्ष 2017 में कुछ चुनौतियां सामने आई हैं जैसे कि बढ़ता संरक्षणवाद और कमोडिटीकरण को तेज करना, ग्राहक की अपेक्षाओं को बढ़ाना और नई प्रतिस्पर्धा इत्यादि।
सिक्का ने कहा, “आंतरिक रूप से, हमारे परामर्श व्यवसाय में स्थिरता लाने और हमारे वित्तीय एवं बीपीओ व्यवसायों में वृद्धि के लिए हमारे पास चुनौतियां थीं। लेकिन इन सब के बीच तेज विकास के साथ हमने अपने दीर्घकालीन मिशन पर ध्यान केंद्रित करने की दिशा में काम किया है और हमने सॉफ्टवेयर सेवाएं प्रदान करने, नई सेवाओं की मांग पर कब्जा करने और मुख्य सेवाओं को नवीनीकृत करने के लिए सही बर्ताव दिखाया है। यह एक मिशन है जिसका उद्देश्य सभी हितधारकों को अनुकूल और लाभप्रद वृद्धि का फायदा पहुंचाना है।”
ऑटोमेशन का असर: कंपनी ने जानकारी दी कि ऑटोमेशन के कारण ही करीब 11,000 लोगों को नौकरी से निकाला गया है। कंपनी ने बता. कि पूर्णकालिक कर्मचारी (FTE) में राजस्व 1.2 फीसद की वृद्धि हुई है क्योंकि यह ऑटोमेशन के साथ ही उपयोग और उत्पादकता में सुधार का परिणाम है। कंपनी की ओर से दी गई जानकारी में कहा गया है कि यह एक स्पष्ट प्रदर्शन है कि सॉफ्टवेयर हमारे व्यवसाय मॉडल में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
प्रमोटरों के साथ कोई मतभेद नहीं: कंपनी ने बताया संस्थापकों (फाउंडर) के साथ बोर्ड के संबंध मीडिया की गलत रिपोर्ट्स से जुड़ा मसला है। कंपनी के कार्यकारी चेयरमैन आर शेषशायी ने बताया कि जब संस्थापकों की ओर से टिप्पणियां की गईं तो इन्हें गंभीरतापूर्वर और सम्मानपूर्वक स्वीकार किया गया। उन्होंने कहा कि कार्यकारी नेतृत्व का मुआवजा प्रशासन पर हावी था।
कैश बैलेंस: आईटी क्षेत्र की दिग्गज कंपनी ने बताया कि उसके पास 12,222 करोड़ की नकदी है और यह 31 मार्च 2017 की नकदी के बराबर ही है। जानकारी के मुताबिक वित्त वर्ष 2016 के अंत तक कंपनी के पास 24,276 करोड़ रुपए की नकदी थी। वहीं 31 मार्च तक संस्थानों के साथ जमा राशि 6,931 करोड़ रुपए थी जो बीते वर्ष की समान अवधि के दौरान 4,900 करोड़ रुपए थी।
Sat, 24 Jun 2017 06:28 PM (IST)
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आई टी दिन पर दिन विकसित होती जा रही है, ट्रांसलेटर, भूगोल इतिहास की जानकारी पल भर में कम्प्यूटर मोबाइल पर हाज़िर हो जाती है।
आने वाले 10 साल में जो प्राइवेट कर्मियों अपने स्किल को बदलते वक्त के साथ ढाल पाएंगे , वो ही तरक्की पाएंगे।
पर उनमे अधिकांश लोग मशीनीकरण से बेरोजगारी के संकट से घिर जाएंगे।
पहले कम्यूटर लेंगवेज की कोडिंग बहुत ज्यादा होती थी जैसे कि C लेंगवेज में कोडिंग।
और कम्प्यूटर बहुत बड़े हुए करते थे, समय के साथ जावा, पी एच पी, सी शार्प आयी और साल दर साल नए वर्सन के साथ कोडिंग छोटी होती गयी।
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कंप्यूटराइजेसन बढ़ता रहेगा और सब काम भी कम्प्यूटर पर होगा, लेकिन सेलरी बहुत ज्यादा नहीं बढ़ेगी, और साल दर साल बेरोजगारी भी बढ़ेगी।
सरकार टेक्स तो लेना जानती है, लेकिन प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों को उसी टेक्स के मुताबिक कोई सामाजिक सुरक्षा से मतलब नहीं।
बस टेक्स का पैसा आबादी बढ़ाने (गरीब, धर्म के नाम पर आबादी बढ़ाने वालों)
वाले लोगों पर खर्च करने तक सीमित है,
स्थायी समाधान निकालना बहुत जरूरी है,
वरना आने वाले 10-15 साल भयावह हो सकते है, संकेत मिलने शुरू हो गए हैं।
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नई दिल्ली (जेएनएन)। इंफोसिस ने शनिवार को जानकारी दी है कि कंपनी बोर्ड के प्रमोटर्स के साथ किसी भी तरह के मतभेद नहीं हैं और जो भी समस्या खड़ी हुई है वो मीडिया की देन है। कंपनी की सालाना (36वीं सालाना आम बैठक) आम बैठक शनिवार को आयोजित हुई। इकोनॉमिक टाइम्स में प्रकाशित खबर के जरिए यह जानकारी सामने आई है।
प्रमुख कर्मचारियों को मुआवजा: अपनी सालाना आम बैठक में कंपनी के प्रवक्ता ने जानकारी दी कि आईटी क्षेत्र की दिग्गज कंपनी इस बात से पूरी तरह अवगत है कि शीर्ष प्रबंधन और कर्मचारियों के बीच मुआवजा की खाई चौड़ी हो गई है। प्रवक्ता ने माना कि मुआवजे पर कंपनी का संचार और बेहतर हो सकता था। उन्होंने कहा कि इसका समाधान करने के लिए स्टॉक बेस्ड रिवार्ड के आधार पर मुआवजे को पुर्नगठित किया गया है। यहां नीचे इंफोसिस के प्रमुख व्यक्तियों का पारिश्रमिक दिया गया है...
बढ़ता संरक्षणवाद (Rising protectionism): शेयरधारकों को लिखे अपने पत्र में सीईओ विशाल सिक्का ने लिखा है कि वित्त वर्ष 2017 में कुछ चुनौतियां सामने आई हैं जैसे कि बढ़ता संरक्षणवाद और कमोडिटीकरण को तेज करना, ग्राहक की अपेक्षाओं को बढ़ाना और नई प्रतिस्पर्धा इत्यादि।
सिक्का ने कहा, “आंतरिक रूप से, हमारे परामर्श व्यवसाय में स्थिरता लाने और हमारे वित्तीय एवं बीपीओ व्यवसायों में वृद्धि के लिए हमारे पास चुनौतियां थीं। लेकिन इन सब के बीच तेज विकास के साथ हमने अपने दीर्घकालीन मिशन पर ध्यान केंद्रित करने की दिशा में काम किया है और हमने सॉफ्टवेयर सेवाएं प्रदान करने, नई सेवाओं की मांग पर कब्जा करने और मुख्य सेवाओं को नवीनीकृत करने के लिए सही बर्ताव दिखाया है। यह एक मिशन है जिसका उद्देश्य सभी हितधारकों को अनुकूल और लाभप्रद वृद्धि का फायदा पहुंचाना है।”
ऑटोमेशन का असर: कंपनी ने जानकारी दी कि ऑटोमेशन के कारण ही करीब 11,000 लोगों को नौकरी से निकाला गया है। कंपनी ने बता. कि पूर्णकालिक कर्मचारी (FTE) में राजस्व 1.2 फीसद की वृद्धि हुई है क्योंकि यह ऑटोमेशन के साथ ही उपयोग और उत्पादकता में सुधार का परिणाम है। कंपनी की ओर से दी गई जानकारी में कहा गया है कि यह एक स्पष्ट प्रदर्शन है कि सॉफ्टवेयर हमारे व्यवसाय मॉडल में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
प्रमोटरों के साथ कोई मतभेद नहीं: कंपनी ने बताया संस्थापकों (फाउंडर) के साथ बोर्ड के संबंध मीडिया की गलत रिपोर्ट्स से जुड़ा मसला है। कंपनी के कार्यकारी चेयरमैन आर शेषशायी ने बताया कि जब संस्थापकों की ओर से टिप्पणियां की गईं तो इन्हें गंभीरतापूर्वर और सम्मानपूर्वक स्वीकार किया गया। उन्होंने कहा कि कार्यकारी नेतृत्व का मुआवजा प्रशासन पर हावी था।
कैश बैलेंस: आईटी क्षेत्र की दिग्गज कंपनी ने बताया कि उसके पास 12,222 करोड़ की नकदी है और यह 31 मार्च 2017 की नकदी के बराबर ही है। जानकारी के मुताबिक वित्त वर्ष 2016 के अंत तक कंपनी के पास 24,276 करोड़ रुपए की नकदी थी। वहीं 31 मार्च तक संस्थानों के साथ जमा राशि 6,931 करोड़ रुपए थी जो बीते वर्ष की समान अवधि के दौरान 4,900 करोड़ रुपए थी।
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