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ईपीएफ है रिटायरमेंट का सच्चा साथी
Mar 19, 2016, 09.38 PM IST
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पिछले दिनों पीएफ को लेकर काफी हो हल्ला हुआ। बजट में सरकार ने कुछ शर्तों के साथ पीएफ के पैसे की निकासी पर टैक्स लगा दिया, जिसे बाद में वापस ले लिया गया। क्यों हैं ईपीएफ आपके रिटायरमेंट का बेस्ट साथी, बता रहे हैं प्रभात गौड़:
एक्सपर्ट्स पैनल जगदीश्वर राव मेंबर, सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज, ईपीएफओ
सुशील अग्रवाल चार्टर्ड अकाउंटेंट
सत्येंद्र जैन चार्टर्ड अकाउंटेंट
क्या है EPF एम्प्लॉयी प्रॉविडेंट फंड जिसे आमतौर पर ईपीएफ कहा जाता है रिटायरमेंट स्कीम है, जो सैलरीड लोगों के लिए है। एम्प्लॉयी और एम्प्लॉयर दोनों ही इस अकाउंट में योगदान करते हैं। एम्प्लॉयी अपनी सैलरी (बेसिक सैलरी और डीए) की 12 फीसदी रकम का योगदान हर महीने करता है और इतनी ही रकम हर महीने एम्प्लॉयर की ओर से जमा की जाती है। इस तरह मंथली सैलरी का कुल 24 परसेंट इस ईपीएफ में हर महीने जमा होता है। पीएफ में नॉमिनेशन फैसिलिटी भी दी जाती है। अगर किसी की मौत हो जाए तो पीएफ का पैसा नॉमिनी को मिल जाता है। ऐसे में ईपीएफ में नॉमिनेशन जरूर कराना चाहिए। किसके लिए जरूरी जिस किसी की भी सैलरी (बेसिक सैलरी और डीए) 15 हजार रुपये महीना या उससे कम है, उनके लिए ईपीएफ में रकम जमा करना अनिवार्य है। अगर किसी की सैलरी 15 हजार रुपये महीना से ज्यादा हो गई तो उसके पास यह ऑप्शन है कि वह ईपीएफ से बाहर आ सकता है। उसे बिना कुछ कटे पूरी सैलरी मिलने लगेगी। लेकिन यह नियम तभी लागू होगा जब नौकरी की शुरुआत हो रही होगी। एक बार अगर आप ईपीएफ स्कीम में शामिल हो गए और उसके बाद सैलरी 15 हजार रुपये से ज्यादा होने पर उससे बाहर आना चाहेंगे तो नहीं आ सकते। EPF और EPS जिसे हम ईपीएफ कहते हैं, वह दरअसल ईपीएफ और ईपीएस दो आइटमों का मिक्सचर है। ईपीएस का मतलब है एम्प्लॉयी पेंशन स्कीम। ईपीएफ में एम्प्लॉयी का जो 12 फीसदी का योगदान होता है, वह तो पूरा का पूरा ईपीएफ में जाता है, जबकि एम्प्लॉयर का जो 12 फीसदी का योगदान होता है, उसमें से 8.33 फीसदी रकम पेंशन स्कीम यानी ईपीएस में जमा होती है और बाकी 3.67 फीसदी रकम ईपीएफ में जाती है। अगर किसी एम्प्लॉयी की सैलरी 15 हजार रुपये महीने से ज्यादा है तो पेंशन में जमा होने वाली रकम 15 हजार रुपये के 8.33 फीसदी यानी 1250 रुपये महीना से ज्यादा नहीं हो सकती। इस तरह कह सकते हैं कि अधिकतम 1250 रुपये महीना ही पेंशन स्कीम में जमा होते हैं। पेंशन आपको रिटायरमेंट के वक्त से ही मिलेगी, जिसकी उम्र 58 साल है। इंश्योरेंस भी है अगर कोई कंपनी अपने एम्प्लॉयी को ग्रुप लाइफ इंश्योरेंस कवर मुहैया नहीं कर रही है, तो एम्प्लॉयी को ईपीएफ के जरिये छोटा सा लाइफ इंश्योरेंस दिया जाता है। यह कवर कंपनी एम्प्लॉईजी डिपॉजिट लिंक्ड इंश्योरेंस यानी ईडीएलआई के जरिये देती है। इसके लिए एंप्लॉयर को एम्प्लॉयी की मंथली बेसिक पे का 0.5 फीसदी जमा करना होता है। यह रकम केंद्र सरकार की ओर से दी जाती है। बेसिक पे की कैप 15 हजार रुपये है। इस तरीके से मैक्सिमम लाइफ कवर 3.60 लाख रुपये ही मिल पाता है। वीपीएफ आप सैलरी के 12 फीसदी से ज्यादा भी पीएफ में पैसे कटवा सकते हैं। इसे वॉलंटरी प्रॉविडेंट फंड कहा जाता है। इसमें जो भी रकम आप एक्स्ट्रा जमा करा रहे हैं, वह पूरी की पूरी ईपीएफ में ही जाएगी और उस पर भी उसी दर से ब्याज मिलेगा। लेकिन एम्प्लॉयर अपने हिस्से का 12 परसेंट ही देगा। उससे ज्यादा नहीं। वीपीएफ में पैसा कटवाना आप कभी भी शुरू कर सकते हैं और कभी भी इसे रोक सकते हैं या घटा बढ़ा सकते हैं। बस इसके बारे में अपने एम्प्लॉयर को सूचित करना होता है। कोई शख्स अपनी सैलरी (बेसिक और डीए) का सौ फीसदी तक वीपीएफ में जमा करा सकता है। कैसे मिलता है ब्याज ईपीएफ पर कितना ब्याज मिलेगा, यह केंद्र सरकार सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज के साथ मिलकर हर फाइनैंशल ईयर के लिए तय करती है। यह दर आमतौर पर फाइनैंशल ईयर की अंतिम तिमाही में तय हो जाती है। ईपीएफ पर मिलने वाला ब्याज फाइनैंशल ईयर के अंत में आपके अकाउंट में उस साल के लिए घोषित किए गए ब्याज दर के हिसाब से जमा कराया जाता है। ईपीएफ में योगदान तो हर महीने होता है, लेकिन ब्याज सालाना ही मिलता है और वह भी फाइनैंशल ईयर के अंत में। मान लें, फाइनैंशल ईयर 2014-15 के अंत में किसी के अकाउंट में उस फाइनैंशल ईयर के ब्याज समेत कुछ रकम जमा है। नए फाइनैंशल ईयर 2015-16 के लिए यही रकम ओपनिंग अकाउंट बैलेंस होगी। 1 अप्रैल 2015 से 31 मार्च 2016 तक इसमें 12 महीनों तक कटी पीएफ की रकम और एम्प्लॉयर का योगदान जमा होता रहेगा। अब 1 अप्रैल 2016 को फाइनैंशल ईयर 2015-16 के लिए घोषित ब्याज दर के हिसाब से पूरी रकम पर ब्याज लगेगा और ब्याज समेत कुल रकम अगले साल के लिए नया ओपनिंग बैलेंस हो जाएगी। इस तरह ईपीएफ पर कंपाउंड इंट्रेस्ट मिलता है और हर साल यह 1 अप्रैल को क्रेडिट कर दिया जाता है। फाइनैंशल ईयर 2015-16 के लिए ब्याज की दर 8.8 फीसदी घोषित की गई यानी अब 31 मार्च 2016 तक का जो ब्याज मिलेगा, वह 1 अप्रैल 2016 को मिलेगा और 8.8 फीसदी की दर से मिलेगा। जो रकम ईपीएस के तौर पर जा रही है, उस रकम पर कोई ब्याज नहीं मिलता है।
कुछ बड़े बदलाव पहले - पिछले दिनों बजट में निकाले गए पैसे पर कुछ टर्म और कंडिशंस के साथ टैक्स लगाने की बात कही गई थी। - पहले रिटायरमेंट की उम्र 55 साल मानी जाती थी। - अगर कोई शख्स दो महीने या उससे ज्यादा समय तक बिना नौकरी के रहता है और अपने पीएफ के पैसे को निकालना चाहता है तो वह अपने और कंपनी द्वारा किए गए दोनों योगदान को ब्याज समेत निकाल सकता था। - अगर टैक्सेबल पीएफ अमाउंट 30 हजार रुपये से ज्यादा है तो 10 फीसदी की दर से टीडीएस कटेगा, बशर्ते एम्प्लॉयी ने अपना पैन दे रखा हो।
अब - अब अगर आप रिटायरमेंट के वक्त ईपीएफ से पैसा निकालते हैं तो निकाली गई रकम पूरी तरह से टैक्स फ्री होगी। - रिटायरमेंट की उम्र अब सब जगह 58 साल मान ली गई है। - अगर कोई शख्स दो महीने या उससे ज्यादा समय तक बिना नौकरी के रहता है और अपने पीएफ के पैसे को निकालना चाहता है तो वह अपने पूरे योगदान को ब्याज समेत निकाल सकता है। एम्प्लॉयर का योगदान और उस पर मिलने वाले ब्याज की रकम नहीं निकाली जा सकती। - अगर टैक्सेबल पीएफ अमाउंट 50 हजार रुपये से ज्यादा है तो 10 फीसदी की दर से टीडीएस कटेगा, बशर्ते एम्प्लॉयी ने अपना पैन दे रखा हो।
कैसे निकलता है पैसा 1. रिटायरमेंट के वक्त विड्रॉल चूंकि ईपीएफ रिटायरमेंट स्कीम है, इसलिए इसमें जमा किया गया पैसा कायदे से रिटायरमेंट के वक्त ही निकाला जाना चाहिए और इसीलिए सरकार ने रिटायरमेंट के वक्त इसका पैसा निकालने पर किसी तरह का कोई बंधन नहीं लगाया है। पिछले दिनों बजट में निकाले गए पैसे पर कुछ टर्म और कंडिशंस के साथ टैक्स लगाने की बात कही गई थी, लेकिन बाद में सरकार ने उसे वापस ले लिया था। अब अगर आप रिटायरमेंट के वक्त ईपीएफ से पैसा निकालते हैं तो निकाली गई रकम पूरी तरह से टैक्स फ्री होगी। एक्सपर्ट्स का कहना है कि ईपीएफ की रकम को अगर कोई खास मजबूरी नहीं है तो रिटायरमेंट के वक्त ही निकालना चाहिए। रिटायरमेंट की उम्र अब सब जगह 58 साल मान ली गई है। अब रिटायरमेंट की उम्र से एक साल पहले यानी 57 साल की उम्र में कोई भी शख्स ईपीएफ में जमा अपनी रकम का 90 फीसदी हिस्सा निकाल सकता है। बाकी 10 फीसदी हिस्सा वह 58 साल का होने पर निकाल सकता है।
2. रिटायरमेंट से पहले विड्रॉल - नौकरी न रहने पर अगर कोई शख्स दो महीने या उससे ज्यादा समय तक बिना नौकरी के रहता है और अपने पीएफ के पैसे को निकालना चाहता है तो वह अपने पूरे योगदान को ब्याज समेत निकाल सकता है। एम्प्लॉयर का योगदान और उस पर मिलने वाले ब्याज की रकम नहीं निकाली जा सकती। इस रकम को वह सिर्फ तभी निकाल सकता है, जब वह 58 साल का हो जाएगा। इस नियम का नोटिफिकेशन पिछली फरवरी में ही आया है। इससे पहले नियम यह था कि अगर कोई शख्स दो महीने या उससे ज्यादा समय तक बिना नौकरी के रहता है और अपने पीएफ के पैसे को निकालना चाहता है तो वह अपने और कंपनी द्वारा किए गए दोनों योगदान को ब्याज समेत निकाल सकता था। हालांकि नए नोटिफिकेशन में यह बात साफ नहीं की गई है कि अगर कोई शख्स अपना ईपीएफ में किया गया योगदान और ब्याज निकाल लेता है, तो उसके खाते में जमा एम्प्लॉयर द्वारा जमा रकम का 58 साल की उम्र तक के पीरियड में क्या होगा? क्या उस पर ब्याज मिलता रहेगा? वैसे, अगर पीएफ अकाउंट में 36 महीने तक कोई योगदान न किया जाए तो वह डॉर्मेंट हो जाता है और डॉर्मेंट हो चुके अकाउंट पर कोई ब्याज नहीं दिया जाता। इस नियम का अपवाद यह है कि अगर कोई महिला शादी या प्रेग्नेंसी के कारण नौकरी छोड़ रही है तो उस पर यह नियम लागू नहीं होगा। वह पूरा पैसा निकाल सकती है। आमतौर पर एक नौकरी छोड़ देने के बाद जब लोग दूसरी नौकरी जॉइन करते हैं तो पहली कंपनी से वे कई बार गलत सूचनाएं देकर पीएफ का पैसा निकाल लेते हैं। दो महीने से ज्यादा समय तक बेरोजगार नहीं हैं और इस तरह पीएफ का पैसा निकाल रहे हैं तो यह गैरकानूनी है। - जरूरी कामों के लिए रिटायरमेंट से पहले नीचे दी गई परिस्थतियों में भी पीएफ से पैसा निकाला जा सकता है। आप इसे पूरा नहीं निकाल सकते। कुछ रकम निकाल सकते हैं। पहले के नियमों के मुताबिक ऐसे विड्रॉल के लिए आपको अपने एम्प्लॉयर की परमिशन लेनी पड़ती थी, लेकिन अब इसे खत्म कर दिया गया है। इसके लिए अब आप सीधे अप्लाई कर सकते हैं। 1. अपनी, बच्चों की या भाई-बहन की शादी या पढ़ाई के लिए - ऐसी निकासी आप तभी कर सकते हैं, जब आपने 7 साल की नौकरी पूरी कर ली हो। - आप अपने योगदान की 50 फीसदी रकम निकाल सकते हैं। - इस सुविधा को आप अपनी पूरी नौकरी के दौरान तीन बार इस्तेमाल कर सकते हैं। - शादी का कार्ड सबूत के तौर पर पेश कर सकते हैं। इ 2. अपने और अपने परिवार के मेडिकल खर्चों के लिए। परिवार में पत्नी, बच्चे और निर्भर माता-पिता शामिल होंगे। - कोई मेजर ऑपरेशन हो, टीबी, लेप्रॉसी, पैरालिसिस, कैंसर, मानसिक या दिल की बीमारी। - अपनी सैलरी (कुल वेजेज) के छह गुनी रकम तक निकाल सकते हैं। कम-से-कम सर्विस की शर्त नहीं है। - कम से कम एक महीने का हॉस्पिटलाइजेशन का प्रूफ और अपने ऑफिस से ली गई छुट्टी का प्रूफ। 3. हाउसिंग लोन का रीपेमेंट। मकान खुद के सा पत्नी के या जॉइंट नेम पर होना चाहिए। - आपने कम से 10 साल की सर्विस पूरी कर ली हो। - अपनी सैलरी के 36 गुना तक रकम आप विड्रॉ कर सकते हैं। - बैंक में रीपेमेंट के लिए आप जो ऐप्लकेशन देंगे, उसे बैंक स्वीकार करके रसीद देगा। यह रसीद और बैंक की होम लोन स्टेटमेंट सबूत के तौर पर दे सकते हैं। 4. वर्तमान घर की मरम्मत के लिए। घर खुद के, पत्नी के या जॉइंट होना चाहिए। - घर बनने के बाद आपकी पांच साल की नौकरी पूरी हो गई हो। - अपनी कुल सैलरी का 12 गुना विड्रॉ कर सकते हैं। केवल एक बार यह सुविधा ली जा सकती है। 5. फ्लैट की खरीद या घर के कंस्ट्रक्शन के लिए - 5 साल की सर्विस पूरी हो गई हो। - कुल सैलरी का 36 गुना ले सकते हैं। प्लॉट खरीदना है तो 24 गुना पैसा निकाल सकते हैं। - पूरी सर्विस के दौरान एक बार ही ले सकते हैं।
टैक्स की बात ईपीएफ में जमा की जा रही रकम पर आप 80 सी में डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं। आपका एम्प्लॉयर खुद ही टैक्स की कैलकुलेशन करते वक्त इस रकम को गणना में ले सकता है। रिटायरमेंट के वक्त निकाले गए ईपीएफ की रकम पर कोई टैक्स नहीं लगता। 5 साल की नौकरी पूरी होने के बाद अगर विड्रॉल कर रहे हैं तो भी निकासी पर कोई टैक्स नहीं लगता। अगर 5 साल की नौकरी पूरी होने से पहले पीएफ से पैसा निकाल रहे हैं तो उस पर टैक्स लगेगा। जिस साल निकाल रहे हैं, टैक्स उसी साल देना होगा। यहां 5 साल का मतलब यह नहीं है कि एक ही एम्प्लॉयर के साथ 5 साल नौकरी की हो। अलग अलग एम्प्लॉयर के साथ कुल मिलाकर पांच साल की नौकरी पूरी कर ली हो। यह टैक्स तीन तरह से देना होगा। - एम्प्लॉयर का योगदान और उस पर मिला ब्याज पर सैलरी की तरह से टैक्स लगेगा। - पीएफ में जो रकम आपने जमा की थी, उस पर आप 80 सी में टैक्स छूट ले चुके होते हैं। इस रकम को भी सैलरी के रूप में टैक्स लगेगा। - आपके द्वारा पीएफ में जमा की गई रकम पर जो ब्याज मिला, उसे इनकम फ्रॉम अदर सोर्सेज माना जाएगा और उसी हिसाब से टैक्स लगेगा। - अगर टैक्सेबल पीएफ अमाउंट 50 हजार रुपये से ज्यादा है तो 10 फीसदी की दर से टीडीएस कटेगा, बशर्ते एम्प्लॉयी ने अपना पैन दे रखा हो। अगर पैन नहीं दिया गया है तो टीडीएस मैक्सिमम रेट पर काटा जाएगा।
यूएएन के हैं फायदे कई एम्प्लॉयी के पीएफ के पैसे जमा होने और उनके मैनेजमेंट का एक आसान तरीका है यूएएन। इसमें हर उस शख्स को जो पीएफ जमा करता है, एक यूनीक अकाउंट नंबर दे दिया जाता है। इसे यूएएन कहते हैं। यह 12 डिजिट का सिंगल अकाउंट नंबर है, जो आपके फंड मनी से लिंक कर दिया जाता है। इसका फायदा यह है कि नौकरी बदलने की स्थति में आपको अपना पीएफ ट्रांसफर करने या अलग-अलग पीएफ अकाउंट खोलने की जरूरत नहीं होगी। अब नया एम्प्लॉयर आपको एक मेंबर आईडी देगा और तमाम मेंबर आईडी आपके एक ही यूएएन से लिंक कर दी जाएंगी। जिस किसी के भी पैसे पीएफ में कट रहे हैं, उस हर शख्स को यूएएन दिया जाएगा। कैसे लें यूएएन पहला स्टेप : एम्प्लॉयर से यूएएन लें। दूसरा स्टेप: अब आपको अपने इस यूएएन को एक्टिवेट करना है। इसके लिए http://uanmembers.epfoservices.in/uan_reg_form.php पर जाएं। यहां अपना यूएएन, मोबाइल नंबर और ईपीएफ अकाउंट डिटेल्स देने होंगे। इसके बाद आपके मोबाइल पर एक पिन मिलेगा। इस पिन को दिए गए स्थान पर भरकर सब्मिट कर दें। इससे आपका यूएएन एक्टिवेट हो जाएगा। इसके बाद आप अपना लॉगइन पासवर्ड जेनरेट कर सकते हैं। आपका रजिस्ट्रेशन पूरा हो गया। तीसरा स्टेप: इसके बाद http://uanmembers.epfoservices.in/ के जरिये मेंबर पोर्टल पर जाएं और यूएएन और पासवर्ड डालकर लॉग इन करें। आपको Edit your KYC Details का ऑप्शन मिलेगा। यहां आधार कार्ड, पैन, बैंक अकाउंट, पासपोर्ट, डीएल, इलेक्शन कार्ड, राशन कार्ड में से किसी एक की स्कैंड कॉपी यहां अपलोड कर दें। यूएएन के फायदे 1 पहले एम्प्लॉयर, एम्प्लॉयी और ईपीएफओ के बीच होता था। अब एम्प्लॉयी ट्रांसफर और विड्रॉल के लिए सीधे ईपीएफओ से बात कर सकता है। पासबुक डाउनलोड की जा सकती है। 2.पूरे करियर में यूएएन एक ही रहेगा। जब भी आप जॉब बदलेंगे, बस आपको यूएएन अपने नए एम्प्लॉयर को देना होगा। एक-दो महीने में आपका पैसा अपने आप ट्रांसफर हो जाएगा। अब जैसे ही आपका एम्प्लॉयर पीएफ की रकम जमा करेगा, आपको एसएमएस से इसकी सूचना आ जाएगी। पीएफ का विड्रॉल और लोन के लिए अप्लाई करना इसके जरिये बहुत आसान हो जाएगा। यूएएन को एक्टिवेट करने को लेकर कोई समस्या है या फिर कोई और सवाल है तो आप 18001-18005 पर कॉल कर सकते हैं। इसके अलावा uanepf@epfindia.gov.in पर मेल भी किया जा सकता है।
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ईपीएफ है रिटायरमेंट का सच्चा साथी
Mar 19, 2016, 09.38 PM IST
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पिछले दिनों पीएफ को लेकर काफी हो हल्ला हुआ। बजट में सरकार ने कुछ शर्तों के साथ पीएफ के पैसे की निकासी पर टैक्स लगा दिया, जिसे बाद में वापस ले लिया गया। क्यों हैं ईपीएफ आपके रिटायरमेंट का बेस्ट साथी, बता रहे हैं प्रभात गौड़:
एक्सपर्ट्स पैनल जगदीश्वर राव मेंबर, सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज, ईपीएफओ
सुशील अग्रवाल चार्टर्ड अकाउंटेंट
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क्या है EPF एम्प्लॉयी प्रॉविडेंट फंड जिसे आमतौर पर ईपीएफ कहा जाता है रिटायरमेंट स्कीम है, जो सैलरीड लोगों के लिए है। एम्प्लॉयी और एम्प्लॉयर दोनों ही इस अकाउंट में योगदान करते हैं। एम्प्लॉयी अपनी सैलरी (बेसिक सैलरी और डीए) की 12 फीसदी रकम का योगदान हर महीने करता है और इतनी ही रकम हर महीने एम्प्लॉयर की ओर से जमा की जाती है। इस तरह मंथली सैलरी का कुल 24 परसेंट इस ईपीएफ में हर महीने जमा होता है। पीएफ में नॉमिनेशन फैसिलिटी भी दी जाती है। अगर किसी की मौत हो जाए तो पीएफ का पैसा नॉमिनी को मिल जाता है। ऐसे में ईपीएफ में नॉमिनेशन जरूर कराना चाहिए। किसके लिए जरूरी जिस किसी की भी सैलरी (बेसिक सैलरी और डीए) 15 हजार रुपये महीना या उससे कम है, उनके लिए ईपीएफ में रकम जमा करना अनिवार्य है। अगर किसी की सैलरी 15 हजार रुपये महीना से ज्यादा हो गई तो उसके पास यह ऑप्शन है कि वह ईपीएफ से बाहर आ सकता है। उसे बिना कुछ कटे पूरी सैलरी मिलने लगेगी। लेकिन यह नियम तभी लागू होगा जब नौकरी की शुरुआत हो रही होगी। एक बार अगर आप ईपीएफ स्कीम में शामिल हो गए और उसके बाद सैलरी 15 हजार रुपये से ज्यादा होने पर उससे बाहर आना चाहेंगे तो नहीं आ सकते। EPF और EPS जिसे हम ईपीएफ कहते हैं, वह दरअसल ईपीएफ और ईपीएस दो आइटमों का मिक्सचर है। ईपीएस का मतलब है एम्प्लॉयी पेंशन स्कीम। ईपीएफ में एम्प्लॉयी का जो 12 फीसदी का योगदान होता है, वह तो पूरा का पूरा ईपीएफ में जाता है, जबकि एम्प्लॉयर का जो 12 फीसदी का योगदान होता है, उसमें से 8.33 फीसदी रकम पेंशन स्कीम यानी ईपीएस में जमा होती है और बाकी 3.67 फीसदी रकम ईपीएफ में जाती है। अगर किसी एम्प्लॉयी की सैलरी 15 हजार रुपये महीने से ज्यादा है तो पेंशन में जमा होने वाली रकम 15 हजार रुपये के 8.33 फीसदी यानी 1250 रुपये महीना से ज्यादा नहीं हो सकती। इस तरह कह सकते हैं कि अधिकतम 1250 रुपये महीना ही पेंशन स्कीम में जमा होते हैं। पेंशन आपको रिटायरमेंट के वक्त से ही मिलेगी, जिसकी उम्र 58 साल है। इंश्योरेंस भी है अगर कोई कंपनी अपने एम्प्लॉयी को ग्रुप लाइफ इंश्योरेंस कवर मुहैया नहीं कर रही है, तो एम्प्लॉयी को ईपीएफ के जरिये छोटा सा लाइफ इंश्योरेंस दिया जाता है। यह कवर कंपनी एम्प्लॉईजी डिपॉजिट लिंक्ड इंश्योरेंस यानी ईडीएलआई के जरिये देती है। इसके लिए एंप्लॉयर को एम्प्लॉयी की मंथली बेसिक पे का 0.5 फीसदी जमा करना होता है। यह रकम केंद्र सरकार की ओर से दी जाती है। बेसिक पे की कैप 15 हजार रुपये है। इस तरीके से मैक्सिमम लाइफ कवर 3.60 लाख रुपये ही मिल पाता है। वीपीएफ आप सैलरी के 12 फीसदी से ज्यादा भी पीएफ में पैसे कटवा सकते हैं। इसे वॉलंटरी प्रॉविडेंट फंड कहा जाता है। इसमें जो भी रकम आप एक्स्ट्रा जमा करा रहे हैं, वह पूरी की पूरी ईपीएफ में ही जाएगी और उस पर भी उसी दर से ब्याज मिलेगा। लेकिन एम्प्लॉयर अपने हिस्से का 12 परसेंट ही देगा। उससे ज्यादा नहीं। वीपीएफ में पैसा कटवाना आप कभी भी शुरू कर सकते हैं और कभी भी इसे रोक सकते हैं या घटा बढ़ा सकते हैं। बस इसके बारे में अपने एम्प्लॉयर को सूचित करना होता है। कोई शख्स अपनी सैलरी (बेसिक और डीए) का सौ फीसदी तक वीपीएफ में जमा करा सकता है। कैसे मिलता है ब्याज ईपीएफ पर कितना ब्याज मिलेगा, यह केंद्र सरकार सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज के साथ मिलकर हर फाइनैंशल ईयर के लिए तय करती है। यह दर आमतौर पर फाइनैंशल ईयर की अंतिम तिमाही में तय हो जाती है। ईपीएफ पर मिलने वाला ब्याज फाइनैंशल ईयर के अंत में आपके अकाउंट में उस साल के लिए घोषित किए गए ब्याज दर के हिसाब से जमा कराया जाता है। ईपीएफ में योगदान तो हर महीने होता है, लेकिन ब्याज सालाना ही मिलता है और वह भी फाइनैंशल ईयर के अंत में। मान लें, फाइनैंशल ईयर 2014-15 के अंत में किसी के अकाउंट में उस फाइनैंशल ईयर के ब्याज समेत कुछ रकम जमा है। नए फाइनैंशल ईयर 2015-16 के लिए यही रकम ओपनिंग अकाउंट बैलेंस होगी। 1 अप्रैल 2015 से 31 मार्च 2016 तक इसमें 12 महीनों तक कटी पीएफ की रकम और एम्प्लॉयर का योगदान जमा होता रहेगा। अब 1 अप्रैल 2016 को फाइनैंशल ईयर 2015-16 के लिए घोषित ब्याज दर के हिसाब से पूरी रकम पर ब्याज लगेगा और ब्याज समेत कुल रकम अगले साल के लिए नया ओपनिंग बैलेंस हो जाएगी। इस तरह ईपीएफ पर कंपाउंड इंट्रेस्ट मिलता है और हर साल यह 1 अप्रैल को क्रेडिट कर दिया जाता है। फाइनैंशल ईयर 2015-16 के लिए ब्याज की दर 8.8 फीसदी घोषित की गई यानी अब 31 मार्च 2016 तक का जो ब्याज मिलेगा, वह 1 अप्रैल 2016 को मिलेगा और 8.8 फीसदी की दर से मिलेगा। जो रकम ईपीएस के तौर पर जा रही है, उस रकम पर कोई ब्याज नहीं मिलता है।
कुछ बड़े बदलाव पहले - पिछले दिनों बजट में निकाले गए पैसे पर कुछ टर्म और कंडिशंस के साथ टैक्स लगाने की बात कही गई थी। - पहले रिटायरमेंट की उम्र 55 साल मानी जाती थी। - अगर कोई शख्स दो महीने या उससे ज्यादा समय तक बिना नौकरी के रहता है और अपने पीएफ के पैसे को निकालना चाहता है तो वह अपने और कंपनी द्वारा किए गए दोनों योगदान को ब्याज समेत निकाल सकता था। - अगर टैक्सेबल पीएफ अमाउंट 30 हजार रुपये से ज्यादा है तो 10 फीसदी की दर से टीडीएस कटेगा, बशर्ते एम्प्लॉयी ने अपना पैन दे रखा हो।
अब - अब अगर आप रिटायरमेंट के वक्त ईपीएफ से पैसा निकालते हैं तो निकाली गई रकम पूरी तरह से टैक्स फ्री होगी। - रिटायरमेंट की उम्र अब सब जगह 58 साल मान ली गई है। - अगर कोई शख्स दो महीने या उससे ज्यादा समय तक बिना नौकरी के रहता है और अपने पीएफ के पैसे को निकालना चाहता है तो वह अपने पूरे योगदान को ब्याज समेत निकाल सकता है। एम्प्लॉयर का योगदान और उस पर मिलने वाले ब्याज की रकम नहीं निकाली जा सकती। - अगर टैक्सेबल पीएफ अमाउंट 50 हजार रुपये से ज्यादा है तो 10 फीसदी की दर से टीडीएस कटेगा, बशर्ते एम्प्लॉयी ने अपना पैन दे रखा हो।
कैसे निकलता है पैसा 1. रिटायरमेंट के वक्त विड्रॉल चूंकि ईपीएफ रिटायरमेंट स्कीम है, इसलिए इसमें जमा किया गया पैसा कायदे से रिटायरमेंट के वक्त ही निकाला जाना चाहिए और इसीलिए सरकार ने रिटायरमेंट के वक्त इसका पैसा निकालने पर किसी तरह का कोई बंधन नहीं लगाया है। पिछले दिनों बजट में निकाले गए पैसे पर कुछ टर्म और कंडिशंस के साथ टैक्स लगाने की बात कही गई थी, लेकिन बाद में सरकार ने उसे वापस ले लिया था। अब अगर आप रिटायरमेंट के वक्त ईपीएफ से पैसा निकालते हैं तो निकाली गई रकम पूरी तरह से टैक्स फ्री होगी। एक्सपर्ट्स का कहना है कि ईपीएफ की रकम को अगर कोई खास मजबूरी नहीं है तो रिटायरमेंट के वक्त ही निकालना चाहिए। रिटायरमेंट की उम्र अब सब जगह 58 साल मान ली गई है। अब रिटायरमेंट की उम्र से एक साल पहले यानी 57 साल की उम्र में कोई भी शख्स ईपीएफ में जमा अपनी रकम का 90 फीसदी हिस्सा निकाल सकता है। बाकी 10 फीसदी हिस्सा वह 58 साल का होने पर निकाल सकता है।
2. रिटायरमेंट से पहले विड्रॉल - नौकरी न रहने पर अगर कोई शख्स दो महीने या उससे ज्यादा समय तक बिना नौकरी के रहता है और अपने पीएफ के पैसे को निकालना चाहता है तो वह अपने पूरे योगदान को ब्याज समेत निकाल सकता है। एम्प्लॉयर का योगदान और उस पर मिलने वाले ब्याज की रकम नहीं निकाली जा सकती। इस रकम को वह सिर्फ तभी निकाल सकता है, जब वह 58 साल का हो जाएगा। इस नियम का नोटिफिकेशन पिछली फरवरी में ही आया है। इससे पहले नियम यह था कि अगर कोई शख्स दो महीने या उससे ज्यादा समय तक बिना नौकरी के रहता है और अपने पीएफ के पैसे को निकालना चाहता है तो वह अपने और कंपनी द्वारा किए गए दोनों योगदान को ब्याज समेत निकाल सकता था। हालांकि नए नोटिफिकेशन में यह बात साफ नहीं की गई है कि अगर कोई शख्स अपना ईपीएफ में किया गया योगदान और ब्याज निकाल लेता है, तो उसके खाते में जमा एम्प्लॉयर द्वारा जमा रकम का 58 साल की उम्र तक के पीरियड में क्या होगा? क्या उस पर ब्याज मिलता रहेगा? वैसे, अगर पीएफ अकाउंट में 36 महीने तक कोई योगदान न किया जाए तो वह डॉर्मेंट हो जाता है और डॉर्मेंट हो चुके अकाउंट पर कोई ब्याज नहीं दिया जाता। इस नियम का अपवाद यह है कि अगर कोई महिला शादी या प्रेग्नेंसी के कारण नौकरी छोड़ रही है तो उस पर यह नियम लागू नहीं होगा। वह पूरा पैसा निकाल सकती है। आमतौर पर एक नौकरी छोड़ देने के बाद जब लोग दूसरी नौकरी जॉइन करते हैं तो पहली कंपनी से वे कई बार गलत सूचनाएं देकर पीएफ का पैसा निकाल लेते हैं। दो महीने से ज्यादा समय तक बेरोजगार नहीं हैं और इस तरह पीएफ का पैसा निकाल रहे हैं तो यह गैरकानूनी है। - जरूरी कामों के लिए रिटायरमेंट से पहले नीचे दी गई परिस्थतियों में भी पीएफ से पैसा निकाला जा सकता है। आप इसे पूरा नहीं निकाल सकते। कुछ रकम निकाल सकते हैं। पहले के नियमों के मुताबिक ऐसे विड्रॉल के लिए आपको अपने एम्प्लॉयर की परमिशन लेनी पड़ती थी, लेकिन अब इसे खत्म कर दिया गया है। इसके लिए अब आप सीधे अप्लाई कर सकते हैं। 1. अपनी, बच्चों की या भाई-बहन की शादी या पढ़ाई के लिए - ऐसी निकासी आप तभी कर सकते हैं, जब आपने 7 साल की नौकरी पूरी कर ली हो। - आप अपने योगदान की 50 फीसदी रकम निकाल सकते हैं। - इस सुविधा को आप अपनी पूरी नौकरी के दौरान तीन बार इस्तेमाल कर सकते हैं। - शादी का कार्ड सबूत के तौर पर पेश कर सकते हैं। इ 2. अपने और अपने परिवार के मेडिकल खर्चों के लिए। परिवार में पत्नी, बच्चे और निर्भर माता-पिता शामिल होंगे। - कोई मेजर ऑपरेशन हो, टीबी, लेप्रॉसी, पैरालिसिस, कैंसर, मानसिक या दिल की बीमारी। - अपनी सैलरी (कुल वेजेज) के छह गुनी रकम तक निकाल सकते हैं। कम-से-कम सर्विस की शर्त नहीं है। - कम से कम एक महीने का हॉस्पिटलाइजेशन का प्रूफ और अपने ऑफिस से ली गई छुट्टी का प्रूफ। 3. हाउसिंग लोन का रीपेमेंट। मकान खुद के सा पत्नी के या जॉइंट नेम पर होना चाहिए। - आपने कम से 10 साल की सर्विस पूरी कर ली हो। - अपनी सैलरी के 36 गुना तक रकम आप विड्रॉ कर सकते हैं। - बैंक में रीपेमेंट के लिए आप जो ऐप्लकेशन देंगे, उसे बैंक स्वीकार करके रसीद देगा। यह रसीद और बैंक की होम लोन स्टेटमेंट सबूत के तौर पर दे सकते हैं। 4. वर्तमान घर की मरम्मत के लिए। घर खुद के, पत्नी के या जॉइंट होना चाहिए। - घर बनने के बाद आपकी पांच साल की नौकरी पूरी हो गई हो। - अपनी कुल सैलरी का 12 गुना विड्रॉ कर सकते हैं। केवल एक बार यह सुविधा ली जा सकती है। 5. फ्लैट की खरीद या घर के कंस्ट्रक्शन के लिए - 5 साल की सर्विस पूरी हो गई हो। - कुल सैलरी का 36 गुना ले सकते हैं। प्लॉट खरीदना है तो 24 गुना पैसा निकाल सकते हैं। - पूरी सर्विस के दौरान एक बार ही ले सकते हैं।
टैक्स की बात ईपीएफ में जमा की जा रही रकम पर आप 80 सी में डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं। आपका एम्प्लॉयर खुद ही टैक्स की कैलकुलेशन करते वक्त इस रकम को गणना में ले सकता है। रिटायरमेंट के वक्त निकाले गए ईपीएफ की रकम पर कोई टैक्स नहीं लगता। 5 साल की नौकरी पूरी होने के बाद अगर विड्रॉल कर रहे हैं तो भी निकासी पर कोई टैक्स नहीं लगता। अगर 5 साल की नौकरी पूरी होने से पहले पीएफ से पैसा निकाल रहे हैं तो उस पर टैक्स लगेगा। जिस साल निकाल रहे हैं, टैक्स उसी साल देना होगा। यहां 5 साल का मतलब यह नहीं है कि एक ही एम्प्लॉयर के साथ 5 साल नौकरी की हो। अलग अलग एम्प्लॉयर के साथ कुल मिलाकर पांच साल की नौकरी पूरी कर ली हो। यह टैक्स तीन तरह से देना होगा। - एम्प्लॉयर का योगदान और उस पर मिला ब्याज पर सैलरी की तरह से टैक्स लगेगा। - पीएफ में जो रकम आपने जमा की थी, उस पर आप 80 सी में टैक्स छूट ले चुके होते हैं। इस रकम को भी सैलरी के रूप में टैक्स लगेगा। - आपके द्वारा पीएफ में जमा की गई रकम पर जो ब्याज मिला, उसे इनकम फ्रॉम अदर सोर्सेज माना जाएगा और उसी हिसाब से टैक्स लगेगा। - अगर टैक्सेबल पीएफ अमाउंट 50 हजार रुपये से ज्यादा है तो 10 फीसदी की दर से टीडीएस कटेगा, बशर्ते एम्प्लॉयी ने अपना पैन दे रखा हो। अगर पैन नहीं दिया गया है तो टीडीएस मैक्सिमम रेट पर काटा जाएगा।
यूएएन के हैं फायदे कई एम्प्लॉयी के पीएफ के पैसे जमा होने और उनके मैनेजमेंट का एक आसान तरीका है यूएएन। इसमें हर उस शख्स को जो पीएफ जमा करता है, एक यूनीक अकाउंट नंबर दे दिया जाता है। इसे यूएएन कहते हैं। यह 12 डिजिट का सिंगल अकाउंट नंबर है, जो आपके फंड मनी से लिंक कर दिया जाता है। इसका फायदा यह है कि नौकरी बदलने की स्थति में आपको अपना पीएफ ट्रांसफर करने या अलग-अलग पीएफ अकाउंट खोलने की जरूरत नहीं होगी। अब नया एम्प्लॉयर आपको एक मेंबर आईडी देगा और तमाम मेंबर आईडी आपके एक ही यूएएन से लिंक कर दी जाएंगी। जिस किसी के भी पैसे पीएफ में कट रहे हैं, उस हर शख्स को यूएएन दिया जाएगा। कैसे लें यूएएन पहला स्टेप : एम्प्लॉयर से यूएएन लें। दूसरा स्टेप: अब आपको अपने इस यूएएन को एक्टिवेट करना है। इसके लिए http://uanmembers.epfoservices.in/uan_reg_form.php पर जाएं। यहां अपना यूएएन, मोबाइल नंबर और ईपीएफ अकाउंट डिटेल्स देने होंगे। इसके बाद आपके मोबाइल पर एक पिन मिलेगा। इस पिन को दिए गए स्थान पर भरकर सब्मिट कर दें। इससे आपका यूएएन एक्टिवेट हो जाएगा। इसके बाद आप अपना लॉगइन पासवर्ड जेनरेट कर सकते हैं। आपका रजिस्ट्रेशन पूरा हो गया। तीसरा स्टेप: इसके बाद http://uanmembers.epfoservices.in/ के जरिये मेंबर पोर्टल पर जाएं और यूएएन और पासवर्ड डालकर लॉग इन करें। आपको Edit your KYC Details का ऑप्शन मिलेगा। यहां आधार कार्ड, पैन, बैंक अकाउंट, पासपोर्ट, डीएल, इलेक्शन कार्ड, राशन कार्ड में से किसी एक की स्कैंड कॉपी यहां अपलोड कर दें। यूएएन के फायदे 1 पहले एम्प्लॉयर, एम्प्लॉयी और ईपीएफओ के बीच होता था। अब एम्प्लॉयी ट्रांसफर और विड्रॉल के लिए सीधे ईपीएफओ से बात कर सकता है। पासबुक डाउनलोड की जा सकती है। 2.पूरे करियर में यूएएन एक ही रहेगा। जब भी आप जॉब बदलेंगे, बस आपको यूएएन अपने नए एम्प्लॉयर को देना होगा। एक-दो महीने में आपका पैसा अपने आप ट्रांसफर हो जाएगा। अब जैसे ही आपका एम्प्लॉयर पीएफ की रकम जमा करेगा, आपको एसएमएस से इसकी सूचना आ जाएगी। पीएफ का विड्रॉल और लोन के लिए अप्लाई करना इसके जरिये बहुत आसान हो जाएगा। यूएएन को एक्टिवेट करने को लेकर कोई समस्या है या फिर कोई और सवाल है तो आप 18001-18005 पर कॉल कर सकते हैं। इसके अलावा uanepf@epfindia.gov.in पर मेल भी किया जा सकता है।
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