Saturday, October 6, 2012

UPTET : मेरिट के आधार पर हों भर्तियां टीईटी संघर्ष मोर्चा ने भरी हुंकार



UPTET : मेरिट के आधार पर हों भर्तियां टीईटी संघर्ष मोर्चा ने भरी हुंकार




फतेहपुर। टीईटी उत्तीर्ण एकता संघर्ष मोर्चा एक बार फिर से टीईटी की मेरिट के आधार पर टीचरों की भर्ती कि ए जाने की मांग उठाई है। शुक्रवार को नहर कालोनी में हुई मार्चा की बैठक में मांग न मानी जाने पर 2014 के लोकसभा चुनाव में सपा का खुलकर विरोध करने का निर्णय लिया गया।
बैठक की अध्यक्षता करते हुए संघर्ष मोर्चा के जिलाध्यक्ष राजेंद्र चौधरी ने कहा कि प्रदेश में होने वाली 72825 टीचरों की भर्ती टीईटी मेरिट के आधार पर की जाए। यदि ऐसा नहीं किया जाता, तो विज्ञापन प्रकाशित होने के बाद मोर्चा सुप्रीम कोर्ट की शरण लेने के लिए मजबूर होगा। बैठक में जिला महामंत्री फूल सिंह यादव ने कहा कि टीचरों की भर्ती टीईटी के मेरिट के आधार पर होनी चाहिए। अगर प्रदेश सरकार ने ऐसा नहीं किया, तो लोकसभा चुनाव में मोर्चा सपा का खुलकर विरोध करेगा। बैठक में संतोष पाल, मनीष श्रीवास्तव, अरुण गर्ग, धर्मेंद्र यादव, अनिल, संगीता परिहार, योगमाया बाजपेई, स्वाति तिवारी, माया बाजपेई, शिवशंकर गुप्ता, सत्येंद्र निषाद, जौहरी कटियार आदि मौजूद रहे


News Source : Amar Ujala (6.10.12) / http://www.amarujala.com/city/Fatehpur/Fatehpur-99723-36.html
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Selection process going to be highly complicated. Many of candidates support old advertisement and many of candidates waiting for new advertisement.

It looks if advertisement not comes by the hearing of court on 9th Oct. 2012 then hearing may be extended.

Share your opinion through comments.

Friday, October 5, 2012

Marking of Different Boards


Marking of Different Boards 


See - http://www.cobse.org/BOARD_2012PSCORE.pdf

Council of Boards of School Education in India (COBSE)  is engaged in selection process/pattern of IIT



UPTET - October 5 2012 An Overview of State of Affairs on Recruitment of 72825 Trainee Teachers in Uttar Pradesh (Article by Mr. Shyam Dev Mishra )


October 5 2012 An Overview of State of Affairs on Recruitment of 72825 Trainee Teachers in Uttar Pradesh  (Article by Mr. Shyam Dev Mishra )



उत्तर प्रदेश में 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती : सरकार से न निगलते बन रही न उगलते!
इस लेख के प्रारंभ में ही स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि यह लेख केवल उनके लिए है जो टी.ई.टी. मेरिट के आधार पर 72825 प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती के लिए 29 /30 नवम्बर और बाद में 2 दिसंबर 2011 को प्रकाशित संशोधित विज्ञप्ति के आधार पर भर्ती के पक्षधर है, तार्किकता और लोकतंत्र में विश्वास करते हैं, न्यायपालिका में पूर्ण आस्था रखते हुए मानते हैं कि अगर लड़ाई लड़ी गई तो न्याय जरूर मिलेगा और इस लड़ाई को सार्थक मानते हैं. भिन्न मत वाले, जो सार्थक और तार्किक बहस में विश्वास रखते हैं, वे भी अगर मेरी जानकारी या राय में कोई वृद्धि या संशोधन करें तो मैं उनका भी स्वागत करता हूँ पर मात्र अपने स्वार्थ या दुराग्रह के कारन अपना राग अलापने पर आमादा महानुभाव इसे पढने में अपना समय न व्यर्थ करें तो उनके लिए उपयुक्त होगा.
वास्तव में कहूं तो मेरी यह यह पोस्ट स्थिति से पूर्णतया अवगत जानकार साथियों के लिए नहीं , उन आम अभ्यर्थियों के लिए हैं जिनकी काल्स, संदेशों और चैटिंग का अपनी व्यस्तता के कारण मैं उत्तर देने में अक्षम रहता हूँ.
पिछले 8 महीने से इलाहाबाद उच्च न्यायालय में चल रहे 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती से सम्बंधित तमाम मुकदमों में अबतक के नतीजे अभ्यर्थियों के लिए सकारात्मक नहीं, निराशाजनक ही रहे हैं. वहां किये गए प्रयासों के गुण-दोष की समीक्षा बेमानी है क्यूंकि कोई खुद को कितना बड़ा भी कानूनी पंडित , विश्लेषक, सटीक पूर्वानुमानकर्ता या भविष्यदृष्टा क्यूँ न बताये , इलाहाबाद में आज जो स्थिति है , उसकी कल्पना तक किसी ने नहीं की थी, फिर इसका ठीकरा कोर्ट केसेज देख रहे चंद सक्रिय साथियों पर फोड़ना उनके साथ ज्यादती होगी. वैसे भी कुछ न करने वालों , (इनमे अगर आप मुझे भी शामिल करें तो मैं आपत्ति नहीं उठाऊंगा) से गलती हो ही नहीं सकती और वे दूसरों पर ऊँगली उठाने को पूर्णतया स्वतंत्र होते हैं. परन्तु वास्तव में काम करने वाले को ही उस दबाव का अंदाज़ा होता है जो हजारो-लाखों लोगो की अपेक्षाओं से बनता है, सही इरादे से भी उठाए गए किसी कदम के भी गलत परिणाम गलते की आशंका से बनता है, स्वयंभू फेसबुकिया विद्वानों की तरह पल पल स्टैंड बदलने और जरुरत पड़ने पर उसे भूलकर अगले ही पल नया स्टैंड ले लेने की स्वतंत्रता भी इन्हें नहीं होती.
निराश हो चले साथियों से केवल इतना कहूँगा कि अगर सरकार के खिलाफ भी हमारी लड़ाई पिछले 9 महीने से जिन्दा है तो यह हमारे पक्ष की मजबूती का ही नतीजा है. दूसरा जब आपको विश्वास है कि आपके साथ अन्याय हुआ है तो उसके विरुद्ध लड़ना ही पौरुष है.
लखनऊ उच्च न्यायालय में अरविन्द सिंह जी और उनके साथियों द्वारा दायर मुक़दमे में कोर्ट में सरकार द्वारा एक हफ्ते में जवाबी हलफनामा न दाखिल करने की स्थिति में अंतरिम राहत की याचिका को निस्तारित कर देने की चेतावनी निस्संदेह जहाँ इलाहाबाद के घटनाक्रम से निराश अभ्यर्थियों के लिए संजीवनी सिद्ध हुई है, वहीं मदांध सरकार के लिए एक कडवे सच से साक्षात्कार ! शायद सरकार को अब आभास हो कि राज सरकार का नहीं, असल में कानून का होता है, जो न्याय और सत्य के लिए है न कि व्यक्तिगत और राजनैतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिए.
इस याचिका में सरकार द्वारा हाल में किये गए पन्द्रहवें संशोधन के मार्फ़त टी.ई.टी. मेरिट के स्थान पर एकादेमिक प्रदर्शन के आधार पर बनाये गए गुणांक मेरिट के फार्मूले को राज्य में संचालित अलग-अलग बोर्डों, विश्व-विद्यालयों की परस्पर भिन्नता वाली मूल्याङ्कन-पद्धति का हवाला देते हुए सिरे से अतार्किक और अव्यवहारिक बताते हुए इस संशोधन को ही निरस्त करने की मांग भी की है. इस याचिका का जवाब देने में शायद सरकार को इतनी परेशानी हो रही है कि पिछले आठ महीने में पहली बार इस मामले में स्केलिंग की सम्भावना तलाशने की खबर अख़बारों में स्पष्ट तौर पे जताई गई. पर यहाँ सरकार एक और नए मकडजाल में उलझने जा रही है. असल में मुद्दा यहाँ बेहतर प्रक्रिया के निर्धारण का नहीं, टी.ई.टी. मेरिट के आधार पर चयन के लिए प्रारंभ की गई एक विधि-सम्मत , वैध और तर्कसंगत प्रक्रिया में निहित राजनैतिक स्वार्थों के लिए परिवर्तन करने की सरकार की नीयत, शक्ति, वैधता और सामर्थ्य का है. पर अगर देखा भी जाये तो अब तक अगर कही हुआ है तो स्केलिंग पद्धति का प्रयोग अभी तक अर्हता निर्धारण यानि कट-ऑफ निर्धारण के लिए होता आया है, चयन के आधार के रूप में नहीं. आप किसी प्रक्रिया में शामिल होने के लिए उ.प्र. बोर्ड के 60% और सी.बी.एस.ई. बोर्ड के 80% को को अर्ह मानते हैं तो सम्बंधित बोर्डों के इस से अधिक अंक पाने वाले सभी अभ्यर्थी अर्ह माने जाते हैं. पर अगर आप किसी चयन के लिए स्केलिंग को अपनाते हैं तो इस मानक के आधार पर जब यू.पी. बोर्ड का 1 प्रतिशत अंक सी.बी.ई.सी.बोर्ड के 1.33 प्रतिशत अंक के बराबर है, ऐसे में तो यू.पी. बोर्ड में 90 प्रतिशत अंक पाने वाले अभ्यर्थी को पछाड़ने के लिए बेचारे सी.बी.एस.ई. वाले अभ्यर्थी को तो 120 प्रतिशत की जरूरत होगी जो असंभव है. साथ ही बी.एड. में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय श्रेणी के आधार पर 12, 6 और 3 गुणांक देने के लिए क्या सरकार यह फिर से तय करने की हैसियत में होगी कि फलानी युनिवेर्सिटी में 60 प्रतिशत एवं ऊपर वालों को प्रथम श्रेणी, 45 प्रतिशत एवं ऊपर वालों को द्वितीय श्रेणी और 33 प्रतिशत एवं ऊपर वालों को तृतीय श्रेणी में रखा जायेगा और फलानी यूनिवर्सिटी के ये प्रतिशत क्रमशः 80, 55 एवं 40 होंगे? फिर तो विभिन्न विश्व-विद्यालयों की उपाधियों में भेद-भाव का एक नया मामला बनेगा और जिन युनिवर्सिटियों के छात्र इस वजह से पिछड़ेंगे, वो क्या कोर्ट केसेज की झड़ी नहीं लगा देंगे? वैसे यह अभी एक सम्भावना मात्र है पर आशा है कि हमारी चुनी हुई सरकार भी इस नज़रिए से मामले को देखेगी.
हाल ही में जिस प्रकार से नियुक्ति के स्थान पर फिलहाल VBTC प्रशिक्षण के लिए विज्ञापन आने कि सम्भावना के मद्देनज़र टी.ई.टी. फेल बी.एड. धारकों ने इस में आवेदन करने का जो दावा पेश किया है, वर्तमान नियमों के हिसाब से उसमे काफी वज़न है क्यूंकि वाकई में नियमावली के अनुसार प्रशिक्षण के लिए सरकार न टी.ई.टी. अर्हता मांग सकती है न ही टी.ई.टी. फेल बी.एड. वालों को इसमें बैठने से रोक सकती है.
पर यह तो मात्र एक शुरुआत है, लड़ाई अभी बाकी है. पिछले 8 महीने में स्थितियों में नाटकीय परिवर्तन हुए है, हमें भविष्य में आ सकने वाली हर संभावित किसी अनिश्चितता, किसी भी संभावना का अंदाजा लगाना होगा, उसके संभावित दुष्परिणामों का आंकलन करना होगा और समय रहते संभावित समाधान और विकल्प तलाश कर, अवसर उत्पन्न होते ही तत्काल उसके प्रतिकार के लिए समर्थ और सन्नद्ध रहना होगा. इस स्थिति में केवल अपने विचारों पर अड़े रहने की हठधर्मिता, दूसरों के विचारों को बिना विचार किये नकार देने की वैचारिक कूपमंडूकता और व्यक्तिगत अहम् के टकराव के कारण किसी व्यक्ति को साथ न लेने वाली छुआ-छूत संगठन और एकता के लिए बहुत खतरनाक सिद्ध हो सकती है.
आज मुकदमों की स्थिति को लेकर कानूनी राय बंटी हुई है. व्यक्तिगत पसंद को परे रखकर, शुद्ध कानूनी रूप से स्थिति के आंकलन, संभावित विकल्पों की तलाश, संगठन को बचाए रखने और प्रदेश भर के अभ्यर्थियों का विश्वास और मनोबल बनाये रखने और भिन्न-भिन्न राय रखने के बावजूद इस लड़ाई से जुड़े हर साथी को साथ रखने, और इस लड़ाई के हर गंभीर मोर्चे पर लड़ रहे साथियों को हर संभव सहयोग करने के उद्देश्य से दिल्ली में पिछले महीने 16 व 17 सितम्बर को सुप्रीम कोर्ट के वकील श्री आनंद मिश्रा जी की मौजूदगी में हुई दो-दिवसीय खुली और पारदर्शी बैठक काफी हद तक सफल हुई, ध्यान दें कि ये मीटिंग किसी कमिटी की नहीं, इस लड़ाई से नौकरी पाने के लिए आशावान और लड़ने के लिए तैयार हर आम अभ्यर्थी की मीटिंग थी, जिसमे प्रदेश भर से 50 से अधिक साथी आये, वकील साहब की मौजूदगी में अपने विचार रखे, अपनी शंकाएं रखी और इसकी सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही की अपनी जिद पर अड़े रहने के बजाय हर आगंतुक ने स्थितियों के अनुसार अपने रुख में लचीलापन रखने और तदनुसार निर्णय लेने और बदलने पर सहमति दी. इस मीटिंग में भाई विवेक सिंह (प्रतापगढ़), रत्नेश पाल (कानपूर), देवेन्द्र सिंह (दिल्ली), एस.बी.सिंह (दिल्ली), आनंद तिवारी (दिल्ली), प्रमोद पाण्डेय (दिल्ली), कुमार नीरज (दिल्ली), शिव कुमार (गाज़ियाबाद), विजय सिंह तोमर (कानपूर), अलकेश प्रजापति (दिल्ली), विपिन तिवारी (प्रतापगढ़), अमित मिश्रा (औरैय्या), नीलेश पुरोहित (ललितपुर) के साथ साथ हरीश गंगवार (बरेली), के साथ साथ विकास कुमार. सुरेन्द्र सिंह सहित मेरठ, हापुड़ और तमाम जिलो के प्रतिनिधि थे. इस मीटिंग ने एक ऐसा समूह खड़ा करने में मदद की जो इस बड़ी लड़ाई के हर मोर्चे को मजबूती देने के प्रयास में तो रहेगा ही, आवश्यकता पड़ने पर स्वयं भी एक्शन लेने में परहेज नहीं करेगा. जरुरी हुआ तो इलाहबाद और लखनऊ या कही भी, किसी भी याची के साथ जुड़ने को तैयार है अगर जीत के लिए ऐसा करने को तैयार है, पर आवश्यकता पड़ने पर स्वयं भी एक्शन लेने में परहेज नहीं करेगा. इसकी पारदर्शिता, खुलापन और लचीलापन ही इसकी शक्ति है और इसके प्रति अल्पकाल में लोगो में इसके प्रति विश्वास और उनके समर्थन का कारण, क्यूंकि यह किसी से अलग नहीं, सबके साथ है. मीटिंग में आये साथियों के साथ साथ, तमाम साथी जो चाहकर नहीं आ पाए, उन्होंने भी इस लड़ाई में वैचारिक और आर्थिक सहयोग तक किया, (दिल्ली में मिले जिन साथियों के नाम यहाँ नहीं हैं, उनका महत्त्व किसी भी प्रकार से कम नहीं होता, पर अगर आप यह पोस्ट पढ़ रहे हैं तो कृपया एक कमेन्ट द्वारा अन्य को अवगत कराएँ) ).
इस मीटिंग से यह स्पष्ट हुआ कि यदि एक आम अभ्यर्थी को विश्वास हो जाये की उसकी लड़ाई इमानदारी से लड़ी जा रही है तो वह हर संभव सहयोग करने को तत्पर है और आर्थिक तंगी इस लड़ाई में बाधा नहीं बनेगी. इस मीटिंग के परिणाम स्वरुप न सिर्फ तत्कालीन स्थिति के अनुसार आनन्-फानन में सुप्रीम कोर्ट में सीधे विशेष अनुमति याचिका दाखिल करने के बजाय पहले हाईकोर्ट में डिविजन बेंच में स्पेशल अपील का परिणाम देखने की सहमति बनी.
19 व 20 सितम्बर को इलाहाबाद के कई वकीलों से गहन विचार-विमर्श के अलावा शीर्ष कानूनी दिग्गज आर. के. जैन साहब से इस मुद्दे पर रत्नेश पाल, पुनीत सिंह (प्रतापगढ़) शलभ तिवारी (हरदोई), विनोद सिंह व अवधेश तिवारी (इलाहाबाद), धर्मेन्द्र श्रीवास्तव (उन्नाव) व मेरी उपस्थिति में एक पारदर्शी विचार-विमर्श हुआ, जिसमे उन्होंने हाई कोर्ट में स्पेशल अपील अभी न करने और विज्ञापन आने के बाद ही कोई कदम उठाने की सलाह दी. इसी बीच देवरिया के भाई प्रियरंजन वर्मा जी ने अपने मामा जी, पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता, भारत सरकार, श्री अमरेन्द्र शरण जी से इस मामले की चर्चा के बाद हम सबको बताया कि अभी विज्ञापन आने के पहले कुछ करना सही नहीं होगा. उनके मामाजी के विचार से हमें अपनी लीगल रिमेडीज यानि कानूनी उपचार के अवसर कम नहीं करने चाहिए अर्थात, सिंगल बेंच, डबल बेंच और फिर आवश्यकता पड़ने पर सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए. पर दिल्ली के वकील द्वारा विज्ञापन निकलने के पूर्व ही सुप्रीम कोर्ट आने की सलाह दी गई. ऐसी स्थिति में कोई सलाह अंतिम नहीं मानी जा सकती थी, अपने पास उपलब्ध सीमित समय, सीमित संसाधन और सीमित विकल्पों का शत-प्रतिशत प्रयोग अपरिहार्य था, साथ ही इस काम के लिए आ रहा पैसा कोई हराम का पैसा नहीं था जिसे मनमाने और हलके तरीके से बर्बाद कर दिया जाये. यहाँ पर अलग-अलग तरीकों से लड़ रहे साथियों ने भी अपने लक्ष्य को प्रमुखता देते हुए एक-दुसरे का सहयोग किया जो एक बड़ी उपलब्धि थी. इलाहाबाद हाईकोर्ट में जहाँ भाई सुजीत सिंह ने भाई रत्नेश पाल की कई मुश्किलों के समाधान में सहयोग किया तो वही भाई सुजीत सिंह के द्वारा डिविजन बेंच में स्पेशल अपील के लिए धन की कमी बताये जाने पर दिल्ली में हुई उपरोक्त मीटिंग में आये सदस्यों की सहमति से अविलम्ब आनंद तिवारी जी के खाते में इकठ्ठा सहयोग राशि से उनकी जरुरत पूरी की गई. इस मीटिंग में आये साथियों ने हरदोई के साथियों द्वारा लखनऊ में दायर याचिका की जानकारी मिलने पर उनसे स्वयं संपर्क कर उनको विश्वास दिलाया और यह सुनिश्चित किया कि उनको हर संभव आवश्यक सहयोग समय पर मिले. वैसे इन साथियों का प्रयास साधुवाद का पात्र है. आनंद तिवारी के खाते में आये एक-एक पैसे का हिसाब हम सबके पास है जो कभी भी सार्वजानिक किया जा सकता है. साथ ही बताना चाहूँगा कि इस काम के लिए 3 दिन इलाहाबाद में रुके रत्नेश पाल और उनके साथियों द्वारा इलाहाबाद आने जाने, ठहरने और खाने के नाम पर एक भी रुपया इस कोष से नहीं लिया गया. आगे भी जरुरत पड़ने पर और आवश्यक होने पर हम अपने किसी मोर्चे को मजबूत करने के लिए सहयोग को प्रतिबद्ध हैं. पारदर्शिता हमारी पहली और आखिरी शर्त है. इस समूह की उपरोक्त गतिविधियों की पुष्टि सम्बंधित साथियों से कोई भी कर सकता है. यह साथी नाम के लिए नहीं, मात्र काम के लिए सक्रिय हैं . ये सुप्रीम कोर्ट में सीधे कूद पड़ने को आतुर लोगो की नहीं, स्थिति के अनुसार किसी भी हद तक अपने रूख में लचीलापन रखने को तैयार लोगो का एक गंभीर प्रयास था और एक अदृश्य कारक की तरह इस आन्दोलन को जिन्दा रखने का छोटा सा ही सही, पर ईमानदार प्रयास है.
वैसे तमाम ईमानदार प्रयासों की आड़ में या इनके साथ, रिटों का मार्केट इलाहाबाद से लेकर लखनऊ तक गरमा गया है. सबकी रिटों के अपनी-अपनी यूएसपी है, अनमैच्ड फीचर हैं, किसी में कॉम्बो ऑफर है तो किसी में अर्ली-बर्ड ऑफर. किसी ऑफर में “जो-आएगा-वोही-पायेगा” की “शर्तें लागू” हैं तो किसी में ग्रुप में आने पर “ग्रुप-डिस्काउंट” तक मिल रहा है. कुछ इतनी गोपनीय हैं कि उनके फीचर्स देखने के पहले रजिस्ट्रेशन जरुरी है. कुछ का काम तो ख़ुफ़िया ब्यूरो की याद दिलाता है . पर ठहरिये, आप सब तो सिर्फ 2 दिसंबर 2011 को सरकार द्वारा प्रकाशित विज्ञापन के आधार पर चयन प्रक्रिया पूरी करने भर के लिए लड़ रहे हैं न? फिर ये क्या है? असल में न्यायालय द्वारा केवल याचियों को लाभ दिए जाने की आशंका के मद्देनज़र जहाँ कुछ डरे हुए अभ्यर्थियों द्वारा रिटें डाली जा रही हैं वहीं कुछ लोगो द्वारा इसी भय का दोहन करके आम अभ्यर्थी को डराकर स्पोंसरशिप हासिल की जा रही है. कुछ लोग नाम के लिए रिट्स लांच कर रहे हैं तो कुछ काम के लिए, पर ये सब कुछ मनमाने तौर पर हो रहा है, सही और गलत में भेद करने का कोई पैमाना नहीं है पर निर्बाध गति से बन रहे ये छोटे-छोटे समूह क्या एकदम से हुए किसी जन-जागरण का परिणाम है या मुख्य संगठन से ख़त्म हो रहे विश्वास का?? कुछ याचिकाएं लांच हो चुकी है, कुछ होने वाली है तो कुछ प्रतीक्षासूची में हैं. यहाँ मेरा उद्देश्य किसी के प्रयासों या विचारों को कमतर दिखाना नहीं, एकदम से परिदृश्य में आई या आनेवाली याचिकाओं में से गंभीर और मजबूत याचिकाओं की पहचान में आनेवाली समस्या की और ध्यान दिलाना है. किस आधार पर अभ्यर्थी और संगठन किसी याचिका के बारे में निर्णय करें कि उसका सहयोग, समर्थन या बचाव किया जाये, अबतक जितने मोर्चे खुले, जितनी याचिकाएं पडी, उनका हश्र बताने की कोई जरूरत नहीं. प्रश्न गंभीर है, क्यूंकि अगर सारे साथी एक साथ मिलकर सागर का रूप लेते तो बड़े से बड़े पर्वत लील जाते. पर आज ये अभी कई नदियों के रूप में बंटे हुए प्रवाहमान हैं, फिर भी इनके वेग के सामने शत्रु का टिकना मुश्किल हो सकता है, अगर ये सब छोटे छोटे नालों और नालियों में बंट गए या बाँट दिए गए तो गिनती में बहुत होंगे पर परिणाम में शून्य. यह एक सामान्य टिप्पणी है जो किसी गंभीर, जानकार और जुझारू साथी द्वारा किये जाने वाले छोटे से सही, पर सही दिशा में सही तरीके से किये गए ईमानदार प्रयास पर लागू नहीं होती, और वो भी कोई चमत्कारिक परिणाम दे सकते हैं पर पिछले 8 महीने के घटनाक्रम को देखते हुए इसके भरोसे पर बैठे रहना बहुत बड़ा जुआ साबित हो सकता है.
ऐसी स्थिति में कोई अपनी राय को अंतिम सत्य बताये तो यह प्रथमदृष्टया असत्य होगा. आज हम इलाहाबाद और लखनऊ में सिंगल बेंच में जूझ रहे हैं. इलाहाबाद वाले टंडन साहब ने हमारी बात सुनकर भी सरकार को 15 दिन के अन्दर विज्ञापन निकलने की अनुमति दी है वही लखनऊ में गुप्ता साहब ने सरकार द्वारा हफ्ते भर में जवाब न दिए जाने की स्थिति में याचियों को अंतरिम राहत दे डालने की चेतावनी दे दी है. डिविजन बेंच ने हमारी स्पेशल अपील डिसमिस करते हुए मामला सिंगल बेंच के पास ही लौटा दिया है और उसके निर्देश के बावजूद भी सिंगल बेंच से हमें सकारात्मक निर्णय नहीं मिला.
आगे क्या होने वाला है, कहा नहीं जा सकता है. पर चूंकि सत्य हमारे साथ है, निराशा हमसे दूर ही रहे तो बेहतर है. विधि-विशेषज्ञों की राय में हम गलत नहीं, पीड़ित हैं, हमारा पक्ष मजबूत है. ऐसे में अब दो रास्ते हैं, पहला, विज्ञापन आने के पहले सुप्रीम कोर्ट जाना ताकि वो आ ही न पाए या सिंगल बेंच को हमारे पक्ष में कोई निर्देश दिया जाये, और दूसरा, विज्ञापन आने के बाद सुप्रीम कोर्ट जाना. वैसे विज्ञापन आने के बाद कुछ न कुछ करना विकल्प नहीं, मज़बूरी है, इस से कोई इंकार नहीं कर सकता, पर शायद उस स्थिति में भी सुप्रीम कोर्ट नहीं, सिंगल बेंच में ही जाना पड़ेगा. कुल मिलाकर विज्ञापन के पहले सीधे सुप्रीम कोर्ट जाना, और बाद में नए सिरे से सिंगल बेंच, डबल बेंच होते हुए सुप्रीम कोर्ट जाना, ये दो विकल्प नहीं, दो मौके हैं. दूसरा अपरिहार्य है पर पहला अगर हाथ से निकल गया तो दोबारा नहीं मिलेगा. लखनऊ के हालिया आदेश से राहत पाकर अब यह प्रयास हो रहे है कि अभ्यर्थियों में बढ़ रही बेचैन और हो सकने वाले नुकसान के मद्देनज़र शीघ्रातिशीघ्र अब वकीलों के बजाय मामले को सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विस सहायता समिति के सामने रखकर इस मामले में, सुप्रीम कोर्ट जाने न जाने के मुद्दे पर, उनकी राय का अनुपालन किया जाये जहाँ के पैनल में वरिष्ठ अधिवक्ता ही होते हैं. और व्यक्तिगत सनक, दुराग्रह, विचार, राय या जिद्द के बजाय अगर सामूहिक हित के लिए कानूनी सिद्धांतों , प्रक्रियाओं और विशेषज्ञों को वरीयता दी जाये तो वर्तमान संक्रमणकाल में शायद ही किसी को आपत्ति हो.
इस लड़ाई के सभी मोर्चों में समन्वय, आपसी तालमेल, सोच-समझकर लिए जाने वाले निर्णय, कानूनी सलाह को वरीयता , संगठन की मजबूती और आम अभ्यर्थी के विश्वास व मनोबल को बनाये रखने के लिए सबको साथ लेकर चलना अपरिहार्य है, समय की आवश्यकता है. ताकि साथी न बंटे, शक्ति न बंटे और संसाधन न बंटे. और समय रहते स्थिति के वास्तविक मूल्याङ्कन करने, आवश्यक रणनीति बनाने और उसके लिए समय से तैयार हो जाने के लिए अब परस्पर विचार-विमर्श की महती आवश्यकता है. बेहतर होगा कि सबलोग मिलकर जल्द से जल्द एक तिथि, समय और स्थान आपस में तय करे एवं तदनुसार एक बैठक का आयोजन करें ताकि संभावित बिखराव को रोका जा सके और विजय के पथ पर ठोस कदम बढ़ाये जा सके. एक आम अभ्यर्थी को अपने अग्रणी साथियों से अभी बहुत आशा है.

इतनी बड़ी पोस्ट के लिए क्षमाप्रार्थना के साथ
आपका साथी
श्याम देव मिश्रा


Source : http://shyamdevmishra.jagranjunction.com/2012/10/05/october-5-2012-an-overview-of-state-of-affairs-on-recruitment-of-72825-trainee-teachers-in-uttar-pradesh/

Scaling System in Selection Process


Scaling System in Selection Process


क्या IIT में जो स्केलिंग पैटर्न अपनाया , वह सही है (अपनी राय व्यक्त करें )
सभी बोर्ड में टॉप ट्वेंटी परसेंट छात्रों में लास्ट नंबर के छात्र के परसेंट को बराबरी का स्केल दिया
जैसे यू पी बोर्ड में टॉप ट्वेंटी परसेंट के लास्ट छात्र के ६५ % थे और सी बी एस ई में लास्ट  छात्र के 78 % थे
और उनको बराबरी के स्केल पर ला दिया |
UP Board 65% = CBSE 78%

और क्या ऐसा नहीं हो सकता की -
सभी बोर्डों के टॉप 20 % छात्र की लास्ट कट ऑफ से ऊपर को - A ग्रेड 
उससे नीचे के टॉप 20 % (अर्थात 20+ To 40 % ) को - B ग्रेड 
उससे नीचे के टॉप २०% (अर्थात 40+ To  60% ) को - C  ग्रेड 
इत्यादि में बाँट सकें 
हालाँकि जो भी नयी  चयन पद्दति है  इसका  पिछली भर्ती पर प्रभाव पडेगा या नहीं |
यह बेहद जटिल प्रश्न है और कुछ भी कहना मुश्किल है 


And what you want to say - Common Examination / Multistage Examination in Selection Process

On this Blog, Many Acad. supporters said that - Their academic marks is the result of many years study.
However in counter reply - Candidates said that if they are in good in study then should score good marks in common aptitude examination.

Common Examination supporters view is -
However classification of posts - is of Primary Level
And subject specialist  /toppers in examination have many other opportunities.
TET examination concerns with basic education and related abilities.

While Academic supporters view is - In many states academic marks are used for selection process.
And 100% TET marks in selection process is inappropriate.

Day by day new selection procedure is heard, However authentic source /news not seen. May be process is still under consideration.
If somebody of better info then please share it.

Thursday, October 4, 2012

IIT Scaling System of Different Boards


IIT Scaling System of Different Boards


How IIT adopts its procedure of scaling system : -

In CBSE, on an average, the percentage of marks scored by the last student in the top 20 percentile in Class XII is around 78%. “Our analysis shows that the last student in this bracket in the Uttar Pradesh Board scored 65% in Class XII and in Tamil Nadu Board he scored 78%. We will soon do a data analysis of Class XII results of all 42 state boards in the country and put them on the CBSE website so students have an idea what percentage they must target to enter IITs,” CBSE chief Vineet Joshi said.

"The meeting was successful and a unanimous agreement to proceed with admission scheme as recommended by Joint Admission Board (JAB) was taken. Kanpur faculty members and other senates gave full support to this proposal. There is no compromise. It is just a single proposal with all steps clearly spelt out. All doubts have been sorted," said IIT-Kanpur Board chief M Anandkrishnan.


Reaction :
The Super 30 founder Anand Kumar said the top 20 percentile criterion would “go against the poor, who don’t have the opportunity to study in elite schools”.
“There is a huge gulf between the standard of top public schools and those run by the government. For the poor, who study in rural schools lacking even basic facilities and quality teachers, it will be a big deterrent.
“So far, they had a level-playing field, where their hard work and performance mattered…. But the 20 percentile could be killing for genuine students,” Kumar said.


Source : http://www.academics-india.com/iit.htm

IIT Scaling System of Different Boards


IIT Scaling System of Different Boards


How IIT adopts its procedure of scaling system : -

In CBSE, on an average, the percentage of marks scored by the last student in the top 20 percentile in Class XII is around 78%. “Our analysis shows that the last student in this bracket in the Uttar Pradesh Board scored 65% in Class XII and in Tamil Nadu Board he scored 78%. We will soon do a data analysis of Class XII results of all 42 state boards in the country and put them on the CBSE website so students have an idea what percentage they must target to enter IITs,” CBSE chief Vineet Joshi said.

"The meeting was successful and a unanimous agreement to proceed with admission scheme as recommended by Joint Admission Board (JAB) was taken. Kanpur faculty members and other senates gave full support to this proposal. There is no compromise. It is just a single proposal with all steps clearly spelt out. All doubts have been sorted," said IIT-Kanpur Board chief M Anandkrishnan.


Reaction :
The Super 30 founder Anand Kumar said the top 20 percentile criterion would “go against the poor, who don’t have the opportunity to study in elite schools”.
“There is a huge gulf between the standard of top public schools and those run by the government. For the poor, who study in rural schools lacking even basic facilities and quality teachers, it will be a big deterrent.
“So far, they had a level-playing field, where their hard work and performance mattered…. But the 20 percentile could be killing for genuine students,” Kumar said.


Source : http://www.academics-india.com/iit.htm

UPTET - डायटों में गैर एमएड शिक्षकों की तैनाती



UPTET - डायटों में गैर एमएड शिक्षकों की तैनाती
 
 
इटावा, कार्यालय प्रतिनिधि : प्रदेश के प्रत्येक डायट (जिला शिक्षा और प्रशिक्षण संस्थान) में प्रवक्ता एवं वरिष्ठ प्रवक्ता के 18 पद सृजित हैं। इनके लिए एमएड योग्यताधारी शिक्षकों की नियुक्ति होनी चाहिए लेकिन यह योग्यता न रखने वाले बेसिक शिक्षा परिषदीय शिक्षकों को डायट से संबद्ध किया गया है। प्रदेश में डायटों में प्रवक्ता के 1100 पद रिक्त हैं।
 इनको भरने के लिए एनसीटीई के अनुसार शिक्षक-प्रशिक्षक की न्यूनतम योग्यता संबंधित विषय में 55 प्रतिशत स्नातकोत्तर के साथ एमएड तथा बेसिक शिक्षक का अनुभव आवश्यक है। इसके बावजूद गैर एमएड शिक्षकों को मनमाने तरीके से डायट से संबद्ध किया जाता है। एमएड योग्यताधारी विभागीय शिक्षकों में इस मनमानी को लेकर कुंठा है। 

उन्होंने 72,825 शिक्षकों की भर्ती से पूर्व विभागीय शिक्षकों को डायट प्रवक्ता के पदों पर प्रोन्नति की मांग की है। इस संबंध में वे 4 अक्टूबर को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से सैफई में मिलकर उनको मांग पत्र सौपेंगे। अपने अधिकार की लड़ाई मजबूती से लड़ने को बेसिक शिक्षा में कार्यरत एमएड योग्यताधारी शिक्षकों का अधिवेशन आरकेएस एकेडमी विजयनगर में हुआ। अधिवेशन में बेसिक एमएड शिक्षक संघ का गठन किया गया। गोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि उप्र सरकार द्वारा बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षकों के प्रशिक्षण में ध्यान देने के बावजूद शिक्षक योग्य व सही तरह से प्रशिक्षित न हो पाने के कारण प्राथमिक शिक्षा का ढांचा किसी से छिपा नहीं है। शिक्षकों के प्रशिक्षण के नाम पर केवल खानापूर्ति की जाती है। सरकार द्वारा प्रशिक्षकों की भर्ती न होने के कारण अयोग्य प्राथमिक शिक्षकों को मनमाने तरीके से डायट में संबद्ध किया गया है

Source - Jagran
4-10-2012 / http://in.jagran.yahoo.com/epaper/index.php?location=22&edition=2012-10-04&pageno=5 (Pag No. 5)
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News Analysis -
Eligible candidate should be appointed to teach BTC / SBTC / TET Candidates to maintain quality in education.If qualified candidates not available then alternative measures can be taken.But , In these days , It looks there is no shortage of qualified candidates (As we day by day intake in education courses increases.)

UPTET - चार साल से खाली है शिक्षकों के दो लाख पद


UPTET - चार साल से खाली है शिक्षकों के दो लाख पद


 Source - Amar Ujala
4-10-2012 
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If we combine Supreme Court statement with the above news, then in coming months a great opportunity for teaching job aspirant is waiting.

UPTET - ताकि शिक्षक भर्ती में न हो भेदभाव शिक्षक भर्ती गुणांक मेरिट पर


UPTET - ताकि शिक्षक भर्ती में न हो भेदभाव

शिक्षक भर्ती गुणांक मेरिट पर 

जागरण ब्यूरो, लखनऊ : बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों के 72,825 पदों पर बीएड डिग्रीधारकों के चयन में यूपी बोर्ड से हाईस्कूल व इंटरमीडिएट उत्तीर्ण करने वाले अभ्यर्थियों को कम नंबरों के कारण नुकसान न उठाना पड़े, शासन स्तर पर अब यह सुनिश्चित करने के उपाय ढूंढे़ जा रहे हैं। हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षाएं कराने वाले विभिन्न बोर्ड और अलग-अलग विश्वविद्यालयों द्वारा दिए जाने वाले नंबरों के बीच समतुल्यता कैसे स्थापित की जाए, इस बाबत शासन ने बेसिक शिक्षा निदेशक, राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के निदेशक और सचिव बेसिक शिक्षा परिषद से प्रस्ताव मांगा है। 72,825 शिक्षकों के रिक्त पदों के लिए पहले टीईटी उत्तीर्ण बीएड डिग्रीधारकों का मेरिट के आधार पर चयन कर उन्हें छह माह का विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके बाद उन्हें नियुक्ति दी जाएगी। विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण के चयन के लिए जो मेरिट तैयार की जाएगी, उसके लिए अभ्यर्थी को हाईस्कूल, इंटरमीडिएट और स्नातक स्तरों पर हासिल हुए प्राप्तांक प्रतिशत के क्रमश: 10, 20 व 40 प्रतिशत को जोड़ा जाएगा। इसके अलावा यदि वह बीएड प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण है तो उसके लिए उसे 12 नंबर, द्वितीय श्रेणी के लिए छह और तृतीय श्रेणी के लिए तीन नंबर दिए जाएंगे। चूंकि यूपी बोर्ड की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट परीक्षाओं में सीबीएसई तथा आइसीएसई/आइएससी की तुलना में कम नंबर मिलते हैं। इसलिए यूपी बोर्ड की परीक्षाएं उत्तीर्ण करने वाले अभ्यर्थी मेरिट में पिछड़ जाते हैं। शासन स्तर पर यह भी सोचा जा रहा है कि कुछ विश्वविद्यालय नंबर देने में उदार हैं, जबकि कुछ अन्य में कम नंबर दिए जाते हैं। जिन विश्वविद्यालयों में कम नंबर दिये जाते हैं, उनसे स्नातक व बीएड करने वाले छात्रों को भी शिक्षक भर्ती में नुकसान उठाना पड़ सकता है। ऐसी स्थिति में विभिन्न बोर्ड और विश्वविद्यालयों द्वारा दिये जाने वाले अंकों में समतुल्यता स्थापित करने के लिए शासन ने संघ लोक सेवा आयोग और लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं में लागू स्केलिंग प्रक्रिया की तर्ज पर माध्यमिक शिक्षा निदेशालय और एससीईआरटी से प्रस्ताव मांगा है


SBTC - विशिष्ट बीटीसी में दस फीसद आरक्षण मांगा
जागरण संवाददाता, लखनऊ : विशिष्ट बीटीसी में विशेष शिक्षकों को दस फीसद आरक्षण और स्थायी नियुक्ति की मांग को लेकर विशेष शिक्षक एवं अभिभावक एसोसिएशन ने मंगलवार को धरना दिया। धरना देने वालों ने अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री को संबोधित एक ज्ञापन भी एडीएम को सौंपा है। विशेष शिक्षक एवं अभिभावक एसोसिएशन के अध्यक्ष मुन्ना लाल शुक्ला ने मंगलवार को धरना स्थल पर एकत्र विशिष्ट बीटीसी शिक्षकों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि परिषदीय शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में स्वीकृत पदों के सापेक्ष रिक्त पदों पर तैनाती होती रही है। शिक्षा मित्रों के लिए दस फीसद आरक्षण का कोटा निर्धारित किया गया है जबकि विशेष शिक्षकों को उक्त लाभ नहीं दिया जा रहा है। विशेष शिक्षकों को भी यह लाभ दिया जाना चाहिए। धरना में प्रदेश के कई जिलों से सैकड़ों विशेष शिक्षकों ने हिस्सा लिया


Source - Jagran
4-10-2012 / http://in.jagran.yahoo.com/epaper/index.php?location=37&edition=2012-10-04&pageno=12 (Page No. 12)
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It looks BLOG Post is seen by many people, Same points raised on this BLOG like changes in IIT Selection pattern, INSPIRE Fellowship (DST, Govt. India) etc.

UPTET - एससीईआरटी से विशिष्ट बीटीसी की मेरिट पर मांगा गया प्रस्ताव



 UPTET - एससीईआरटी से विशिष्ट बीटीसी की मेरिट पर मांगा गया प्रस्ताव

लखनऊ। राज्य सरकार ने टीईटी पास बीएड डिग्रीधारकों को छह माह की विशिष्ट बीटीसी ट्रेनिंग देने सेपहले राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवंप्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) से पूछा है कि यूपी बोर्ड और केंद्रीय बोर्ड के अभ्यर्थियों के बीच मेरिट निर्धारण में कैसे समानता लाई जाएगी मेरिट के निर्धारण का आधार क्या होगा और इसके लिए क्या व्यवस्था होगी, जिससे किसी भी अभ्यर्थी के साथ अन्याय न हो सके। विशेष सचिव बेसिक शिक्षा रामविशाल मिश्रा ने इस संबंध में एससीईआरटी के निदेशक महेंद्र सिंह को बुधवार को पत्र भेजकर शीघ्र प्रस्ताव देने को कहा है।
विशेष सचिव बेसिक शिक्षा ने एससीईआरटी निदेशक को भेजे पत्र में कहा है कि विशिष्ट बीटीसी के लिए अभ्यर्थियों का चयन मेरिट के आधार पर किया जाना है। यूपी बोर्डकी अपेक्षा केंद्रीय बोर्ड में छात्रों को अधिक अंक मिलते हैं। इसी तरह छात्र स्नातक और बीएड अलग-अलग विश्वविद्यालय से करते हैं। इनके नंबर में भी अंतर होता है। ऐसे में मेरिट निर्धारण में कैसे समानता लाई जाएगी, जिससे किसी छात्र के साथ अन्याय न हो। इसलिए निदेशालय शीघ्र ही इस संबंध में शासन को प्रस्ताव उपलब्ध कराए, ताकि आगे की कार्यवाही की जा सके।
गौरतलब है कि शिक्षकों की भर्ती के लिए संशोधित नियमावली में इस बार हाईस्कूल के कुल प्रतिशत का 10 अंक, इंटर के कुल प्रतिशत का 20 व स्नातक का 40 अंक और बीएड में प्रथम श्रेणी या उससे ऊपर पर थ्यौरी व प्रैक्टिकल का 12-12 अंक, द्वितीय श्रेणी या इससे ऊपर होने पर 6-6 और तृतीय श्रेणी या उससे ऊपर पर 3-3 अंक जोड़कर मेरिटनिर्धारित किए जाने की व्यवस्था दी गई है। राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में भी इस आशय का शपथ पत्र दिया है


Source - Amar Ujala
4-10-2012
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This is really a very good step for UP Board candidates.

This Blog earlier gave light on such issues -
See here -
http://naukri-recruitment-result.blogspot.in/2012/03/cbse-versus-up-board-acadmic-marks.html
http://naukri-recruitment-result.blogspot.in/2012/04/uptet-small-article.html


CBSE versus UP Board Acadmic Marks Weightage

See
Ministry of Science and Technology
Department of Science and Technology
INSPIRE Scholarship



Percentage Cut-off Marks# of Various State-Boards Result in class XII for
2008, 2009, 2010, and 2011



2008
2009
2010
2011
UP Board
69.2
72.6
77
77
CBSE
91
92.4
91.8
93.2
ICSE
93
93.3
93.2
93.43





And news/information about -
http://naukri-recruitment-result.blogspot.in/2012/07/uptet_1739.html

For IIT Entry - 
UP Board cutoff 65% made equivalent to = 78% of CBSE Candidate.
(To Appear in Selection Process )
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It may be possible that blog voice reaches to authority.

However this blog's objective is not to degrade OR gave low value to other boards.
But to justify problems of UP Board candidates and why a TET like common examination / multistage examination gave equal chances.

In Delhi's Shri Ram College of Commerce, Selection merit happens to be so high (normal cutoff - 95% and above), And normally UP Board topper not crosses 90% barrier, then How can a UP Board candidate select in such institutions. And when I see scaling system in INSPIRE Fellowship (Department of Science & Technology, Central Govt. India), I am surprised.

Look at a glance of SRCC cutoff - http://www.jagranjosh.com/articles/shri-ram-college-of-commerce-first-cut-off-list-2011delhi-university-1308207361-1

And in recent oppose of IIT selection process( issues raised by IIT Kanpur) on the basis of academic marks is showing the same approach.

However everything and exact fairness(100%) is not possible, But some measures can be taken by the authority to give equal opportunity to all.

UPTET - प्रदेश के बेसिक स्कूलों में ढाई लाख शिक्षकों की कमी



UPTET - प्रदेश के बेसिक स्कूलों में ढाई लाख शिक्षकों की कमी

लखनऊ। यूपी के बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में 2.56 लाख शिक्षकों की कमी है। यह स्थिति तबहै जब प्रदेश में शिक्षकों की कमीदूर करने के लिए समय-समय पर बीएड डिग्रीधारकों को विशिष्ट बीटीसी का प्रशिक्षण देकर प्राइमरी स्कूलों में सहायक अध्यापक रखा जाता रहा है। प्रदेश के 1632 स्कूलों में शौचालय नहीं है और 55हजार स्कूलों में बाउंड्रीवाल नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को निर्देश दिया है कि वेछह माह के अंदर अध्यापकों के खालीपदों पर भर्ती करें और स्कूलों में जरूरी सुविधाएं मुहैया कराएं। इस बाबत प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा सुनील कुमार से जब पूछा गया तो उन्होंने यह कहकर जवाब देने से इनकार कर दिया कि वे तो छुट्टी पर हैं और कुछ भी कह पाने की स्थिति में नहीं हैं।
केंद्र सरकार ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू करते हुए 6 से 14 साल के बच्चों की शिक्षा अनिवार्य कर दी है। इसके साथ ही शिक्षक और छात्र अनुपात में भी बदलाव करते हुए प्राइमरी में 30 बच्चों पर एक और उच्च प्राइमरी में 35 बच्चों पर एक शिक्षक का मानक तय किया गया है। नए मानक के अनुसार सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी है। यूपी में ही 2.56 लाख शिक्षकों की कमी है 


Source - Amar Ujala
4-10-2012
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As recently in a News Supreme Court gave directions to fill vacant post within 6 months.
And such a huge shortage of teacher can be a good hope for teaching job aspirants.

UPTET 2012 - टीईटी-2012 के लिए अधिसूचना 25 तक



UPTET 2012 - टीईटी-2012 के लिए अधिसूचना 25 तक

जनवरी-2013 में होगी परीक्षा शिक्षाविद् तैयार करेंगे प्रश्नपत्र इण्टर नहीं स्नातक अभ्यर्थी होंगे शामिल अलग-अलग मिलेंगे आवेदन पत्र
इलाहाबाद (एसएनबी)। सरकार शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) 2012 के लिए अधिसूचना 25 अक्टूबर तक जारी करेगा। इस बार टीईटी में कई बदलावहोने जा रहे हैं। इससे परीक्षा औरव्यवस्थित तरीके से होगी और भीड़ भी कम हो जायेगी क्योंकि इसमें इण्टर के बजाय परीक्षा में स्नातक उत्तीर्ण अभ्यर्थी ही शामिल हो सकेंगे। इससे टीईटी कराने वाली संस्था सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय, एलनगंज, इलाहाबाद को भी काफी राहतमिलेगी। सूत्रों के मुताबिक इस बार टीईटी में इंटर के अभ्यर्थी शामिल नहीं हो सकेंगे। स्नातक अभ्यर्थियों को ही परीक्षा में शामिल होने का मौका मिलेगा। आवेदन पत्रों को सुविधापूर्वक अभ्यर्थियों तक पहुंचाने की कवायद तेज हो गयी है। पंजाब नेशनलबैंक और यूनियन बैंक आफ इण्डिया में से किसी एक बैंक से आवेदन पत्र दिये जाने की तैयारी है। शासन ने बैंक के सामने शर्त रखी है कि फार्म बैंक की सभी शाखाओं से मिलेगा न कि एक या दो शाखाओं से। कोशिश होगी कि ग्रामीण क्षेत्र के अधिक से अधिक अभ्यर्थी वहीं से फार्म ले जिससे कि शहरी क्षेत्र में भीड़ न आ पाये क्योंकि पिछली बार फार्म वितरण पंजाब नेशनल बैंक की कुछ शाखाओं से हुआ था। ऐसे में अभ्यर्थियों की ज्यादा भीड़ जुट जाने पर कई स्थानों पर लाठीचार्ज हुआ था। टीईटी के फार्म के दौरान अभ्यर्थियों के ऊपर रहेगा कि वे प्राथमिक कक्षाओं के लिए ही फार्म भरना चाहते हैं या जूनियर हाईस्कूल तक के लिए। ऐसे में अगर वे प्राथमिक का फार्म भरना चाहेगे तो उन्हें एक फार्म भरना होगा जबकि जूनियर के लिए दो फार्मभरने होंगे। आवेदन पत्र 25-26 अक्टूबर से लेकर 25 नवंबर तक मिलेंगे और अभ्यर्थियों से लिये भी जायेंगे जबकि परीक्षा जनवरी 2013 में होना प्रस्तावित है। इसबार टीईटी के प्रश्नपत्रों की खामियों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है क्योंकि यूपी बोर्ड ने जब टीईटी करवायी थी तो उसने कम्प्यूटर फार्म से ही प्रश्नपत्र तैयार करवा लिया था लेकिन सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी, कार्यालय टीईटी परीक्षा के प्रश्नपत्र शिक्षाविदों से तैयार करवाने जा रहा है जिससे कि किसी भी प्रकार की गड़बड़ी प्रश्नपत्र और उसके उत्तर में न रह जाये जिससे कि बाद में अभ्यर्थी परेशान करने लगे। THD परीक्षा की खामियां होंगी दूर : सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय एलनगंज, इलाहाबाद को टीईटी परीक्षा करानेकी जिम्मेदारी सौपी गयी है। सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय सबसे पहले उन खामियों को दूर करने में लगा हुआ है जिसकी वजह से यूपी बोर्ड की किरकिरी हुईथी। इस परीक्षा को सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी सुश्री भावना शिक्षार्थी बहुत गंभीरता से ले रही हैं। अभ्यर्थियों की संख्या होगी कम : इस बार फार्म स्नातक उत्तीर्ण या स्नातक परीक्षा में शामिल होने वाले अभ्यर्थी ही भर सकेंगे। इससे भी सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय को काफी राहत मिलेगी क्योंकि इण्टर के अभ्यर्थियों के शामिल न होने से काफी भीड़ कम हो जायेगी। 

Source - Rashtriya Sahara
4-10-2012
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Problems of UPTET 2011 is trying remove in UPTET 2012, So that any unwanted problems can be avoided. Exam is proposed in Jan 2013. And by the end of this month, Notification for UPTET 2012 can be released.

UPTET - ‘6 महीने में भरें देश के सरकारी स्कूलों में टीचरों के खाली पद’



UPTET - ‘6 महीने में भरें देश के सरकारी स्कूलों में टीचरों के खाली पद’


नई दिल्ली। एहतेशाम खान सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर देश के सभी सरकारी और सरकार की सहायता प्राप्त स्कूलों के दिन बहुर सकते हैं। देशभर में सभी सरकारी और सरकार से सहायता प्राप्त स्कूलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि 6 महीने के अंदर सभी स्कूलों में अध्यपाक के खाली पदों को भरा जाए। इसके साथ ही कोर्ट ने आदेश दिया है कि स्कूलों के अदंर पीने के पानी और शौचालय जैसी सुविधाओं को पूरा किया जाए
इस मामले में कोर्ट के आदेश के 6 महीने बाद सभी राज्यों को स्टेटस रिपोर्ट सौंपनी होगी। कोर्ट का यह आदेश सिर्फ सरकारी और सरकार से सहायता प्राप्त स्कूलों पर ही लागू होगा। मालूम हो कि देश में सरकारी स्कूलों की संख्या कुल स्कूलों की संख्या का 86 .6 प्रतिशत है

Source - IBN7
3-10-2012
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Sorry for no updates from last 3 days, Due problem in Internet connection.

Above is Very Good News for candidates.

Tuesday, October 2, 2012

UPTET - शिक्षकों की नियुक्ति से पूर्व ट्रेनिंग करने की चुनौती


UPTET - शिक्षकों की नियुक्ति से पूर्व ट्रेनिंग करने की चुनौती 


Source - Hindustan
2-10-2012

Monday, October 1, 2012

UPTET : Allahabad Highcourt Hearing on 1st October 2012


UPTET : Allahabad Highcourt Hearing on 1st October 2012

HIGH COURT OF JUDICATURE AT ALLAHABAD, LUCKNOW BENCH


?Court No. - 9

Case :- SERVICE SINGLE No. - 5135 of 2012

Petitioner :- Arvind Kumar Singh & 50 Ors.
Respondent :- State Of U.P. Through Chief Secy. Vidhan Bhawan Lko. & Ors.
Petitioner Counsel :- Ganga Singh
Respondent Counsel :- C.S.C.

Hon'ble Vishnu Chandra Gupta,J.
On the request of learned Standing Counsel a week's time is allowed to file counter affidavit. It has been informed that no select list, after amended rule, has been prepared by the GovernmentIt is made clear that if counter affidavit has not been� filed in the aforesaid period the applicant for interim relief shall be disposed of.
List thereafter. 
Order Date :- 1.10.2012
Ajay


Source : http://elegalix.allahabadhighcourt.in/elegalix/WebShowJudgment.do?judgmentID=2118138
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A week time is granted to file counter affidavit i.e by 8th Oct counter affidavit is required to file in court.
And if it not comes them interim relief shall be granted to applicant.
Any better interpretation is welcome through comments.

Interim relief can be stay in new selection process etc.

UPTET : आखिरी दम तक जारी रहेगी लड़ाई


UPTET : आखिरी दम तक जारी रहेगी लड़ाई



आजमगढ़ : उप्र टीईटी उत्तीर्ण संघर्ष मोर्चा की बैठक रविवार को कुंवर सिंह उद्यान में हुई। इसमें प्राथमिक विद्यालय में नियुक्ति सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई। कहा गया कि हक के लिए आखिरी दम तक लड़ाई लड़ेंगे।

वक्ताओं ने कहा कि सरकार प्राथमिक अध्यापकों की नियुक्ति मेरिट के आधार पर करे। न्यायालय द्वारा अरविंद सिंह की याचिका पर राज्य सरकार से जवाब तलब किया गया है। यदि सरकार पूर्व निर्धारित नियमों के तहत नियुक्ति नहीं करती है तो हम सर्वोच्च न्यायालय तक लड़ाई लड़ेंगे। इस मौके पर मनोज यादव, ब्रजेश कुमार गुप्त, रवींद्र यादव, उमेश वर्मा, राकेश चंद्र यादव, प्रमोद कुमार, सुरेश, हरिगेंद्र, मनोज, अशोक, राधेश्याम, प्रदीप आदि उपस्थित 

News Source : Jagran ( 30.9.12)
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Lakhs of TET candidates struggling for job. And a high discussion starts about merit base  Gunank , Flat, TET based etc. etc.
Candidates daily search news about current situation, their chances of selection etc.
Many candidates still believe that selection will happen finally through TET merit. Many are saying that government has changes selection process therefore now selection will start from Acad. merit.
Candidates eyeing on Court.

UPTET - अदालत में किया विरोध तो अब कैसे दें टीईटी से छूट




UPTET - अदालत में किया विरोध तो अब कैसे दें टीईटी से छूट





जागरण ब्यूरो, लखनऊ : विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण उत्तीर्ण कर चुके अभ्यर्थियों को शिक्षकों की भर्ती में अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी) से छूट देने के मामले में शासन को अपने पैर वापस खींचने पड़े हैं। शासन स्तर पर तय हो गया है कि विशिष्ट बीटीसी 2004, 2007 व 2008 के सामान्य व विशेष चयन के अभ्यर्थियों को शिक्षकों की भर्ती में टीईटी से छूट नहीं दी जा सकती है। वजह यह है कि टीईटी से छूट देने के संबंध में विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षुओं की ओर से हाई कोर्ट में दायर की गई याचिकाओं का बेसिक शिक्षा विभाग अदालत में प्रतिशपथपत्र देकर विरोध कर चुका है। परिषदीय स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए शैक्षिक अर्हता बीटीसी है। शिक्षकों की कमी से निपटने के लिए राज्य सरकार ने राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) से 2004, 2007 व 2008 में विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण की मंजूरी ली थी। विशिष्ट बीटीसी के तहत बीएड उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को छह महीने का प्रशिक्षण देकर उन्हें शिक्षक नियुक्त किया जाता रहा है। विशिष्ट बीटीसी के इन बैचों के कुछ अभ्यर्थियों को कुछ कमियों का हवाला देकर ट्रेनिंग से रोका गया था। बाद में कोर्ट के निर्देश से इनकी ट्रेनिंग पूरी कराई गई। अभ्यर्थियों की ट्रेनिंग पूरी होने पर यह कहकर नियुक्ति देने से मना कर दिया कि अब टीईटी उत्तीर्ण करना अनिवार्य है। सूबे में सत्ता परिवर्तन होने के बाद विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षुओं ने बेसिक शिक्षा मंत्री राम गोविंद चौधरी से गुहार लगाई थी कि उन्हें शिक्षकों की भर्ती में टीईटी से छूट दी जाए। तर्क यह दिया गया कि उन्हें छह महीने का प्रशिक्षण देकर शिक्षक नियुक्त करने संबंधी विज्ञापन 23 अगस्त 2010 को जारी एनसीटीई की अधिसूचना के पहले प्रकाशित कर दिए गए थे। इसलिए 23 अगस्त 2010 को जारी अधिसूचना की धारा-5 के तहत उन्हें शिक्षकों की भर्ती में टीईटी से छूट दी जा सकती है। मंत्री की पहल पर विभाग ने इस मामले में विचार मंथन किया तो यह तथ्य सामने आया कि टीईटी से छूट देने की मांग को लेकर कुछ प्रशिक्षुओं ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। कोर्ट में दायर प्रशिक्षुओं की याचिकाओं का बेसिक शिक्षा विभाग ने प्रति शपथपत्र देकर विरोध किया था
Source - Jagran
29-9-2012
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Qualifying TET exam is must for BTC/SBTC candidates to become teacher in basic education department.
Many candidates protesting for such eligibility condition and demanded relaxation.

UPTET - टीईटी अभ्यर्थियों के साथ धोखा कर रही सरकार



UPTET  - टीईटी अभ्यर्थियों के साथ धोखा कर रही सरकार




टीईटी अभ्यर्थियों के साथ धोखा कर रही सरकार
देवरिया:



प्रदेश सरकार टीईटी अभ्यर्थियों के साथ धोखा कर रही है। भर्ती की प्रक्रिया बदलकर नया विज्ञापन निकालना अभ्यर्थियों के साथ अन्याय किया जा रहा है जो सरकार की अदूरदर्शिता व असंवेदनशीलता को दर्शाता है
यह बातें टीईटी संघर्ष मोर्चा के प्रदेश संरक्षक गोरखनाथ सिंह ने कही। वे रविवार को टाउनहाल में मोर्चा की बैठक को संबोधित कर रहे थे। अनुराग मल्ल ने कहा कि सरकार द्वारा पूर्व में जारी विज्ञापन को निरस्त करने व प्रक्रिया बदलने के खिलाफ लखनऊ खंडपीठ में याचिका दाखिल की जा चुकी है। कोर्ट ने सरकार से जवाब-तलब किया है। अब कोर्ट के आगे के आदेश का अवलोकन करने के बाद ही टीईटी अभ्यर्थी आगे की रणनीति तय करेंगे।
पुण्डरीकाक्ष शर्मा ने कहा कि हमारी लड़ाई अंतिम चरण में है। मोर्चा की तरफ से 9 अक्टूबर को कोर्ट की कार्यवाही में सक्रिय भागीदारी के लिए जनपद से मोर्चा के दो सदस्य मौजूद रहेंगे। बैठक की अध्यक्षता चंद्र प्रकाश कुशवाहा व संचालन वसीम अख्तर ने किया
इस अवसर पर प्रमुख रूप से रघुवंश शुक्ला, राजित दीक्षित, गौरीशंकर पाठक, हरेंद्र पुरी, पद्माकर मणि, दुर्गेश गुप्ता, संतोष चौबे, ज्ञान प्रकाश, अरुण विश्वकर्मा, दीनानाथ जायसवाल, पारसनाथ विश्वकर्मा, अभिमन्यु मद्धेशिया, जय प्रकाश यादव, संतोष कुशवाहा, रामईश्वर, राजेश त्रिपाठी, कृष्णचंद्र गुप्ता, जय गोविंद जायसवाल तथा अरविंद यादव आदि मौजूद थे

Source - Jagran
30-9-2012 

UPTET - DAILY CAUSE LIST (LUCKNOW BENCH)



UPTET - DAILY CAUSE LIST (LUCKNOW BENCH)

UPTET - टीईटी - TET
 COURT NO - 26
CASE STAND ON 19TH POSITION



DAILY CAUSE LIST
(Lucknow Bench)
01/10/2012



                                                   SANJAI KUMAR SINGH       
     17.  SERS  9177-2011   PARMATMA DEEN             VIJAY KUMAR ASTHANA      
      BY COURT ORDER        Vs.STATE OF U.P. THRU.    C.S.C.                   
                            -THE SECY                 R.K. MAURYA              
                            For Admission
     18.  SERS  6746-2010   RAJ KUMAR MAURYA AND      NISAR AHMAD              
                            -ANOTHER                  K.K.SINGH                
      DATE FIXED            Vs.CHHATRAPATI SHAHUJI                             
                            -MAHARAJ                                           
     19.  SERS  5135-2012   ARVIND KUMAR SINGH &      GANGA SINGH              
                            -50 ORS.                                                
      DATE FIXED            Vs.STATE OF U.P. THROUG   C.S.C.                   
                            -H CHIEF                                                
     20.  MISS  6610-2010   RASTRIYA KRISHI EVAM      VIRENDRA MISRA           
                            -BANKERS                                           
      BY COURT ORDER        Vs.UNION OF INDIA MINIS   A.S.G.                   
                            -TRY OF L                 DR. ASHOK NIGAM          
                                                      NEERAV CHITRANSHI        
     21.  MISS  7007-2010   SHIV KUMAR S/O JAGDIS     SHYAM MOHAN              
                            -H PRASAD                                               
      BY COURT ORDER        Vs.LABOUR COURT, U.P.,    C.S.C.                   
                            -LUCKNOW                                        
Source - http://www.allahabadhighcourt.in/causelist/courtL.jsp

Sunday, September 30, 2012

UPTET : शिक्षक भर्ती के लिए 40 वर्ष वाले भी होंगे पात्र



UPTET : शिक्षक भर्ती के लिए 40 वर्ष वाले भी होंगे पात्र


•विशिष्ट बीटीसी ट्रेनिंग के लिए जिलेवार लिए जाएंगे आवेदन
•ऑनलाइन आवेदन 22 अक्तूबर से लिए जाने की तैया

लखनऊ। बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में शिक्षक बनने के लिए 21 से 40 वर्ष की आयु वाले पात्र होंगे। शिक्षक बनने से पहले टीईटी पास बीएड डिग्रीधारकों को 6 माह की विशिष्ट बीटीसी की ट्रेनिंग करनी होगी। इसके लिए 8 अक्तूबर तक विज्ञापन निकालकर 22 अक्तूबर से आवेदन लेने की तैयारी है। इस संबंध में शीघ्र ही शासनादेश जारी कर दिया जाएगा। विशिष्ट बीटीसी ट्रेनिंग के लिए पहली बार जिलेवार ऑनलाइन आवेदन लिए जाएंगे।
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) से अगस्त 2010 में जारी अधिसूचना के मुताबिक टीईटी पास बीएड डिग्रीधारकों को प्राइमरी स्कूलों में सीधे शिक्षक रखने की अनुमति दी गई है।
राज्य सरकार इसके आधार पर यूपी में 72 हजार 825 शिक्षकों की भर्ती करना चाहती थी। पर टीईटी को लेकर चल रहे विवाद और आए दिन होने वाले मुकदमे को देखते हुए सीधे शिक्षक न रखकर पहले छह माह की विशिष्ट बीटीसी ट्रेनिंग देने का फैसला किया गया है। इस बीच टीईटी को लेकर कोर्ट से स्थिति भी साफ हो जाएगी। इसलिए जिलेवार बिशिष्ट बीटीसी की ट्रेनिंग के लिए आवेदन लिए जाएंगे। इसके लिए 8 अक्तूबर तक विज्ञापन निकाल दिया जाएगा और 22 अक्तूबर से ऑनलाइन आवेदन लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। आवेदन लेने की अंतिम तिथि 23 नवंबर होगी और दिसंबर से काउंसलिंग के साथ ट्रेनिंग प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी



News Source : Amar Ujala ( 30.9.12) / http://epaper.amarujala.com/svww_zoomart.php?Artname=20120930a_006151011&ileft=-5&itop=73&zoomRatio=182&AN=20120930a_006151011
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News Analysis : That is really a very good step. At least training will start and it can be treated as isolation from recruitment advertisement published earlier.
Court matter can continue side by side and whatever decision come afterwards will be dealt by the system accordingly.

Training time is 6 months. So simultaneously teachers will be prepared side by side and can say a DATA BANK of teachers will be ready, So that as per requirement in UP teachers will be adjusted in basic schools.

Saturday, September 29, 2012

TET Exam and Selection Process


TET Exam and Selection Process


When I was checking weightage (Weightage etc.how much will be in the hands of Selection Authority) of TET marks in selection of different states, I found following -

West Bengal -

Source : http://www.wbsed.gov.in/wbsed/readwrite/notifications/120113091404004.pdf (Page No. 34)
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SSA Chandigarh:


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3. ઉમેદવારની પસ ંદગી માટ ટ ચસ7 એLટ ટMડ ટ4ટ  ) ુ ) (TAT)માં મેળવેલા ણX ં ભારાંકન  ુ ુ
(Weightage)  70% અને િનયત શૈ Yણક લાયકાતમાં મેળવેલા ણX ં ભારાંકન  ુ ુ
(Weightage) 30% રહશ


Source : http://gujarat-education.gov.in/education/Images/pressnote-notification-14022011.pdf

I think TET may be different from TAT. This TAT is for Head Masters and teachers etc. and can not compare TET(RTE / NCTE)

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RECRUITMENT   OF   TEACHERS   IN     A.P.TRIBAL   WELFARE   SUBORDINATE    SERVICE   RULES



3. Method of Recruitment: The Recruitment shall be through a selection process. The selection shall be based on the merit list prepared against 100 marks for each candidate.
(a) Out of 100 marks 20% shall be for the marks secured in APTET
               Paper –I & II (as the case may be) proportionately (For example:)
(1) if a candidate secured 150 marks out of 150 he/she will be given weightage as 20 marks.
(2) if a candidate secured 100 marks out of 150 he/she will be given weightage as 13.33 Marks.


Source : http://twsis.cgg.gov.in/downloads/Notification1.pdf
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राजस्थान ग्रेड थ्री अध्यापक के चयन में २० प्रतिशत टीईटी मार्क्स  को   वेटेज

Source :  http://exam.rajpanchayat.gov.in/files/01.pdf,  15. चयन का आधार )
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However recently it is heard TET is a qualifying exam (News for Himacaha TET exam), And in Tamilnadu (TNTET ) also some people made writ petition that TET is eligibility exam and can not be used for selection.

As per NCTE guideline , I felt TET marks weightage etc. for selection process in the hands of appropriate authority / STATE Govt., And pass in TET not confers right for selection. (It is my personal interpretation)
i.e How much weighatge of TET can be used in selection is in the hands of appropriate selection authority/competent authority.

For , your information, source - http://www.ncte-india.org/RTE-TET-guidelines[1]%20(latest).pdf



Competent Govt. Authority / Law / Court have better explanation of such mattersEven competent authority have various relaxation powers regarding RTE and its selection process. (For such details competent authority / state govt. can have better details)