UPTET - अदालत में किया विरोध तो अब कैसे दें टीईटी से छूट
जागरण ब्यूरो, लखनऊ : विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण उत्तीर्ण कर चुके अभ्यर्थियों को शिक्षकों की भर्ती में अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी) से छूट देने के मामले में शासन को अपने पैर वापस खींचने पड़े हैं। शासन स्तर पर तय हो गया है कि विशिष्ट बीटीसी 2004, 2007 व 2008 के सामान्य व विशेष चयन के अभ्यर्थियों को शिक्षकों की भर्ती में टीईटी से छूट नहीं दी जा सकती है। वजह यह है कि टीईटी से छूट देने के संबंध में विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षुओं की ओर से हाई कोर्ट में दायर की गई याचिकाओं का बेसिक शिक्षा विभाग अदालत में प्रतिशपथपत्र देकर विरोध कर चुका है। परिषदीय स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए शैक्षिक अर्हता बीटीसी है। शिक्षकों की कमी से निपटने के लिए राज्य सरकार ने राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) से 2004, 2007 व 2008 में विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण की मंजूरी ली थी। विशिष्ट बीटीसी के तहत बीएड उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को छह महीने का प्रशिक्षण देकर उन्हें शिक्षक नियुक्त किया जाता रहा है। विशिष्ट बीटीसी के इन बैचों के कुछ अभ्यर्थियों को कुछ कमियों का हवाला देकर ट्रेनिंग से रोका गया था। बाद में कोर्ट के निर्देश से इनकी ट्रेनिंग पूरी कराई गई। अभ्यर्थियों की ट्रेनिंग पूरी होने पर यह कहकर नियुक्ति देने से मना कर दिया कि अब टीईटी उत्तीर्ण करना अनिवार्य है। सूबे में सत्ता परिवर्तन होने के बाद विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षुओं ने बेसिक शिक्षा मंत्री राम गोविंद चौधरी से गुहार लगाई थी कि उन्हें शिक्षकों की भर्ती में टीईटी से छूट दी जाए। तर्क यह दिया गया कि उन्हें छह महीने का प्रशिक्षण देकर शिक्षक नियुक्त करने संबंधी विज्ञापन 23 अगस्त 2010 को जारी एनसीटीई की अधिसूचना के पहले प्रकाशित कर दिए गए थे। इसलिए 23 अगस्त 2010 को जारी अधिसूचना की धारा-5 के तहत उन्हें शिक्षकों की भर्ती में टीईटी से छूट दी जा सकती है। मंत्री की पहल पर विभाग ने इस मामले में विचार मंथन किया तो यह तथ्य सामने आया कि टीईटी से छूट देने की मांग को लेकर कुछ प्रशिक्षुओं ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। कोर्ट में दायर प्रशिक्षुओं की याचिकाओं का बेसिक शिक्षा विभाग ने प्रति शपथपत्र देकर विरोध किया था।
Source - Jagran
29-9-2012
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Many candidates protesting for such eligibility condition and demanded relaxation.
hi frnds
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