Reservation : वंचित आरक्षित जातियों में जगी न्याय की उम्मीद
लगभग 19 साल पहले 2700 पुलिसकर्मियों की भर्ती हुई थी, जिसमें 2500 पदों पर एक जाति विशेष के लोगों की भर्ती को लेकर बावेला मचा था। विपक्ष ने इस मुद्दे को लेकर काफी हो-हल्ला किया था लेकिन बाद में यह मुद्दा ठंडा पड़ गया। वर्ष 2001 में तत्कालीन मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह ने अति दलित एवं अति पिछड़ों को उनका हक दिलाने के लिए सामाजिक न्याय समिति का गठन किया था, जिसकी रिपोर्ट से साबित हुआ कि आरक्षण का लाभ कुछ प्रभावशाली जातियों के ही लोगों को मिल रहा है।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आरक्षण प्रक्रिया में पर्याप्त प्रतिनिधित्व पा चुकी जातियों के आरक्षण पर रोक लगाकर एक बार फिर उन लोगों की आवाज को ताकत दी है, जो आरक्षण की परिधि में रहते हुए भी उसका लाभ नहीं पा रहे हैं। न्यायालय ने यह आदेश प्रदेश में 41610 पुलिसकर्मियों की भर्ती पर आरक्षण प्रक्रिया को लेकर दिया है। न्यायालय ने सरकार को आरक्षित जातियों की नौकरी में प्रतिनिधित्व का आंकड़ा दाखिल करने का पहले ही आदेश दिया था लेकिन काफी दिनों से इसमें हीलाहवाली चल रही थी। यह पूरा मामला सामाजिक न्याय समिति की उस रिपोर्ट पर ही आधारित है, जिसमें कहा गया है कि देश में आरक्षण प्रक्रिया लागू होने के बाद से ही अनिसूचित जातियों एवं पिछड़ा वर्ग में कुछ खास जातियों के ही लोगों का वर्चस्व है और अन्य अति दलित एवं अति पिछड़े वर्ग को समुचित आरक्षण का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
अति दलितों व अति पिछड़ों के लिए थी अलग से संस्तुति सामाजिक न्याय समिति ने आरक्षण से वंचित अनुसूचित जातियों एवं पिछड़े वर्ग की जातियों को दो वगरे में बांटकर अति दलित एवं अतिपिछड़ों को अलग से आरक्षण देने की संस्तुति की थी। अनुसूचित जातियों में चमार-धुसिया एवं जाटव जातियों की बिरादरी 55.70 प्रतिशत है लेकिन प्रमुख सरकारी पदों पर इनका प्रभुत्व 60 प्रतिशत से ज्यादा है।
वर्ष 2001 की सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट के अनुसार सरकारी नौकरियों में जातीय आधार पर आरक्षण के प्रतिनिधित्व के लिए राज्य सरकार के अधीन 60 विभागों (जिसमें 166 उपविभागों एवं इकाइयों) से प्राप्त सेवायोजन के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया। इसमें 12 लाख स्वीकृत पदों के सापेक्ष सेवायोजित 10 लाख लोकसेवकों के पदों का आकलन तैयार किया गया। आरक्षण व्यवस्था के अन्तर्गत लोकसेवा में अनुसूचित जातियों को 21 प्रतिशत, अनुसूचित जनजातियों को 2 प्रतिशत और पिछड़े वर्ग के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था है। इसमें अनुसूचित जातियों के 21.89 प्रतिशत और पिछड़ी जातियों के 26.98 प्रतिशत पद भरे गये थे। एक दशक के बाद इन आरक्षित पदों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट में आरक्षण का लाभ पाने वाली जातियों के आंकड़े काफी चौंकाने वाले हैं। अनुसूचित जातियों में 66 जातियां हैं लेकिन 9 जातियों ने ही ज्यादातर सरकारी नौकरियों का लाभ हासिल किया। जातीय जनसंख्या के अनुपात में सर्वाधिक लाभ हासिल करने वाली अनुसूचित जातियों में खटिक 164 प्रतिशत, धोबी 122 प्रतिशत, धानुक 111 प्रतिशत, बाल्मीकि 110 प्रतिशत और चमार, धुसिया व जाटव 107 प्रतिशत पदों पर काबिज हैं। इसके अलावा कोरी 71 प्रतिशत, पासी-तरमाली 70 प्रतिशत, गोंड 58 प्रतिशत व कोल 22 प्रतिशत हैं। स्पष्ट है कि इन जातियों के वर्चस्व के कारण अनुसूचित वर्ग में आने वाली 57 अन्य जातियों के लोग अब भी आरक्षण के लाभ से वंचित हैं। इससे भी ज्यादा गहरी खाई पिछड़े वर्ग की आरक्षण सूची में है। पिछड़े वर्ग में 79 जातियां हैं लेकिन 11 जातियों में ही आरक्षण का ज्यादातर हिस्सा बंटा पड़ा है। पिछड़े वर्ग में आरक्षण का सर्वाधिक लाभ जाट बिरादरी को मिला है जो अपनी आबादी के अनुपात में 190 प्रतिशत सरकारी नौकरियों पर काबिज हैं। इसी प्रकार अहीर,यादव, यदुवंशीय, ग्वाला वर्ग के 178, कुर्मी, चनऊ, पटेल, पटनवार, कुर्मी-मल्ल, कुर्मी सैंथवार 167 प्रतिशत, हज्जाम-नाई, सलमानी-सविता-श्रीवास 97 प्रतिशत, काछी-कुशवाहा, शाक्य 91 प्रतिशत, लोध-लोधी-लोट-लोधी राजपूत, गड़ेरिया-पाल व बघेल 85-85 प्रतिशत और कहार-कश्यप 80 प्रतिशत हैं। इसके अलावा बढ़ई,शैफी, विश्वकर्मा, पांचाल, रमगढ़िया, जांगिड़, धीमान, मुराव या मुराई, मौर्य, कुम्हार-प्रजापति आदि जातियां भी अपनी जनसंख्या के आधार पर ज्यादा पदों पर काबिज हैं। इस प्रकार पिछड़े वर्ग की 68 जातियां आरक्षण के लाभ से वंचित हैं
हाईकोर्ट के निर्णय का होगा विधिक परीक्षण लखनऊ (एसएनबी)। सिपाही सीधी भर्ती में आरक्षण को लेकर दिये गये हाईकोर्ट के फैसले का गृह विभाग विधिक परीक्षण करायेगा। सचिव गृह कमल सक्सेना ने बताया कि अभी तक गृह विभाग को आदेश की प्रति प्राप्त नहीं हुई है।
News Sabhaar : http://www.rashtriyasahara.com/epapermain.aspx?queryed=10 (5.10.13)
Ek naya pench ye matter to aur se bhi jyada samvedansheel hai.
ReplyDeletebhaiyo ab to samajh me aa hi
ReplyDeletegaya hoga ki ye sab kyu ho raha
hai agar cm sahab chah de to
sari bharti u hi ho jay chahe wo
72000 wali ho ya 29000 wali
kya b.tech kya bsc kya court
aadi... Yuwa CM yuwa soch
salute CM This is the actual rajniti
good nai soach badi rukavat
ReplyDeleteAb pakka samjho let latifi karnr or karwane ka ak naya mudda or mil gaya UP gov ke CM sahab ko.ab to pakki gai bhains paani me
ReplyDeleteKoi hamare baare me kyu nahi sochta
ReplyDeleteKhuch socha is baare me dosto
ReplyDeleteSarkar ki mukhy uddesy Bhartiya nikalkr rupae enthana he...... usme kamyab he.....
ReplyDeleteany information about art group and
ReplyDeletesanskrit language vacancy plz tell me
ye blog"वंचित आरक्षित जातियों में जगी न्याय की उम्मीद" nahi balki "Vanchit arrakshit jatiyo me jaggi nayi Bikh ki ummed honichaheye" Bus mehnat nahi karna hai
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