Wednesday, March 13, 2013

UPTET : ALLAHABAD HIGHCOURT DOUBLE BENCH DB JUDGEMENT REGARDING STAY FOR 72825 TEACHERS RECRUITMENT

UPTET : ALLAHABAD HIGHCOURT DOUBLE BENCH DB JUDGEMENT REGARDING STAY FOR 72825 TEACHERS RECRUITMENT


STAY MATTER ALONG WITH OTHER ISSUES TRANSFER TO LARGER BENCH 

SEE HEARING DETAILS - 


HIGH COURT OF JUDICATURE AT ALLAHABAD

?Court No. - 33

Case :- SPECIAL APPEAL No. - 150 of 2013

Petitioner :- Navin Srivastava And Others
Respondent :- State Of U.P. And Others
Petitioner Counsel :- Abhishek Srivastava,Shashi Nandan
Respondent Counsel :- C.S.C.,Bhanu Pratap Singh,C.B.Yadav

Hon'ble Sushil Harkauli,J.
Hon'ble Manoj Misra,J.
From the arguments of the learned counsel appearing on behalf of the parties, it has transpired that in this bunch of appeals the contention of the selected candidates is that Teacher Eligibility Test (TET) should be upheld and for selection/appointment the merit of the candidates should be calculated as per the marks obtained by them in the TET test in accordance with the Rules as were in force at the relevant time. 
It has been pointed out that there is a reference to a larger Bench, which is pending and which involves the question as to whether candidates having certain educational qualifications would also be eligible to be considered for appointment on these very� posts without requirement of undertaking the TET

If, in that reference, it is held that some candidates are entitled to be considered for the appointment, without undertaking the TET, it is obvious that their comparative merit vis-a-vis the present candidates cannot be computed. 
The case in which the reference has been made is writ petition No.12908 of 2013 and the date of making the order of reference by the learned single Judge is 8th March, 2013.
Therefore, it would appear to be desirable either that the reference is answered first, before taking a decision on this bunch of appeals, or the bunch of appeals are connected and heard along with the reference. 
Let papers of these cases be placed before Hon'ble the Chief Justice for taking such decision in the matter, as he may deem fit. This order will cover Special Appeal Nos.149 of 2013, 152 of 2013, 159 of 2013, 161 of 2013, 205 of 2013, 206 of 2013 and 220 of 2013. 
The affidavits, which have been filed today in the Court by the parties in this bunch of appeals, are taken on record. The interim order will continue till the next date of listing.
Order Date :- 12.3.2013.
Rks.
(Manoj Misra, J.)������������ (Sushil Harkauli, J.)


SOURCE : http://elegalix.allahabadhighcourt.in/elegalix/WebShowJudgment.do?judgmentID=2436807

UPTET : टीईटी अभ्यर्थी, भर्ती और न्यायलय


UPTET : टीईटी अभ्यर्थी, भर्ती और न्यायलय 


आज कल जिस तरह से अकादमिक और टी ई टी मेरिट खेमा खुश हो रहा है कि  हम जीत गए , हम जीत गए
मुझे लगता है वास्तव में वे भ्रम में हैं , सिर्फ मामला और लम्बा खिंच गया है ।

क्या किसी  पुराने विज्ञापन पर नयी शर्ते लागु हो सकती जैसा कि नॉन - टीईटी वाला मामला सामने आया है ,
और अगर ऐसा होता रहेगा तो कोई भर्ती कभी पूरी हो सकती है क्या ।

यह जरूर हो सकता है कि वृहद् बेंच मैं मामला जाने से सभी तथ्यों को और गंभीरता से जांचा जा सकेगा ।

मुझे यह भी लगता है कि टी ई टी अभ्यर्थीयों के वकील मामले को ठीक से नहीं रख पा  रहे हैं अन्यथा यह केस एक दो 
सुनवाई में शुरू में ही ख़त्म हो जाना चाहिए था या फिर और भी अन्य कारण भर्ती के हो सकते हैं ।

मतलब साफ़  है कि किसी अभ्यर्थी ने टी ई टी परीक्षा में मेहनत से अंक प्राप्त  किए  हैं तो उसकी क्या गलती की उसका चयन न हो और उसका अब ये नॉन टी ई टी  से क्या मतलब ।

जबकि परीक्षा से पहले ही ये साफ़ हो चुका  था कि भर्ती टी ई टी मार्क्स से होगी 

शुरू में यह मामला  गलत प्रश्नों का लेकर उठता है . जिसमें सभी अभ्यर्थीयों को गलत प्रश्नों के एवज में बोनस मार्क्स दे दिए जाने की घोषणा हो जाती है हालाँकि इसके बावजूद भर्ती पर टी ई टी मेरिट वालों पर कोई असर नहीं पड़ता , क्योंकि मार्क्स सभी को मिले थे ।

फिर यह मामला विज्ञापन निकलने के अधिकार को लेकर था और परेशानी किसको थी जिसका इसके अधिकार को लेकर कोई मतलब नहीं था ।
रिसल्ट में संसोधन हुआ , 5 जिलों की जगह सभी जिलों से आवेदन की छूट को लेकर संसोधन हुआ ।
वैसे ही अभ्यर्थीयों को उम्मीद थी कि अधिकार को लेकर सामान्य सा कोई संसोधन आ जाएगा , क्योंकि यह मामला 
उत्तर प्रदेश के तत्कालीन   बड़े अधिकारीयों / केबिनेट की देख  रेख में हुआ था 
और सभी अख़बारों / मीडिया /विभाग के माध्यम से स्वयं बी एस ए आदि की जानकारी में था अगर उनको कोई ओब्जेक्शन होता तो वह  समय रहते ही आपत्ति दर्ज कर देते ।

यह प्रश्न उत्तर प्रदेश के लाखों अभ्यर्थीयों के भविष्य को लेकर था , अभ्यर्थी तारिख दर तारिख परेशान होते रहे और उसके बाद 
एक नया मुद्दा आ गया - धांधली को लेकर 
यहाँ सबसे महत्वपूर्ण बात थी कि हर अभ्यर्थी को ओ एम् आर की एक प्रति भी दी गयी थी , सामान्यता ऐसा परीक्षाओं में बहुत कम होता है । उसके बाद पारदर्शिता के लिए उत्तर कुंजी विभाग की वेब साईट पर भी डाली गयी और सभी तरह की आपत्तियों का निस्तारण किया गया था ।

इस सब के बाद धांधली वाले अभ्यर्थीयों के नाम , जानकारी आदि सामने नहीं आयी , और  ऐसे संलिप्त 
अभ्यर्थीयों /  अधिकारियों को हटाया जाना बेहद जरूरी  था वर्ना ये आगे चलकर बच्चों / अभ्यार्थीयों के भविष्य से फिर खिलवाड़ करेंगे ।
सिर्फ एक संजय मोहन का नाम सामने आया , क्या एक आदमी अकेले इतनी बड़ी भर्ती में धांधली को अंजाम दे सकता था ।
कोई भी परीक्षा शत प्रतिशत शुद्दता से संपन्न होना बेहद मुश्किल होता है आज भी उत्तर प्रदेश में 
हाई स्कूल / इंटर परीक्षाओं में बड़े पैमाने पर नक़ल माफियाओं की ख़बरें प्रमुखता से छप रही हैं ।


इसके बाद धांधली को ध्यान में रख कर भर्ती का आधार बदल गया , लेकिन उस बेचारे इमानदार टी ई टी अभ्यर्थी का क्या जिसने मेहनत  से नंबर प्राप्त किये ।
सी टी ई टी पात्र अभ्यर्थीयों को भी शामिल क्या गया जो की संख्या में बेहद कम होंगे और 2012 में  बी . एड धारी सी टी ई टी (प्राइमरी ) परीक्षा के लिए पात्र नहीं थे ।

नए विज्ञापन में पुन आवेदन हुए और फिर नए मामले सामने आये , पुराने विज्ञापन में पात्र मगर नए विज्ञापन में ओल्ड एज होने वाले अभ्यर्थी नए विज्ञापन में अपात्र हो गए । फिर फर्स्ट  काउंसलिंग के दिन पुराने विज्ञापन की शर्तों वाले अभ्यर्थीयों ने 
स्टे ले लिया ।इसी बीच एक नया मामला इलहाबाद हाई कोर्ट से  उठा की नॉन -टी ई टी वाले भी भर्ती के लिए पात्र हैं ।
साथ ही एक जज ने कहा की टी ई टी मामले की सही व्याख्या'किया जाना जरूरी है ।

मेरे अनुसार 
1. नॉन -टी ई टी वाले भी टी ई टी परीक्षा में बेठने के लिए पात्र थे और यह परीक्षा से पहले ही निर्धारित हो गया था की भर्ती टी ई टी मेरिट से होगी 
2. अब नॉन -टी ई टी  वाले मामले से पिछले विज्ञापन का क्या सम्बन्ध . और अगर किसी' भी पूर्व वर्ती 
भर्ती के नियम अगर भविष्य में बदले जा सकेंगे तो भर्ती कभी पूरी हो सकती है क्या 
3. एन सी टी ई ने टी ई टी को गुणवत्ता परक मानक परीक्षा माना और जब राज्य पर्याप्त संख्या में टी ई टी अभ्यर्थी मोजूद हैं तो 
फिर वे कहाँ जायेंगे 
एन सी टी ई ने टी ई टी के महत्व को बताया की ये सिर्फ पात्रता परीक्षा ही नहीं अपितु चयन -कम-पात्रता परीक्षा है -
(अ) इसके अंको को चयन  में महत्व दिया जाये  
(ब ) अभ्यर्थी अपने अंक वृद्दी हेतु पुन : इस परीक्षा में बैठ सकते हैं 
क्या कभी किसी पात्रता परीक्षा में ऐसी व्यवस्था होती है कि एक बार पात्र होने पर दोबारा से परीक्षा में बेठना पड़े और मार्क्स का चयन में वेटेज दिया जाये 

मुझे ये  समझ नहीं आता कि नॉन -टी ई टी का पुराने विज्ञापन की भर्ती से क्या मतलब है और टी ई टी मेरिट धारी बहुत खुश हो रहे हैं । हो सकता हैं की  वृहद् बेंच  में टी ई टी मेरिट धारी जीत जाएँ ।
दुसरी तरफ कुछ अकादमिक मेरिट धारी भी खुश हो रहे हैं वे सोच रहे हैं कि नॉन - टी ई टी वालों का पुराने विज्ञापन से क्या मतलब , और  अब तो उनकी जीत पक्की ।
लेकिन उनको भी समझना चाहिए कि मामला और ज्यादा गहराई से देखा जाएगा और देरी होगी व परिणाम अलग हट कर भी अ सकता है ।

पूरे मामले को देखकर लगता है कि वकील मामले को ठीक से नहीं रख पाए अन्यथा इतने सरल से मामले में 2-3 सुनवाई में मामला ख़त्म हो जाना चाहिए था , उदाहरनार्थ -
कोई मामले को इस तरह से रखता की हमने तो परीक्षा में धांधली /बेईमानी नहीं की और जिसने धांधली /बेईमानी की है उसको भर्ती से बहार करो इत्यादि 


Tuesday, March 12, 2013

UP NEWS : उप्र में विधायिका-न्यायपालिका में टकराव की जमीन तैयार


UP NEWS : उप्र में विधायिका-न्यायपालिका में टकराव की जमीन तैयार

न्यूज़ साभार : जागरण ई पेपर 

   
- विधानसभा अध्यक्ष के निर्देश पर हुए तबादले को स्थगन आदेश दिए जाने से सदन नाराज

- सभी दलों के सदस्यों ने कोर्ट के रवैये पर दर्ज कराई अपनी आपत्ति, कहा इससे तो राजनीतिक व्यवस्था ही ध्वस्त हो जाएगी

- विधानसभा अध्यक्ष ने सरकार से कहा, महाधिवक्ता को सदन की भावनाओं से अवगत कराया जाए

- सर्वदलीय बैठक बुलाने का भी फैसला

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'हम कानून बनाते हैं जिन्हें न्यायपालिका को लागू करना है। इस मामले में एक ऐसा वाक्य प्रयोग किया गया है जो हमारे खिलाफ टिप्पणी है। दुर्भाग्यवश कुछ लोग टिप्पणी करने के आदी हो गए हैं। '

- आजम खां, संसदीय कार्यमंत्री (जैसा उन्होंने सदन में कहा)

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'सदन व सरकार को पंगु बनाने की कोशिश है। अध्यक्ष के अधिकारों को कोई चुनौती नहीं दे सकता। '

- राम गोविंद चौधरी, मंत्री (जैसा उन्होंने सदन में कहा)

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'पीठ का निर्देश हाईकोर्ट-सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश जैसा होता है। पीठ के निर्देश पर स्टे देना पीठ व सदन का अपमान है।'

- स्वामी प्रसाद मौर्य, नेता प्रतिपक्ष

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'हाईकोर्ट को संविधान के अन्तर्गत यह अधिकार प्राप्त है कि वह कार्यपालिका और विधायिका दोनो के आदेशों की न्यायिक समीक्षा कर सकता है, ऐसे में मुझे नहीं लगता है कि सदन के आदेश पर हुए तबादले पर स्टे आर्डर देना, विधायिका का किसी तरह का अपमान है।'

- सीबी पाण्डेय, न्यायाधीश (अवकाश प्राप्त)

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यह थी हाईकोर्ट की टिप्पणी

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प्रथम दृष्टया यह प्रतीत होता है कि इनका ट्रांसफर जनहित में नहीं किया गया है बल्कि राजनीतिक हितों को देखते हुए स्थानीय विधायक को संतुष्ट करने के लिए किया गया है।

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जागरण ब्यूरो, लखनऊ : मंगलवार को विधानसभा में न्यायपालिका और विधायिका के बीच की तल्खी एक बार फिर देखने को मिली। जौनपुर के मुंगरा बादशाहपुर के पुलिस सबइंस्पेक्टर राघवेंद्र सिंह के तबादले पर हाईकोर्ट ने स्टे देते हुए जिस तरह की टिप्पणी की है उस पर सभी दलों ने एक जुट होकर कड़ी आपत्ति जताते हुए विधानसभा अध्यक्ष से कड़े कदम उठाने की मांग की। सभी ने कोर्ट की टिप्पणी को बेहद गंभीर बताते हुए कहा कि संवैधानिक संस्थाओं को चुनौती देने का काम किया जा रहा है। कहा गया कि कोर्ट के ऐसे रवैये से प्रजातंत्र को चलाने के लिए बनी राजनीतिक व्यवस्था ही ध्वस्त हो जाएगी।

अध्यक्ष माता प्रसाद पाण्डेय ने भी कहा कि सदन की कार्यवाही पर टिप्पणी करने का हक किसी को नहीं है। उन्होंने सरकार को निर्देश दिया कि एडवोकेट जनरल को सदन की भावना से अवगत कराया जाए। अध्यक्ष ने कहा कि इस संबंध में विचार करने के लिए सभी दलों की बैठक बुलायी जाएगी।

शून्यकाल के दौरान सदन में भाजपा की सीमा द्विवेदी ने औचित्य का प्रश्न उठाते हुए कहा कि विधानसभा अध्यक्ष के निर्देश पर जिस एसआइ का सरकार ने तबादला कर दिया था वह कोर्ट से स्टे लेकर चौथी बार फिर मुंगरा बादशाहपुर में तैनात हो गया है। भाजपा के हुकुम सिंह ने कोर्ट के स्टे आर्डर का हवाला देते हुए कहा कि उसमें कोर्ट का जो नजरिया रहा है वह गंभीर है। कोर्ट द्वारा एसआई के तबादले को प्रथमदृष्टया जनहित में न मानते हुए उसे राजनीतिक हित में स्थानीय विधायक को खुश करने के लिए किया जाना बताया गया है।

संसदीय कार्यमंत्री मुहम्मद आजम खां ने प्रकरण को दुखद बताते हुए कहा कि जरूरी नहीं कि सभी सदस्य खराब हों इसलिए टिप्पणी ठीक नहीं है। विधायक तो जनता के हित में ही काम करते हैं उनका खुद का क्या हित होता है? उन्होंने कहा कि कोर्ट का जो रुख है उससे तो प्रजातंत्र ही नहीं रह जाएगा। पूरी राजनीतिक व्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी। आजम ने कहा कि कोर्ट का नजरिया कहीं न कहीं चुनी हुई व्यवस्था के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में कठोर कदम उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए। आजम ने कहा कि हम कानून बनाते हैं जिन्हें न्यायपालिका को लागू करना है। इस मामले में एक ऐसा वाक्य प्रयोग किया गया है जो हमारे खिलाफ टिप्पणी है। दुर्भाग्यवश कुछ लोग टिप्पणी करने के आदी हो गए हैं।

नेता प्रतिपक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि पीठ का निर्देश हाईकोर्ट-सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश जैसा होता है। पीठ के निर्देश पर स्टे देना पीठ व सदन का अपमान है। मौर्य ने कहा कि प्रकरण को अति गंभीरता से लेते हुए अध्यक्ष के माध्यम से कोर्ट को पत्र लिखा जाए। कांग्रेस के प्रमोद तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट के एक जज के फैसला का जिक्र करते हुए कहा कि उसमें साफ है कि विधायक संस्तुति नहीं करेगा तो क्या करेगा। मंत्री राम गोविन्द चौधरी ने कहा कि सदन व सरकार को पंगु बनाने की कोशिश है। चौधरी ने कहा कि आखिर अध्यक्ष के अधिकारों को कौन चुनौती दे सकता है? लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए कड़े कदम उठाए जाएं। मंत्री राजेन्द्र सिंह राणा ने संवैधानिक संस्थाओं को चुनौती देने का काम किया जा रहा है। विधायकों के शिकायती पत्रों को आधार बनाकर तबादलेपर कोर्ट से स्टे लिया जा रहा है। राणा ने नौकरशाहों की भूमिका पर भी सवाल उठाए

न्यूज़ साभार : जागरण ई पेपर / Jagran (Updated on: Tue, 12 Mar 2013 07:54 PM (IST))
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UPTET : क ानून की व्याख्या में उलझी शिक्षकों की भर्ती


UPTET : क ानून की व्याख्या में उलझी शिक्षकों की भर्ती

 News Sabhar : जागरण (Updated on: Tue, 12 Mar 2013 10:08 PM (IST))
   
 इलाहाबाद : क्या सही है और क्या गलत, इसका फैसला तो अब हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ करेगी, लेकिन कानून की अलग-अलग व्याख्या ने शिक्षक भर्ती को उलझा दिया है। इससे नियुक्ति की बाट जोह रहे अभ्यर्थियों को लंबा इंतजार करना पड़ सकता है। प्रदेश में प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती के लिए टीईटी की अनिवार्यता शुरू से ही विवादों का घर रही है। पहले इसकी परीक्षा को लेकर विवाद और बाद में बीएड अभ्यर्थियों के मामले ने इसे और उलझा दिया। टीईटी की गाइडलाइन पूरे देश के लिए तय की गई थी, लेकिन राज्य सरकार ने शिक्षकों की भर्ती में बीएड अभ्यर्थियों के लिए राह खोलकर तमाम विवादों को जन्म दे दिया। बीएड अभ्यर्थियों के अपने तर्क हैं और उनकी एक बड़ी संख्या है इसलिए उन्हें उपेक्षित करना आसान नहीं था। इसी वजह से बड़ी संख्या में याचिकाएं अदालतों में दाखिल हुईं

हाईकोर्ट में मतभिन्नता से अब यह मामला पूर्ण पीठ को संदर्भित हुआ है, जिससे एक निश्चित नतीजे पर पहुंचने की उम्मीदें बढ़ गई हैं। वैसे अदालतों की अलग-अलग राय ने एक बहस भी सामने ला दी है कि किसी निश्चित गाइडलाइन को राज्य सरकार क्या तोड़-मरोड़ सकती है? जहां तक टीईटी का सवाल है तो कई राज्यों में ने इसे सफलतापूर्वक अपना लिया है और वहां शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया सही राह पर चल पड़ी है

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विशेष अपील भी खंडपीठ के हवाले

टीईटी की अनिवार्यता वाले एक अन्य एकल न्यायपीठ के फैसले के खिलाफ दाखिल विशेष अपील को भी पहले से गठित पूर्ण पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए भेज दिया गया। नवीन श्रीवास्तव व अन्य की विशेष अपील की सुनवाई कर रही इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति सुशील हरकौली तथा न्यायमूर्ति मनोज मिश्र की खंडपीठ ने प्रकरण को पूर्ण पीठ के समक्ष रखने के लिए मुख्य न्यायाधीश को संदर्भित कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि विशेष अपील का फैसला पूर्ण पीठ के द्वारा होने वाले फैसले से प्रभावित होगा। ऐसे में दोनों मामलों की अलग-अलग सुनवाई किए जाने का औचित्य नहीं है।

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टीईटी पास होना अनिवार्य है, किंतु शासनादेश के तहत बीएड डिग्रीधारक भी सहायक अध्यापक बन सकते हैं। शर्त यह होगी कि नियुक्ति के बाद उन्हें 6 माह का प्रशिक्षण लेना होगा।

-खंडपीठ का आदेश

टीईटी पास होना सहायक अध्यापक भर्ती के लिए अनिवार्य है। जब टीईटी अभ्यर्थी नहीं होंगे तब आवश्यक होने पर बीएड की नियुक्ति की जा सकेगी किंतु वे भी बाद में टीईटी पास करेंगे।

-न्यायमूर्ति अरुण टंडन

टीईटी शिक्षक भर्ती के लिए ग्रीन कार्ड की तरह है। कानूनी उपबंधों की सही व्याख्या किया जाना जरूरी है इसलिए प्रकरण वृहदपीठ को संदर्भित किया जाए।

-न्यायमूर्ति एपी साही

शिक्षक भर्ती में बीए, बीएससी के साथ बीएड उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को शामिल करने के आदेश का अनुपालन किया जाए। एक माह के भीतर इस पर कार्यवाही हो।

-न्यायमूर्ति डीपी सिंह

 News Sabhar : जागरण (Updated on: Tue, 12 Mar 2013 10:08 PM (IST))

Breaking News UPTET : 10,800 पदों पर होगी शिक्षकों की भर्ती


Breaking News UPTET : 10,800 पदों पर होगी शिक्षकों की भर्ती

   
लखनऊ : उप्र बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों के 10,800 रिक्त पदों पर बीटीसी, विशिष्ट बीटीसी और दो वर्षीय बीटीसी उर्दू प्रवीणताधारी प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके अभ्यर्थियों की भर्ती 30 जून तक पूरी की जाएगी। नियुक्ति के लिए अभ्यर्थियों का अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी) या राष्ट्रीय अध्यापक पात्रता परीक्षा (सीटीईटी) उत्तीर्ण होना अनिवार्य होगा।

शिक्षकों की भर्ती के बारे में मंगलवार को शासनादेश जारी कर दिया गया है। शासनादेश के मुताबिक इन पदों पर नियुक्ति के लिए 15 अप्रैल से पहले विज्ञप्ति प्रकाशित कर दी जाएगी। शिक्षकों की भर्ती के लिए ऑनलाइन आवेदन स्वीकार किये जाएंगे।

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कहां कितने पदों पर होगी भर्ती -मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, हापुड़, गौतमबुद्ध नगर, लखनऊ, बलरामपुर, कानपुर नगर में से प्रत्येक में 10

-एटा में 30

-मिर्जापुर, सोनभद्र व हमीरपुर में प्रत्येक में 40

UPTET : Non TET Recruitment of Teacher Matter Moves to Bigger Bench of 3 Judges


UPTET : Non TET Recruitment of Teacher Matter Moves to Bigger Bench of 3 Judges


News Source : Hindustan Epaper Lucknow (12.03.2013)



UPTET : कोर्ट में जल्द न सुलझा तो संविदा पर करेंगे नियुक्तियां


UPTET : कोर्ट में जल्द न सुलझा तो संविदा पर करेंगे नियुक्तियां

- 72,825 शिक्षकों की भर्ती का मामला
- बेसिक शिक्षा मंत्री की घोषणा
- विधानसभा में विभाग का बजट पारित
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यह भी कहा
- सत्र में पहले ही दिन स्कूल पहुंचते विद्यार्थियों को मिलेंगी पाठ्य पुस्तकें, 15 अगस्त तक बांट दी जाएंगी यूनीफार्म
- पढ़ाई के अलावा सिर्फ जनगणना, चुनाव और दैवीय आपदा में ही लगाये जाएंगे शिक्षक
- शिक्षा मित्रों का पांच हजार रुपये मानदेय बढ़ाने का केंद्र को भेजा प्रस्ताव
जागरण ब्यूरो, लखनऊ : सरकारी को प्राइवेट स्कूलों के मुकाबिल खड़ा करने की मंशा जाहिर करते हुए बेसिक शिक्षा मंत्री रामगोविंद चौधरी ने सोमवार को विधानसभा में कहा कि हाइकोर्ट में लंबित 72,825 शिक्षकों की भर्ती का मामला अगर जल्द न सुलझा तो सरकार संविदा के आधार पर शिक्षकों की नियुक्ति करेगी। सरकार किसी भी कीमत पर बच्चों की शिक्षा को बाधित नहीं होने देगी


विभाग के बजट पर तीन घंटे की चर्चा में चौधरी ने घोषणा की कि सत्र में पहले ही दिन स्कूल पहुंचते ही विद्यार्थियों को पाठ्य पुस्तकें मिल जाएंगी। 15 अगस्त तक यूनीफार्म भी बांट दी जाएगी। उन्होंने प्राथमिक स्कूलों में अब कक्षा एक से अंग्रेजी और नैतिक शिक्षा की पढ़ाई कराने की भी घोषणा की।
शिक्षा मंत्री ने बताया कि शिक्षकों को पढ़ाई के अलावा सिर्फ जनगणना, चुनाव और दैवीय आपदा में ही लगाया जाएगा। विद्यालयों के निर्माण कार्य से शिक्षकों को हटा लिया गया है। शिक्षिकाओं की तैनाती उन स्कूलों में ही होगी जहां आवागमन का साधन होगा। उन्होंने कहा कि शिक्षा मित्रों का पांच हजार रुपये मानदेय बढ़ाने का केंद्र को प्रस्ताव भेजा गया है। अगर अक्षय पात्र संस्था राजी हुई तो उसे प्रदेश के सभी स्कूलों में मध्याह्न भोजन का जिम्मा सौंपा जा सकता है।
मंत्री ने दावा किया कि बेसिक शिक्षा विभाग ने एक वर्ष में डेढ़ लाख बेरोजगारों को नौकरी देने का काम किया है। बिना किसी लेन-देन के शिक्षकों का तबादला हुआ। कोशिश इसकी है कि शिक्षा से भ्रष्टाचार का समूल नाश हो। चौधरी ने कहा कि नयी शिक्षा नीति जो भी हो पर उप्र के प्राथमिक विद्यालयों में तिमाही, छमाही और सालाना इम्तिहान होंगे ताकि बच्चों की प्रगति का पता चलता रहे। उन्होंने कहा कि अगर हमें प्राइवेट स्कूलों से मुकाबला करना है तो अप्रैल से ही स्कूल चलो अभियान शुरू करना होगा।
बसपा के नीरज मौर्या ने बजट पर कटौती प्रस्ताव के जरिए कहा कि सर्व शिक्षा अभियान का पैसा ठेकेदारों के ही पेट भरने के काम आया। भाजपा के डा. राधा मोहनदास अग्रवाल ने कहा कि हम लोगों ने शिक्षकों को रसोइया बना दिया है, शिक्षा से उनका कोई मतलब नहीं रह गया है। मिड डे मील से बच्चों का भले ही पोषण न हुआ हो, पर उनकी पढ़ाई जरूर चौपट हो गयी है। भाजपा सदस्य सीमा द्विवेदी के जौनपुर जिले के तमाम स्कूलों के बंद होने की जानकारी देने पर शिक्षा मंत्री ने कहा कि आप किस बात की जनप्रतिनिधि हैं जो उन्हें खुलवा नहीं सकीं। मंत्री मनोज पांडेय के अलावा सदस्य रूबी प्रसाद, रामलाल अकेला, कालीचरण, शिवाकांत ओझा, सीमा द्विवेदी आदि ने भी बजट चर्चा में भाग लिया। बाद में ध्वनिमत से बजट पारित हो गया


News Source : Jagran (12.03.2013)
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Another News From Hindustan Epaper Lucknow (12.03.2013)  -






Another shock to UPTET Pass candidates.
What will a candidate do, who qualified this exam honestly and sincerely.

In this UPTET exam, one more surprise is - Not a single candidate name heard (in NEWS PAPERS/ MEDIA etc.)  in cheating especially in such a LARGE EXAM where lakhs of candidates appeared.

If any candidate found corrupt then atleast such candidate should be excluded from recruitment process.

Sunday, March 10, 2013

UPTET: ALLAHABAD HIGH-COURT HEARING ON 72825 TEACHER RECRUITMENT STAY MATTER


UPTET: ALLAHABAD HIGH-COURT HEARING ON 72825 TEACHER RECRUITMENT STAY MATTER


HIGH COURT OF JUDICATURE AT ALLAHABAD
Case Status - Allahabad

Pending
Special Appeal : 150 of 2013 [Allahabad]
Petitioner: NAVIN SRIVASTAVA AND OTHERS
Respondent: STATE OF U.P. AND OTHERS
Counsel (Pet.): ABHISHEK SRIVASTAVA
Counsel (Res.): C.S.C.
Category: Special Appeals Special Appeals-Against Final Order Of Single Judge In Writ Petition
Date of Filing: 29/01/2013
To Be Listed on: 11/03/2013 in Court No. 33


महा शिवरात्रि


महा शिवरात्रि 

आज महा शिवरात्रि के पर्व पर आप सभी लोगो को हार्दिक शुभकामनायें 
आने वाले दिन आपके लिए मंगल मय हों 



धन्यवाद 
ब्लॉग एडिटर 

Saturday, March 9, 2013

11 मार्च हड़ताल पर रहेंगे प्रदेश के अधिववक्ता


11 मार्च  हड़ताल पर रहेंगे प्रदेश के अधिववक्ता


- चंडीगढ़ व जयपुर में लाठी चार्ज का विरोध

इलाहाबाद : चंडीगढ़ तथा जयपुर में अधिवक्ताओं पर हुए लाठीचार्ज के विरोध में प्रदेश के अधिवक्ता 11 मार्च को कार्य से विरत रहेंगे। इस दौरान सूबे में किसी भी अदालत में कार्य नहीं होगा। यूपी बार कौंसिल ने इसके लिए सभी जिलों के अधिवक्ता संगठनों को पत्र प्रेषित किया है।

कौंसिल के अध्यक्ष इमरान माबूद खान ने बताया कि कार्य बहिष्कार का यह फैसला बार कौंसिल आफ इंडिया के आह्वान पर लिया गया है। उन्होंने बताया कि इस दौरान सभी अधिवक्ता संगठन अपने अपने जिलों में सभी व विरोध प्रदर्शन करके इस तरह की घटनाओं के प्रति आक्रोश जाहिर करेंगे। उन्होंने बताया कि प्रदेश में अधिवक्ताओं की संख्या तीन लाख 15 हजार है। 11 मार्च को सभी कार्य बहिष्कार करेंगे


News Source : Jagran (Updated on: Sat, 09 Mar 2013 07:31 PM (IST))
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It looks UPTET stay hearing may be postponed on 11th March 2013.

Candidate bhee wait karte karte pareshaan - Kabhee Judge nahin, kabhee advocate nahin, kabhee petitionar nahin, kabhee respondant nahin, kabhee court kee chuttee


UP LT GRADE SELECTION - PG DEGREE ISSUE


UP LT GRADE SELECTION - PG DEGREE ISSUE

विवाद का विषय 

पी जी आर्ट्स में और सलेक्शन साइंस के टीचर पर पी 

जी आर्ट्स के क्वालिटी पॉइंट्स से 

एल टी ग्रेड की भर्ती - फिलहाल  पी जी डिग्री के पॉइंट्स वालों को नहीं मिलेगा नियुक्ति पत्र 

HIGH COURT OF JUDICATURE AT ALLAHABAD 

Court No. 30 

Civil Misc. Writ Petition No. 6333 of 2013 
Ravindra Babu Shriwas & Ors. Vs. State of U.P. & Anr. 
With 

Civil Misc. Writ Petition No. 6835 of 2013 
Gaurav Tiwari & Ors. Vs. State of U.P. & Ors. 
With 

Civil Misc. Writ Petition No. 8847 of 2013 
Ashutosh Sharma Vs. State of U.P. & Anr. 
With 

Civil Misc. Writ Petition No. 52188 of 2012 
Km. Neelam Singh Vs. State of U.P. & Ors. 
With 

Civil Misc. Writ Petition No. 34343 of 2011 
Pratibha Singh & Ors. Vs. State of U.P. & Anr. 
With 

Civil Misc. Writ Petition No. 34698 of 2011 
Smt. Madhuri Devi & Anr. Vs. State of U.P. & Ors. 

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Hon'ble A.P. Sahi,J. 

These batch of writ petitions relate to an issue that was earlier raised in writ petition no. 34698 of 2011 and has again been raised in the other writ petitions which has been noted in the order passed in writ petition no. 6333 of 2013 on 8.2.2013.
  The dispute in short relates to the award of quality point marks as against the possession of a post graduate degree as per Rule 15(2) read with Appendix - D of the Uttar Pradesh, Subordinate Educational Service Rules, 1983

The rules read with the appendix make a provision that a candidate has to be awarded quality point marks in accordance with the calculation given in the said appendix and if a candidate possesses a post graduate decree for appointment against Trained Graduate Teaching Post, then for first division marks fifteen quality point marks will be awarded, for second division, ten quality point marks will be awarded and for third division, five additional marks will be awarded. 

The petitioners in all these writ petitions contend that this award of a post graduate degree weightage should be in respect of the subject concerned for which the selection is being made and not in any other subject. For illustration, if the selection is being made of a science teacher and he has subsequently obtained a post graduate degree in Arts then the same should not be counted for the purpose of weightage

The learned Standing Counsel for the State had been granted time to file a counter affidavit whereafter the learned Additional Advocate General, Sri C.B. Yadav had appeared and had made a request that the matter be adjourned to enable him to obtain instructions in the matter. 


Sri C.B. Yadav however inspite of these instructions which clearly indicate that the selections are being held as per Rules contends that if the argument of the petitioners is accepted then the court can proceed to correlate the possession of the post graduation degree to the subjects which have been mentioned in the qualification at the graduation level to be possessed by the candidate. 

Learned counsel for the petitioners have not been able to counter this position taken by Sri C.B. Yadav and to the mind of the court the same also appears to be reasonable that the post graduation degree should be correlated to any of the subjects of the candidate for the post in question at the bachelors level, for example, if the requirement at the graduate level is of a bachelors degree in History, Geography, Political Science or Economics for the post of an Assistant Teacher General (History, Geography, Civics, Economics) then the post graduation degree should relate to any of the said four subjects. Similarly, even in the case of Science subject if the requirement is of a bachelors degree with Physics, Chemistry, Mathematics or Biology then in that event a post graduation degree in Arts will not be a degree against which quality point marks could be awarded under the Appendix - D. This being the position, the matter could have been disposed of with the aforesaid interpretation in relation to the possession of a post graduation degree for the purpose of quality point marks as per Rule 15, but in the meantime during the pendency of these writ petitions, it is informed that some selections have been finalized and candidates have joined on the basis of the selections held. At this juncture it may be relevant to point out that even with regard to previous years selection the order passed by the Court was clearly to the effect that any selections made shall be subject to the result of the writ petition against the advertisement then issued. 

In the instant cases of the year 2013 a similar order has been passed on 8.2.2013. Accordingly, it would be appropriate that the State files an affidavit indicating as to the results which have been declared and appointments were made prior to passing of the interim order dated 8.2.2013 alongwith the names of the candidates alongwith their place of posting. It is further provided that the said affidavit shall be filed within a week. 

The respondents shall in the light of what has been stated above shall now not proceed to issue any letter of appointment to a candidate who has been extended the benefit of quality point marks on the basis of a post graduate degree other than the subjects at the graduate level until further orders of the court. 

Put up on Tuesday next. 

A copy of the order may be given to the learned Standing Counsel, Sri Upendra Singh free of charges for communicating it to the authority within 24 hours. 

Order date: 5.3.2013 
Sahu



UPTET : अब वृहद पीठ सुनेगी बीएड अभ्यर्थियों का मामला


UPTET : अब वृहद पीठ सुनेगी बीएड अभ्यर्थियों का मामला
गैर टीईटी बीएड को सहायक अध्यापक बनाने पर नए सिरे से होगी सुनवाई

प्रभाकर सिंह केस में खंडपीठ के आदेश से एकल न्यायपीठ असहमत

TET is COMPULSORY OR NOT, 3 JUDGES BENCH WILL HEAR THIS CASE.
Recently contempt (Avmanna Case) is imposed on Senior Officers/ Secretary of UP of not implementing Double Bench Allahabad HC order in this regard.

Without TET, teacher selection process again face problem as at many places NCTE specifies TET is MANDATORY to become teacher, And all over INDIA, TET qualification is MUST to become teacher and due to this many states conducted TET (Teacher Eligibility Test) Exam e.g. Bihar, Rajasthan, West Bengal etc.


इलाहाबाद। बिना टीईटी उत्तीर्ण बीएड डिग्री धारकोें को भी सहायक अध्यापक चयन प्रक्रिया में शामिल करने का मामला एक बार फिर खटाई में पड़ गया है। इस मामले पर प्रभाकर सिंह केस में दिए हाईकोर्ट की खंडपीठ के फैसले को वृहद पीठ को संदर्भित कर दिया गया है। अब तीन न्यायाधीश की पीठ नए सिरे से पूरे मामले पर विचार करने के बाद फैसला सुनाएगी।
प्रदेश सरकार द्वारा बिना टीईटी उत्तीर्ण कई बीएड डिग्री धारकोें का अभ्यर्थन रद किए जाने के बाद शिवकुमार शर्मा, यतींद्र कुमार त्रिपाठी आदि ने याचिका दाखिल की थी। इनका कहना था कि खंडपीठ के निर्णय के बावजूद प्रदेश सरकार ने उनका अभ्यर्थन नहीं माना। ऐसी स्थिति में सरकार को निर्देश दिया जाए। मामले की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति एपी साही ने कहा मेरी समझ से टीईटी सभी के लिए अनिवार्य है। ऐसी स्थिति में उन्होंने खंडपीठ के फैसले से असहमति जताते हुए मामले को वृहद पीठ को संदर्भित किया। अब मुख्य न्यायाधीश इस मामले की सुनवाई के लिए तीन जजों की पीठ गठित करेेंगे।
उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट ने 11 नवंबर 2011 को टीईटी की अनिवार्यता समाप्त करने को लेकर दाखिल सैकड़ों याचिकाओं को खारिज करते हुए सहायक अध्यापक भर्ती में टीईटी सभी के लिए अनिवार्य बताया था। इस फैसले के खिलाफ अपील दाखिल की गई। अपील भी खारिज कर दी गई परंतु खंडपीठ ने कहा कि एनसीटीई की अधिसूचना के मुताबिक सहायक अध्यापक भर्ती के लिए अनिवार्य अर्हता के अंतर्गत ही बीएड डिग्री धारकोें को इससे छूट दी गई है। इसलिए बीएड डिग्री धारी अभ्यर्थियों को जो टीईटी उत्तीर्ण नहीं हैं प्रवेश प्रक्रिया में शामिल कर लिया जाए। खंडपीठ ने बीएड डिग्री धारकों को मौका देने का निर्देश दिया था। इस आदेश का पालन नहीं होने पर दाखिल अवमानना याचिका पर बेसिक शिक्षा सचिव को नोटिस भी जारी किया जा चुका है



News Source : AMAR UJALA / अमर उजाला  (9.3.2013)


Friday, March 8, 2013

UPTET: UP में 2 लाख से ज्यादा प्राथमिक शिक्षको को मिल सकती है नौकरी


UPTET: UP में 2 लाख से ज्यादा प्राथमिक शिक्षको को मिल सकती है नौकरी

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This information is circulated in many FB groups and shared on internet recently.
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क्या उत्तर प्रदेश में सरकार को शिक्षको की वाकई जरुरत है? शायद हाँ और शायद नहीं| “शायद” इसलिए क्यूंकि ये तर्क और कुतर्क का विषय है| सरकारी प्राइमरी स्कूलों में 2007 (जब से स्टूडेंट का डाटा ऑनलाइन हुआ है) के बाद लगातार छात्र संख्या गिरती जा रही है| पिछले पांच साल से कोई भर्ती प्राइमरी शिक्षक की नहीं हुई है| इसके बाबजूद प्रदेश में हैं कोई हाहाकार नहीं है| स्कूल खुल रहे है|

 कहीं जरुरत से ज्यादा शिक्षक है तो कहीं शिक्षक की कमी है| मगर बच्चो की उपस्थिति को पैमाने पर तौला जाए तो शायद प्रदेश में शिक्षको की कोई कमी है ही नहीं| क्यूंकि मिड डे मील के आंकड़ो के मुताबिक प्राथमिक स्कूलों में औसतन 60 प्रतिशत बच्चे ही नामांकन के सापेक्ष स्कूल में पहुच रहे है| जाहिर है नामांकन और उपस्थिति सवालों के घेरे में है|
बसपा सरकार हो या सपा सरकार दोनों में हालत एक जैसी है| 

प्राथमिक शिक्षा की दुर्दशा न लगे इसके लिए किसी भी बच्चे को फेल न करने का शासनादेश कर दिया गया| इसके पीछे तर्क दिया गया- बच्चो का मनोबल नहीं गिराना है| ये कुतर्क है या तर्क जनता को सोचना है| मगर सरकार ने मान लिया है| प्राथमिक स्कूल के बच्चे वोटर नहीं होते इसलिए माया, मुलायम और अखिलेश किसी को चिंता करने की जरुरत भी नहीं है|  
प्रदेश में शिक्षा का कोई संकट नहीं है| हकीकत ये है कि प्राथमिक सरकारी स्कूलों में शिक्षा का कार्य शिक्षा मित्र (कॉन्ट्रैक्ट टीचर) ने संभाल लिया है| 3500 रुपये मासिक वेतन वाले शिक्षको का काम रुपये 25000 हजार मासिक का वेतन पाने वाले स्थायी प्राथमिक शिक्षको से बेहतर निकला| 

ऐसे में बैठे बिठाये 72000 शिक्षको को भर्ती करके 1800 करोड़ सालाना का राजस्व भार जनता के खजाने पर क्यूँ डाला जाए? ये बड़ा और चिंतनीय विषय तो है ही सरकार के बड़े बड़ो के दिमाग में विचाराधीन भी है| प्रदेश के करदाता के साथ ये अन्याय होगा कि उसके द्वारा चुकाए गए धन का दुरूपयोग हो| एक प्राथमिक शिक्षक के वेतन के बदले तीन तीन शिक्षक संविदा पर रखे जा सकते है| और टेट पास दो लाख से ज्यादा बेरोजगारों को नौकरी भी मिल जाएगी| वर्तमान में अदालत में उलझा मामला भी मिनटों में निपट जायेगा| 


वर्तमान में हालत तो यही है| उन प्राथमिक स्कूलों के बच्चे जहाँ 100 बच्चो पर चार पांच शिक्षक की तैनाती है वहां के कक्षा 5 के बच्चे पहाड़े नहीं जानते| शिक्षा का स्तर घटिया है और गुणवत्ता की तो वाट ही लगी हुई है| ऐसे में मध्य प्रदेश की तरह उत्तर प्रदेश में भी संविदा शाला शिक्षक की तैनाती ही सबसे अच्छा विकल्प हो सकता है| सस्ते में शिक्षक और काम के बदले वेतन दोनों ल लाभ| सरकार पर बोझ भी कम पड़ेगा| शायद UPTET की न्यायालय में चल रही उधेड़बुन ये सबसे अच्छा विकल्प होगा|

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Are you ready for Rs. 7000/- contract jobs. Through this 
1 Permanent Govt. Primary Teacher Salary (25000/-) = <   3 Contract Teacher Salary (Rs. 7000/-)
Regular employee gets benefit of leaves, TA, DA etc. and after some time they get TIME BOUND PROMOTION Also.


72000 Regular Teacher Job = 216000 Contract Teacher Job

UPTET : Next Date of Hearing on 11th March 2013


UPTET : Next Date of Hearing on 11th March 2013


Next Date 11 March Frîends Monday ki date mili hai..Monday ko Hearing Court no 33 me Harkauli ji ki Bench me Hogi..Sambhavtah Monday Ko Rejoinder Tet Advocates Dwara Dakhil Kar diya jayega.Rejoinder Dakhil hote hi Hearing Rejoinder par start ho jayegi..agar usme Kuch mudde naye Nikalte Hain ya Court ko kuch aur Documents ki jarurat Padti hai Final decision Dene ke liye To Maximum Date 1-2 Extend Ho Sakti hai..Warna Most Probabily Final Decision Next week me Hone Ki puri ummed Hai...!!

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Neelesh Purohit
सोमवार को कोर्ट न॰33 मेँ अपने SLP की सुनवाई होगा
स्टे जारी रहेगा 
हरकौली खिलाएगेँ होली
जय टी॰ ई॰ टी

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Rammehar Maan
NAMASKAR, MERE SABHI TET MERIT SUPORTER FRIENDS.AAJ KI LATEST COURT NEWS.NEXT DATE 8 MARCH 13. STAY CONTINIOU.CASE TAKE NAHI HUA.AAJ BHI REJOINDER JAMA NAHI KARAYA GAYA. THANKS