UPTET: UP में 2 लाख से ज्यादा प्राथमिक शिक्षको को मिल सकती है नौकरी
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This information is circulated in many FB groups and shared on internet recently.
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क्या उत्तर प्रदेश में सरकार को शिक्षको की वाकई जरुरत है? शायद हाँ और शायद नहीं| “शायद” इसलिए क्यूंकि ये तर्क और कुतर्क का विषय है| सरकारी प्राइमरी स्कूलों में 2007 (जब से स्टूडेंट का डाटा ऑनलाइन हुआ है) के बाद लगातार छात्र संख्या गिरती जा रही है| पिछले पांच साल से कोई भर्ती प्राइमरी शिक्षक की नहीं हुई है| इसके बाबजूद प्रदेश में हैं कोई हाहाकार नहीं है| स्कूल खुल रहे है|
कहीं जरुरत से ज्यादा शिक्षक है तो कहीं शिक्षक की कमी है| मगर बच्चो की उपस्थिति को पैमाने पर तौला जाए तो शायद प्रदेश में शिक्षको की कोई कमी है ही नहीं| क्यूंकि मिड डे मील के आंकड़ो के मुताबिक प्राथमिक स्कूलों में औसतन 60 प्रतिशत बच्चे ही नामांकन के सापेक्ष स्कूल में पहुच रहे है| जाहिर है नामांकन और उपस्थिति सवालों के घेरे में है|
बसपा सरकार हो या सपा सरकार दोनों में हालत एक जैसी है|
प्राथमिक शिक्षा की दुर्दशा न लगे इसके लिए किसी भी बच्चे को फेल न करने का शासनादेश कर दिया गया| इसके पीछे तर्क दिया गया- बच्चो का मनोबल नहीं गिराना है| ये कुतर्क है या तर्क जनता को सोचना है| मगर सरकार ने मान लिया है| प्राथमिक स्कूल के बच्चे वोटर नहीं होते इसलिए माया, मुलायम और अखिलेश किसी को चिंता करने की जरुरत भी नहीं है|
प्रदेश में शिक्षा का कोई संकट नहीं है| हकीकत ये है कि प्राथमिक सरकारी स्कूलों में शिक्षा का कार्य शिक्षा मित्र (कॉन्ट्रैक्ट टीचर) ने संभाल लिया है| 3500 रुपये मासिक वेतन वाले शिक्षको का काम रुपये 25000 हजार मासिक का वेतन पाने वाले स्थायी प्राथमिक शिक्षको से बेहतर निकला|
ऐसे में बैठे बिठाये 72000 शिक्षको को भर्ती करके 1800 करोड़ सालाना का राजस्व भार जनता के खजाने पर क्यूँ डाला जाए? ये बड़ा और चिंतनीय विषय तो है ही सरकार के बड़े बड़ो के दिमाग में विचाराधीन भी है| प्रदेश के करदाता के साथ ये अन्याय होगा कि उसके द्वारा चुकाए गए धन का दुरूपयोग हो| एक प्राथमिक शिक्षक के वेतन के बदले तीन तीन शिक्षक संविदा पर रखे जा सकते है| और टेट पास दो लाख से ज्यादा बेरोजगारों को नौकरी भी मिल जाएगी| वर्तमान में अदालत में उलझा मामला भी मिनटों में निपट जायेगा|
वर्तमान में हालत तो यही है| उन प्राथमिक स्कूलों के बच्चे जहाँ 100 बच्चो पर चार पांच शिक्षक की तैनाती है वहां के कक्षा 5 के बच्चे पहाड़े नहीं जानते| शिक्षा का स्तर घटिया है और गुणवत्ता की तो वाट ही लगी हुई है| ऐसे में मध्य प्रदेश की तरह उत्तर प्रदेश में भी संविदा शाला शिक्षक की तैनाती ही सबसे अच्छा विकल्प हो सकता है| सस्ते में शिक्षक और काम के बदले वेतन दोनों ल लाभ| सरकार पर बोझ भी कम पड़ेगा| शायद UPTET की न्यायालय में चल रही उधेड़बुन ये सबसे अच्छा विकल्प होगा|
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are apni soch ko sambhal kar rakho .....itni bi kya jaldi he jab pichle 6 salo se chop the to 2 sal or sant raho blog editar ji.
ReplyDeleteBlog editor g u r correct.
ReplyDelete1 ticket 3 maza ye na hui baat blog editer ji is information ko govt tak pahucha dijiye.
DeleteIsse shiksha me bhi gunwatta aayegi aur courts se related pareshani bhi nahi hogi. Pratidin jayenge bhi saal me kewal 11 ya 12 chhutti hi bas milegi aam aadmi par bojh bhi nahi padega.
ReplyDeletethis is just a stupid idea.
ReplyDeletethe quality can not be achieved without the salary satisfaction of the teachers. expendatures allowed must be used for quality education and not to show increase no. of teacher through contract basis.it will be a idea of just vote bank.RTE will be collaps by ideas.
Teachers must be appointed as per the rules and expendatures must be reduce on political ground.
contract basis teacher rakhna hai.. abhi shiksha mitro se pind chuta nahi nayI afat lena chahte hai.. jab work same kana hai to ye savinda ka lafda kya hai teacher ki salary hi kam kardo 25000 se 10000 kar do....
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