Tuesday, March 12, 2013

UP NEWS : उप्र में विधायिका-न्यायपालिका में टकराव की जमीन तैयार


UP NEWS : उप्र में विधायिका-न्यायपालिका में टकराव की जमीन तैयार

न्यूज़ साभार : जागरण ई पेपर 

   
- विधानसभा अध्यक्ष के निर्देश पर हुए तबादले को स्थगन आदेश दिए जाने से सदन नाराज

- सभी दलों के सदस्यों ने कोर्ट के रवैये पर दर्ज कराई अपनी आपत्ति, कहा इससे तो राजनीतिक व्यवस्था ही ध्वस्त हो जाएगी

- विधानसभा अध्यक्ष ने सरकार से कहा, महाधिवक्ता को सदन की भावनाओं से अवगत कराया जाए

- सर्वदलीय बैठक बुलाने का भी फैसला

-------

'हम कानून बनाते हैं जिन्हें न्यायपालिका को लागू करना है। इस मामले में एक ऐसा वाक्य प्रयोग किया गया है जो हमारे खिलाफ टिप्पणी है। दुर्भाग्यवश कुछ लोग टिप्पणी करने के आदी हो गए हैं। '

- आजम खां, संसदीय कार्यमंत्री (जैसा उन्होंने सदन में कहा)

-----

'सदन व सरकार को पंगु बनाने की कोशिश है। अध्यक्ष के अधिकारों को कोई चुनौती नहीं दे सकता। '

- राम गोविंद चौधरी, मंत्री (जैसा उन्होंने सदन में कहा)

-----

'पीठ का निर्देश हाईकोर्ट-सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश जैसा होता है। पीठ के निर्देश पर स्टे देना पीठ व सदन का अपमान है।'

- स्वामी प्रसाद मौर्य, नेता प्रतिपक्ष

-----

'हाईकोर्ट को संविधान के अन्तर्गत यह अधिकार प्राप्त है कि वह कार्यपालिका और विधायिका दोनो के आदेशों की न्यायिक समीक्षा कर सकता है, ऐसे में मुझे नहीं लगता है कि सदन के आदेश पर हुए तबादले पर स्टे आर्डर देना, विधायिका का किसी तरह का अपमान है।'

- सीबी पाण्डेय, न्यायाधीश (अवकाश प्राप्त)

-----

यह थी हाईकोर्ट की टिप्पणी

-----

प्रथम दृष्टया यह प्रतीत होता है कि इनका ट्रांसफर जनहित में नहीं किया गया है बल्कि राजनीतिक हितों को देखते हुए स्थानीय विधायक को संतुष्ट करने के लिए किया गया है।

-----

जागरण ब्यूरो, लखनऊ : मंगलवार को विधानसभा में न्यायपालिका और विधायिका के बीच की तल्खी एक बार फिर देखने को मिली। जौनपुर के मुंगरा बादशाहपुर के पुलिस सबइंस्पेक्टर राघवेंद्र सिंह के तबादले पर हाईकोर्ट ने स्टे देते हुए जिस तरह की टिप्पणी की है उस पर सभी दलों ने एक जुट होकर कड़ी आपत्ति जताते हुए विधानसभा अध्यक्ष से कड़े कदम उठाने की मांग की। सभी ने कोर्ट की टिप्पणी को बेहद गंभीर बताते हुए कहा कि संवैधानिक संस्थाओं को चुनौती देने का काम किया जा रहा है। कहा गया कि कोर्ट के ऐसे रवैये से प्रजातंत्र को चलाने के लिए बनी राजनीतिक व्यवस्था ही ध्वस्त हो जाएगी।

अध्यक्ष माता प्रसाद पाण्डेय ने भी कहा कि सदन की कार्यवाही पर टिप्पणी करने का हक किसी को नहीं है। उन्होंने सरकार को निर्देश दिया कि एडवोकेट जनरल को सदन की भावना से अवगत कराया जाए। अध्यक्ष ने कहा कि इस संबंध में विचार करने के लिए सभी दलों की बैठक बुलायी जाएगी।

शून्यकाल के दौरान सदन में भाजपा की सीमा द्विवेदी ने औचित्य का प्रश्न उठाते हुए कहा कि विधानसभा अध्यक्ष के निर्देश पर जिस एसआइ का सरकार ने तबादला कर दिया था वह कोर्ट से स्टे लेकर चौथी बार फिर मुंगरा बादशाहपुर में तैनात हो गया है। भाजपा के हुकुम सिंह ने कोर्ट के स्टे आर्डर का हवाला देते हुए कहा कि उसमें कोर्ट का जो नजरिया रहा है वह गंभीर है। कोर्ट द्वारा एसआई के तबादले को प्रथमदृष्टया जनहित में न मानते हुए उसे राजनीतिक हित में स्थानीय विधायक को खुश करने के लिए किया जाना बताया गया है।

संसदीय कार्यमंत्री मुहम्मद आजम खां ने प्रकरण को दुखद बताते हुए कहा कि जरूरी नहीं कि सभी सदस्य खराब हों इसलिए टिप्पणी ठीक नहीं है। विधायक तो जनता के हित में ही काम करते हैं उनका खुद का क्या हित होता है? उन्होंने कहा कि कोर्ट का जो रुख है उससे तो प्रजातंत्र ही नहीं रह जाएगा। पूरी राजनीतिक व्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी। आजम ने कहा कि कोर्ट का नजरिया कहीं न कहीं चुनी हुई व्यवस्था के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में कठोर कदम उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए। आजम ने कहा कि हम कानून बनाते हैं जिन्हें न्यायपालिका को लागू करना है। इस मामले में एक ऐसा वाक्य प्रयोग किया गया है जो हमारे खिलाफ टिप्पणी है। दुर्भाग्यवश कुछ लोग टिप्पणी करने के आदी हो गए हैं।

नेता प्रतिपक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि पीठ का निर्देश हाईकोर्ट-सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश जैसा होता है। पीठ के निर्देश पर स्टे देना पीठ व सदन का अपमान है। मौर्य ने कहा कि प्रकरण को अति गंभीरता से लेते हुए अध्यक्ष के माध्यम से कोर्ट को पत्र लिखा जाए। कांग्रेस के प्रमोद तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट के एक जज के फैसला का जिक्र करते हुए कहा कि उसमें साफ है कि विधायक संस्तुति नहीं करेगा तो क्या करेगा। मंत्री राम गोविन्द चौधरी ने कहा कि सदन व सरकार को पंगु बनाने की कोशिश है। चौधरी ने कहा कि आखिर अध्यक्ष के अधिकारों को कौन चुनौती दे सकता है? लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए कड़े कदम उठाए जाएं। मंत्री राजेन्द्र सिंह राणा ने संवैधानिक संस्थाओं को चुनौती देने का काम किया जा रहा है। विधायकों के शिकायती पत्रों को आधार बनाकर तबादलेपर कोर्ट से स्टे लिया जा रहा है। राणा ने नौकरशाहों की भूमिका पर भी सवाल उठाए

न्यूज़ साभार : जागरण ई पेपर / Jagran (Updated on: Tue, 12 Mar 2013 07:54 PM (IST))
********************************

No comments:

Post a Comment

To All,
Please do not use abusive languages in Anger.
Write your comment Wisely, So that other Visitors/Readers can take it Seriously.
Thanks.