Saturday, February 2, 2013

UPTET - टीईटी अभ्यर्थी और भर्ती

UPTET - टीईटी अभ्यर्थी और भर्ती


फर्जी आवेदनों के कारण प्रथम काउंसलिंग वाले अभ्यरथियो को कई समस्यों से जूझना पड़ रहा है
कई अभ्यर्थीयो को ग्रह जनपद छोड़कर बाहर के जिलों में नंबर आने पर , अपनी सीट सुरक्षित करने के लिए ग्रह जनपद छोड़ कर अन्य जिलों का भी चुनाव करना पड़ सकता है
अगर सभी तरह के फर्जी आवेदनों को बाहर रखा जाए और उसके बाद काउंसलिंग की कट-ऑफ़ जारी की जाती तो इससे प्रथम काउंसलिंग में ऊँचा स्थान रखने वालों को राहत मिल सकती थी ।

टी ई टी अभ्यर्थीयों में भी कई मत हैं -
1. एक धड़ा बी . एड 2012 वालों को नियुक्ति से बाहर देखने के मत में है , क्योंकि उनके अनुसार- वे नियुक्ति के पात्र नहीं है
वे टी ई टी परीक्षा के भी पात्र नहीं थे । टी ई टी एपीरिंग के बारे में उनके अपने मत हैं
2. जबकि बी . एड 2011 वालों का कहना है कि उन्होंने आवेदन सरकार द्वारा जारी किये गए विज्ञापन के अनुरूप किया है
और पिछला विज्ञापन रद्द किया जा चुका है
3. कई लोगो का मानना है कि भर्ती टी ई टी मेरिट से होनी चाहिए और इसके लिये वह सुप्रीम कोर्ट जा रहे हैं ।
आखिर उनका क्या दोष , उन्होंने तो परीक्षा मेहनत से पास की थी ।

4. कई लोगो का मानना है कि भर्ती सरकार का कार्य है और हाई कोर्ट इस पर मुहर लगा चुका है
ये भर्ती प्रक्रिया काफी लम्बे समय से चल रही है और काफी तरह के उतार चडाव सामने आते रहे , यू पी टी ई टी परीक्षा
के बाद जारी विज्ञापन में बदलाव और आये दिन कोर्ट में नए नए मामले आते रहना , अभ्यर्थीयों के मन में शंकाएं उत्पन्न करता रहता है


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यूपी में सहायक अध्यापकों की भर्ती प्रक्रिया पर रोक 
Last updated on: February 4, 2013 
टैग्स » assistant teachers recruitment, uttar pradesh, high court, tet


उत्तर प्रदेश में 72,825 सहायक अध्यापकों के चयन और नियुक्ति की प्रक्रिया एक बार फिर लटक गई है। हाईकोर्ट ने कई अभ्यर्थियों की विशेष अपील पर अगले आदेश तक के लिए काउंसिलिंग और चयन प्रक्रिया निलंबित कर दी है।

सोमवार को कोर्ट ने प्रदेश सरकार से जवाब मांगा और सुनवाई 11 फरवरी नियत की है। नवीन कुमार श्रीवास्तव और अन्य द्वारा दाखिल विशेष अपील पर न्यायमूर्ति सुशील हरकौली और न्यायमूर्ति मनोज मिश्र की खंडपीठ ने यह आदेश दिया।

विशेष अपील में एकल न्यायपीठ के 16 जनवरी के आदेश को चुनौती देते हुए कहा गया कि न्यायपीठ ने प्रदेश सरकार द्वारा टीईटी को मात्र अर्हता मानने के फैसले को स्वीकार कर लिया है। चूंकि शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 एक केंद्रीय अधिनियम है और उसके तहत प्राप्त अधिकारों द्वारा एनसीटीई (नेशनल काउंसिल फार टीचर्स एडूकेशन) ने 23 अगस्त 2010 और 29 जुलाई 2011 को अधिसूचना जारी कर सहायक अध्यापकों की न्यूनतम योग्यता निर्धारित की है। इसलिए बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 पर यह बाध्यकारी है।

इस अधिसूचना के विपरीत शिक्षक नियमावली में कोई संशोधन नहीं किया जा सकता है। राज्य सरकार द्वारा पूर्व का विज्ञापन रद कर देने से पूरी चयन प्रक्रिया बदल गई है। टीईटी के प्राप्ताकों को अब मानक के बजाय मात्र अर्हता माना जा रहा है। इस नई परिस्थिति में जो लोग 30 नवंबर 2011 के विज्ञापन में आवेदन की अर्हता नहीं रखते थे, वह भी अब पात्र हो गए हैं। इसकी वजह से प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है।

खंडपीठ ने प्रदेश सरकार से जानना चाहा है कि क्या एकल न्यायपीठ ने टीईटी परीक्षा में हुई धांधली और इसमें लिप्त लोगों को अलग करके शेष लोगों का चयन टीईटी केप्राप्तांक पर चयन करने के लिए कहा था। खंडपीठ का मत था कि पिछली सरकार के जाने के बाद नई सरकार ने पूरी चयन प्रक्रिया बदल दी। अब ऐसा भी संभव है कि कोई दूसरी सरकार बने और वह इस सरकार की चयन प्रक्रिया को दोषपूर्ण बताते हुए बदल दे।

Read more: http://joinuptet.blogspot.com/2013/02/uptet.html#ixzz2sN3McmSF
 


2 comments:

  1. MUBARAK HO HAMARI MEHNAT AUR STURGGLE BEKAR NAHIN GAYA SECOND BENCH NE FILHAL BHATIYON PAR AUR COUNCELLING PAR STAY LAGA DIYA HAI AUR KAHA KE YE GUNDAGARDI NAHI CHALEGI BASE CHANGE NAHIN HOGA AGLI SUNWAI 11 FEB KO HOGI JAI HIND JAI BHARAT AND JAI TET MERIT

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  2. यूपी में सहायक अध्यापकों की भर्ती प्रक्रिया पर रोक
    इलाहाबाद/ब्यूरो | Last updated on: February 4, 2013 7:57 PM IST
    टैग्स » assistant teachers recruitment, uttar pradesh, high court, tet


    उत्तर प्रदेश में 72,825 सहायक अध्यापकों के चयन और नियुक्ति की प्रक्रिया एक बार फिर लटक गई है। हाईकोर्ट ने कई अभ्यर्थियों की विशेष अपील पर अगले आदेश तक के लिए काउंसिलिंग और चयन प्रक्रिया निलंबित कर दी है।

    सोमवार को कोर्ट ने प्रदेश सरकार से जवाब मांगा और सुनवाई 11 फरवरी नियत की है। नवीन कुमार श्रीवास्तव और अन्य द्वारा दाखिल विशेष अपील पर न्यायमूर्ति सुशील हरकौली और न्यायमूर्ति मनोज मिश्र की खंडपीठ ने यह आदेश दिया।

    विशेष अपील में एकल न्यायपीठ के 16 जनवरी के आदेश को चुनौती देते हुए कहा गया कि न्यायपीठ ने प्रदेश सरकार द्वारा टीईटी को मात्र अर्हता मानने के फैसले को स्वीकार कर लिया है। चूंकि शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 एक केंद्रीय अधिनियम है और उसके तहत प्राप्त अधिकारों द्वारा एनसीटीई (नेशनल काउंसिल फार टीचर्स एडूकेशन) ने 23 अगस्त 2010 और 29 जुलाई 2011 को अधिसूचना जारी कर सहायक अध्यापकों की न्यूनतम योग्यता निर्धारित की है। इसलिए बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 पर यह बाध्यकारी है।

    इस अधिसूचना के विपरीत शिक्षक नियमावली में कोई संशोधन नहीं किया जा सकता है। राज्य सरकार द्वारा पूर्व का विज्ञापन रद कर देने से पूरी चयन प्रक्रिया बदल गई है। टीईटी के प्राप्ताकों को अब मानक के बजाय मात्र अर्हता माना जा रहा है। इस नई परिस्थिति में जो लोग 30 नवंबर 2011 के विज्ञापन में आवेदन की अर्हता नहीं रखते थे, वह भी अब पात्र हो गए हैं। इसकी वजह से प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है।

    खंडपीठ ने प्रदेश सरकार से जानना चाहा है कि क्या एकल न्यायपीठ ने टीईटी परीक्षा में हुई धांधली और इसमें लिप्त लोगों को अलग करके शेष लोगों का चयन टीईटी केप्राप्तांक पर चयन करने के लिए कहा था। खंडपीठ का मत था कि पिछली सरकार के जाने के बाद नई सरकार ने पूरी चयन प्रक्रिया बदल दी। अब ऐसा भी संभव है कि कोई दूसरी सरकार बने और वह इस सरकार की चयन प्रक्रिया को दोषपूर्ण बताते हुए बदल दे।

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