BTC / VBTC / UPTET / Primary Teacher News : कार्रवाई से फर्जी शिक्षकों में हड़कंप
आजमगढ़ : जनपद में फर्जी शिक्षकों के प्रति नवागत मुख्य विकास अधिकारी की भृकुटी तन गई है। फर्जी तरीके से नौकरी हासिल करने वालों की शामत-सी आ गई। शिक्षा विभाग के साथ ही डायट में भी हड़कंप की स्थित है। अब तक की जांच में यह साफ संकेत मिला है कि फर्जी अभिलेख के जरिए नौकरी कर रहे कुछ और लोग जिले में बचे हैं। इस खेल में कहीं न कहीं डायट के लोग भी शामिल हैं। वैसे इस राज से जल्द ही पर्दा उठने की संभावना है।
यहां किस हद तक फर्जीवाड़ा हुआ है इसका अंदाजा सिर्फ अजीत कुमार यादव के प्रकरण से ही लगाया जा सकता है। इसने इंटरमीडिएट की परीक्षा जनता इंटर कॉलेज निजामाबाद से उत्तीर्ण की। उसे 234 अंक प्राप्त हुआ। फर्जी सार्टीफिकेट लगाकर उसने विशिष्ट बीटीसी 2008 की चयन प्रक्रिया में भाग लिया। चयन न होने पर इसने प्रार्थना-पत्र के साथ एक दूसरी मार्कशीट लगाई जिसका वर्ष और अनुक्रमांक तो सही था लेकिन अंक 388 व श्रेणी प्रथम प्रथम दर्शा दी। इस अंकपत्र के आधार पर उसका चयन भी हो गया और प्राथमिक विद्यालय नौबरार त्रिपुरारपुर खालसा में नियुक्ति भी मिल गई लेकिन भेद तब खुला जब फर्जी अंकपत्र को जांच के लिए जनता इंटर कॉलेज भेजा गया। यहां गजट के साथ मार्कशीट के सही होने का प्रमाण-पत्र संलग्न जांच अधिकारी को दे दिया गया। इसके बाद उसके अभिलेखों के सही होने की रिपोर्ट शिक्षा विभाग को भेजने की तैयारी भी शुरू हो गई थी लेकिन जब फाइल सीडीओ के पास पहुंची तो उन्हें अंकपत्र फर्जी होने का संदेह हुआ। वजह जाली मार्कशीट को बनाने में एक चूक हो गई थी। अंकपत्र में अंग्रेजी विषय में प्रयोगात्मक का नंबर अंकित कर दिया गया था। जब अजीत को अपने पकड़े जाने का भय सताने लगा तो उसने नौकरी से इस्तीफा दे दिया। सीडीओ द्वारा इस प्रकरण की जांच का जिम्मा सहायक अर्थ एवं संख्या अधिकारी को सौंपा गया। उन्होंने मार्कशीट को आधार बनाकर मामले की जांच शुरू की। वह 234 नंबर वाले अंकपत्र को लेकर जनता इंटर कॉलेज पहुंचे। यहां विद्यालय प्रबंधन द्वारा इस अंकपत्र को भी सही प्रमाणित कर दिया गया। जब उन्होंने इस संबंध में विद्यालय प्रबंधन से जानकारी मांगी तो उन्होंने एक दूसरा पत्र निकालकर उन्हें पकड़ा दिया और बताया कि उन्होंने उस प्रमाण-पत्र को गलत लिखकर भेजा था। अब सोचने वाली बात यह है कि अगर विद्यालय द्वारा 388 के अंक पत्र को फर्जी करार दिया गया था तो वह अधिकारी तक पहुंचते पहुंचते असली कैसे हो गया।
इतना ही नहीं जब उसने विशिष्ट बीटीसी की चयन प्रक्रिया में अपने अंक को 388 दर्शाया तो आखिर उसके अंकों की गणना 234 पर क्यों की गई। इससे जांच अधिकारी द्वारा फार्म के बदले जाने की भी संभावना जताई जा रही है। यदि उनका शक सही है तो इस खेल में डायट के लोगों का शामिल होना तय है। यही नहीं अन्य तीन शिक्षकों के खिलाफ जो कार्रवाई चल रही है उसमें एक डायट के लिपिक की पत्नी व चचेरा भाई है। ऐसे में विभाग की संलिप्तता का शक और भी गहरा हो रहा है
News Source : Jagran (18.3.13) / http://www.jagran.com/uttar-pradesh/azamgarh-10227940.html
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Many such happenings occurred in recent past and bad for education system in UP.
UPTET one such examination to filter such cheaters.
tet merit is the best solution for all the problems.
ReplyDeletetet merit is the best solution for all the problems.
ReplyDeletelagta hai Non TET ke favour me jane wala hai faisla
ReplyDeleteM.No. 09810476479