शिक्षक निस्संदेह ही पूजनीय एवं सर्वश्रेष्ठ हैं
एक बार रूस के महान साहित्यकार मैक्सिम गोर्की अपने देश के एक अन्य महान रचनाकार चेखोव से मिलने उनके घर गए। चेखोव गोर्की से अत्यंत गर्मजोशी से मिले और अनेक विषयों पर उनसे चर्चा करने लगे। बातचीत के दौरान गोर्की ने चेखोव से पूछा, 'आप समाज के विभिन्न वर्गों में किसे अधिक महत्व देते हैं?' गोर्की की बात सुनकर चेखोव बोले, 'वैसे तो सभी वर्गों की अपनी-अपनी जगह विशेष अहमियत है, किंतु मैं शिक्षक वर्ग को सबसे अधिक महत्व देता हूं। शिक्षक निस्संदेह ही पूजनीय एवं सर्वश्रेष्ठ हैं।' यह सुनकर गोर्की बोले, 'शिक्षक वर्ग की ऐसी कौन सी खासियत है जिसके कारण आप उन्हें सर्वश्रेष्ठ समझते हैं?' इस पर चेखोव बोले, 'किसी भी देश की नई पीढ़ी को अच्छे संस्कार देकर आदर्श नागरिक बनाने का दायित्व शिक्षकों पर ही होता है। यदि शिक्षक सुखी-समृद्ध होगा तभी तो वह निश्चिंत होकर देश की आदर्श पीढ़ी के निर्माण में पूरी तन्मयता से लगा रह सकता है।'
चेखोव की बातें गोर्की बड़े ध्यान से सुन रहे थे। उनकी यह बात सुनकर वह बोले, 'तो ऐसे में आप शिक्षकों की कुछ मदद करना चाहते हैं?' यह सुनकर चेखोव बोले, 'मैं गुरुजन के प्रति बहुत श्रद्धा रखता हूं। यदि मेरे पास ढेर सारा धन आ जाए तो मैं उससे गांव में शिक्षकों के लिए सुविधाजनक मकान बनवाऊंगा।' गोर्की बोले, 'यह तो बहुत ही नेक निर्णय है।' इस पर चेखोव बोले, 'इतना ही नहीं, मैं एक ऐसे बड़े पुस्तकालय की व्यवस्था भी करूंगा कि अध्यापक, छात्र तथा ग्रामीण लोग पुस्तकों का अध्ययन कर ज्ञान प्राप्त कर सकें। किसी भी देश को आदर्श शिक्षकों तथा ज्ञान के भंडार की आवश्यकता पड़ती है। उसके सामाजिक-सांस्कृतिक विकास के लिए ये चीजें जरूरी हैं। इसलिए मैं तो शिक्षकों की भूमिका को सर्वाधिक महत्व देता हूं। हमें इस वर्ग के प्रति अपनी कृतज्ञता दर्शानी चाहिए।' गोर्की यह सुनकर भावविभोर हो उठे। चेखोव के प्रति गोर्की के मन में सम्मान और बढ़ गया।
he prabhu etne uttam vichar hamare cm ke hote to shayad up etna peechhe na hota
ReplyDeletechekhow k thoughts har bhartiya me hota tha par na jane in vicharon ko kisne mita diya teachers or students
ReplyDeleteLEKIN JO TEACHER BALATKAR KARTE HAI UNKO KYA KAHOGE ?
ReplyDeletegandagi to har jagah hai yadav g. Ab kaha-2 hai kisi ko batane ki jarurat nhi. Isase indivisual achha karne ki ichha to khatm nhi hoti. Hame apna karm karna hai na ki any person ki galti ka example dena hai. Hamesha positive ko adapt karne ki jarurat hame hoti hai chahe dharm se ya manavata se. Apvad to har jagah hote hai to kya ham apna dharm chhod de nahi. It can't possible 4 any condition.
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