Sunday, August 3, 2014

UPTET 31 तक टीईटी वालों को नहीं मिलेगी नौकरी

UPTET 31 तक टीईटी वालों को नहीं मिलेगी नौकरी

  •  अभी तक नहीं खुले हैं डायट पहुंचे आपत्तियों वाले बंडल, 1.32 लाख आपत्तियों का होना है निस्तारण

  • हर जिले में कॅटऑफ भले ही अलग-अलग जारी किया जाए. लेकिन, होगा आलमोस्ट सेम. ऐसा ही सीनियर बेसिक विद्यालयों में नियुक्ति के लिए चल रही काउंसिलिंग में हो रहा है. दो राउंड की काउंसिलिंग हो चुकी है और लगभग हर जिले में एक चौथाई भी काउंसिलिंग कराने नहीं पहुंचे हैं




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31 तक टीईटी वालों को नहीं मिलेगी नौकरी

-टीईटी रिजल्ट में धांधली के बाद पुलिस ने जब्त कर लिया था रिजल्ट का मास्टर डाटा

- हर जिले में बंपर आपत्तियां, बिना मास्टर डाटा कैसे होगा निस्तारण

- सुप्रीम कोर्ट ने सात जुलाई को दी थी आठ सप्ताह में नियुक्ति प्रक्त्रिया पूरी करने की मोहलत

- अभी तक नहीं खुले हैं डायट पहुंचे आपत्तियों वाले बंडल, 1.32 लाख आपत्तियों का होना है निस्तारण

-अभी तक शुरू नहीं हुआ है डाटा फीडिंग का काम, आपत्तियों का निस्तारण भी इस ड्यूरेशन में है मुश्किल

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्ररुरु्र॥्रक्च्रष्ठ: टीईटी स्टूडेंट्स को नौकरी देने के लिए सुप्रीम कोर्ट की समयसीमा के अब 23 दिन बाकी हैं. आपत्तियों ने पूरे शिक्षा विभाग के हाथ-पांव फुला दिए हैं. हर जिले में टीईटी अभ्यर्थियों की आपत्ति का अंबार लगा है. लेकिन इनका निस्तारण होना मुमकिन नहीं. वजह ये है कि मास्टर डाटा ही नहीं है. मास्टर डाटा असल में अकबरपुर पुलिस के पास है. माध्यमिक शिक्षा के तत्कालीन निदेशक संजय मोहन की गिरफ्तारी के बाद से कंप्यूटर और हार्ड डिस्क डाटा समेत पुलिस ने बतौर केस प्रापर्टी सीज की हुई है. इस स्थिति में तो किसी भी सूरत में 31 अगस्त तक कैंडीडेट्स के हाथ में नियुक्ति पत्र नहीं पहुंचने वाला है.

मास्टर डाटा ही नहीं तो कैसे करेंगे क्त्रास चेक

भर्ती प्रक्त्रिया पूरी करने के रास्ते का सबसे बड़ा रोड़ा मास्टर डाटा की अनुपलब्धता है. बता दें कि यह डाटा अकबरपुर पुलिस के पास है. टीईटी का रिजल्ट घोषित करने और जनरल मार्किंग के दौरान नंबर बदल दिए जाने के चलते पुलिस ने माध्यमिक शिक्षा के तत्कालीन निदेशक संजय मोहन को गिरफ्तार किया था. उनकी गिरफ्तारी के बाद सम्पूर्ण डाटा पुलिस ने जब्त कर लिया था. फिलहाल उस कम्प्यूटर और हार्डडिस्क जिसमें डाटा फीड था पुलिस के पास है. दूसरे शब्दों में कोर्ट की कार्रवाई का हिस्सा और एवीडेंस है. इसे हासिल करना बड़ा चैलेंज है. इसके बिना डाक्यूमेंट वेरीफाई किए ही नहीं जा सकते. नंबर पर आपत्तियां लेकर पहुंचे अभ्यर्थियों को शिकायत प्राप्त होने की रसीद दी गई है.

नवंबर 2011 में आया था विज्ञापन

प्रदेश के परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक के रूप में टीईटी धारकों को नियुक्ति देने का विज्ञापन मायावती सरकार ने अपने कार्यकाल के अंतिम दिनों में जारी किया था. नवंबर 2011 में जारी किए गए विज्ञापन में टीईटी की मेरिट के आधार पर भर्ती किए जाने का प्रावधान किया गया था. साथ ही अप्लाई करने वाले छात्रों को आप्शन दिया गया था कि वे प्रदेश के सभी जिलों से आवेदन कर सकते हैं. सरकारी नौकरी की आस में लाखों नौजवानों ने आवेदन पत्र भर दिया.

नई सरकार आने से बदली परिस्थिति

भर्ती प्रक्त्रिया पूरी हो पाती इससे पहले ही प्रदेश में विधानसभा चुनावों का एलान हो गया. इसके बाद प्रक्त्रिया ठप हो गई. नई सरकार ने कमान संभालने के बाद अभ्यर्थियों की डिमांड पर नियमों पर परिवर्तन किया और फिर से आवेदन मंगवाए. परिवर्तन यह था कि नियुक्ति टीईटी नहीं बल्कि एकेडमिक मेरिट पर की जाएगी. टीईटी को सिर्फ क्वालीफायर के तौर पर ट्रीट किया जाएगा. इसके साथ ही पूर्व में आवेदन करने वालों को फिर से फॉर्म भरने के लिए कह दिया गया. 2011 में फॉर्म भरने वालों को ड्राफ्ट का पैसा वापस लेने को कह दिया गया.

ज्यादातर से ले लिया पैसा वापस

बदली हुई परिस्थितियों के चलते एक बार फिर से अभ्यर्थियों की कोशिशें शुरू हुईं. उन्होंने फिर से ड्राफ्ट बनवाया और फॉर्म भरा. उस वक्त किसी को यह उम्मीद नहीं थी कि यह विज्ञापन कैंसिल कर दिया जाएगा. ऐसे में ज्यादातर ने आवेदन करके अपने ड्राफ्ट का पैसा वापस ले लिया. विभाग ने भी मान लिया था कि अब पुराने विज्ञापन पर कुछ होना नहीं है तो उसने अभ्यर्थियों को ड्राफ्ट के रूप में जमा पैसे को लौटा दिया.

हाई कोर्ट चला गया मामला

उधर, कुछ ऐसे भी थे जिन्हें बदले विज्ञापन में निर्धारित की गई आर्हता पर आपत्ति थी. उन्होंने हाइ कोर्ट की शरण ली. कुछ दिनों में ही इसे लेकर दाखिल होने वाली रिटों की संख्या 50 के आंकड़े को छूने लगी. इसका असर यह हुआ कि कोर्ट ने सुनवाई पूरी न होने तक पूरी प्रक्त्रिया रोक देने का आदेश दिया. लम्बे समय तक चली सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने पुराने विज्ञापन के आधार पर ही नियुक्ति करने का आदेश दिया. हाइ कोर्ट के इस फैसले के विरोध में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. लेकिन, वहां से भी कोई राहत नहीं मिली. 25 मार्च 2014 को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को 12 सप्ताह में नियुक्ति पूरी करने का आदेश दिया. इसके बाद भी सरकार का ढुलमुल रवैया जारी रहा. 7 जुलाई को समय सीमा समाप्त हुई तो सरकार एक बार फिर कोर्ट गई और प्रक्त्रिया पूरी करने के लिए कुछ और समय देने की मांग की. इस पर कोर्ट ने आठ सप्ताह का समय और दिया है. यानी 31 अगस्त तक हर हाल में भर्ती प्रक्त्रिया पूरी कर लेनी है.

नियुक्ति की राह के रोड़े

-1.32 लाख आपत्तियों की कम्प्यूटर में फीडिंग, इसके लिए सभी डायट को 12 अगस्त तक का समय मिला है.

-आपत्तियों के निस्तारण की जिम्मेदारी एनआईसी और एससीईआरटी को दी गई है

-इस कार्य को पूरा करने के लिए अगस्त के तीसरे सप्ताह की मोहलत दी गई है

-यह प्रक्त्रिया पूरी होने के बाद आएगी काउंसिलिंग की नौबत

काउंसिलिंग भी टेढ़ी खीर

ऐसा इसलिए क्योंकि हर कैंडीडेट ने लगभग हर जिले से आवेदन कर रखा है. इसका मतलब है कि हर जिले में कॅटऑफ भले ही अलग-अलग जारी किया जाए. लेकिन, होगा आलमोस्ट सेम. ऐसा ही सीनियर बेसिक विद्यालयों में नियुक्ति के लिए चल रही काउंसिलिंग में हो रहा है. दो राउंड की काउंसिलिंग हो चुकी है और लगभग हर जिले में एक चौथाई भी काउंसिलिंग कराने नहीं पहुंचे हैं. यह प्रक्त्रिया पिछले महीने आठ तारीख को शुरू हुई थी. इस लिहाज से बेसिक की काउंसिलिंग में ही महीनों का समय लग जाएगा.

-12 अगस्त तक आपत्तियों की फीडिंग का लक्ष्य है. इसके बाद इसका निस्तारण होगा. उम्मींद है कि अगस्त के आखिरी हफ्ते तक आपत्तियों के निस्तारण का कार्य पूरा कर लिया जाएगा और काउंसिलिंग शुरू हो जाएगी.

सर्वेन्द्र विक्त्रम बहादुर सिंह

डायरेक्टर, एससीईआरटी

News Sabhaar : Jagran (3.8.14)


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