चयन आयोगों पर मंडराता रहा विवादों का साया और आंदोलन में उलझे रहे प्रतियोगी छात्र
नौकरी के इतंजार में बीत गया पूरा साल
सात साल बाद शुरू हुई भर्ती
प्रदेश के अशासकीय महाविद्यालयों में शिक्षक भर्ती को गठित उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के लिए यह साल खास रहा। अशासकीय महाविद्यालयों में वर्ष-2007 के बाद इस साल फिर से शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया शुरू की गई। आयोग की इस पहल से डिग्री कॉलेजों में नौकरी की आस लगाए प्रतियोगियों में उम्मीद की नई किरण जगी है। आयोग की ओर से डिग्री कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती के लिए पहले चरण की परीक्षा का आयोजन पूरा किया जा चुका है।
विवादों की भेंट चढ़ा चयन बोर्ड
- उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड और विवाद एक-दूसरे के पूरक बन गए हैं। शिक्षक भर्ती की बात तो दूर, पूरे साल चयन बोर्ड के सदस्यों, अध्यक्ष एवं अधिकारियों में आपसी खींचतान जारी रही। 2011 एवं 2013 में टीजीटी-पीजीटी के तहत शिक्षकों के खाली पड़े पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी होने के बावजूद चयन बोर्ड भर्ती प्रक्रिया पूरी नहीं। इसी साल जून में मनमाने तरीके से साक्षात्कार कराने के आरोप में प्रदेश सरकार ने तत्कालीन कार्यवाहक अध्यक्ष को उनके पद से मुक्त कर दिया।
शिक्षामित्रों के लिए अच्छा रहा साल
शिक्षामित्रों की सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित करने की मांग सरकार ने मानकर उन्हें प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक पद पर नियुक्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी। साल के अंत तक 58 हजार शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्त करके अच्छी पहल हुई। इसके अतिरिक्त शेष शिक्षामित्रों को भी सहायक अध्यापक के पद पर तैनाती का इंतजार है।
अलविदा 2014
डॉ. अखिलेश मिश्र
इलाहाबाद। संगम नगरी में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने पहुंचे छात्रों का पूरा साल आंदोलन में ही बीत गया। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड से जुड़ा मामला हो या कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार का मुद्दा, चयन आयोगों सहित प्रतियोगी छात्र भी विवादों मेें उलझे रह गए। हालांकि इस साल वैकेंसी भी खूब निकलीं और प्रतियोगियों को तमाम मौके मिले लेकिन परीक्षाओं और नियुक्तियों को लेकर लगातार हो रहे हंगामे के कारण वर्ष-2014 में लोग चयन आयोगों को विवादों के लिए ही याद करेंगे।
प्रदेश सरकार की ओर से 2010-11 में टीईटी पास अभ्यर्थियों को 72 हजार शिक्षकों के पदों पर नियुक्ति किए जाने की घोषणा इस साल भी लागू नहीं जा सकी। कानूनी अड़चनों के हटने के बाद शुरू हुई शिक्षक भर्ती वर्ष के अंत तक पूरी नहीं हो सकी। टीईटी पास बेरोजगार साल भर कानूनी दांवपेच और आंदोलनों में ही उलझे रह गए। तमाम प्रयासों के बावजूद वर्ष-2014 के दौरान स्कूलों में भी शिक्षकों की कमी दूर नहीं की जा सकी। साथ ही राजकीय इंटर कॉलेजाें में खाली एलटी ग्रेड शिक्षकों के पदों पर भर्ती प्रक्रिया दिसंबर के अंत तक पूरी कर लेने की घोषणा के बावजूद शिक्षा विभाग के अधिकारी साल के अंत तक भर्ती प्रक्रिया पूरी नहीं कर सके। जीआईसी में शिक्षक भर्ती केलिए 27 लाख से अधिक आवेदन आए हैं।े प्रदेश के उच्च प्राथमिक विद्यालयों में खाली 29 हजार से अधिक विज्ञान-गणित के शिक्षकों की चयन प्रक्रिया लगभग पूरी होने के बाद भी चयनित शिक्षकों को नियुक्ति पत्र जारी नहीं हो सका। इसके विपरीत शिक्षामित्रों के लिहाज से यह साल अच्छा रहा। सरकार के निर्णय के बाद अब तक 58 हजार शिक्षा मित्रों को सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित करके प्राथमिक विद्यालयों में पद स्थापित कर दिया गया।
एसएससी की साख पर लगा सवालिया निशान
प्रतियोगी छात्रों के बीच अच्छी छवि रखने वाले एसएससी की साख को भी इस साल ग्रहण लग गया। आयोग की हर परीक्षा के बाद प्रश्नपत्र आउट होने और परीक्षा परिणाम में गड़बड़ी के आरोप लगने लगे। आयोग की ओर से सीजीएल-2013 के रिजल्ट को निरस्त करने के साथ दोबारा परीक्षा कराई गई। इस परीक्षाफल पर भी परीक्षार्थियों ने सवाल उठाए। परीक्षा केन्द्रों पर जैमर लगाने तथा वीडियो रिकार्डिंग की व्यवस्था की गई लेकिन सुधार बहुत कम हुआ।
लोक सेवा आयोग का विवादों से नहीं छूटा पीछा
लोक सेवा आयोग का पूरे वर्ष विवादों से पीछा नहीं छूटा। हालांकि इन विवादों के बीच ही लोक सेवा आयोग ने पीसीएस की दो भर्ती को पूरा करने केसाथ सत्र नियमित करने में बड़ी सफलता हासिल की। 2014 में ही आयोग ने लोअर सबार्डिनेट परीक्षा के पैटर्न में बदलाव के बाद सफलतापूर्वक परीक्षा का आयोजन कराया। इसके साथ ही आयोग ने सीधी भर्ती के हजारों पदों पर चयन प्रक्रिया पूरी की लेकिन चयन के बाद गड़बड़ी के तमाम आरोप लगाए गए।
शिक्षण संस्थानों में रहा शिक्षकों का टोटा, फंसी रही 72 हजार प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती
नौकरी के इतंजार में बीत गया पूरा साल
सात साल बाद शुरू हुई भर्ती
प्रदेश के अशासकीय महाविद्यालयों में शिक्षक भर्ती को गठित उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के लिए यह साल खास रहा। अशासकीय महाविद्यालयों में वर्ष-2007 के बाद इस साल फिर से शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया शुरू की गई। आयोग की इस पहल से डिग्री कॉलेजों में नौकरी की आस लगाए प्रतियोगियों में उम्मीद की नई किरण जगी है। आयोग की ओर से डिग्री कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती के लिए पहले चरण की परीक्षा का आयोजन पूरा किया जा चुका है।
विवादों की भेंट चढ़ा चयन बोर्ड
- उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड और विवाद एक-दूसरे के पूरक बन गए हैं। शिक्षक भर्ती की बात तो दूर, पूरे साल चयन बोर्ड के सदस्यों, अध्यक्ष एवं अधिकारियों में आपसी खींचतान जारी रही। 2011 एवं 2013 में टीजीटी-पीजीटी के तहत शिक्षकों के खाली पड़े पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी होने के बावजूद चयन बोर्ड भर्ती प्रक्रिया पूरी नहीं। इसी साल जून में मनमाने तरीके से साक्षात्कार कराने के आरोप में प्रदेश सरकार ने तत्कालीन कार्यवाहक अध्यक्ष को उनके पद से मुक्त कर दिया।
शिक्षामित्रों के लिए अच्छा रहा साल
शिक्षामित्रों की सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित करने की मांग सरकार ने मानकर उन्हें प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक पद पर नियुक्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी। साल के अंत तक 58 हजार शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्त करके अच्छी पहल हुई। इसके अतिरिक्त शेष शिक्षामित्रों को भी सहायक अध्यापक के पद पर तैनाती का इंतजार है।
अलविदा 2014
डॉ. अखिलेश मिश्र
इलाहाबाद। संगम नगरी में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने पहुंचे छात्रों का पूरा साल आंदोलन में ही बीत गया। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड से जुड़ा मामला हो या कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार का मुद्दा, चयन आयोगों सहित प्रतियोगी छात्र भी विवादों मेें उलझे रह गए। हालांकि इस साल वैकेंसी भी खूब निकलीं और प्रतियोगियों को तमाम मौके मिले लेकिन परीक्षाओं और नियुक्तियों को लेकर लगातार हो रहे हंगामे के कारण वर्ष-2014 में लोग चयन आयोगों को विवादों के लिए ही याद करेंगे।
प्रदेश सरकार की ओर से 2010-11 में टीईटी पास अभ्यर्थियों को 72 हजार शिक्षकों के पदों पर नियुक्ति किए जाने की घोषणा इस साल भी लागू नहीं जा सकी। कानूनी अड़चनों के हटने के बाद शुरू हुई शिक्षक भर्ती वर्ष के अंत तक पूरी नहीं हो सकी। टीईटी पास बेरोजगार साल भर कानूनी दांवपेच और आंदोलनों में ही उलझे रह गए। तमाम प्रयासों के बावजूद वर्ष-2014 के दौरान स्कूलों में भी शिक्षकों की कमी दूर नहीं की जा सकी। साथ ही राजकीय इंटर कॉलेजाें में खाली एलटी ग्रेड शिक्षकों के पदों पर भर्ती प्रक्रिया दिसंबर के अंत तक पूरी कर लेने की घोषणा के बावजूद शिक्षा विभाग के अधिकारी साल के अंत तक भर्ती प्रक्रिया पूरी नहीं कर सके। जीआईसी में शिक्षक भर्ती केलिए 27 लाख से अधिक आवेदन आए हैं।े प्रदेश के उच्च प्राथमिक विद्यालयों में खाली 29 हजार से अधिक विज्ञान-गणित के शिक्षकों की चयन प्रक्रिया लगभग पूरी होने के बाद भी चयनित शिक्षकों को नियुक्ति पत्र जारी नहीं हो सका। इसके विपरीत शिक्षामित्रों के लिहाज से यह साल अच्छा रहा। सरकार के निर्णय के बाद अब तक 58 हजार शिक्षा मित्रों को सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित करके प्राथमिक विद्यालयों में पद स्थापित कर दिया गया।
एसएससी की साख पर लगा सवालिया निशान
प्रतियोगी छात्रों के बीच अच्छी छवि रखने वाले एसएससी की साख को भी इस साल ग्रहण लग गया। आयोग की हर परीक्षा के बाद प्रश्नपत्र आउट होने और परीक्षा परिणाम में गड़बड़ी के आरोप लगने लगे। आयोग की ओर से सीजीएल-2013 के रिजल्ट को निरस्त करने के साथ दोबारा परीक्षा कराई गई। इस परीक्षाफल पर भी परीक्षार्थियों ने सवाल उठाए। परीक्षा केन्द्रों पर जैमर लगाने तथा वीडियो रिकार्डिंग की व्यवस्था की गई लेकिन सुधार बहुत कम हुआ।
लोक सेवा आयोग का विवादों से नहीं छूटा पीछा
लोक सेवा आयोग का पूरे वर्ष विवादों से पीछा नहीं छूटा। हालांकि इन विवादों के बीच ही लोक सेवा आयोग ने पीसीएस की दो भर्ती को पूरा करने केसाथ सत्र नियमित करने में बड़ी सफलता हासिल की। 2014 में ही आयोग ने लोअर सबार्डिनेट परीक्षा के पैटर्न में बदलाव के बाद सफलतापूर्वक परीक्षा का आयोजन कराया। इसके साथ ही आयोग ने सीधी भर्ती के हजारों पदों पर चयन प्रक्रिया पूरी की लेकिन चयन के बाद गड़बड़ी के तमाम आरोप लगाए गए।
शिक्षण संस्थानों में रहा शिक्षकों का टोटा, फंसी रही 72 हजार प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती
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