शार्टकट के फेर में फंसा कितनों का कैरियर
(UPMSSCB /UPSESSB : Shortcut in Teachers Fake Selection spoils future of Many Candidates)
मुरादाबाद। बैकडोर से इंट्री कितनी खतरनाक हो सकती है यह दो साल नौकरी कर चुके उन शिक्षकों की हालत देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है जिनका कैरियर तबाह हो गया। उन्होंने लाखों रुपये खर्च कर सुनहरे भविष्य का सपना देखा होगा लेकिन अब वह पैदल हैं। संभव है कि वह जान भी नहीं पाए हों कि उनकी नियुक्तियां फर्जी हो रही हैं। पैसा लेने वालों ने तो यही कहा होगा कि नियुक्ति सही हो रही है लेकिन वह घोटालों के जाल में इस कदर फंस गए कि निकल नहीं सकते। पिछले तीन सालों के मामले सामने तो मुरादाबाद में ही आ गए हैं। कितने सालों से यह फर्जी नियुक्तियां हो रही हैं यह तो जांच के बाद ही खुलेगा।
पिछले दिनों मुरादाबाद में फर्जी तरीके से नकली प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी हथियाने वाले 13 शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया गया था। अब नया मामला इंटर कालेज में भी आया है तो चौंकाने वाला है।
दरअसल यहां तो फेल को ही नियुक्ति दिला दी गई। अब यह कितने बड़े पैमाने पर हुआ है यह तो पता नहीं लेकिन कई सालों से यह खेल चल रहा है इसका पता इसलिए चल रहा है क्योंकि मुरादाबाद में जो फर्जी नियुक्तियां हुई हैं वह 2009 तक की है यानी इतने सालों में कई बार भर्तियां तो हुई होंगी। बोर्ड ने दस सालों की नियुक्तियों के रिकार्ड की जांच कर रहा है। माना जा रहा है कि ऐसे न जाने कितने शिक्षक बर्खास्तगी के दायरे में आएंगे।
मुरादाबाद। परिणाम देखकर आयोग के फैसले पर हमेशा चुप रह जाने वाले अभ्यर्थियों को यह घोटाला सुनकर निराशा हाथ लगेगी। वह तो डिजर्व करते थे लेकिन पैसों के फेर में उन्हें किनारे लगा दिया गया। निश्चित तौर पर जो असली थे वह भी पास हुए होंगे लेकिन उनके पैनल को आयोग में ही फाड़कर फेंक दिया गया होगा। अब आयोग उनके लिए क्या फैसला करेगा बाद की बात है।
लाखों अभ्यर्थी टीजीटी और पीजीटी परीक्षा में बैठते हैं। बाद में उनमें छंटनी होकर इंटरव्यू काल होता है और फिर उनके नाम की लिस्ट जिलों में भेजी जाती है। कागजी खेल में माहिर सरगना यह होने नहीं देते और अपने नामों की सूची भेज देते हैं। जाहिर है कि इसके लिए पास हो चुके अभ्यर्थियों के नाम भी काटे जरूर जाते होंगे। लिस्ट में नाम न देखकर टापर अभ्यर्थी तो यही सोचता होगा कि उसकी कमी के कारण ही उसका चयन नहीं हुआ जबकि होता है उनके साथ खेल। ऐसे कितनों लोगों के फर्जी नाम काटे गए हैं यह जांच की जा रही है। अगर उनमें कुछ पास होंगे तो संभव है कि उन्हें नौकरी के लिए काल किया जाए।
आरएन इंटर कालेज मुरादाबाद
हरेंद्र सिंह -- 1 अगस्त 2010
पूनम रानी(प्रवक्ता) दो जून 2010
सेबा बानो (प्रवक्ता) - ज्वाइन नहीं गांधी स्मारक इंका सुरजन नगर
धीरेंद्र कुमार 11 नवंबर 2009
कृषक उपकारक इंटर कालेज सदरपुर मतलबपुर
कमलेश प्रताप चंदेल 156210
जयपाल सिंह 23 जनवरी 2010
देवेंद्र सिंह 25 जनवरी 2010
एसएस इंटर कालेज नरौली चंदौसी (भीमनगर)
सुनील मित्तल -- ज्वाइन नहीं किया
मार्कंडेय सिंह --- 12 जून 2010
मुरादाबाद। टीईटी परीक्षा में खेल के पकड़ने के बाद शिक्षा सचिव की गिरफ्तारी के बाद ही टीजीटी परीक्षा में भी फर्जीवाड़ा पकड़ा था। परीक्षा में फेल छात्रों को न केवल इंटरव्यू की सूची शामिल किया गया बल्कि उन्हें चयनित घोषित किया गया। अभ्यर्थियों न सफल उम्मीदवारों की सूची पर आपत्ति जताई थी।
इसके साथ ही कोर्ट जाने की तैयारी भी कर ली थी। इसमें माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के सदस्य की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए गए हैं।
इस घोटाले से कई वर्ष पूर्व से ही चयन बोर्ड में अवैध नियुक्तियों का खेल चल रहा था। सितंबर में बोर्ड ने सभी जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालयों से पिछले दस सालों के मूल पैनल मंगाए थे। जिसमें मिलान के बाद बड़ी संख्या में अवैध नियुक्तियों के खेल का खुलासा हुआ। मुरादाबाद में हुई नौ नियुक्तियां 2009 से शुरू हुई हैं। जिसमें दो की नियुक्ति अभी बाकी है। इसमें टीजीटी और पीजीटी दोनों परीक्षाओं से उत्तीर्ण होने वाले अभ्यर्थी शामिल हैं।
News : Amar Ujala (28.2.12)
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