याचिका पर नहीं हो सकी सुनवाई
(UPTET Allahabad Highcourt : Hearing on Writ Postponed for Next Date /Listing)
इलाहाबाद। टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की सहायक अध्यापक पदों पर भर्ती को लेकर दाखिल याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई नहीं हो सकी। इस मामले पर सुनवाई के लिए अब दूसरी तिथि नियत की जाएगी। उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट ने सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए जारी विज्ञापन पर रोक लगा रखी
टीईटी मामले में फंसे कई जेडी -
तीन उप शिक्षा निदेशकों और क्षेत्रीय कार्यालयों के आठ बाबुओं से भी पूछताछ
इलाहाबाद। शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) में धांधली को लेकर चल रही जांच में कई मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक (जेडी) भी फंस गए हैं।
आरोप है कि जेडी स्तर के कई अधिकारियों ने टीईटी को नौकरी की गारंटी बताकर अभ्यर्थियों से वसूली की और उनके नंबर बढ़वाने के लिए बोर्ड के बाबुओं पर दबाव बनाया। माध्यमिक शिक्षा निदेशक की गिरफ्तारी से पहले और बाद में पूछताछ के दौरान बाबुओं ने जांच टीम को ऐसी कई और जानकारियां दी हैं। सूत्रों की माने तो बाबुओं ने कई अधिकारियों का नाम जांच टीम को बताया है।
संयुक्त शिक्षा निदेशकों के साथ इस मामले में तीन उप शिक्षा निदेशकों और क्षेत्रीय कार्यालयों से जुड़े आठ बाबुओं का नाम भी जुड़ा है। टीम ने पूछताछ के लिए इजाजत मांगी है। अधिकारियों की माने तो निदेशक ने भी कई अधिकारियों का नाम लिया है जिसके आधार पर बोर्ड के कई अधिकारियों से लगातार तीन दिन से पूछताछ चल रही है।
बाबुओं ने जांच टीम को बताया है कि कुछ अधिकारियों ने ओएमआर शीट में जानबूझकर गड़बड़ियां कराईं और नंबर बढ़ाने के लिए भारी रकम वसूली। बाबुओं ने पांच संयुक्त शिक्षा निदेशकों पर लगभग एक हजार अभ्यर्थियों से वसूली करने और उनके नंबर बदलवाने का आरोप लगाया है। बाबुओं का दावा है कि उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया तो अधिकारियों ने एजेंसी से नंबर बदलवाए। एजेंसी के कारण ही पांच दफे संशोधन करना पड़ा। दोबारा संशोधन के बाद वेबसाइट पर सवालों के जवाब न देने का कारण भी यही था। कुछ चुनिंदा रोलनंबर के सामने मनमाने अंक चढ़वा दिए गए, जिसे सही साबित करना आसान नहीं था।
संजय की गिरफ्तारी में छिपे हैं कई राज
जिम्मेदारी दिलाने वालों ने काटी कन्नी
लखनऊ। टीईटी पास कराने के आरोप में हुई संजय मोहन की गिरफ्तारी के पीछे कई राज हैं। बसपा सरकार के खास समझे जाने वाले संजय मोहन की गिरफ्तारी किसी के गले नहीं उतर रही है। शिक्षा विभाग के छोटे कर्मचारी से लेकर बड़ी अधिकारी तक इसे हजम नहीं कर पा रहे हैं। विभागीय अधिकारी यही कह रहे हैं कि टीईटी पास कराने और नंबर बढ़ाने का तो बहाना है। उनकी गिरफ्तारी के पीछे असली वजह कुछ और ही है। अगर पीछे मुड़कर देखें तो संजय मोहन का वह बयान कि बाहर आने पर मुंह खोलूंगा, किसी बड़े राज की ओर इशारा कर रहा है।
शिक्षा विभाग में मौजूदा समय निदेशक स्तर के दो ही अधिकारी हैं। संजय मोहन और दिनेश चंद्र कनौजिया। विभाग में इन दोनों अफसरों का कोई जोड़ नहीं है। संजय मोहन माध्यमिक और दिनेश चंद्र कनौजिया बेसिक शिक्षा के मास्टर माइंड हैं। इसलिए पिछले 10 सालों से आई सरकारों ने इन अधिकारियों को विशेष रूप से तवज्जो दी।
आखिर किसने दिया था बचाने का आश्वासन
लखनऊ। संजय मोहन को किसने आफिस में बैठकर काम करने का आश्वासन दिया है, अब यह सवाल उनके घरवाले उनके शुभचिंतकों से पूछते नजर आ रहे हैं। बताया जाता है कि त्वरित महिला साक्षरता संस्था के संचालक रामशंकर और राज्य संसाधन केंद्र के सहायक निदेशक नरेंद्र प्रताप की गिरफ्तारी के बाद से ही संजय मोहन को अपनी गिरफ्तारी का भय सताने लगा था। बताया जाता है कि वह पंचम तल से जुड़े इस अधिकारी के लगातार संपर्क में थे। मंगलवार को उन्होंने चुनिंदा जानने वालों से कहा कि अब सब ठीक है।
News : Amar Ujala (11.1.12)
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