न्यायालय की शरण लेंगे टीईटी अभ्यर्थी
(UPTET : TET Candidates will be forced to Go in Supreme Court, If Recruitment Process not Starts )
सैदपुर (गाजीपुर) : टीईटी उत्तीर्ण छात्रसंघ की रविवार को संजय वन पार्क में हुई बैठक में उपाध्यक्ष संजय कुमार ने कहा कि किसी भी कीमत पर टीईटी निरस्त नहीं होने देंगे। यदि यह परीक्षा निरस्त होगी तो करीब तीन लाख अभ्यर्थी सड़क पर उतरने को बाध्य होंगे। आरोप लगाया कि परीक्षा में फेल हुए करीब चार लाख अभ्यर्थी परीक्षा निरस्त कराना चाहते हैं व भ्रामक प्रचार कर रहे हैं ताकि उन्हें पुन: मौका मिल जायेगा। कहा,
जरूरत पड़ी तो हम लोग कोर्ट भी जायेंगे। बैठक में बबलू सोनकर, सुनील कुमार, प्रकाश, मनोज कुमार, शिवजी राय, शिवाजी यादव आदि शामिल रहे।
कासिमाबाद : डाकबंगला परिसर में टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की बैठक में भर्ती प्रक्रिया में हो रही धांधली की बात सामने आने पर रोष व्यक्त किया। बैठक में निर्णय हुआ कि अगर सरकार ने सकारात्मक रुख अपनाते हुए भर्ती प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ाया तो अभ्यर्थी सुप्रीमकोर्ट में जाने को बाध्य होंगे। बैठक में राजू सिंह, मदन राय, गुड्डू खरवार, रविप्रकाश पांडे, प्रमोद कुशवाहा ने विचार व्यक्त किया। अध्यक्षता शक्ति कुमार व संचालन संतोष गुप्ता ने किया।
News : Jagran (12.2.12)******************
टीईटी सफल अभ्यर्थियो ने जताया रोष
बेवर (मैनपुरी): नगर में टीईटी के सफल अभ्यर्थियों की बैठक गुरूकुल टयूशन सेन्टर पर संपन्न हुई जिसमें प्रशासन की ढुलमुल नीतियों पर रोष व्यक्त किया गया। बैठक की अध्यक्षता कर रहे कमल पाण्डेय ने कहा कि प्रशासनिक अधिकारियों के भ्रष्टाचार के कारण सफल अभ्यर्थी मानसिक एवं शारीरिक रूप से टूट चुके है। उन्होने कहा कि यदि इस परीक्षा को निरस्त किया गया तो न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगें। अखलेश यादव ने कहा कि ऐसे हजारों अभ्यर्थी जो अध्यापक बनने के लिहाज से उम्र के अंतिम पड़ाव पर हैं, परीक्षा निरस्त होने पर उनका भविष्य अंधकारमय हो जायेगा। अमित दुबे ने कहा कि समाज निर्माता शिक्षको की भर्ती में धांधली होना बेहद शर्मनाक है। अतुल दुबे व विनय शर्मा ने कहा कि सरकार टीईटी परीक्षा में हुई धाधली की जांच करवाकर दोषी अधिकारियों व भ्रष्टाचार में लिप्त कथित अभ्यर्थियों के विरूद्ध कानूनी कार्यवाही कर शेष भर्ती प्रक्रिया को सुचारू रूप से चलाये अमित राठौर ने कहा कि परीक्षा की तैयारी से लेकर आवेदन करने तक एक-एक अभ्यर्थी हजारों रूपये खर्च कर चुका है, और बिना किसी गलती के मानसिक रूप से पीडित है। बैठक में प्रमोद सिंह, संतोष यादव, विकास सक्सेना, विजय राठौर, सौरभ प्रताप, योगेन्द्र पाल, विवेक यादव, अमित राना, मिलाप सिंह, उपेन्द्र सिंह, गौरव प्रताप सिंह, सिन्टू यादव, अभिषेक सैनी, अजीत दीक्षित, अमित दीक्षित, राहुल, सचिन शाक्य आदि लोग उपस्थित थेNews : Jagran (12.2.12)
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नियुक्ति की मांग कर रहे टीईटी अभ्यर्थी
फैजाबाद, शिक्षक पात्रता परीक्षा में शिक्षा निदेशक स्तर से धांधली बरते जाने और उनकी गिरफ्तारी होने से टीईटी अभ्यर्थियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। एक धड़े ने जहां टीईटी परीक्षा ही निरस्त करने की मांग करना शुरू कर दी है वहीं परीक्षा पास करने वाले अधिकांश अभ्यर्थी परीक्षा निरस्त कराने की बजाय जल्द से जल्द नियुक्ति करने की मांग कर रहे हैं। टीईटी परीक्षा उत्तीर्ण अभ्यर्थियों ने गुलाबबाड़ी में बैठक कर टीईटी उत्तीर्ण संघर्ष मोर्चा बना डाला है। इस दौरान हुई बैठक की अध्यक्षता अनिल मौर्य ने तथा संचालन अनिल कुमार तिवारी ने किया। बैठक में अभ्यर्थियों ने शिक्षकों की नियुक्ति में हो रही देरी पर रोष जताया। अभ्यर्थियों का कहना है कि परीक्षा की पवित्रता को तार तार करने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए लेकिन परीक्षा निरस्त नहीं करनी चाहिए। ऐसा करने से लाखों अभ्यर्थियों का नुकसान होगा। परीक्षा निरस्त करने की मांग को गलत और असंवैधानिक करार दिया गया। अभ्यर्थियों का यह भी कहना था कि ऐसे अभ्यर्थियों का कोई दोष नहीं था जिनके लिए यह अंतिम मौका था और परीक्षा पास कर उन्होंने सरकारी अध्यापक बनने का सपना संजो रखा था।News : Jagran (12.2.12)
टीईटी: परीक्षा व्यवस्था में भी गोलमाल!
कानपुर, शिक्षा संवाददाता: अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी) परिणाम में तो घपले हुए ही हैं, शिक्षकों व कर्मचारियों को मिलने वाले पारिश्रमिक को लेकर भी गोलमाल हुआ। कई केंद्रों को केंद्र व्यय नहीं मिला तो कई शिक्षकों को कम पारिश्रमिक पर संतोष करना पड़ा।
13 नवंबर को हुई टीईटी के लिए पहले घोषित किया गया था कि एक कक्ष में दो शिक्षकों की ड्यूटी लगाई जायेगी। बाद में नियम बना दिया कि 35 से कम अभ्यर्थियों वाले कक्षों में एक शिक्षक के हिसाब से पारिश्रमिक दिया जायेगा। नतीजतन पूरे प्रदेश में आधे से अधिक केंद्रों के कुल पारिश्रमिक में 4,500 से 8,000 रुपये तक की कटौती कर भुगतान किया गया। केंद्र व्यवस्थापक हर कक्ष में दो शिक्षकों की ड्यूटी लगा चुके थे जिसके चलते उन्हें सभी शिक्षकों को पारिश्रमिक देना पड़ा। यह व्यवस्था पारिश्रमिक में 50 से 80 रुपया तक कटौती कर हो सकी।
पहले शासन ने कहा था कि शिक्षकों को प्रति पाली 500 रुपये पारिश्रमिक मिलेगा। बाद में इसे प्रतिदिन कर दिया गया। कई केंद्रों पर एक तो कई में दो पालियों में परीक्षा हुई। तमाम शिक्षक एक पाली कर 500 रुपया पारिश्रमिक पा गये तो कई को दो पालियों में ड्यूटी करने पर 500 रुपया मिला। कई कालेजों को जेनरेटर, फर्नीचर आदि का खर्च भी शिक्षकों के पारिश्रमिक से निकालना पड़ा।
उधर सवाल उठाया जा रहा है कि दूसरे प्रदेशों में कम शुल्क में परीक्षा हुई तो यहां प्रति छात्र 500 रुपया शुल्क क्यों लिया गया? प्रधानाचार्य कहते हैं कि अधिकारियों ने क्वालीफाई छात्रों को प्रमाणपत्र डाक से अथवा नेट से देने को कहा था परंतु अब राजकीय इंटर कालेजों के माध्यम से अभ्यर्थियों की लाइन लगवा कर प्रमाणपत्र बांटे जा रहा है। यहां राजकीय इंटर कालेज में 53,000 अभ्यर्थियों के प्रमाणपत्र वितरित होने हैं। दूर दराज से आकर अभ्यर्थी लाइन में लगते हैं। उनको समय, श्रम व धन अलग से खर्च करना पड़ रहा है। विभाग ने डाक खर्च भी बचा लिया।
धरने में उठा था मुद्दा
उप्र. प्रधानाचार्य परिषद के संरक्षक यज्ञदत्त शर्मा ने लखनऊ में प्रधानाचार्यो के धरने में इस मुद्दे को उठाया था। तत्कालीन निदेशक संजय मोहन से वार्ता भी हुई थी। आश्वासन के बाद भी शिक्षकों को प्रति पाली 500 रुपया नहीं दिया गया।
'नियम स्पष्ट न होने से कई केंद्रों के कक्ष निरीक्षकों को पूरा पारिश्रमिक नहीं मिल पाया। कुछ केंद्रों को पूरा केंद्र व्यय भी नहीं मिला। 500 रुपया प्रति पाली पारिश्रमिक की बात थी परंतु दो पालियों व एक पाली में कक्ष निरीक्षण करने वालों को बराबर बराबर पारिश्रमिक मिला।'
- डॉ. वेदानंद त्रिपाठी, प्रदेश अध्यक्ष प्रधानाचार्य परिषद
News : Jagran (12.2.12)13 नवंबर को हुई टीईटी के लिए पहले घोषित किया गया था कि एक कक्ष में दो शिक्षकों की ड्यूटी लगाई जायेगी। बाद में नियम बना दिया कि 35 से कम अभ्यर्थियों वाले कक्षों में एक शिक्षक के हिसाब से पारिश्रमिक दिया जायेगा। नतीजतन पूरे प्रदेश में आधे से अधिक केंद्रों के कुल पारिश्रमिक में 4,500 से 8,000 रुपये तक की कटौती कर भुगतान किया गया। केंद्र व्यवस्थापक हर कक्ष में दो शिक्षकों की ड्यूटी लगा चुके थे जिसके चलते उन्हें सभी शिक्षकों को पारिश्रमिक देना पड़ा। यह व्यवस्था पारिश्रमिक में 50 से 80 रुपया तक कटौती कर हो सकी।
पहले शासन ने कहा था कि शिक्षकों को प्रति पाली 500 रुपये पारिश्रमिक मिलेगा। बाद में इसे प्रतिदिन कर दिया गया। कई केंद्रों पर एक तो कई में दो पालियों में परीक्षा हुई। तमाम शिक्षक एक पाली कर 500 रुपया पारिश्रमिक पा गये तो कई को दो पालियों में ड्यूटी करने पर 500 रुपया मिला। कई कालेजों को जेनरेटर, फर्नीचर आदि का खर्च भी शिक्षकों के पारिश्रमिक से निकालना पड़ा।
उधर सवाल उठाया जा रहा है कि दूसरे प्रदेशों में कम शुल्क में परीक्षा हुई तो यहां प्रति छात्र 500 रुपया शुल्क क्यों लिया गया? प्रधानाचार्य कहते हैं कि अधिकारियों ने क्वालीफाई छात्रों को प्रमाणपत्र डाक से अथवा नेट से देने को कहा था परंतु अब राजकीय इंटर कालेजों के माध्यम से अभ्यर्थियों की लाइन लगवा कर प्रमाणपत्र बांटे जा रहा है। यहां राजकीय इंटर कालेज में 53,000 अभ्यर्थियों के प्रमाणपत्र वितरित होने हैं। दूर दराज से आकर अभ्यर्थी लाइन में लगते हैं। उनको समय, श्रम व धन अलग से खर्च करना पड़ रहा है। विभाग ने डाक खर्च भी बचा लिया।
धरने में उठा था मुद्दा
उप्र. प्रधानाचार्य परिषद के संरक्षक यज्ञदत्त शर्मा ने लखनऊ में प्रधानाचार्यो के धरने में इस मुद्दे को उठाया था। तत्कालीन निदेशक संजय मोहन से वार्ता भी हुई थी। आश्वासन के बाद भी शिक्षकों को प्रति पाली 500 रुपया नहीं दिया गया।
'नियम स्पष्ट न होने से कई केंद्रों के कक्ष निरीक्षकों को पूरा पारिश्रमिक नहीं मिल पाया। कुछ केंद्रों को पूरा केंद्र व्यय भी नहीं मिला। 500 रुपया प्रति पाली पारिश्रमिक की बात थी परंतु दो पालियों व एक पाली में कक्ष निरीक्षण करने वालों को बराबर बराबर पारिश्रमिक मिला।'
- डॉ. वेदानंद त्रिपाठी, प्रदेश अध्यक्ष प्रधानाचार्य परिषद
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