Friday, March 30, 2012

UPTET : UP Primary Teacher Recruitment

उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षा भर्ती
(UPTET : UP Primary Teacher Recruitment )

आज हर जगह उत्तर प्रदेश में टी ई टी अभ्यर्थी अपनी भर्ती को लेकर चिंतित हैं |
कुछेक का मानना है की अगर उन्होंने भर्ती की सभी शर्तें नियमानुसार पूरी की हैं तो आगे भर्ती प्रक्रिया होने के बजाये , भर्ती के नियम बदलने जैसी बातें क्यूँ हो रही हैं अगर कहीं घोटाला हुआ है तो उसकी जाँच कराकर सिर्फ दोषीओं को सजा दी जानी चाहिए |


कुछ लोग न्यायलय में भी जाने का मन बना रहे हैं और तर्क दे रहे हैं की उन्होंने भर्ती की शर्तें पूरी की हैं और उनको नोकरी दी जाये |
उन्होंने कोई घोटाला / बेईमानी नहीं किया है | ये मामला भी सीधे सीधे जनहित / लाखों लोगों से जुदा है और या कहें की करोड़ों भारतीओं से क्योंकी शिक्षा का अधिकार लागु होने के बाद भी
हर साल लाखों बच्चे शिक्षा के अधिकार से वंचित रह जाते हैं क्योंकी विद्यालय में योग्य शिक्षकों का आभाव है | कई सालों से प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती नहीं हुई , जबकी शिक्षा का अधिकार आने से मांग कई गुना बड गयी है


अगर ये मामला न्यायलय में जाता है तो नियम परिवर्तन और भी ज्यादा मुश्किल है जो की अभी भी सरकार के लिए ये एक मुश्किल से कम नहीं |
और ऐसा नियम परिवर्तन होना भी नहीं चाहिए अन्यथा ये तो अभ्यर्थीओं के भविष्य से खिलवाड़ होगा |
शिक्षा विभाग को नियम तय करने से पहले सोचना चाहिए था की चयन का आधार क्या हो , न्यायलय ने भी टीईटी के पक्ष में टिपण्णी दी हैं और इसके विरुद्द याचिकाओं को निरस्त भी किया है |
(अकादमिक वर्सस टीईटी, टीईटी मार्क्स के चयन को आधार न बनाये जाने के विरोध मैं - जिसमें लोगों ने दलील दी थी की टीईटी सिर्फ पात्रता परीक्षा है और इसके आधार पर चयन गलत है )
न्यायलय ने ये भी कहा की टीईटी अभ्यर्थीओं को संदेह की नजरों से नहीं देखा जाना चाहिए


एन सी टी ई ने भी कहा की टीईटी सिर्फ पात्रता परीक्षा नहीं है इसके अंकों को चयन में महत्व दीया जाना चाहिए , लेकिन आज भी इस तरह के बयान आते हैं की टीईटी सिर्फ पात्रता परीक्षा है,
क्या यह न्यायलय की अवमानना नहीं है और टीईटी मेरिट होल्डर्स का मजाक नहीं है | ऐसा कहाँ की जहाँ टीईटी  अंकों को चयन में कोई महत्व नहीं दीया जा रहा है चाहे - के वी एस की भर्ती हो , एस एस ए चंडीगढ़ या राजस्थान ग्रेड थ्री अध्यापक भर्ती हो |


अकादमिक परीक्षा में यु पी बोर्ड , सी बी एस ई बोर्ड से सालों से पिछड रहा है तो अकादमिक अंकों पर चयन तर्क न्याय संगत नहीं हैं | डिपार्टमेंट ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलोजी ( केंद्र सरकार ) ने तो यु पी बोर्ड , सीबीएसई बोर्ड को बराबर न मानते हुए स्केलिंग व्यस्था कर रखी है जो सालों से चल रही है आप खुद देखीए -


तो यु पी सरकार अपने ही बोर्ड के छात्रों के साथ ऐसा भेदभाव क्यों करती है , क्या ऐसा है की जो नियम बनाते हैं ( आई ए एस , पी सी एस ) उनके बच्चे सीबीएसई बोर्ड में पद रहे हैं |
हाल में ही कुछ फर्जी युनीवर्सिटीओं के घोटाले सामने आये जिसमें सम्पूर्णानन्द , माध्यमिक शिक्षा मंडल प्रमुख हैं देखीये न्यायलय ने क्या टिपण्णी की है -

तो क्या अकादमिक को आधार बनाना तर्क संगत होगा हालांकी कुछ श्रेणी, उच्च शिक्षा आदि को वेटेज ( अगर इंटरव्यू नहीं हो रहे हैं ) दिया जा सकता है लेकिन ये नियम भर्ती से पहले स्पष्ट होना चाहिए | और युपी बोर्ड , सीबीएसई बोर्ड के अंकों को स्केलिंग पद्दति से ले कर बराबरी का मोका तो कम से कम देना चाहिए


अदालत में जो स्टे लगा है वो विज्ञापन के अधिकार को लेकर है न की चयन के आधार को लेकर (अगर किसी को और अधिक जानकारी है तो वह कमेन्ट के माध्यम से सूचित कर सकता है )

अगर टीईटी अभ्यर्थी न्यायलय जाते हैं तो उनका तर्क है की जीत संभावित है , पर न्यायिक प्रक्रीयाओं में समय काफी लगता है पर ये मामला जनहित से जुड़ा होने के कारण हो सकता हैं की फेसला जल्दी भी आ जाये |

पर टीईटी अभ्यर्थीओं का प्रयास है की सरकार बातचीत से राजी हो जाये और इस कारण हजारों अभ्यर्थी लखनऊ में धरने पर बेठे हैं

अब आगे देखना ये है की ये मामला किस और जाता है 

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