Adhoc Teacher Post Recruitment Matter in UP : तदर्थ अध्यापकों का मामला
यूपी सरकार की याचिका पर नोटिस जारी
•सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश को दी है चुनौती
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के अनुदानित डिग्री कॉलेजों में तदर्थ (एडहॉक) स्तर पर रखे गए अध्यापकों को स्थायी के समान वेतन दिए जाने के हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया है। सर्वोच्च अदालत ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार की ओर से दायर याचिका पर सभी प्रतिपक्षों से चार सप्ताह में जवाब तलब किया है।
जस्टिस एचएच गोखले की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष राज्य सरकार की ओर से पेश हुए अधिवक्ता ने कहा कि हाईकोर्ट का आदेश उचित नहीं है क्योंकि राज्य में अध्यापकों को तदर्थ स्तर पर रखने की योजना को खत्म किया जा चुका है। उन्होंने पीठ को बताया कि राज्य के अनुदानित डिग्री कॉलेजों में रखे गए तदर्थ अध्यापकों को पहले सौ रुपये प्रति घंटा या अधिकतम पांच हजार रुपये मानदेय ही दिया जाता था। राज्य सरकार ने 11 सितंबर, 2006 में मानदेय बढ़ाकर 8000 रुपये कर दिया था। यह बढ़ोत्तरी हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक की गई थी। याद रहे कि राज्य के अनुदानित डिग्री कॉलेजों में एड-हॉक पर हजार से अधिक अध्यापकों की नियुक्ति की गई थी। राज्य सरकार ने कहा कि 2008 में इस मसले पर फिर से एक जनहित याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई। 6 जनवरी, 2009 को हाईकोर्ट ने तदर्थ अध्यापकों का मानदेय आठ हजार और भत्ते कर दिया गया। मगर अध्यापकों ने फिर से हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए स्थायी अध्यापकों के समान वेतन तदर्थ शिक्षकों को देने का आदेश राज्य सरकार को जारी कर दिया। जबकि राज्य सरकार ने 29 मार्च, 2011 शासनादेश जारी कर तदर्थ स्तर पर अध्यापकों के रखे जाने की व्यवस्था खत्म कर दी थी। पीठ ने अधिवक्ता के तर्क से सहमति जताते हुए प्रतिपक्षों को नोटिस जारी कर दिया। गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने 22 दिसंबर, 2012 के गौरव मिश्रा के मामले में समान वेतन देने का आदेश दिया, जिसके खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
News Source / Sabhaar : अमर उजाला (12.05.2013)
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What I think -
Adhoc Post are for Particular Purpose used in promotion where as candidate is not actually entitled for the post on permanent basis.
In these days even supreme court comments can't make any changes in Govt. Decisions and if they change their decision it takes 10 to 15 years.....after a generation changed
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