वित्तविहीन शिक्षक भी बन सकेंगे जीआईसी प्रिंसिपल
लखनऊ : राजकीय इंटर कॉलेजों में प्रधानाचार्यों के रिक्त पदों को भरने के लिए मानक (अर्हता) बदलने की तैयारी है। मौजूदा समय सरकारी व सहायता प्राप्त में लगातार तीन साल तक नौकरी करने वाले शिक्षक ही पात्र माने गए हैं। राज्य सरकार यह अनिवार्यता समाप्त करते हुए वित्तविहीन शिक्षकों को भी इसके लिए पात्र मानने जा रही है। इसके लिए प्रधानाचार्य भर्ती नियमावली में संशोधन की तैयारी है। प्रदेश में 563 राजकीय इंटर कॉलेज व 1021 माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत खुले राजकीय हाईस्कूल हैं। इनमें प्रधानाचार्य के सभी पदों पर भर्ती होनी है और जीआईसी में करीब 175 पद खाली हैं। जीआईसी प्रधानाचार्य के कुल पदों में 50 प्रतिशत सीधी भर्ती से तथा इतने ही पदों को पदोन्नति से भरने की व्यवस्था है।
सीधी भर्ती के लिए राजकीय व सहायता प्राप्त स्कूलों में तीन साल तक शिक्षक रहने वाले को ही पात्र माना गया है। इसके चलते प्रधानाचार्य के पदों पर भर्ती के लिए पात्र नहीं मिल पा रहे हैं। माध्यमिक शिक्षा विभाग सरकारी और सहायता प्राप्त की अनिवार्यता समाप्त करते हुए इसके लिए वित्तविहीन शिक्षकों को भी पात्र मानने जा रहा है। इसके लिए विभागीय स्तर पर हुई अधिकारियों की बैठक में सहमति बन गई है। कार्मिक और वित्त विभाग से मंजूरी लेने के बाद नियमावली संशोधन संबंधी प्रस्ताव कैबिनेट मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।
News Sabhar : Amar Ujala (30.9.14)
लखनऊ : राजकीय इंटर कॉलेजों में प्रधानाचार्यों के रिक्त पदों को भरने के लिए मानक (अर्हता) बदलने की तैयारी है। मौजूदा समय सरकारी व सहायता प्राप्त में लगातार तीन साल तक नौकरी करने वाले शिक्षक ही पात्र माने गए हैं। राज्य सरकार यह अनिवार्यता समाप्त करते हुए वित्तविहीन शिक्षकों को भी इसके लिए पात्र मानने जा रही है। इसके लिए प्रधानाचार्य भर्ती नियमावली में संशोधन की तैयारी है। प्रदेश में 563 राजकीय इंटर कॉलेज व 1021 माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत खुले राजकीय हाईस्कूल हैं। इनमें प्रधानाचार्य के सभी पदों पर भर्ती होनी है और जीआईसी में करीब 175 पद खाली हैं। जीआईसी प्रधानाचार्य के कुल पदों में 50 प्रतिशत सीधी भर्ती से तथा इतने ही पदों को पदोन्नति से भरने की व्यवस्था है।
सीधी भर्ती के लिए राजकीय व सहायता प्राप्त स्कूलों में तीन साल तक शिक्षक रहने वाले को ही पात्र माना गया है। इसके चलते प्रधानाचार्य के पदों पर भर्ती के लिए पात्र नहीं मिल पा रहे हैं। माध्यमिक शिक्षा विभाग सरकारी और सहायता प्राप्त की अनिवार्यता समाप्त करते हुए इसके लिए वित्तविहीन शिक्षकों को भी पात्र मानने जा रहा है। इसके लिए विभागीय स्तर पर हुई अधिकारियों की बैठक में सहमति बन गई है। कार्मिक और वित्त विभाग से मंजूरी लेने के बाद नियमावली संशोधन संबंधी प्रस्ताव कैबिनेट मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।
News Sabhar : Amar Ujala (30.9.14)
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