UPTET - TET MORCHA KE SADASYA DWARA JANKAREE
BLOG CLARIFICATION >> COURT NE APNE ORDER MEIN KISEE RESERVATION KHATM KARNE KA JIKRA NAHIN KIYA HAI.
SIRF NISCHIT CUT-OFF SE OOPAR KE LOGO KO PEHLE NIYUKTI DENE KA ORDER DIYAA HAI.
BAKI DHANDHLEE ANIYAMITTA AUR DUSRE POINTS PAR AGLEE SUNVAYEE MEIN CHARCHA HOGEE.
LOW CUT-OFF VAALON KE LIYE RAHAT AGLEE SUNVAYEE MILNE KEE POOREE SAMBHAVNA HAI
NIRAHUA>
साथियों !
विगत तीन वर्षों के कठिन संघर्ष का प्रतिफल आंशिक रूप से हमें आज जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस यू यू ललित जी की बेंच से मिल चुका है,,,उपरोक्त आदेश के बारे में हमने अपने सीनियर लॉयर सुधीर चन्द्रा जी के AOR विक्रांत सिंह और हाई कोर्ट अधिवक्ता अभिषेक श्रीवास्तव जी से वार्ता की,,उनके अनुसार निम्न बिन्दु संदर्भित हुए हैं-
(1) यह आदेश मात्र 72825 पदों के सापेक्ष है और इसमें पदों के घटने बढ़ने सम्बन्धी कोई आदेश/निर्देश नहीं दिए गए हैं और ना ही सरकार को ऐसा कोई निर्देश ही जारी किया गया है की वह पदों की संख्या बढ़ाकर निर्धारित टेट मार्क्स की परिधि में आने वाले अभ्यर्थियों को नियुक्त करे।
(2) इस आदेश के तत्काल प्रभाव से अनुसूचित जाति/जनजाति और पिछड़े वर्ग के वे अभ्यर्थी जिनका टेट प्राप्तांक 98 से कम है और सामान्य वर्ग के वे अभ्यर्थी जिनका टेट प्राप्तांक 105 से कम है उनको नियुक्ति का प्रावधान समाप्त किया गया है। राज्य सरकार अपने विवेकाधिकार से आरक्षण नियमों को लागू कर सकती है किन्तु उनपर भी आदेश में उल्लेखित टेट प्राप्तांक लागू किया जाएगा, इसमें कोई राहत उन्हें नहीं दी जायेगी।
(3) जस्टिस दीपक मिश्रा ने राज्य सरकार को अगले छः हफ़्तों में उक्त आवेदकों को नियुक्ति-पत्र देने का कड़ा निर्देश देते हुए कार्यवाही की प्रगति रिपोर्ट दिनाँक 25 फ़रवरी 2014 तक न्यायालय में प्रस्तुत करने का आदेश जारी किया है, साथ ही ऐसा ना करने पर अवमानना की कार्यवाही के भी स्पष्ट संकेत दिए हैं।
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( साथियों ! हाई कोर्ट अधिवक्ता अभिषेक श्रीवास्तव जी से विस्तृत वार्ता के अनुसार वे अनुसूचित जाति/जनजाति एवम् महिला अभ्यर्थी जिनके टेट प्राप्तांक आदेश में उल्लेखित न्यूनतम सीमा से कम हैं और जिन्होंने काउंसलिंग करवा ली है उन्हें इस आदेश से झटका अवश्य लगेगा किन्तु अगली डेट पर रिक्त पदों का हवाला देकर उन्हें राहत जरूर दिलवाई जायेगी,,चूँकि इस बार कोर्ट का रुख काफी हद तक 'टेट वेटेज' की तरफ था और हमें 'टेट मेरिट' बहाल करवाना जरुरी था इसलिए कोर्ट पर न्यूनतम टेट प्राप्तांक को और अधिक लिबरल करने का दबाव बनाना उचित नहीं था,,,लेकिन अगली डेट (दिनाँक 25 फ़रवरी 2014) पर हम इन अभ्यर्थियों को राहत देने का प्रयास जरूर किया जाएगा। एक और अपुष्ट सूचना के अनुसार सरकार अपनी याचिका वापस लेने पर विचार कर रही है,,किन्तु ऐसी स्थिति में भी उसे अवमानना का सामना करना पड़ेगा किन्तु उच्च न्यायालय में।)
साथियों !
जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस यू यू ललित की बेंच से अकेडमिक मेरिट के समूल नाश के अत्यंत सुखदायक आदेश की सत्यापित प्रति हमें आज प्राप्त हो जाने के आसार हैं। सर्वप्रथम तो मैं अपने उन टेट बंधुओं का हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ जिन्होंने टेट अस्मिता पर मँडराते संकट को देख तमाम नकारात्मक बातों को भुलाकर हमारी मदद की और हमारे आह्वान पर रातों-रात हमें इस काबिल बनाया की हम न्याय के सर्वोच्च मंदिर में टेट अस्मिता की मर्यादा कायम रख सके और एक बार पुनः टेट मेरिट की श्रेष्ठता सिद्ध की। इस आदेश से अब एक बात बिलकुल स्पष्ट है की अकेडमिक मेरिट दम तोड़ चुकी है और टेट मेरिट निर्विवाद रूप से अस्तित्व में आ चुकी है,,,,अनुसूचित जाति/जनजाति, विशेष आरक्षण (विकलांग, स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी आश्रित और भूतपूर्व सैनिक स्वयं) एवम् महिला अभ्यर्थी जिनकी काउंसलिंग हो चुकी है किन्तु उनके टेट प्राप्तांक न्यायालय-आदेश में निर्धारित न्यूनतम सीमा से कम हैं उनके लिए भी हमने अपने विचार-विमर्श किया है एवम् अगली डेट पर रिक्त पदों और 'विशेष आरक्षण' का हवाला देते हुए एक मर्सी अपील के तहत राहत दिलाने का प्रयास किया जाएगा,,,,,वैसे भी इस 72825 शिक्षक भर्ती के बाद राज्य सरकार को काफी वैकेंसी निकालनी पड़ेंगी क्योंकि जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस यू यू ललित जी ने 'अनिवार्य बाल शिक्षा' पर जोर देते हुए कौटिल्य समेत कई समाजविदों के कथन प्रस्तुत कर राज्य सरकार को निरुत्तर कर दिया है। साथियों, हम सुप्रीम कोर्ट से विजेता बनकर उभरे हैं जो कि आप सभी टेट बँधुओं के सामूहिक प्रयासों का प्रतिफल है,,,,हमें पूर्ण विश्वास है की भविष्य में भी हमें आप सभी का परम स्नेह और साथ मिलता रहेगा।
धन्यवाद,
जय हिन्द-जय टेट।।
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साथियों !
विगत तीन वर्षों के कठिन संघर्ष का प्रतिफल आंशिक रूप से हमें आज जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस यू यू ललित जी की बेंच से मिल चुका है,,,उपरोक्त आदेश के बारे में हमने अपने सीनियर लॉयर सुधीर चन्द्रा जी के AOR विक्रांत सिंह और हाई कोर्ट अधिवक्ता अभिषेक श्रीवास्तव जी से वार्ता की,,उनके अनुसार निम्न बिन्दु संदर्भित हुए हैं-
(1) यह आदेश मात्र 72825 पदों के सापेक्ष है और इसमें पदों के घटने बढ़ने सम्बन्धी कोई आदेश/निर्देश नहीं दिए गए हैं और ना ही सरकार को ऐसा कोई निर्देश ही जारी किया गया है की वह पदों की संख्या बढ़ाकर निर्धारित टेट मार्क्स की परिधि में आने वाले अभ्यर्थियों को नियुक्त करे।
(2) इस आदेश के तत्काल प्रभाव से अनुसूचित जाति/जनजाति और पिछड़े वर्ग के वे अभ्यर्थी जिनका टेट प्राप्तांक 98 से कम है और सामान्य वर्ग के वे अभ्यर्थी जिनका टेट प्राप्तांक 105 से कम है उनको नियुक्ति का प्रावधान समाप्त किया गया है। राज्य सरकार अपने विवेकाधिकार से आरक्षण नियमों को लागू कर सकती है किन्तु उनपर भी आदेश में उल्लेखित टेट प्राप्तांक लागू किया जाएगा, इसमें कोई राहत उन्हें नहीं दी जायेगी।
(3) जस्टिस दीपक मिश्रा ने राज्य सरकार को अगले छः हफ़्तों में उक्त आवेदकों को नियुक्ति-पत्र देने का कड़ा निर्देश देते हुए कार्यवाही की प्रगति रिपोर्ट दिनाँक 25 फ़रवरी 2014 तक न्यायालय में प्रस्तुत करने का आदेश जारी किया है, साथ ही ऐसा ना करने पर अवमानना की कार्यवाही के भी स्पष्ट संकेत दिए हैं।
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( साथियों ! हाई कोर्ट अधिवक्ता अभिषेक श्रीवास्तव जी से विस्तृत वार्ता के अनुसार वे अनुसूचित जाति/जनजाति एवम् महिला अभ्यर्थी जिनके टेट प्राप्तांक आदेश में उल्लेखित न्यूनतम सीमा से कम हैं और जिन्होंने काउंसलिंग करवा ली है उन्हें इस आदेश से झटका अवश्य लगेगा किन्तु अगली डेट पर रिक्त पदों का हवाला देकर उन्हें राहत जरूर दिलवाई जायेगी,,चूँकि इस बार कोर्ट का रुख काफी हद तक 'टेट वेटेज' की तरफ था और हमें 'टेट मेरिट' बहाल करवाना जरुरी था इसलिए कोर्ट पर न्यूनतम टेट प्राप्तांक को और अधिक लिबरल करने का दबाव बनाना उचित नहीं था,,,लेकिन अगली डेट (दिनाँक 25 फ़रवरी 2014) पर हम इन अभ्यर्थियों को राहत देने का प्रयास जरूर किया जाएगा। एक और अपुष्ट सूचना के अनुसार सरकार अपनी याचिका वापस लेने पर विचार कर रही है,,किन्तु ऐसी स्थिति में भी उसे अवमानना का सामना करना पड़ेगा किन्तु उच्च न्यायालय में।)
साथियों !
जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस यू यू ललित की बेंच से अकेडमिक मेरिट के समूल नाश के अत्यंत सुखदायक आदेश की सत्यापित प्रति हमें आज प्राप्त हो जाने के आसार हैं। सर्वप्रथम तो मैं अपने उन टेट बंधुओं का हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ जिन्होंने टेट अस्मिता पर मँडराते संकट को देख तमाम नकारात्मक बातों को भुलाकर हमारी मदद की और हमारे आह्वान पर रातों-रात हमें इस काबिल बनाया की हम न्याय के सर्वोच्च मंदिर में टेट अस्मिता की मर्यादा कायम रख सके और एक बार पुनः टेट मेरिट की श्रेष्ठता सिद्ध की। इस आदेश से अब एक बात बिलकुल स्पष्ट है की अकेडमिक मेरिट दम तोड़ चुकी है और टेट मेरिट निर्विवाद रूप से अस्तित्व में आ चुकी है,,,,अनुसूचित जाति/जनजाति, विशेष आरक्षण (विकलांग, स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी आश्रित और भूतपूर्व सैनिक स्वयं) एवम् महिला अभ्यर्थी जिनकी काउंसलिंग हो चुकी है किन्तु उनके टेट प्राप्तांक न्यायालय-आदेश में निर्धारित न्यूनतम सीमा से कम हैं उनके लिए भी हमने अपने विचार-विमर्श किया है एवम् अगली डेट पर रिक्त पदों और 'विशेष आरक्षण' का हवाला देते हुए एक मर्सी अपील के तहत राहत दिलाने का प्रयास किया जाएगा,,,,,वैसे भी इस 72825 शिक्षक भर्ती के बाद राज्य सरकार को काफी वैकेंसी निकालनी पड़ेंगी क्योंकि जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस यू यू ललित जी ने 'अनिवार्य बाल शिक्षा' पर जोर देते हुए कौटिल्य समेत कई समाजविदों के कथन प्रस्तुत कर राज्य सरकार को निरुत्तर कर दिया है। साथियों, हम सुप्रीम कोर्ट से विजेता बनकर उभरे हैं जो कि आप सभी टेट बँधुओं के सामूहिक प्रयासों का प्रतिफल है,,,,हमें पूर्ण विश्वास है की भविष्य में भी हमें आप सभी का परम स्नेह और साथ मिलता रहेगा।
धन्यवाद,
जय हिन्द-जय टेट।।
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