जेल पहुंचते ही डिप्रेशन में आ गए संजय मोहन
(UPTET : Sanjay Mohan comes under Depression while reaching to Jail)
TET Exam may be investigated through Vigilenceरमाबाई नगर। टीईटी परीक्षा मामले में गिरफ्तार माध्यमिक शिक्षा परिषद के निलंबित निदेशक संजय मोहन को माती जिला जेल में सामान्य बंदियों वाली बैरक में रखा गया है। जेल के अंदर संजय मोहन थोड़ा डिप्रेशन में रहे। उन्होंने दिन भर किसी से बात नहीं की।
जेल सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक संजय मोहन को सामान्य बैरिक में ही रखा गया है। गुरुवार को उनसे मिलने कोई नहीं पहुंचा। जेल प्रशासन ने संजय मोहन की निगरानी के लिए दो लोगों को बैरिक के पास ही तैनात रखा है। इस बीच उनके ब्लड प्रेशर की भी जांच हुई।
जेल सूत्रों ने बताया कि संजय मोहन जेल में फोन की सुविधा न होने से कुछ परेशान रहे। माती जेल के अधीक्षक विनोद कुमार ने बताया कि संजय मोहन को सामान्य बंदियों की तरह ही रखा गया है। पद की गरिमा का ख्याल रखते हुए उन्हें सामान्य बैरिक में अकेले ही रखा गया है।
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टीईटी के नाम पर छले गए 11 लाख नौजवान,
पूरे मामले की जांच विजिलेंस से कराने की तैयारी
लखनऊ/इलाहाबाद। शिक्षक बनकर परिवार पालने का जो ख्वाब बीएड बेरोजगारों ने देखा था उसे कुछ स्वार्थी अधिकारियों ने भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा दी। उनका न तो बीएड करने का मकसद सफल हुआ और न ही शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) पास करने के बाद कुछ हाथ आया। प्रदेश के 11 लाख 55 हजार बीएड डिग्रीधारी टीईटी में शामिल हुए थे, लेकिन इसमें से मात्र 2 लाख 70 हजार ही इसे पास करने में सफल हुए। टीईटी पास करने के बाद अच्छी मेरिट पाने वाले भी शिक्षक नहीं पाए। उनका सपना तो टूटा ही साथ में टीईटी की पवित्रता पर भी सवालिया निशान लग गए। अब इस परीक्षा की बिजिलेंस से जांच कराने की तैयारी है। ऐसे में टीईटी के निरस्त करने की अधिक संभावना बन रही है।
बेसिक शिक्षा परिषद के प्राइमरी स्कूल में शिक्षक बनने की योग्यता बीटीसी है। स्नातक पास छात्र-छात्राएं दो वर्षीय बीटीसी ट्रेनिंग के लिए पात्र हैं।
प्रदेश में प्रत्येक वर्ष 12 हजार शिक्षक रिटायर होते हैं। पर राज्य सरकारों ने कभी भी सामान्य प्रक्रिया के तहत शिक्षकों की भर्ती नहीं की। भाजपा व सपा हो या फिर बसपा सरकार सभी ने बीएड डिग्रीधारियों को छह माह का विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण देकर शिक्षक बनाना आसान समझा। इसमें मनमाफिक मेरिट का निर्धारण कर अपनों को फायदा पहुंचाया जाने लगा। इस भर्ती प्रक्रिया से फर्जी डिग्री बनाने वालों का धंधा भी खूब चला। इसके चलते ही प्रदेश में बीएड डिग्रधारियों की संख्या बढ़ने लगी। इसमें निजी कॉलेजों का धंधा खूब फला फूला। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने बीएड कॉलेजों के धंधे पर रोक लगाने के लिए विशिष्ट बीटीसी चयन प्रक्रिया पर प्रतिबंध लगा दी।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के बाद एनसीटीई ने राज्यों को जरूरत के आधार पर बीएड डिग्रीधारकों को सीधे शिक्षक रखने की अनुमति दे दी। एनसीटीई ने इस अनुमति के शर्त के साथ दी कि टीईटी पास करने वाला ही शिक्षक बनेगा। शिक्षकों की भर्ती के लिए 1 जनवरी 2012 तक का समय निर्धारित कर दिया गया। राज्य सरकार के अधिकारी टीईटी कराने के लिए तैयार नहीं थे। उनकी मंशा विशिष्ट बीटीसी के माध्यम से ही भर्ती की थी। इसके चलते बेसिक शिक्षा निदेशालय से मनचाहे प्रस्ताव मांगे जाते रहे। टीईटी से बचने के लिए एनसीटीई से पत्र व्यवहार भी किया गया, लेकिन सफलता नहीं मिली। मंजूरी में टीईटी कराई तो गई, लेकिन इसे पात्रता के स्थान पर भर्ती परीक्षा कर दी गई। इसके लिए बेसिक शिक्षा नियमावली भी संशोधित कर दी गई कि टीईटी की टॉप मेरिट में आने वाले शिक्षक बनेंगे। इसके बाद से ही सारी गड़बड़ियां शुरू हो गईं। सूत्रों का कहना है कि माध्यमिक शिक्षा निदेशक संजय मोहन की गिरफ्तारी के बाद टीईटी प्रक्रिया की जांच बिजिलेंस से कराने की तैयारी है।
कुछ विभागीय अधिकारियों का कहना है कि जांच के बाद अधिक संभावना टीईटी निरस्त होने की है। इस स्थिति में बीएड छात्रों को शिक्षक बनने के लिए नए सिरे से टीईटी पास करनी होगी।
News : Amar Ujala ( 10.2.12)
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