BTC : सहारनपुर- बीटीसी अभ्यर्थी निकले फर्जी, चलेगा मुकदमा
डायट में चार फर्जी बीटीसी अभ्यर्थी पकड़े, मुकदमा दर्ज
सहारनपुर: शैक्षिक प्रमाणपत्रों की जांच के दौरान जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में चार फर्जी अभ्यर्थी पकड़े गए। संस्थान द्वारा इन सभी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी गई है। इन सभी के संपूर्णानंद संस्कृत विवि तथा ग्वालियर के शैक्षिक प्रमाणपत्र जाच में फर्जी पाए गए। गत दो माह में संस्थान द्वारा 23 अभ्यर्थियों के खिलाफ फर्जी प्रमाणपत्र मामले में रिपोर्ट क राई जा चुकी है।
बीटीसी प्रशिक्षण के बाद निश्चित नौकरी की 'गारंटी' प्रशिक्षण के लिए जमकर फर्जीवाड़ा होने लगा है। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) पटनी में बीटीसी-2010 व बीटीसी-2011 के बैच में प्रशिक्षण ले रहे चार और प्रशिक्षुओं के शैक्षिक प्रमाणपत्र जांच के दौरान फर्जी पाए गए हैं। बीटीसी-2010 बैच के योगेश कुमार, मनोज कुमार व पंकज कुमार के संपूर्णानंद संस्कृत विवि के शैक्षिक प्रमाणपत्र फर्जी पाए गए जबकि 2011 बैच के अजय सिंह पंवार के माध्यमिक शिक्षा परिषद मध्य भारत ग्वालियर के हाईस्कूल व इंटर के प्रमाणपत्र फर्जी मिले। ये सभी डायट में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे थे। डायट से मिली जानकारी के मुताबिक प्राचार्य द्वारा इन सभी के खिलाफ चिलकाना थाने में रिपोर्ट दर्ज करा दी गई है।
इनके खिलाफ हुई रिपोर्ट
योगेश कुमार पुत्र मदनपाल तथा मनोज कुमार पुत्र साधूराम शर्मा ग्राम व पोस्ट बड़गांव। पंकज कुमार पुत्र नरेश कुमार गांव बांदूखेड़ी पोस्ट फंदपुरी, अजय सिंह पंवार पुत्र प्रेम सिंह गांव लुंडा पोस्ट उमाही।
दो माह में पकड़े
गए 23 अभ्यर्थी
डायट द्वारा जून में वर्ष-2010 तथा वर्ष 2011 बैच के तीन-तीन अभ्यर्थियों के प्रमाणपत्र जांच फर्जी पाए जाने पर रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। इसके अलावा जुलाई में विशिष्ट बीटीसी-2007 बैच के 17 अभ्यर्थियों के प्रमाणपत्र जांच में फर्जी पाए जाने पर रिपोर्ट कराई गई थी। छह माह का प्रशिक्षण पूरा करने के बाद ये सभी प्राइमरी स्कूलों में शिक्षक पद पर सेवारत थे। विभाग द्वारा नोटिस की कार्यवाही के बाद इनकी सेवाएं समाप्त की चुकी है
News Source : http://www.news4education.com/article.php?id=11396&reffId=41 / News4Education (9.8.12)
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बीटीसी: अभी और भी हो सकते हैं फर्जी अभ्यर्थी
आगरा/अमर उजाला
विश्वविद्यालयों द्वारा जारी की जा रही बीटीसी अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्रों की सत्यापन रिपोर्ट से शक की सुई गहराती जा रही है। अब तक गुरुकुल विश्वविद्यालय वृंदावन और संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी की रिपोर्ट आ चुकी है, लेकिन डॉ. भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय सत्यापन रिपोर्ट देने में ढिलाई बरत रहा है। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि अभी फर्जी प्रमाण पत्रों के सहारे प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले अभ्यर्थी और भी हो सकते हैं।
फर्जी प्रमाण पत्रों का मामला सामने आने के बाद बीटीसी 2010 और 11 बैच के अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्र सत्यापन के लिए विश्वविद्यालयों में भेजे गए थे। इनमें संपूर्णानंद विश्वविद्यालय और गुरुकुल विश्वविद्यालय ने अपनी जांच रिपोर्ट बनाकर भेज दी। रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि कई अभ्यर्थियों ने संपूर्णानंद के फर्जी प्रमाण पत्रों का प्रयोग किया है।
इसके अलावा गुरुकुल को अमान्य घोषित किया गया है। ऐसे में आगरा विश्वविद्यालय के फर्जी प्रमाण पत्रों के सहारे प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले भी बड़ी तादाद में हो सकते हैं। पूर्व में भी कई शिक्षकों के फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर नौकरी लेने का मामला सामने आ चुका है।
इसके वजूद विवि प्रशासन प्रमाण पत्र सत्यापित करने में लापरवाही बरत रहा है। वर्ष 2010 के बीटीसी प्रशिक्षणार्थियों के प्रमाणपत्रों का सत्यापन कार्य अभी पूरा नहीं हुआ है। करीब 40 फीसदी प्रशिक्षणार्थियों की सत्यापन रिपोर्ट दी गई है। वर्ष 2011 के प्रमाणपत्रों का सत्यापन कार्य भी बहुत धीमा है। डायट के आंकड़ों मुताबिक अभी तक करीब दस फीसद के करीब ही प्रमाणपत्रों की सत्यापन रिपोर्ट प्राप्त हुई है।
बाद में यदि किसी अभ्यर्थी के प्रमाणपत्र फर्जी पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई में परेशानी होगी। दूसरे सीट खाली हो जाएगी। डायट प्राचार्य नीना कटियार के मुताबिक विश्वविद्यालय को पत्र लिखे जाने के साथ कई बार रिमाइंडर भेजा जा चुका है, इसके बाद भी सत्यापन में तेजी नहीं लाई जा रही है
Source : http://resultsplus.amarujala.com/article.php?s=admission&ss=admission-diary&a=btc-false-candidates-are-still-applying
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In India craze for Government job is very high due to social security , sixth pay commission and education section in Govt. is charming.
And some people using wrong methods to enter in this sector.
Esp. some universities - Sampoornanand etc. became famous in fake Acad. marks certificates.
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