UPTET : बीपीएड बेरोजगारों ने कपिल सिब्बल का पुतला फूंका
बस्ती। बीपीएड बेरोजगार संघ की बैठक कटेश्वर पार्क में हुई। इसमें मानव संसाधन मंत्रालय भारत सरकार की ओर से टीईटी एवं विशिष्ट बीटीसी में के चयन में बीपीएड डिग्री धारकों को न शामिल किए जाने पर सरकार की आलोचना की गई। इससे पूर्व कचहरी स्थित शास्त्री चौक पर मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल का पुतला फूंका गया।
संघ के अध्यक्ष आशीष सिंह ने कहा कि सभी सरकारों ने प्राथमिक विद्यालयों में इससे पूर्व विशिष्ट बीटीसी को सम्मलित किया था तो इस बार भी शामिल किया जाना चाहिए। कहा कि यदि सरकार ने अपने इस निर्णय को वापस नहीं लिया तो केंद्र सरकार की भी वही दशा होगी जो प्रदेश की बसपा सरकार की हुई है। अभय शंकर त्रिपाठी ने कहा कि सरकार ने टीईटी परीक्षा को पात्रता का पैमाना निर्धारित किया है तो हम लोगों को परीक्षा में शामिल किए बिना कैसे अपात्र कर रही है। यदि हम परीक्षा उत्तीर्ण नहीं कर पाएंगे तो खुद ही बाहर हो जाएंगे।
बीपीएड बेरोजगारों ने कहा कि सरकार ने ही प्राथमिक विद्यालयों में शारीरिक शिक्षा अनिवार्य किया है लेकिन, अब तक किसी भी सरकार ने शारीरिक शिक्षक की नियुक्ति के लिए पहल नहीं की।
बैठक के बाद बेरोजगारों ने कचहरी स्थित शात्री चौक पर मानव संसाधन मंत्री का पुतला फूंका। इसमें लालमन चौहान, संतोष कुमार यादव, कैलाशनाथ यादव, व्यंजन प्रसाद, हरिप्रसाद, संदीप सिंह, मस्तराम वर्मा, शफीर अहमद, ब्रिजेश यादव, रामललन, अरूण कुमार भारती, राघवेंद्र, प्रमोद, महेंद्र, विनोद, नरेंद्र, मानिकराम वर्मा रोहित सिंह आदि लोग मौजूद रहे
News Source : http://www.amarujala.com/city/Basti/Basti-46293-65.html / Amar Ujala (11.8.12)
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B P Ed unemployeds are angry due to their non-eligibility for Primary Teacher, recently in news about NCTE guidelines. Where physical education candidate are denied for recruitment in Primary teaching jobs.
प्यारे बेरोजगार दोस्तों आप सभी को मेरा सादर प्रणाम | एक बात है जिस पर आप सबका ध्यान नहीं गया है और वो है शिक्षा मित्र की होने वाली भर्ती का जिसका टी इ टी पात्रता परीक्षा से कोई लेना देना नहीं है और उनके पास प्रारंभिक तौर पर कोई डिग्री या डिप्लोमा नहीं है बस शिक्षा मित्र होने की वैधता है जिनको शिक्षक की कमी को देखते हुए वैकल्पिक तौर पर एवं अस्थाई तौर रखा गया था जो अब राजनितिक फायदे के लिए स्थाई शिक्षक बनने जा रहा है, जिनकी भर्ती उत्तर प्रदेश सरकार अपने चुनावी वायदे के मुताबिक करने को आतुर दिखाई दे रही है बल्कि में ये कहता हूँ की उनकी भर्ती डिप्लोमा और डिग्री धारी बेरोजगार लोगो के साथ धोखा और अन्याय है | प्राथमिक शिक्षक बनने के लिए केंद्र सरकार द्वारा बनाये गये नियम के अनुसार उनके पास न तो डिप्लोमा है और न ही किसी प्रकार की शिक्षक होने की डिग्री | इस तरह से होने वाली भर्ती प्रक्रिया हाईकोर्ट की शरण में जाकर तुरंत रुकवाना चाहिए |
ReplyDeleteप्यारे बेरोजगार दोस्तों आप सभी को मेरा सादर प्रणाम | एक बात है जिस पर आप सबका ध्यान नहीं गया है और वो है शिक्षा मित्र की होने वाली भर्ती का जिसका टी इ टी पात्रता परीक्षा से कोई लेना देना नहीं है और उनके पास प्रारंभिक तौर पर कोई डिग्री या डिप्लोमा नहीं है बस शिक्षा मित्र होने की वैधता है जिनको शिक्षक की कमी को देखते हुए वैकल्पिक तौर पर एवं अस्थाई तौर रखा गया था जो अब राजनितिक फायदे के लिए स्थाई शिक्षक बनने जा रहा है, जिनकी भर्ती उत्तर प्रदेश सरकार अपने चुनावी वायदे के मुताबिक करने को आतुर दिखाई दे रही है बल्कि में ये कहता हूँ की उनकी भर्ती डिप्लोमा और डिग्री धारी बेरोजगार लोगो के साथ धोखा और अन्याय है | प्राथमिक शिक्षक बनने के लिए केंद्र सरकार द्वारा बनाये गये नियम के अनुसार उनके पास न तो डिप्लोमा है और न ही किसी प्रकार की शिक्षक होने की डिग्री | इस तरह से होने वाली भर्ती प्रक्रिया हाईकोर्ट की शरण में जाकर तुरंत रुकवाना चाहिए |
ReplyDeleteआप यह तो कह रहे हें की उनके पास कोई डिग्री नही हे परन्तु जो अपने अमूल्य १० वर्षों से सेवारत हें, उनको शिक्षक न बनाना,क्या अन्याय नहीं होगा ?
ReplyDeleteतो फिर किसी सेवा विशेष के लिए पात्रता उसका अनुभव ही बना देना चाहिए ? और हाई स्कूल, इंटर, डिप्लोमा डिग्री आदि की कोई आवश्यकता ही नही होगी | गलत को गलत न कहना और उसका विरोध न करना अन्याय सहने के बराबर है |मेरा मानना है कि शिक्षा मित्र का विकल्प ही नही होना चाहिए क्योकि अनुभवहीन व्यक्ति जो शिक्षा मित्र की नियुक्ति पाकर शिक्षण कर रहा है वह किसी भी आधार पर प्राथमिक स्तर पर शिक्षक बनाये जाने योग्य नही है क्योकि भले ही उसने 10 वर्ष का अनुभव प्राप्त कर लिया हो लेकिन अपवाद को छोड़कर अन्य को शिक्षा मनोविज्ञान का कोई अनुभव नही है | यह सरासर छात्रों के साथ अन्याय हो रहा है, क्या सरकारी स्कूल में पढने वाले छात्रों का ये दोष है कि वे ग्रामीण क्षेत्र से है या फिर गरीब माँ बाप कि संतान है ? क्या सिर्फ इस लिए उन्हें बेहतर शिक्षा नही दी जानी चाहिए क्योकि वे बड़े और महंगे स्कूल में नही पढने जा सकते है ? कक्षा में केवल पाठ का करवा देना या उन्हें रटा रटा कर कुछ बातें याद करवा देना शिक्षण नहीं होता है | शिक्षा मनोविज्ञान के आधार के बिना व्यक्तिगत विभिन्नता का ज्ञान नही होता है और शिक्षा मनोविज्ञान के ज्ञान के बिना शिक्षक अधूरा होता है | यदि ऐसा नही है तो फिर नियुक्ति के बाद शिक्षा मित्र को दो वर्ष की कार्यशाला (ट्रेनिंग) की आवश्यकता क्यों है जबकि उसे तो शिक्षण का पांच या उससे अधिक वर्ष का अनुभव प्राप्त है |
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