Tuesday, September 4, 2012

UPTET : Some Candidate share info on Facebook


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Dileep GangwarUptet Prt
8 hours ago ·
Ritesh Ojha
मेरे प्रिय मित्रों ,पहले तो देरेसे पोस्ट डालने के लिये मैं क्षमामाँगता हूँ क्योंकि हम कफी रात में बाराबंकी लौटे । कल बहुत लोगों ने मिथ्या अफवाह उड़ा दी कि सब समाप्त हो गया है परंतु ऐसा कुछ नहीं है । कल सबसे पहले कपिल देव बहादुर ने अपनी रिट वापस ले ली उसके बाद सरकरी वकील ने कहा कि हमने समस्त विज्ञप्तियाँ निरस्त कर दी हैं और अभ्यर्थियों का आवेदन शुल्क वापस करने के आदेश देदिये हैं । टंडन साहब ने हमारे वकील से कहा कि आप निरस्त विज्ञापन के खिलाफ अपनी वर्तमान रिट वापस लेकर नयी रिट डालेंगे किइसी को modify करके आगे बढ़ंगे । हमारे वकील ने कहा कि हम इसी को आगे लेकर बढ़ेंगे । जज साहब ने फिर सरकारी वकील से कहा कि जो भी संशोधन या विज्ञप्तियों को आपने निरस्त किया है उसको affidavit के माध्यम से 3 दिनों के अंदर प्रस्तुत करें और हमारे वकील को रिट modify करने के लिये 6 दिन का समय दिया और कहा कि 11 तरीख को इसपर बहस होगी । अब हमारे कुछ साथी कह रहे हैं कि विज्ञापन कोर्ट में होने के बावजूद सरकार के निरस्त करने के बाद टंडन साहब ने सरकार को क्यों नहीं फटकारा । इसका उत्तर यह है कि जब तक affidavit के माध्यम से कोर्ट को अवगत नहीं कराया जाता तबतक कोर्ट उसको नहीं मानती कि कोई संशोधन हुआ है,इसीलिये कोर्ट ने इनको 3 दिन में सब लाने को कहा है । 11 तारीख को इसका जवाब आप सभीको मिल जायेगा । दूसरे यह कि खरे साहब और शशिनन्दन कोर्ट क्यों नहीं गये तो जब तारीख ही लेनी थी तो इसके लिये तो कोई भी जाके ले सकता है क्योंकि अब हमको एक बात रिट में और जोड़्नी है कि सरकार ने विज्ञापन निरस्त कर दिया है और इसके लिये तारीख लेना तो तय था इसलिय्रे मेरे भाईयों चिंता न करें सब अपना काम इमानदारी से कर रहें हैं, किसी भी प्रकारकी निराशा अपने मन में न लायें । न कोर्ट बिकी है न ही हमारे वकील, हमारे सभी साथी इमानदारी से लगे हैं और निश्चित ही 11 तारीख को सारी शंकाओं के बादल छँट जायेंगे,आप सब बिल्कुल निराश न हों ।
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I am not against TET Merit holder OR Academic Merit Holders.
Information sharing is the concept of Blog.

Government and courts are authority to decide the matter. Government (Employer) has right to choose its employees and Court is to protect citizens right under law.
Both have their importance and citizens can put their matter to authorities for justice.

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