51 फीसदी ने किया बीएड से किनारा
राजधानी के तीनों केंद्रों पर 6848 में से 3454 अभ्यर्थियों ने ही कराया वेरीफिकेशन
टीईटी पास करने की बाध्यता और शिक्षकों की नियुक्ति की रुकी हुई प्रक्रिया अभ्यर्थियों की बेरुखी का कारण हो सकती है
लखनऊ। शिक्षक बनने के लिए बीएड की पढ़ाई से अब अभ्यर्थियों का मोहभंग शुरू हो चुका है। इसका साफ असर इस बार संयुक्त प्रवेश परीक्षा बीएड-2013 की काउंसलिंग प्रक्रिया में देखने को मिल रहा है। राजधानी के आर्ट्स कालेज में बनाए गए तीनों केंद्रों पर बीते तीन दिन में 51 फीसदी अभ्यर्थी वेरीफिकेशन प्रक्रिया से किनारा कर चुके हैं। दूसरी आर्ट्स कॉलेज के तीनो केंद्रों पर सोमवार को वेरीफिकेशन की प्रक्रिया में कोई खास बाधा नहीं आई। केवल सुबह की पाली में सर्वर काफी धीमा रहा। दोपहर बाद सर्वर की रफ्तार ठीक रही जिससे प्रकिया शाम 6.45 तक समाप्त भी हो गई।
बीएड दाखिले के लिए काउंसलिंग प्रदेश के 27 केंद्रों पर 8 जून को शुरू हुई थी। काउंसलिंग के लिए शैक्षिक प्रमाणपत्रों का वेरीफिकेशन कराने के लिए आर्ट्स कॉलेज के तीनो केंद्रों पर सर्वाधिक अभ्यर्थियों का आवंटन हुआ। सेंटर नंबर -1 पर 8 से 10 जून के बीच 2900 अभ्यर्थियों को अपने प्रपत्रों को वेरीफाई कराना था। वहीं सेंटर नंबर-2 पर 2036 और सेंटर नंबर- 3 पर 1905 अभ्यर्थियों को प्रपत्रों के वेरीफिकेशन के लिए रिपोर्ट करना था। तीन दिन में सेंटर नंबर- 1 पर 1123, सेंटर नंबर- 2 पर 1118 और सेंटर नंबर - 3 पर कुल 1086 अभ्यर्थियों ने ही रिपोर्ट किया। तीनों केंद्रों को मिलाकर कुल 6841 अभ्यर्थियों के बजाय महज 3454 अभ्यर्थियों ने ही बीएड काउंसलिंग का हिस्सा बनना मंजूर किया। इससे 3387 अभ्यर्थियों ने प्रक्रिया से दूरी बना ली जो, 51 फीसदी है। काउंसलिंग का काम देख रहे अधिकारियों ने बताया कि ऊंची मेरिट वाले अभ्यर्थियों ने ही वेरीफिकेशन कराया। अधिक रैंक वाले अभ्यर्थियों की रुचि कम रही। अभ्यर्थियों की घटती संख्या के बारे में लविवि के शिक्षा संकाय के डॉ. दिनेश कुमार कहते हैं कि काउंसलिंग के लिए सरकारी कॉलेज 7 से 8 हजार रैंक के बाद नहीं मिलते हैं। वहीं प्राइवेट कॉलेजों की फीस सरकारी के मुकाबले सर्वाधिक है।
टीईटी पास करने की बाध्यता और शिक्षकों की नियुक्ति की रुकी हुई प्रक्रिया अभ्यर्थियों की बेरुखी का कारण हो सकती है
News Source / Sabhaar : Amar Ujala (11.6.13)
No comments:
Post a Comment
To All,
Please do not use abusive languages in Anger.
Write your comment Wisely, So that other Visitors/Readers can take it Seriously.
Thanks.