UPTET 2011, Selection of 72825 Teachers Post Matter : TET Merit Vs Acad Merit , Allahabad Highcourt Hearing on 1st July 2013
Kal Hogee TET merit aur Acad Vivad Par Sunvayee -
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DEKHTE HAI AB KYA HOTA HAI????
ReplyDeletevese june ka month bahut jaldi chala gya..........
DEKHTE HAI AB KYA HOTA HAI????
ReplyDeletevese june ka month bahut jaldi chala gya..........
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ReplyDeleteHun hai vahi jo ram rachi rakha
ReplyDeleteKo kari tark badhavai shakha....
Hari om
Hun hai vahi jo ram rachi rakha
ReplyDeleteKo kari tark badhavai shakha....
Hari om
jo bhi faisla ho jaldi ho..qki kafi time nikl gya g..
ReplyDelete5july ko bhi tarikh hai.
ReplyDelete5 july ko kaisi date hai? Wo kis writ pe hai? Please clear it.
ReplyDeletescience wale candidates bataye ki tet ka second paper aapko easy lga ya out of syllabus lga..
ReplyDeleteEasy tha
DeleteH
ReplyDeleteRTE (Right To Education) and A Story
ReplyDeleteछठी के छात्र छेदी ने छत्तीस की जगह बत्तीस कहकर जैसे ही बत्तीसी दिखाई, गुरुजी ने छडी उठाई और मारने वाले ही थे की छेदी ने कहा, "खबरदार अगर मुझे मारा तो! मे गिनती नही जानता मगर आरटीई की धाराएँ अच्छी तरह जानता हूँ.
गणित मे नही, हिंदी मे समझाना आता है."
गुरुजी चौराहों पर खड़ी मूर्तियों की तरह जडवत होगए. जो कल तक बोल नही पाता था, वो आज आँखें दिखा रहा है!
शोरगुल सुनकर प्रधानाध्यापक भी उधर आ धमके. कई दिनों से उनका कार्यालय से निकलना ही नही हुआ था. वे हमेशा विवादों से दूर रहना पसंदकरते थे. इसी कारण से उन्होंने बच्चों को पढ़ाना भी बंद कर दिया था.आते ही उन्होंने छडी को तोड़ कर बाहर फेंका और बोले, "सरकार का आदेश नही पढ़ा? प्रताड़ना का केस दर्ज हो सकता है. रिटायरमेंट नजदीक है, निलंबन की मार पड़ गई तो पेंशन के फजीते पड़ जाएँगे. बच्चे न पढ़े न सही, पर प्रेम से पढ़ाओ. उनसे निवेदन करो. अगर कही शिकायत कर दी तो ?"
बेचारे गुरुजी पसीने पसीने हो गए. मानो हर बूँदसे प्रायस्चित टपक रहा हो! इधर छेदी "गुरुजी हाय हाय" के नारे लगाता जा रहा था और बाकी बच्चे भी उसके साथ हो लिए.
प्रधानाध्यापर ने छेदी कोएक कोने मे ले जाकर कहा, "मुझसे कहो क्या चाहिए?"
छेदी बोला, "जब तक गुरुजी मुझसे माफी नही माँग लेतेहै, हम शाला का बहिष्कार करेंगे. बताए की शिकायत पेटी कहाँ है?"
समस्त स्टाफ आश्चर्यचकित और भय का वातावरण हो चुका था. छात्र जान चुके थे की उत्तीर्ण होना उनका कानूनी अधिकार है.
बड़े सर ने छेदी से कहा कीमे उनकी तरफ से माफी माँगता हूँ, पर छेदी बोला,"आप क्यों मांगोगे ? जिसने किया वही माफी माँगे. मेरा अपमान हुआ है."
आज गुरुजी के सामने बहुत बड़ा संकट था. जिस छेदी केबाप तक को उन्होंने दंड, दृढ़ता और अनुशासन से पढ़ाया था, आज उनकी ये तीनों शक्तिया परास्त हो चुकी थी. वे इतने भयभीत होचुके थे की एकांत मे छेदी के पैर तक छूने को तैयार थे, लेकिन सार्वजनिक रूप से गुरूता के ग्राफ को गिराना नही चाहते थे. छडी के संग उनका मनोबल ही नही,परंपरा और प्रणाली भी टूटचुकी थी. सारी व्यवस्था नियम कानून एक्सपायर हो चुके थे. कानून क्या कहता है, अब ये बच्चो से सिखना पढ़ेगा!
पाठक्रम मे अधिकारों का वर्णन था, कर्तव्यों का पता नही था. अंतिम पड़ाव पर गुरु द्रोण स्वयं चक्रव्यूह मे फँस जाएँगे!
वे प्रण कर चुके थे की कल से बच्चे जैसा कहेंगे, वैसा ही वे करेंगे. तभी बड़े सर उनके पास आकर बोले, "मे आपको समझ रहा हूँ. वह मान गया है और अंदर आ रहा है. उससे माफी माँग लो, समय की यही जरूरतहै."
छेदी अंदर आकर टेबल पर बैठ गया और हवा के तेज झोंके ने शर्मिन्दा होकर द्वार बंद कर दिए.
कलम को चाहिए कि यही थम जाए. कई बार मौन की भाषा संवादों पर भारी पड़ जातीहै.