Tuesday, April 8, 2014

UPTET : टीईटी की चमक के आगे फीकी पड़ी बीएड की हनक

UPTET : टीईटी की चमक के आगे फीकी पड़ी बीएड की हनक
UPTET  / टीईटी / TET Teacher Eligibility Test Updates / Teacher Recruitment News



प्राइमरी स्कूलों में शिक्षक के लिए टीईटी की अर्हता ने ऐसी चमक बिखेरी है कि बीएड में प्रवेश लेने वालों की तादाद कम हो गई। पहले शिक्षक बनने के लिए बीएड को परम्परागत डिग्री माना जाता था। हाल यह है कि पिछले दो सालों से बीएड की सीटें खाली चल रही हैं। इस बार हालत और खराब होने जा रही है क्योंकि सिर्फ 2.34 लाख ने ही प्रवेश परीक्षा के लिए फार्म भरे हैं।

नई व्यवस्था के तहत वे ही प्राइमरी स्कूलों में शिक्षक बन सकें जिन्होंने शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) पास की होगी। पहले बीएड करने वालों को नौकरी मिल जाती थी। इस पात्रता परीक्षा की वजह से अब छात्रों का रुझान बीटीसी की तरफ बढ़ा है। स्नातक करने के बाद परीक्षार्थी बीएड के बजाय बीटीसी करना पसंद कर रहे हैं। यही वजह है कि बीएड कालेजों ने भी बीटीसी की मान्यता लेनी शुरू कर दी है।

पिछले साल यूपी में बीएड की 1,22,884 सीटें थीं और प्रवेश परीक्षा के लिए 3.88 लाख ने फार्म भरे थे जबकि 3.40 लाख ने ही परीक्षा दी। हद तब हो गई जबकि परीक्षा देने वाले सभी परीक्षार्थियों का काउंसिलिंग के लिए बुलाया मगर शरीक हुए सिर्फ 1.75 लाख। इनमें भी कालेज आवंटन के बाद भी 75 हजार ने दाखिला ही नहीं लिया। अंत में 22 हजार सीटें खाली रह गईं।

इस बार और बुरा हाल है। तमाम और कालेजों को मान्यता मिल चुकी है और सीटों की संख्या में करीब एक लाख का इजाफा होने जा रहा है मगर परीक्षा देने के लिए आवेदन आए हैं सिर्फ 2.34 लाख। अगर इसमें से कुछ ने भी परीक्षा छोड़ दी तो जितनी सीटें होंगी उतने ही परीक्षार्थी बैठे हुए मिलेंगे। जानकारों का कहना है कि बीएड की हनक कम होने की वजह यही है कि इस डिग्री से नौकरी के अवसर सीमित हो गए हैं

News Source / Sabhaar : Hindustan Paper (08.04.2014)

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