News : लगातार दो वर्ष छुट्टी ले सकती हैं सरकारी महिला कर्मी
लगातार दो वर्ष छुट्टी ले सकती हैं सरकारी महिला कर्मी
नई दिल्ली। सरकारी महिला कर्मचारियों के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अहम फैसला दिया है। शीर्ष न्यायालय ने कहा है कि केंद्र सरकार की एक महिला कर्मचारी अपने नाबालिग बच्चों की देखभाल के लिए लगातार दो वर्ष तक की छुट्टी ले सकती है। यह अवकाश उन्हें बच्चों की परीक्षा और बीमारी के कारण भी मिल सकती है।
न्यायमूर्ति एसजे मुखोपाध्याय एवं वी गोपाला गौडा की पीठ ने कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले का दरकिनार करते हुए उपरोक्त निर्देश दिया। शीर्ष अदालत ने एक सरकारी महिला कर्मचारी काकली घोष की याचिका का निस्तारण करते हुए यह फैसला सुनाया। काकली ने अपनी याचिका में कलकत्ता हाई कोर्ट के 18 सितंबर, 2012 के उस निर्णय को चुनौती दी थी, जिसमें कहा गया था कि केंद्रीय सिविल सेवा [अवकाश] नियमावली के अनुसार सीसीएल [बच्चों की देखभाल संबंधी छुट्टी] के तहत लगातार 730 दिन यानी दो वर्ष के अवकाश की इजाजत नहीं दी जा सकती है।
काकली ने अपने बेटे की दसवीं की परीक्षा की तैयारी के लिए दो वर्ष के अवकाश की मांग की थी, जिसे सरकार ने खारिज किया था। अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'नियम 43-सी के अनुसार अगर महिला कर्मचारी के दो नाबालिग [18 वर्ष से कम उम्र के] बच्चे हैं तो वह अपने पूरे कार्यकाल में एक बार लगातार दो वर्ष यानी 730 दिनों की छुट्टी ले सकती है।' इतना ही कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि सीसीएल अवकाश की अवधि को 730 से अधिक भी बढ़ाया जा सकता है बशर्ते महिला कर्मचारी के पास अन्य छुट्टियां शेष हों। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि कलकत्ता हाई कोर्ट का फैसला न तो नियम 43-सी के अनुरूप है और न ही वह केंद्र सरकार के दिशा-निर्देश पर ही आधारित है
News Source / Sabhaar : Jagran (Tue, 15 Apr 2014 09:39 PM (IST))
लगातार दो वर्ष छुट्टी ले सकती हैं सरकारी महिला कर्मी
नई दिल्ली। सरकारी महिला कर्मचारियों के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अहम फैसला दिया है। शीर्ष न्यायालय ने कहा है कि केंद्र सरकार की एक महिला कर्मचारी अपने नाबालिग बच्चों की देखभाल के लिए लगातार दो वर्ष तक की छुट्टी ले सकती है। यह अवकाश उन्हें बच्चों की परीक्षा और बीमारी के कारण भी मिल सकती है।
न्यायमूर्ति एसजे मुखोपाध्याय एवं वी गोपाला गौडा की पीठ ने कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले का दरकिनार करते हुए उपरोक्त निर्देश दिया। शीर्ष अदालत ने एक सरकारी महिला कर्मचारी काकली घोष की याचिका का निस्तारण करते हुए यह फैसला सुनाया। काकली ने अपनी याचिका में कलकत्ता हाई कोर्ट के 18 सितंबर, 2012 के उस निर्णय को चुनौती दी थी, जिसमें कहा गया था कि केंद्रीय सिविल सेवा [अवकाश] नियमावली के अनुसार सीसीएल [बच्चों की देखभाल संबंधी छुट्टी] के तहत लगातार 730 दिन यानी दो वर्ष के अवकाश की इजाजत नहीं दी जा सकती है।
काकली ने अपने बेटे की दसवीं की परीक्षा की तैयारी के लिए दो वर्ष के अवकाश की मांग की थी, जिसे सरकार ने खारिज किया था। अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'नियम 43-सी के अनुसार अगर महिला कर्मचारी के दो नाबालिग [18 वर्ष से कम उम्र के] बच्चे हैं तो वह अपने पूरे कार्यकाल में एक बार लगातार दो वर्ष यानी 730 दिनों की छुट्टी ले सकती है।' इतना ही कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि सीसीएल अवकाश की अवधि को 730 से अधिक भी बढ़ाया जा सकता है बशर्ते महिला कर्मचारी के पास अन्य छुट्टियां शेष हों। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि कलकत्ता हाई कोर्ट का फैसला न तो नियम 43-सी के अनुरूप है और न ही वह केंद्र सरकार के दिशा-निर्देश पर ही आधारित है
News Source / Sabhaar : Jagran (Tue, 15 Apr 2014 09:39 PM (IST))
Kya state govt. employees k bachche beemaar nhi hote, unka kya? Kya wo mother nhi?? Unka kya?
ReplyDeleteKya state govt. employees k bachche beemaar nhi hote, unka kya? Kya wo mother nhi?? Unka kya?
ReplyDeleteKya state govt. employees k bachche beemaar nhi hote, unka kya? Kya wo mother nhi?? Unka kya?
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