Advertisement for Lecturers / TGT/PGT Recruitment Uttar Pradesh :
हम काफी समय से अच्छी सेवाएं / सूचनाएं देते आये हैं , जिस से नोकरी की राह देख रहे लोगों को सही जानकारी समय से मिलती रहे ।
इसी क्रम में आज हम उत्तर प्रदेश में निकली टी जी टी / पी जी टी नियुक्ति की जानकारी दे रहे हैं
आपकी जानकारी के लिए हम समाचार पत्रों में छपे फॉर्मेट / जानकारी को यहाँ प्रकाशित कर रहे हैं ,
कृपया समाचार पत्रों का अवलोकन करें और उसमें छपे हुए फॉर्मेट /जानकारी को अपने उपयोग में लाएं
यहाँ दी गयी सूचना सिर्फ जानकरी मात्र है
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Application Format (Kindly see local news paper of UP / website of Department to download format to Apply. Information given here is only informatory in nature to help public.
And concerned department can provide you authentic information) :-
Yeah pado bachpan yaad aa jayega ..... ek ek line padna
ReplyDelete# जब हम अपने शर्ट में हाथ छुपाते थे
और लोगों से कहते फिरते थे देखो मैंने
अपने हाथ जादू से हाथ गायब कर दिए
|
# जब हमें जब जब लगता की हम
विडियोगेम में हारने वाले हैं हम गेम
री-स्टार्ट कर देते थे |
# जब हमारे पास चार रंगों से लिखने
वाली एक पेन हुआ करती थी और हम
सभी के बटन को एक साथ दबाने
की कोशिश किया करते थे |
# जब हम दरवाज़े के पीछे छुपते थे
ताकि अगर कोई आये तो उसे डरा सके
लेकिन कभी कभी वहां से चल भी देते थे
क्यूंकि सामने से आने
वाला बंदा बड़ी देर कर
रहा होता था |
# जब आँख बंद कर सोने का नाटक करते
थे ताकि कोई हमें गोद में उठा के
बिस्तर तक पहुचा दे |
# सोचा करते थे की ये चाँद
हमारी साइकिल के पीछे पीछे
क्यों चल रहा हैं |
# On/Off वाले स्विच को बीच में
अटकाने की कोशिश किया करते थे |
# पानी की 2 बूंदों को खिड़की से
बहा के उनके बीच रेस लगवाया करते थे|
# फल के बीज को इस डर से नहीं खाते
थे की कहीं हमारे पेट में पेड़ न उग जाए |
# बर्थडे सिर्फ इसलिए मनाते थे
ताकि ढेर सारे गिफ्ट मिले |
# फ्रिज को धीरे से बंद करके ये जानने
की कोशिश करते थे की इसकी लाइट
कब बंद होती हैं |
# रूम में आते थे पर किसलिए आये
वो भूल जाते फिर बाहर जाके याद
करने की कोशिश करते |
=====
सच , बचपन में सोचते हम बड़े
क्यों नहीं हो रहे ?
और अब सोचते हम बड़े क्यों हो गए ?
ये दौलत भी ले लो..ये शोहरत भी ले लो ..भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी
मगर मुझको लौटा दो बचपन
का सावन ....वो कागज़
की कश्ती वो बारिश का पानी
मेरे तो आँसु ही निकल गये लिखते लिखते ;-(
Yeah pado bachpan yaad aa jayega ..... ek ek line padna
ReplyDelete# जब हम अपने शर्ट में हाथ छुपाते थे
और लोगों से कहते फिरते थे देखो मैंने
अपने हाथ जादू से हाथ गायब कर दिए
|
# जब हमें जब जब लगता की हम
विडियोगेम में हारने वाले हैं हम गेम
री-स्टार्ट कर देते थे |
# जब हमारे पास चार रंगों से लिखने
वाली एक पेन हुआ करती थी और हम
सभी के बटन को एक साथ दबाने
की कोशिश किया करते थे |
# जब हम दरवाज़े के पीछे छुपते थे
ताकि अगर कोई आये तो उसे डरा सके
लेकिन कभी कभी वहां से चल भी देते थे
क्यूंकि सामने से आने
वाला बंदा बड़ी देर कर
रहा होता था |
# जब आँख बंद कर सोने का नाटक करते
थे ताकि कोई हमें गोद में उठा के
बिस्तर तक पहुचा दे |
# सोचा करते थे की ये चाँद
हमारी साइकिल के पीछे पीछे
क्यों चल रहा हैं |
# On/Off वाले स्विच को बीच में
अटकाने की कोशिश किया करते थे |
# पानी की 2 बूंदों को खिड़की से
बहा के उनके बीच रेस लगवाया करते थे|
# फल के बीज को इस डर से नहीं खाते
थे की कहीं हमारे पेट में पेड़ न उग जाए |
# बर्थडे सिर्फ इसलिए मनाते थे
ताकि ढेर सारे गिफ्ट मिले |
# फ्रिज को धीरे से बंद करके ये जानने
की कोशिश करते थे की इसकी लाइट
कब बंद होती हैं |
# रूम में आते थे पर किसलिए आये
वो भूल जाते फिर बाहर जाके याद
करने की कोशिश करते |
=====
सच , बचपन में सोचते हम बड़े
क्यों नहीं हो रहे ?
और अब सोचते हम बड़े क्यों हो गए ?
ये दौलत भी ले लो..ये शोहरत भी ले लो ..भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी
मगर मुझको लौटा दो बचपन
का सावन ....वो कागज़
की कश्ती वो बारिश का पानी
मेरे तो आँसु ही निकल गये लिखते लिखते ;-(
nice
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