UP News : कन्नौज में डिंपल ने रचा इतिहास
इत्र नगरी कन्नौज को अब इतिहास के पन्नों में जगह बनाने को बस आधिकारिक घोषणा का इंतजार है। कन्नौज लोकसभा उप चुनाव के परिणाम घोषणा नौ जून को दोपहर तीन बजे नाम वापसी की अवधि बीतने के बाद की जाएगी। शुक्रवार को निर्दलीय उम्मीदवार संजू कटियार व संयुक्त समाजवादी दल के दशरथ शंखवार के नाम वापस लेने के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव का निर्विरोध निर्वाचित होना तय हो गया है।
डिंपल प्रदेश की पहली ऐसी महिला हैं जिनके खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए कोई तैयार नहीं हुआ। संयोग भी एक रिकार्ड के रूप में ही देखा जाएगा कि डिंपल जिस लोकसभा के लिए चुनाव हारीं, उसी में निर्विरोध जीतकर पहुंचेंगी। यह तथ्य भी विशिष्टता लिए हुए हैं कि वह ऐसी सांसद हैं जिनके पति मुख्यमंत्री हैं। लोकसभा में उनके साथ श्वसुर व देवर भी होंगे। कन्नौज में फैली उनकी जीत की यह खुशबू लंबे समय तक याद की जाएगी।
यूपी में साठ साल बाद आया यह मौका:-
टिहरी में जीते मानवेंद्र शाह को यदि उत्तराखंड में मान लिया जाए तो प्रदेश मे 60 साल बाद यह अवसर आया है जबकि लोकसभा का चुनाव कोई उम्मीदवार निर्विरोध जीता है। एक संयोग ही है कि इससे पहले 1952 में पीडी टंडन भी उप चुनाव में ही जीते थे। डिंपल की जीत भी उप चुनाव में ही हुई है। देश में उप चुनाव के दौरान निर्विरोध जीतने वाले लोगों की संख्या डिंपल को मिलाकर 9 है। 22 उम्मीदवार सामान्य चुनावों में जीते हैं। समाजवादी पाटी के प्रदेश प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी इसे समाजवादी शक्ति की जीत बताते हैं। उनका मानना है कि प्रदेश में सपा को मिल रहे समर्थन को देखते हुए ही अन्य दलों ने मैदान से बाहर रहने का फैसला किया।
दो दशक बाद कोई निर्विरोध:-
यह 31 वां अवसर है जबकि लोकसभा चुनाव में कोई उम्मीदवार निर्विरोध जीता है। इससे पहले 1989 नेशनल कांफ्रेस के मो. शफी बट श्रीनगर से निर्विरोध निर्वाचित हुए थे। लगभग दो दशक बाद देश में कोई निर्विरोध चुना गया है। आजादी के बाद 1951 में हुए देश के पहले चुनाव में पांच प्रत्याशी निर्विरोध चुने गए थे। इसके बाद 1952 में हुए उप चुनाव में इलाहाबाद पश्चिम में कांग्रेस के पुरुषोत्तम दास टंडन निर्विरोध जीते। 1962 में टिहरी गढ़वाल से वहां के राजा मानवेंद्र शाह ने जब चुनाव लड़ने का फैसला किया तो उनके मुकाबले कोई प्रत्याशी आगे नहीं आया। इस चुनाव में जनसंघ के रंगीलाल ने परचा भरा था लेकिन वापस ले लिया था। इससे पहले हुए चुनाव में बीकानेर के पूर्व महाराजा और निशानेबाज करणी सिंह भी निर्विरोध निर्वाचित हुए थे। 1962 में ही उड़ीसा में पूर्व मुख्यमंत्री हरेकृष्ण मेहताब को निर्विरोध निर्वाचित घोषित किया गया था।
News Source : Jagran.com (8.6.12)
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