UPMSSCB /UPSESSB: संस्कृत शिक्षकों की भर्ती में पेंसिल से नंबर बढ़ाने का मामला
नियमावली की आड़ में गर्दन बचाने की जुगत
•विभागीय जांच में परीक्षकों ने लिखित में जेडी के खिलाफ की शिकायत
लखनऊ। माध्यमिक शिक्षा निदेशालय द्वारा टीईटी परीक्षा पास कराने के नाम पर अभ्यर्थियों से लाखों रुपए लेकर नम्बर बढ़ाने में हुए घोटाले के बाद अब संस्कृत शिक्षकों की भर्ती में भी परत दर परत धांधली का मामला सामने के बाद अफसर नियमावली की आड़ में गर्दन बचाने में जुटे हैं।
दिलचस्प बात यह है कि अफसरों के साथ-साथ बाबूओं ने भी जमकर नम्बर बढ़ाने के मामले में धांधली की है। अब तक साक्षात्कार में सर्वाधिक धांधली किए जाने की शिकायत लखनऊ, बस्ती और आजमगढ़, गोरखपुर, फैजाबाद और देवीपाटन मंडल से मिली है।
लखनऊ मंडल में धांधली का खुलासा होने के बाद विभागीय जांच में पेंसिल से नम्बर दिए जाने के मामले में परीक्षकों ने साक्षात्कार समिति के सभापति व संयुक्त निदेशक (जेडी) के के गुप्ता को जिम्मेदार ठहराया है। विभागीय जांच में परीक्षकों ने लिखित में जेडी के खिलाफ शिकायत की है। सदस्यों ने कहा है कि जेडी द्वारा मौखिक तौर पर पेंसिल से नम्बर दिए जाने का निर्देश दिया गया था।
इधर, लखनऊ मंडल के जेडी विकास श्रीवास्वत द्वारा पेंसिल से नम्बर देने के मामले में पूछे जाने पर तत्कालीन जेडी व साक्षात्कार समिति के सभापति और वर्तमान में राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद के संयुक्त निदेशक के के गुप्ता ने यूपी माध्यमिक शिक्षा परिषद विनियमावली 2009 का हवाला देते हुए कहा है कि नम्बर देने के लिए कहीं भी यह उल्लेख नहीं है कि अभ्यर्थियों को पेन से ही नम्बर दिया जाएगा पेंसिल से नहीं।
यही नहीं गुप्ता ने साक्षात्कार के बाद लिफाफा बंद नहीं किए जाने के मामले में साक्षात्कार समिति की सदस्य सचिव रेखा रानी अग्रवाल को जिम्मेदार ठहराया है। गुप्ता ने कहा है कि साक्षात्कार के बाद अंकपत्रों को सील बंद करने की जिम्मेदारी समिति की सदस्य सचिव और उप निरीक्षक संस्कृत पाठशाला सदस्य सचिव रेखा अग्रवाल की थी।
बता दें कि शासन को शिकायत मिली थी कि मंडल स्तर पर हुए संस्कृत शिक्षकों के साक्षात्कार अफसरों ने अभ्यर्थियों को पास करने के लिए विभागीय नियमों को नजर अंदाज कर करोड़ों रुपए के वारे-न्यारे किए हैं।
News Source : Amar Ujala (5.6.12)
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