UPTET : मानक के मुताबिक नहीं तैनात हुए शिक्षक, नए सत्र में भी बनी रहेगी शिक्षकों की कमी
यूपी में शिक्षा का अधिकार का उड़ रहा मजाक
लखनऊ। यूपी में शिक्षा का अधिकार भले ही एक साल पहले लागू किया जा चुका है, पर इसका पूरी तरह से पालन नहीं किया जा रहा है। सरकारी स्कूलों में मानक के अनुरूप न तो शिक्षक तैनात किए गए हैं और न ही प्राइवेट स्कूलों में 25 फीसदी सीटों पर बच्चों के एडमिशन की व्यवस्था की गई। स्थिति यह है कि नया सत्र शुरू होने में मात्र एक महीने शेष बचे हैं, पर शिक्षकों की भर्ती के संबंध में अभी तक कोई निर्णय नहीं किया जा सका है। इसके चलते नए सत्र में स्कूलों में शिक्षकों की कमी बनी रहेगी।
प्रदेश में पौने दो लाख के आसपास प्राइमरी और उच्च प्राइमरी स्कूल हैं। केंद्र ने 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को अनिवार्य रूप से शिक्षित करने के लिए शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू किया है। यूपी में इसके आधार पर जुलाई 2011 में नियमावली तो बनाई जा चुकी है, लेकिन इस पर पूरी तरह से अभी तक अमल नहीं किया जा रहा है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम के मुताबिक प्राइमरी में 30 बच्चों पर और उच्च प्राइमरी में 35 बच्चों पर एक शिक्षक अनिवार्य किया गया है, लेकिन पर्याप्त मात्रा में शिक्षक तक नहीं हैं। करीब 10 हजार ऐसे स्कूल हैं जहां एक ही शिक्षक के सहारे बच्चों को पढ़ाया जा रहा है।
यूपी में शिक्षकों की भर्ती के लिए नवंबर 2011 में शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) आयोजित की कराई गई। रिजल्ट आने के बाद अंक बढ़ाने के नाम पर हुई धांधली के चलते शिक्षकों की भर्ती रोक दी गई। टीईटी पास अभ्यर्थी शिक्षक बनाने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री से लेकर बेसिक शिक्षा मंत्री से मिल चुके हैं, लेकिन स्पष्ट नीति न होने की वजह से शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू नहीं हो पा रही है। इसके चलते सरकारी स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई पर असर पड़ रहा है।
कहां कितने पद रिक्त
•प्राइमरी में सहायक अध्यापक1.77 लाख
•प्राइमरी में प्रधानाध्यापक25058
•उ. प्राथमिक में सहायक अध्यापक35628
•उ. प्राथमिक में प्रधानाध्यापक19292
शीघ्र शुरू होगी भर्ती
प्राइमरी स्कूलों में शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने की दिशा में काम चल रहा है। टीईटी पास अभ्यर्थियों से शिक्षकों की रिक्त सीटें भरी जाएंगी। टीईटी पर भी शीघ्र ही निर्णय मुख्यमंत्री स्तर पर कर लिया जाएगा।
-रामगोविंद चौधरी, बेसिक शिक्षा मंत्री
टीईटी पर करना होगा निर्णय
राज्य सरकार को प्राइमरी स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती के लिए सबसे पहले नवंबर 2011 में आयोजित टीईटी पर फैसला करना होगा। सरकार को या तो इस परीक्षा को रद्द करना होगा या फिर इसे क्लीन चिट देनी होगी। इसके अलावा सरकार यह भी कर सकती है कि नए सिरे से टीईटी आयोजित कराकर शिक्षकों की भर्ती कर ले।
News Source : Amar Ujala (3.6.12)
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