BTC : इंजीनियर, एमबीए लिखेंगे शिक्षण की नयी इबारत
Khaas Baten :
1.अब पीएचडी, एमटेक, एमबीए, बीटेक और बीसीए किए हुए शिक्षक भी नौनिहालों को ककहरा पढ़ाते हुए नजर आएंगे
2. बीटीसी के कोर्स में प्रवेश लेने वाले 600 विद्यार्थियों में से डेढ़ सौ विद्यार्थी बड़ी डिग्रियां लेने वाले नहीं होते
3. ऐसी चाह बदलवा रही लाइन
- काम के बिना प्रेशर और बिना जिम्मेदारी वाली नौकरी।
- गृह जनपद के विद्यालय में मिलने वाली तैनाती।
- नौकरी मिलते ही पहला वेतन लगभग 28000 रुपए।
- जरूरत पर तबादला लेने वाली नौकरी।
- सिर्फ पांच से छह घंटे देने वाली नौकरी।
4. पीएचडी और एलएलबी जैसी डिग्रियां हैं
मथुरा: बेसिक विद्यालयों में ककहरा पढ़ाने के लिए अब केवल बीए और इंटर पास शिक्षक ही नहीं आएंगे। इन विद्यालयों में अब पीएचडी, एमटेक, एमबीए, बीटेक और बीसीए किए हुए शिक्षक भी नौनिहालों को ककहरा पढ़ाते हुए नजर आएंगे। बीटीसी के पिछले तीन सत्र में प्रवेश लेने वाले 600 विद्यार्थियों में से 150 ऐसे ही बड़ी डिग्रियां प्राप्त करके मास्टर बनने की राह पर चलते दिख रहे हैं।
बेसिक शिक्षा विभाग के जनपद में 1950 विद्यालय हैं। इनमें से 1361 विद्यालय प्राथमिक हैं। वहीं 589 स्कूलों में जूनियर कक्षाएं संचालित की जा रही हैं। इनमें अध्यापन कार्य कराने के लिए बीटीसी और टैट की अर्हता तय की गई है। अब इन विद्यालयों के मोह में इंजीनियरिंग और मार्केटिंग की बड़ी डिग्रियां लेने वाले मास्टर भी फंसते नजर आ रहे हैं।
ऐसा न होता तो शैक्षिक सत्र 2011-12, 2012-13 और 2013-14 में जिला शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) में बीटीसी के कोर्स में प्रवेश लेने वाले 600 विद्यार्थियों में से डेढ़ सौ विद्यार्थी बड़ी डिग्रियां लेने वाले नहीं होते। मगर डायट में पिछले तीन सत्र में बीटीसी में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों की स्थिति ऐसी ही दिख रही है। उच्च तालीम हासिल करके बीटीसी करने वाले विद्यार्थियों को डायट पर इस समय बीटीसी का प्रशिक्षण दिया जा रहा है :
उच्च शिक्षा प्राप्त अभ्यर्थियों की संख्या (लगभग में)
एमटेक - 10
एमबीए - 10
पीएचडी और एलएलबी - 10
बीटेक - 50
बीबीए और बीसीए - 50
एमए - अन्य सभी अभ्यर्थी
ऐसी चाह बदलवा रही लाइन
- काम के बिना प्रेशर और बिना जिम्मेदारी वाली नौकरी।
- गृह जनपद के विद्यालय में मिलने वाली तैनाती।
- नौकरी मिलते ही पहला वेतन लगभग 28000 रुपए।
- जरूरत पर तबादला लेने वाली नौकरी।
- सिर्फ पांच से छह घंटे देने वाली नौकरी।
हुनर और भी हैं इस पीढ़ी में
डायट के प्रवक्ताओं की मानें तो इस उच्च शिक्षा प्राप्त पीढ़ी के पास सिर्फ डिग्रियां ही नहीं हैं। इनके पास इंजीनियरिंग और मार्केटिंग की मास्टर और स्नातक डिग्री के साथ ही पीएचडी, एलएलबी और बीसीए जैसी डिग्रियां हैं। साथ ही इनके पास हुनर भी है। इनमें से कुछ अभ्यर्थियों के पास अच्छे गायन का हुनर है तो कुछ के पास नृत्य की कुशल कला है। वहीं इनमें से कुछ विद्यार्थी अपने आप को खेल में अव्वल दर्शा रहे हैं।
आइडियल शिक्षक देने की कर रहे कोशिश
डायट प्राचार्य डॉ. मुकेश अग्रवाल के मुताबिक बीटीसी करने वाले अभ्यर्थियों के रुप में अच्छी डिग्रियां प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों का मिलना अच्छी बात है। उनके मुताबिक इन डिग्रियों को लेकर बीटीसी करने वाले अभ्यर्थी जब विद्यालय जाकर शिक्षण कार्य करें तो वह कुछ अच्छा होना चाहिए। इसके लिए इन अभ्यर्थियों को डायट पर ट्रेनिंग के दौरान ही प्रेरित किया जा रहा है।
News Source / Sabhaar : Jagran (Publish Date:Thursday,Jun 12,2014 11:51:11 PM | Updated Date:Thursday,Jun 12,2014 11:51:25 PM)
Khaas Baten :
1.अब पीएचडी, एमटेक, एमबीए, बीटेक और बीसीए किए हुए शिक्षक भी नौनिहालों को ककहरा पढ़ाते हुए नजर आएंगे
2. बीटीसी के कोर्स में प्रवेश लेने वाले 600 विद्यार्थियों में से डेढ़ सौ विद्यार्थी बड़ी डिग्रियां लेने वाले नहीं होते
3. ऐसी चाह बदलवा रही लाइन
- काम के बिना प्रेशर और बिना जिम्मेदारी वाली नौकरी।
- गृह जनपद के विद्यालय में मिलने वाली तैनाती।
- नौकरी मिलते ही पहला वेतन लगभग 28000 रुपए।
- जरूरत पर तबादला लेने वाली नौकरी।
- सिर्फ पांच से छह घंटे देने वाली नौकरी।
4. पीएचडी और एलएलबी जैसी डिग्रियां हैं
मथुरा: बेसिक विद्यालयों में ककहरा पढ़ाने के लिए अब केवल बीए और इंटर पास शिक्षक ही नहीं आएंगे। इन विद्यालयों में अब पीएचडी, एमटेक, एमबीए, बीटेक और बीसीए किए हुए शिक्षक भी नौनिहालों को ककहरा पढ़ाते हुए नजर आएंगे। बीटीसी के पिछले तीन सत्र में प्रवेश लेने वाले 600 विद्यार्थियों में से 150 ऐसे ही बड़ी डिग्रियां प्राप्त करके मास्टर बनने की राह पर चलते दिख रहे हैं।
बेसिक शिक्षा विभाग के जनपद में 1950 विद्यालय हैं। इनमें से 1361 विद्यालय प्राथमिक हैं। वहीं 589 स्कूलों में जूनियर कक्षाएं संचालित की जा रही हैं। इनमें अध्यापन कार्य कराने के लिए बीटीसी और टैट की अर्हता तय की गई है। अब इन विद्यालयों के मोह में इंजीनियरिंग और मार्केटिंग की बड़ी डिग्रियां लेने वाले मास्टर भी फंसते नजर आ रहे हैं।
ऐसा न होता तो शैक्षिक सत्र 2011-12, 2012-13 और 2013-14 में जिला शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) में बीटीसी के कोर्स में प्रवेश लेने वाले 600 विद्यार्थियों में से डेढ़ सौ विद्यार्थी बड़ी डिग्रियां लेने वाले नहीं होते। मगर डायट में पिछले तीन सत्र में बीटीसी में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों की स्थिति ऐसी ही दिख रही है। उच्च तालीम हासिल करके बीटीसी करने वाले विद्यार्थियों को डायट पर इस समय बीटीसी का प्रशिक्षण दिया जा रहा है :
उच्च शिक्षा प्राप्त अभ्यर्थियों की संख्या (लगभग में)
एमटेक - 10
एमबीए - 10
पीएचडी और एलएलबी - 10
बीटेक - 50
बीबीए और बीसीए - 50
एमए - अन्य सभी अभ्यर्थी
ऐसी चाह बदलवा रही लाइन
- काम के बिना प्रेशर और बिना जिम्मेदारी वाली नौकरी।
- गृह जनपद के विद्यालय में मिलने वाली तैनाती।
- नौकरी मिलते ही पहला वेतन लगभग 28000 रुपए।
- जरूरत पर तबादला लेने वाली नौकरी।
- सिर्फ पांच से छह घंटे देने वाली नौकरी।
हुनर और भी हैं इस पीढ़ी में
डायट के प्रवक्ताओं की मानें तो इस उच्च शिक्षा प्राप्त पीढ़ी के पास सिर्फ डिग्रियां ही नहीं हैं। इनके पास इंजीनियरिंग और मार्केटिंग की मास्टर और स्नातक डिग्री के साथ ही पीएचडी, एलएलबी और बीसीए जैसी डिग्रियां हैं। साथ ही इनके पास हुनर भी है। इनमें से कुछ अभ्यर्थियों के पास अच्छे गायन का हुनर है तो कुछ के पास नृत्य की कुशल कला है। वहीं इनमें से कुछ विद्यार्थी अपने आप को खेल में अव्वल दर्शा रहे हैं।
आइडियल शिक्षक देने की कर रहे कोशिश
डायट प्राचार्य डॉ. मुकेश अग्रवाल के मुताबिक बीटीसी करने वाले अभ्यर्थियों के रुप में अच्छी डिग्रियां प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों का मिलना अच्छी बात है। उनके मुताबिक इन डिग्रियों को लेकर बीटीसी करने वाले अभ्यर्थी जब विद्यालय जाकर शिक्षण कार्य करें तो वह कुछ अच्छा होना चाहिए। इसके लिए इन अभ्यर्थियों को डायट पर ट्रेनिंग के दौरान ही प्रेरित किया जा रहा है।
News Source / Sabhaar : Jagran (Publish Date:Thursday,Jun 12,2014 11:51:11 PM | Updated Date:Thursday,Jun 12,2014 11:51:25 PM)
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